Stoop kya hota hai

  1. साँची का स्तूप कहां स्थित है? Sanchi Ka Stoop in Hindi
  2. स्टूल टेस्ट क्या है, खर्च, कब, क्यों, कैसे होता है
  3. टाइफाइड बुखार के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, कैसे होता है, कब ठीक होता है, पहचान, नुकसान
  4. Stenography kya hota hai
  5. Translate who s this ka matlab kya h hin in Hindi
  6. स्तूप (Stoop) Meaning In English Stoop in English इंग्लिश
  7. साइटिका के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार
  8. Gall Bladder Stone In Hindi
  9. कब्ज के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज


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साँची का स्तूप कहां स्थित है? Sanchi Ka Stoop in Hindi

साँची का स्तूप एक बौद्ध स्मारक है जो भारत के मध्य प्रदेश राज्य के साँची नामक गांव में स्थित है। ये गांव रायसेन जिले में बेतवा नदी के तट पर स्थित है। साँची गांव भोपाल से 46 किलोमीटर तथा विदिशा शहर से 10 किलोमीटर दूर स्थित है। प्राचीन समय में इस गांव को कंकेनवा या ककान्या आदि नामों से जाना जाता था। सांची के स्तूप के सिवा यहां और भी बहुत कुछ है साँची के जिस स्तूप का चित्र ऊपर दिया गया है उसके सिवा भी साँची में कई और छोटे-बड़े स्तूप है। इसके सिवा यहां मौर्य, शुंग, कुषाण, सातवाहन और गुप्तकालीन अवशेषों की लगभग 50 से ज्यादा संरचनाएं हैं। बौद्ध स्मारकों के सिवा एक प्राचीन हिंदू मंदिर के अवशेष भी मिले हैं जिसे गुप्त काल में निर्मित माना गया है। साँची का स्तूप किसने और कब बनवाया? साँची के मुख्य स्तूप के निर्माण का श्रेय सम्राट अशोक को दिया जाता है। माना जाता है उनके काल में ही इस स्तूप का निर्माण करवाया गया था। कहा जाता है कि सम्राट अशोक की एक महारानी साँची के पास स्थित विदिशा नगर के एक व्यापारी की पुत्री थी, जिसे सम्राट अशोक ने इस स्तूप को बनवाने का कार्य सौंपा था। मुख्य स्तूप को अशोक के बाद शुंग काल में विस्तार दिया गया और इसे लगभग दोगुना कर दिया गया। वर्तमान समय में इस स्तूप की ऊंचाई 16.46 मीटर (54 फुट) और व्यास 36.6 मीटर (120 फुट) है। शुंग काल में ही साँची में मौजूद ज्यादातर निर्माण बनाए गए थे। बाकी के निर्माण भी तीसरी शताब्दी ई.पू से बारहवीं सदी के बीच के काल के हैं। सांची का उस दौर में कितना महत्व रहा होगा इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अशोक के पुत्र महेंद्र व पुत्री संघमित्रा श्रीलंका में धर्म प्रचार पर जाने से पूर्व यहां मठ में रहते थे, यहां पर उनकी माता का भी एक कक्ष ...

स्टूल टेस्ट क्या है, खर्च, कब, क्यों, कैसे होता है

स्टूल टेस्ट क्या होता है ? स्टूल टेस्ट एक लेबोरेटरी टेस्ट होता है, जिसके द्वारा उन बैक्टीरिया की उपस्थिति का पता लगाया जाता है, जो संक्रमण का कारण बनते हैं। इस टेस्ट की मदद से जठरांत्र पथ (Gastrointestinal tract) में संक्रमण का भी पता लगाया जाता है। दूषित खाद्य या पेय पदार्थ का सेवन करने ( (और पढ़ें - myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं। स्टूल टेस्ट क्यों किया जाता है? स्टूल टेस्ट का उपयोग निम्न स्थितियों की जांच करने के लिए किया जाता है। • गैस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रैक्ट (Gastrointestinal tract) के अंदर खून का बहना, (और पढ़ें - • संक्रमण (जो बैक्टीरिया, वायरस या पैरासाइटिस के कारण होता है), (और पढ़ें - • पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं (जैसे कुछ प्रकार के • पैरासाइटिस (परजीवी) का पता लगाने के लिए,(और पढ़ें - • • पाचन तंत्र, लिवर, और अग्न्याशय के रोगों की पहचान करने में मदद करने के लिए। मल में कुछ प्रकार के एंजाइमों का मूल्यांकन किया जाता है, जिससे यह जानने में मदद मिलती है किअग्न्याशय कितने अच्छे से काम कर पा रहा है। (और पढ़ें - • पाचन तंत्र को प्रभावित करने वाले लक्षणों के कारणों को ढूंढने के लिए जिनमें लंबे समय के दस्त, खूनी दस्त, • पाचन तंत्र द्वारा पोषक तत्वों के खराब अवशोषण (Malabsorption syndrome) की जांच करने के लिए। इस टेस्ट के लिए 72 घंटे तक के मल को एकत्रित कर लिया जाता है और उसमें वसा की जांच की जाती है (और कभी कभी (और पढ़ें - स्टूल ट...

टाइफाइड बुखार के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, कैसे होता है, कब ठीक होता है, पहचान, नुकसान

टाइफाइड क्या है? टाइफाइड टाइफाइड के संकेत और लक्षणों में आमतौर पर तेज बुखार, सिरदर्द, पेट में दर्द और कब्ज या दस्त शामिल हैं। टाइफाइड बुखार से ग्रस्त अधिकांश लोग एंटीबायोटिक उपचार शुरू करने के कुछ दिनों के भीतर बेहतर महसूस करने लगते हैं, हालांकि उनमें से एक छोटी संख्या की टाइफाइड की जटिलताओं से मृत्यु हो सकती है। टाइफाइड बुखार के टीके उपलब्ध हैं, लेकिन वे शत-प्रतिशत प्रभावी नहीं हैं। औद्योगिक देशों में टाइफाइड बुखार बहुत कम होता है लेकिन यह आज भी विकासशील देशों में, विशेष रूप से बच्चों के लिए, एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा बना हुआ है। भारत में टाइफाइड काफी आम है, जहां इसेमोतीझरा और मियादी बुखार (आंत्र ज्वर) के नाम से भी जाना जाता है।विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर मेंहर साललगभग 2.1 करोड़टाइफाइड के मामले होते हैं और 2.22 लाखटाइफाइड से ग्रसित लोगों की मौत होती है। आमतौर पर टाइफाइड रोग के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं - संक्रमण होने के लगभग 1-3 सप्ताह के बाद। टाइफाइड के शुरुआती लक्षणहैं एक बार संकेत और लक्षण दिखाई देने के बाद, आपको अनुभव होने की संभावना है: • बुखार - शुरुआत में यह कम होता और फिर रोज़ बढ़ता रहता है, संभवतः 104.9 F (40.5 C) तक पहुंच जाता है(और पढ़ें - • • • • पसीना आना • • • • • • पेट में अत्यधिक सूजन टाइफाइड के बाद के लक्षण यदि टाइफाइड का इलाज न किया जाये तो यह लक्षण हो सकते हैं - • प्रलाप हो जाते हैं • "टाइफाइड स्टेट" (टाइफाइड अवस्था) में चले जाना - यानी गतिहीन, बेहद अधिक थकान, आधी-खुली आंखों के साथ लेटे रहना इसके अलावा घातक जटिलताएं अक्सर इस समय विकसित होती हैं। कुछ लोगों में बुखार के कम होने के दो सप्ताह बाद तक लक्षणलौट सकते हैं। टाइफाइड का जीवाणु मनुष्...

Stenography kya hota hai

यदि आप भी stenography करना चाहते हैं, या स्टेनोग्राफर बनना चाहते हैं, तो इस पोस्ट को पूरा पढ़ें आपको काफी महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ने को मिलेगी। कल्पना कीजिये यदि आप लिखने या पढ़ने की एक ऐसी कला सीख गए हैं, जिसमें किसी की आम बातचीत को भी आप तेजी के साथ बिलकुल सही-सही रिकॉर्ड कर सकते हैं, और आपके रिकॉर्ड किए गए शब्दों को पढ़ना या समझना हर किसी के लिए आसान नहीं है, तो कहीं ना कहीं उस लिखी या टाइप की गई information की सुरक्षा भी बढ़ जाती है। तो यही सब काम Stenography में होता है, चलिए विस्तार में जानते हैं, स्टेनोग्राफी क्या होता है। Table of Contents • • • • • • Stenography kya hota hai | What is Stenography in Hindi स्टेनोग्राफी को समझने से पहले आपका यह जान लेने आवश्यक है, की आशुलिपि ( वहीँ आशुलिप में लिखे गए शब्दों (Codes, signs, symbols) को रिकॉर्ड करने की प्रकिया को Stenography कहा जाता है। स्टेनोग्राफी शब्दों को रिकॉर्ड करने का एक तरीका है, इसे आप रिकॉर्ड करने की एक प्रक्रिया भी कह सकते हैं। जब शॉर्टहैंड में लिखे गए शब्दों को सामान्य रूप से टाइप कर दिया जाता है, पढ़ दिया जाता है, या describe कर दिया जाता है, तो वह प्रक्रिया stenography कहलाती है, यानि आप कह सकते हैं, की शॉर्टहैंड में लिखे गए शब्दों को टाइप करने या पढ़ने की प्रक्रिया को ही स्टेनोग्राफी कहा जाता है। Stenographer क्या होता है | What is Stenographer in Hindi स्टेनोग्राफी प्रक्रिया का प्रयोग करने वाले व्यक्ति को स्टेनोग्राफर कहा जाता है। स्टेनोग्राफर वह प्रोफेशनल व्यक्ति होता है, जो अपनी शॉर्टहैंड राइटिंग या टाइपिंग से किसी भी भाषण को या दो लोगों के बीच की जा रही आम बातचीत को बहुत ही तेजी से Coded रूप में लिख सकते हैं...

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स्तूप (Stoop) Meaning In English Stoop in English इंग्लिश

स्तूप का अन्ग्रेजी में अर्थ स्तूप (Stoop) = स्तूप संज्ञा पुं॰ [सं॰] १. मिट्टी आदि का ढेर । अटाला । राशि । २. ऊँचा ढूह या टीला । ३. मिट्टी, ईंट, पत्थर आदि का बना ऊँचा ढूह या टीला जिसके नीचे भगवान् बुद्ध या किसी बौद्ध महात्मा की अस्थि, दाँत, केश या इसी प्रकार के अन्य स्मृति- चिह्न संरक्षित हों । ४. केशगुच्छ । लट । ५. मकान में का सबसे बड़ा शहतीर । जोता । ६. शवदाह के लिये क्रम से एकत्रित लकड़ियों का ढेर । चिता (को॰) । ७. शक्ति । क्षमता (को॰) । स्तूप (संस्कृत और पालि: से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ "ढेर" होता है) एक गोल टीले के आकार की संरचना है जिसका प्रयोग पवित्र बौद्ध अवशेषों को रखने के लिए किया जाता है। माना जाता है कभी यह बौद्ध प्रार्थना स्थल होते थे। महापरिनर्वाण सूत्र में महात्मा बुद्ध अपने शिष्य आनन्द से कहते हैं- "मेरी मृत्यु के अनन्तर मेरे अवशेषों पर उसी प्रकार का स्तूप बनाया जाये जिस प्रकार चक्रवर्ती राजाओं के अवशेषों पर बनते हैं- (दीघनिकाय- १४/५/११)। स्तूप समाधि, अवशेषों अथवा चिता पर स्मृति स्वरूप निर्मित किया गया, अर्द्धाकार टीला होता था। इसी स्तूप को चैत्य भी कहा गया है। स्तूप मंडल का पुरातन रूप हैं। The Great Stupa at Sanchi, India, established by Ashoka (4th–1st century BC)Stupa surrounded by four lion-crowned pillars, Gandhara, 2nd century ADShingardar stupa, Swat valleyAmlukdara stupa, near Barikot, SwatDro-dul Chorten - Gangtok, SikkimThe Great Stupa at Sanchi, India, established by Ashoka (4th–1st century BC)Dhamek Stupa in SarnathSwayambhunath, also known as Monkey Temple, is an ancient religious complex atop a hill in the Kathmandu Valley, NepalKathesim...

साइटिका के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार

साइटिक नर्व (तंत्रिका) आपकी रीढ़ की हड्डी से शुरू होती है, और आपके कूल्हों और नितंबों के माध्यम से चलती हुई दोनों पैर में नीचे की तरफ इसकी एक-एक शाखा जाती है। यह आपके शरीर की सबसे लंबी और महत्वपूर्ण तंत्रिकाओं में से एक है। इसका आपके पैरों को नियंत्रित करने और महसूस करने की आपकी क्षमता पर सीधा प्रभाव पड़ता है। जब इस तंत्रिका में परेशानी होती है, तो आप साइटिका यानि कटिस्नायुशूल का अनुभव करते हैं। साइटिका का दर्द आपकी पीठ, नितंबों और पैरों में होता है और काफी ज्यादा हो सकता है। आप इन अंगों में कमजोरी या सुन्नता भी महसूस कर सकते हैं। साइटिका का दर्द आपके साइटिक तंत्रिका में चोट या इसे प्रभावित करने वाले शरीर के किसी हिस्से (जैसे कि रीढ़ की हड्डी) में चोट का लक्षण होता है। साइटिका 30 से 50 साल की उम्र के लोगों के बीच होने की अधिक संभावना होती है। (और पढ़ें - साइटिका लक्षण का एक बहुत अलग प्रकार है। यदि आपको अपने पीठ के निचले हिस्से से अपने नितंब क्षेत्र से होते हुए आपके निचले अंगों में बहने वाले दर्द का सामना करना पड़ रहा है, तो यह आमतौर पर साइटिका होता है। साइटिका आपके साइटिक तंत्रिका को नुकसान या चोट का परिणाम होता है, इसलिए तंत्रिका क्षति के अन्य लक्षण आमतौर पर दर्द के साथ उत्पन्न होते हैं। अन्य लक्षणों में निम्न लक्षण शामिल हो सकते हैं - • आपको दर्द हो सकता है जो हिलने-डुलने से और बदतर हो जाता है। • आपके टांगो या पैरों में आपको सुन्नता या • सुई चुभने जैसा महसूस कर सकते हैं, जिसमें आपके पैर की उंगलियों या पैरों में एक दर्दनाक झुनझुनी होना भी शामिल है। • आप नित्य कर्म पर नियंत्रणहीनता का अनुभव कर सकते हैं, यह आपके मूत्राशय या आंत को नियंत्रित करने में अक्षमता है। यह "कौडा एक्वि...

Gall Bladder Stone In Hindi

gall bladder stone treatment in hindi Gall Bladder Stone In Hindi – आयुर्वेद का एक ऐसा चमत्कार जिसे देखकर एलॉपथी डॉक्टर्स ने दांतों तले अंगुलियाँ चबा ली. जो डॉक्टर्स कहते थे के गाल ब्लैडर स्टोन अर्थात पित्त की थैली की पथरी निकल ही नहीं सकता, उनकी जुबान हलक से नीचे पेट में गिर गयी. सिर्फ एक नहीं अनेक मरीजों पर सफलता से आजमाया हुआ ये प्रयोग. इस प्रयोग को एक डॉक्टर तो 5000 से लेकर 10000 में करते हैं. जबकि इस प्रयोग की वास्तविक कीमत सिर्फ 30-40 रुपैये ही है. यह प्रयोग गाल ब्लैडर और किडनी दोनों प्रकार के स्टोन को निकालने में बेहद कारगर है.इस प्रयोग को हमने जिन पर आजमाया वो कोई छोटी मोटी हस्ती नहीं हैं, ये हैं डॉक्टर बिंदु प्रकाश मिश्रा जी, जो के महर्षि दयानंद कॉलेज परेल मुंबई में मैथ के प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं. और यूनिवर्सिटी सीनेट के सदस्य भी हैं. डॉक्टर साहब के 21 MM का स्टोन 8 साल से गाल ब्लैडर में था, और अत्यंत दर्द था. डॉक्टर ने इनको गाल ब्लैडर तुरंत निकलवाने की सलाह भी दे दी. मगर इन्होने आयुर्वेद की शरण में जाने की सोचा. और फिर क्या बस 5 दिनों में ये स्टोन कहाँ गायब हो गया, पता ही नहीं चला. 5 दिन बाद जब दोबारा चेक करवाया तो गाल ब्लैडर स्टोन की जगह बस थोड़ी बहुत रेत जैसा दिखा, जिसके बाद डॉक्टर ने उनको थोडा दवाएं लेने के लिए कहा. रहें only आयुर्वेद के साथ.तो क्या है वो प्रयोग आइये जाने Gudhal ka flower Gall Bladder Stone In Hindi – गाल ब्लैडर स्टोन की घरेलु दवा तो क्या है ये चमत्कारी दवा. ये कुछ और नहीं ये है गुडहल के फूलों का पाउडर अर्थात इंग्लिश में कहें तो Hibiscus powder. ये पाउडर बहुत आसानी से पंसारी से मिल जाता है. अगर आप गूगल पर Hibiscus powder नाम ...

कब्ज के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज

एक व्यक्ति को कब्ज का अनुभव होने का मूल कारण एक धीमा पाचन तंत्र है। हां, यदि आपका भोजन आपकी बड़ी आंत या बृहदान्त्र(कोलन) में धीरे-धीरे चलता है तो यह बहुत शुष्क और कठोर हो जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपकी बड़ी आंत मल से नमी को तब तक अवशोषित करती है जब तक कि वह बाहर नहीं निकल जाता। इसलिए यदि पाचन तंत्र समय पर मल को बाहर नहीं निकाल पाता है, तो यह सख्त हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप कब्ज हो जाता है। सारांश: मुख्य आधार जिस पर कब्ज होता है वह पाचन तंत्र में मल की कम गति है। यह मल की प्रगति को धीमा कर देता है जिससे यह शुष्क हो जाता है और कोलन के लिए इसे पास करना कठिन हो जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को शरीर से मल निकालने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है और कब्ज के संकेत और • बॉवेल मूवमेंट, जो एक सप्ताह में 3 बार से कम या सप्ताह की नियमित समय अवधि के दौरान होने वाले बॉवेल मूवमेंट्स की तुलना में कम मल त्याग होता है। • मल त्याग की प्रक्रिया के दौरान • पेट के निचले हिस्से में भूख कम लगना और • ढेलेदार(लम्पी), सख्त और छोटे मल का सामना करना • सूजा हुआ पेट या पेट दर्द • मिचली आना और पेट फूलना महसूस होना • ऐसा महसूस होना की सब कुछ बाहर नहीं निकला है और मलाशय में रुकावट है • ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जब मलाशय से मल निकालने के लिए उदर क्षेत्र को दबाना या अंगुलियों का प्रयोग करना अनिवार्य होता है। शुरुआती संकेत जो आपको समस्याओं की पहचान करने में मदद कर सकते हैं उनमें शामिल हैं: • एक सप्ताह में तीन बार से कम मल त्याग। • मल त्याग करना मुश्किल या दर्दनाक। • सूखा, सख्त और/या ढेलेदार(लम्पी) मल। • • पेट • एक बॉवेल मूवमेंट के बाद ऐसा महसूस होना की मल त्याग ठीक से नहीं हुआ। सारांश:...