सती सुलोचना का बिरहा

  1. Sati Sulochana : सती सुलोचना कौन थी ??
  2. Meghnad slaughter and Sati Sulochana staged
  3. सती सुलोचना – Hindi Tech Info
  4. सती सुलोचना
  5. लक्ष्मण को लगी शक्ति सुलोचना हुई सती
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  7. लक्ष्मण को लगी शक्ति सुलोचना हुई सती
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  10. सती सुलोचना


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Sati Sulochana : सती सुलोचना कौन थी ??

सती सुलोचना किस की पुत्री थी ? ( Sati Sulochana) सतीयो में एक प्रमुख नाम सती सुलोचना का भी आता है ! सती सुलोचना भगवान शंकर के गले में लिपटे वासुकी नाग की पुत्री थी ! और लंका के राजा रावण के पुत्र मेघनाद की धर्मपत्नी थी। सुलोचना सती कैसे बनी, Sati Sulochana कौन थी ?? हम उन के बारे में जानते है ! सती सुलोचना ने कहा :- मेरी हार का कारण जानते हो लक्ष्मण, मैं किस कारण से हार गई। तो सुनो लक्ष्मण ! मेरे पति पतिव्रता नारी का अपहरण करने वाले पिता का अन्न खाते थे ! और उन्हीं के लिये युद्ध में उतरे थे ! इसी कारण मेरे स्वामी मेघनाद परलोक सिधार गये ! अगर मेरे स्वामी मेघनाद की वीरता के बारे में संदेह हो तो मन से निकाल देना ! अब लक्ष्मण जी को पाता चला की सती सुलोचना कौन थी ?? लक्ष्मण ने किया मेघनाद का वध (Sati Sulochana) रावण के महापराक्रमी पुत्र मेघनाद का वध करने की प्रतिज्ञा लेकर लक्ष्मणजी युद्ध भूमि में जाने लगे ! तब श्री राम ने सती सुलोचना के बारे में लक्ष्मण जी को चेताना पड़ा ! कहा की लक्ष्मण, युद्ध भूमि में तुम अपनी वीरता और कौशलता से मेघनाद का वध कर दोगे ! इस बात का मुझे कोई संदेह नहीं है ! परंतु मेरी एक बात का विशेष ध्यान रखना कि, मेघनाद का मस्तक भूमि पर ना गिरे ! क्योंकि मेघनाद एकनारी-व्रतधर्म का पालन करने वाला व उसकी पत्नी सुलोचना परम पतिव्रता स्त्री है ! ऐसी साध्वी स्त्री के पति का मस्तक अगर भूमि पर गिरा तो हमारी सारी सेना का विनास हो जाएगा ! और युद्ध में हमें विजय श्री की आशा त्यागनी पड़ेगी ! अपने बड़े भाई-राम की बातों को ध्यान में रखकर लक्ष्मण अपनी सेना को लेकर युद्ध भूमि में चल पड़े ! युद्ध भूमि में उन्होंने वैसा ही किया जैसे श्री राम ने बताया ! युद्ध में लक्ष्मण ने अपने बाण...

Meghnad slaughter and Sati Sulochana staged

श्रीरामलीला कमेटी पीलीकोठी हल्द्वानी में बुधवार को मेघनाद वध व सुलोचना सती का मंचन हुआ। लीला का शुभारंभ पूजा अर्चना के साथ डॉ केदार पलडिया पूर्व राज्य मंत्री ने किया। इस दौरान सुलोचना का पात्र मोहन मेलकानी ने खेला। इस अवसर पर कमेटी अध्यक्ष विश्वंभर कांडपाल, प्रेम बिष्ट, एडवोकेट उमेश चंद्र जोशी, हरीश कनवाल, हरेंद्र बिष्ट, गिरीश दानी, नवल किशोर उपाध्याय, आरपी पांडे, हेमंत नेगी, मनीष कांडपाल, पान सिंह रौतेला, शिवराज सिंह, मुकेश बिष्ट, अमन वर्मा, पुष्पित टंडन, पवन गुप्ता, हिमांशु जोशी, जगदीश मेहरा, रणजीत बिष्ट, पुष्पा बिष्ट, अलका जीना, दीपा बिष्ट आदि ने सहभाग किया l कमेटी अध्यक्ष विश्वंभर कांडपाल ने बताया कि गुरुवार को अहिरावण व रावण वध तथा श्री राम राज्याभिषेक एवं प्रसाद वितरण किया जाएगा।

सती सुलोचना – Hindi Tech Info

Hindi technical information Subscribe for more amazing tircs, Idia's, Technology solutions videos" ये है हिंदी टेक इन्फो!!! यहाँ आपको मिलेगा आपके सभी तरह की टेक्नोलॉजी से सम्बंधित सवालों का जबाव …..और वो भी आपकी अपनी हिंदी भाषा में!!! तो जल्दी से सब्सक्राइब करें हमारे चेनल HINDI TECH INFO को……और रहें हर नयी टेक्नोलॉजी से जुडी जानकारी से अपडेट।। These Hindi Tech Info !!! Here you'll find answers to all your questions related to the technology, and even your own Hindi language ….. !!! Subscribe to our channel HINDI TECH INFO so quickly …… and stay current with all the new technology associated with .. Ye hai hindi tech info !!! Yaha aapko milega aapke sabhi tarah k technology se sambandhit sawaalo ka jawaab ….Aur vo bhi aapki apni hindi bhasha mein !!! Toh jaldi se subscribe Karen channel Ko ….Aur rahe har nayi technology se Judi jaankari se update !!! Primary Menu ★★ || सती सुलोचना || ★★ • सुलोचना वासुकी नाग की पुत्री और लंका के राजा रावण के पुत्र मेघनाद की पत्नी थी। लक्ष्मण के साथ हुए एक भयंकर युद्ध में मेघनाद का वध हुआ। उसके कटे हुए शीश को भगवान श्रीराम के शिविर में लाया गया था। अपने पती की मृत्यु का समाचार पाकर सुलोचना ने अपने ससुर रावण से राम के पास जाकर पति का शीश लाने की प्रार्थना की। किंतु रावण इसके लिए तैयार नहीं हुआ। उसने सुलोचना से कहा कि वह स्वयं राम के पास जाकर मेघनाद का शीश ले आये। क्योंकि राम पुरुषोत्तम हैं, इसीलिए उनके पास जाने में तुम्हें किसी भी प्रकार का भय नहीं करना चाहिए। • मेघनाद का वध • रावण के महापराक्रमी पुत्र इन्द्रजीत (मेघनाद) का वध करने की प्रतिज्...

सती सुलोचना

सती सुलोचना सुप्रभा– बहन कनकप्रभा ! आज मुझे सुलोचना की कोई चमत्कारिक घटना सुनाओ कनकप्रभा– अच्छा बहन सुनो ! सचमुच में सुलोचना भी एक महान नारीरत्न हुई है भरत चक्रवर्ती के सेनापति रत्न जयकुमार स्वयंवर विधि से सुलोचना के साथ पाणिग्रहण करके बनारस नगरी से चलकर अपनी राजधानी हस्तिनापुर नगरी की ओर जा रहे थे ” मध्य में अकस्मात् मगर ने हाथी का पैर पकड़ लिया और हाथी डूबने लगा ” यह दुर्घटना देख तट पर बैठी हुई सुलोचना घबरा गई ” वह शीघ्र ही गंगा में उतर पड़ी और पति कि रक्षा के लिए महामंत्र का ध्यान करने लगी,सुलोचना के मन्त्रध्यान के प्रभाव से गंगादेवी का आसन कंपित हो गया,उसने आकर मगर का रूप धारण करके उपसर्ग करने वाली काली देवी को खूब फटकारा और जयकुमार सुलोचना को तट पर ले आई अनन्तर बहुत ही विनय भक्ति से उन्हें सिंघासन पर विराजमान करके उनकी पूजा करते हुए अपनी कृतज्ञता व्यक्त की और कहा की हे सुलोचना ! आपके दिए हुए महामंत्र के प्रभाव से मैं विन्ध्यश्री कन्या मरकर यहाँ गंगा देवी हुई हूँ ” इस घटना को सुनने के लिए जयकुमार ने इच्छा व्यक्त की,तब सुलोचना ने कहा – हे पतिदेव ! विन्ध्यपूरी के राजा विन्ध्यकेतु की पुत्री विन्ध्यश्री मेरी सहेली थी ” किसी दिन उपवन में क्रीड़ा करते समय उसे सर्प ने काट लिया ” तब मैनें उसे मरणासन्न देखकर णमोकारमन्त्र सुनाया और श्रवण करते हुए मरकर वह सौधर्म इन्द्र की नियोगिनी गंगादेवी की अधिष्ठात्री गंगादेवी हुई हैं और इसी धर्म वात्सल्य से इसने मेरी रक्षा करके पूजा की है सुप्रभा– सखी ! यह तो बताओ उपसर्ग करने वाली यह काली देवी कौन थी ? कनकप्रभा- बहन ! किसी समय जयकुमार ने एक सर्पिणी को अपने पति (सर्प ) के मरने के बाद दुसरे सर्प के साथ क्रीड़ा करते हुए देख लिया ” उसे ताड़ित किय...

लक्ष्मण को लगी शक्ति सुलोचना हुई सती

राम और रावण की सेना के बीच लक्ष्मण और मेघनाद के बीच घमासान युद्ध होता है। कोई भी किसी से कम नहीं पड़ रहा है। मेघनाद इसी बीच लक्ष्मण के ऊपर शक्ति का प्रहार करता है, लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं। राम दल में हा-हाकार मच जाता है। विभीषण के परामर्श पर हनुमानजी लंका से सुषेन वैद्य को लेकर आते हैं। सुषेन वैद्य कहते हैं कि लक्ष्मण के उपचार के लिए सुबह होने से पहले संजीवनी बूटी की जरूरत है। हनुमानजी संजीवनी बूटी लाने चले जाते हैं। लक्ष्मण के मूर्छित शरीर को गोद में रखकर राम विलाप करते हैं। संजीवनी बूटी आने पर सुषेन वैद्य उपचार कर लक्ष्मण को सही करते हैं। इसके बाद लक्ष्मण और मेघनाद के बीच पुन: युद्ध होता है, मेघनाद का लक्ष्मण वध कर देते हैं। अपने पति मेघनाद के मृत शरीर के साथ उसकी पत्नी सुलोचना चिता में जलकर सती हो जाती है। इस दौरान वीर सिंह भदौरिया, रमेश चंद्र सर्राफ, सुरेश चंद्र बीनू बंसल, अशोक गुप्ता पप्पू, प्रशांत मिश्रा, प्रतापभान सिंह चौहान, ओम कुमार चौहान, मनोज चौहान, हाकिम राजपूत, शशांक चौहान, सुरेंद्र चौहान चक्कर, धीरज बाबू, के के गुप्ता, अमरनाथ भारद्वाज, हरेंद्र राठौर, सब्बन बाबा, मनोज चतुर्वेदी, अशोक शाक्य, उदयप्रताप सिसौदिया, राजेन्द्र राठौर, संतोष भारद्वाज, अभिषेक जैन, यश कुदेशिया, कुलदीप सिंह, नवीन सर्राफ, राजेश गुप्ता, कुलदीप सक्सेना, रवि श्रीवास्तव, संदीप श्रीवास्तव आदि मौजूद थे। संसू, करहल : शुक्रवार को विजयदशमी का पर्व धूमधाम और हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। रामलीला महोत्सव में रामलीला मैदान में रावण के पुतले का दहन किया गया। दोपहर चार बजे कस्बा स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और रावण की सेना कारों के काफिले के साथ रामलीला मैदान के लिए रव...

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लक्ष्मण को लगी शक्ति सुलोचना हुई सती

राम और रावण की सेना के बीच लक्ष्मण और मेघनाद के बीच घमासान युद्ध होता है। कोई भी किसी से कम नहीं पड़ रहा है। मेघनाद इसी बीच लक्ष्मण के ऊपर शक्ति का प्रहार करता है, लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं। राम दल में हा-हाकार मच जाता है। विभीषण के परामर्श पर हनुमानजी लंका से सुषेन वैद्य को लेकर आते हैं। सुषेन वैद्य कहते हैं कि लक्ष्मण के उपचार के लिए सुबह होने से पहले संजीवनी बूटी की जरूरत है। हनुमानजी संजीवनी बूटी लाने चले जाते हैं। लक्ष्मण के मूर्छित शरीर को गोद में रखकर राम विलाप करते हैं। संजीवनी बूटी आने पर सुषेन वैद्य उपचार कर लक्ष्मण को सही करते हैं। इसके बाद लक्ष्मण और मेघनाद के बीच पुन: युद्ध होता है, मेघनाद का लक्ष्मण वध कर देते हैं। अपने पति मेघनाद के मृत शरीर के साथ उसकी पत्नी सुलोचना चिता में जलकर सती हो जाती है। इस दौरान वीर सिंह भदौरिया, रमेश चंद्र सर्राफ, सुरेश चंद्र बीनू बंसल, अशोक गुप्ता पप्पू, प्रशांत मिश्रा, प्रतापभान सिंह चौहान, ओम कुमार चौहान, मनोज चौहान, हाकिम राजपूत, शशांक चौहान, सुरेंद्र चौहान चक्कर, धीरज बाबू, के के गुप्ता, अमरनाथ भारद्वाज, हरेंद्र राठौर, सब्बन बाबा, मनोज चतुर्वेदी, अशोक शाक्य, उदयप्रताप सिसौदिया, राजेन्द्र राठौर, संतोष भारद्वाज, अभिषेक जैन, यश कुदेशिया, कुलदीप सिंह, नवीन सर्राफ, राजेश गुप्ता, कुलदीप सक्सेना, रवि श्रीवास्तव, संदीप श्रीवास्तव आदि मौजूद थे। संसू, करहल : शुक्रवार को विजयदशमी का पर्व धूमधाम और हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। रामलीला महोत्सव में रामलीला मैदान में रावण के पुतले का दहन किया गया। दोपहर चार बजे कस्बा स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और रावण की सेना कारों के काफिले के साथ रामलीला मैदान के लिए रव...

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Sati Sulochana : सती सुलोचना कौन थी ??

सती सुलोचना किस की पुत्री थी ? ( Sati Sulochana) सतीयो में एक प्रमुख नाम सती सुलोचना का भी आता है ! सती सुलोचना भगवान शंकर के गले में लिपटे वासुकी नाग की पुत्री थी ! और लंका के राजा रावण के पुत्र मेघनाद की धर्मपत्नी थी। सुलोचना सती कैसे बनी, Sati Sulochana कौन थी ?? हम उन के बारे में जानते है ! सती सुलोचना ने कहा :- मेरी हार का कारण जानते हो लक्ष्मण, मैं किस कारण से हार गई। तो सुनो लक्ष्मण ! मेरे पति पतिव्रता नारी का अपहरण करने वाले पिता का अन्न खाते थे ! और उन्हीं के लिये युद्ध में उतरे थे ! इसी कारण मेरे स्वामी मेघनाद परलोक सिधार गये ! अगर मेरे स्वामी मेघनाद की वीरता के बारे में संदेह हो तो मन से निकाल देना ! अब लक्ष्मण जी को पाता चला की सती सुलोचना कौन थी ?? लक्ष्मण ने किया मेघनाद का वध (Sati Sulochana) रावण के महापराक्रमी पुत्र मेघनाद का वध करने की प्रतिज्ञा लेकर लक्ष्मणजी युद्ध भूमि में जाने लगे ! तब श्री राम ने सती सुलोचना के बारे में लक्ष्मण जी को चेताना पड़ा ! कहा की लक्ष्मण, युद्ध भूमि में तुम अपनी वीरता और कौशलता से मेघनाद का वध कर दोगे ! इस बात का मुझे कोई संदेह नहीं है ! परंतु मेरी एक बात का विशेष ध्यान रखना कि, मेघनाद का मस्तक भूमि पर ना गिरे ! क्योंकि मेघनाद एकनारी-व्रतधर्म का पालन करने वाला व उसकी पत्नी सुलोचना परम पतिव्रता स्त्री है ! ऐसी साध्वी स्त्री के पति का मस्तक अगर भूमि पर गिरा तो हमारी सारी सेना का विनास हो जाएगा ! और युद्ध में हमें विजय श्री की आशा त्यागनी पड़ेगी ! अपने बड़े भाई-राम की बातों को ध्यान में रखकर लक्ष्मण अपनी सेना को लेकर युद्ध भूमि में चल पड़े ! युद्ध भूमि में उन्होंने वैसा ही किया जैसे श्री राम ने बताया ! युद्ध में लक्ष्मण ने अपने बाण...

सती सुलोचना

सती सुलोचना सुप्रभा– बहन कनकप्रभा ! आज मुझे सुलोचना की कोई चमत्कारिक घटना सुनाओ कनकप्रभा– अच्छा बहन सुनो ! सचमुच में सुलोचना भी एक महान नारीरत्न हुई है भरत चक्रवर्ती के सेनापति रत्न जयकुमार स्वयंवर विधि से सुलोचना के साथ पाणिग्रहण करके बनारस नगरी से चलकर अपनी राजधानी हस्तिनापुर नगरी की ओर जा रहे थे ” मध्य में अकस्मात् मगर ने हाथी का पैर पकड़ लिया और हाथी डूबने लगा ” यह दुर्घटना देख तट पर बैठी हुई सुलोचना घबरा गई ” वह शीघ्र ही गंगा में उतर पड़ी और पति कि रक्षा के लिए महामंत्र का ध्यान करने लगी,सुलोचना के मन्त्रध्यान के प्रभाव से गंगादेवी का आसन कंपित हो गया,उसने आकर मगर का रूप धारण करके उपसर्ग करने वाली काली देवी को खूब फटकारा और जयकुमार सुलोचना को तट पर ले आई अनन्तर बहुत ही विनय भक्ति से उन्हें सिंघासन पर विराजमान करके उनकी पूजा करते हुए अपनी कृतज्ञता व्यक्त की और कहा की हे सुलोचना ! आपके दिए हुए महामंत्र के प्रभाव से मैं विन्ध्यश्री कन्या मरकर यहाँ गंगा देवी हुई हूँ ” इस घटना को सुनने के लिए जयकुमार ने इच्छा व्यक्त की,तब सुलोचना ने कहा – हे पतिदेव ! विन्ध्यपूरी के राजा विन्ध्यकेतु की पुत्री विन्ध्यश्री मेरी सहेली थी ” किसी दिन उपवन में क्रीड़ा करते समय उसे सर्प ने काट लिया ” तब मैनें उसे मरणासन्न देखकर णमोकारमन्त्र सुनाया और श्रवण करते हुए मरकर वह सौधर्म इन्द्र की नियोगिनी गंगादेवी की अधिष्ठात्री गंगादेवी हुई हैं और इसी धर्म वात्सल्य से इसने मेरी रक्षा करके पूजा की है सुप्रभा– सखी ! यह तो बताओ उपसर्ग करने वाली यह काली देवी कौन थी ? कनकप्रभा- बहन ! किसी समय जयकुमार ने एक सर्पिणी को अपने पति (सर्प ) के मरने के बाद दुसरे सर्प के साथ क्रीड़ा करते हुए देख लिया ” उसे ताड़ित किय...