Stri purush samanta nibandh

  1. नारी शक्ति पर निबंध (Nari Shakti Essay In Hindi Language)
  2. स्त्री शिक्षा का महत्व पर 100, 200 और 500 शब्दों में निबंध
  3. भारतीय समाज में नारी का स्थान पर निबंध Hindi Essay on Women in Indian society
  4. स्त्री पूरूष समानता निबंध मराठी
  5. निबंध


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नारी शक्ति पर निबंध (Nari Shakti Essay In Hindi Language)

नारी शक्ति पर निबंध (Nari Shakti Essay In Hindi) प्रस्तावना नारी में सहनशीलता, प्रेम, धैर्य और ममता जैसे गुण मौजूद है। किसी भी समाज की कल्पना नारी के बिना नहीं की जा सकती है। जब कोई नारी कोई भी चीज़ करने की ठान लेती है, तो वह कर दिखाती है। नारी की हिम्मत और सहनशीलता पुरुषो से भी अधिक है। नारी अपने वादे से पीछे नहीं हटती है। नारी अपने जिम्मेदारियों को निभाती है और कठिन परिस्थितियों में अपने शक्ति का परिचय देती हुयी नज़र आती है। देश में कई महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्र में अपने साहस और सूझ बुझ का परिचय दिया है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ो के खिलाफ निडर होकर जंग लड़ी थी। उन्होंने आजादी के लिए अपने प्राणो की आहुति दे दी थी। नारी ने अपने हर रूप में यह साबित किया है कि वह अबला नारी नहीं है। वक़्त आने पर वह अपने हालातों से लड़ भी सकती है और उसे काबू में भी ला सकती है। नारी चाहे वह माँ हो, या बहन, या फिर पत्नी, उसके हर रूप में उसका सम्मान करना चाहिए। घर संभालना और अपनों की देखभाल नारी के गर्भ से जीवन का आरम्भ होता है। नारी अपने जीवन में कई भूमिकाएं निभाती है। वह एक दिन में बिना थके घंटो काम करती है। वह अपने परिवार के सदस्यों की देख रेख करती है। परिवार के लोगो को अच्छी सलाह देती है। जब परिवार का कोई भी सदस्य कभी बीमार पड़ता है, तो वह उसकी देख भाल करती है। जब घर का कोई सदस्य थक कर घर आता है, तो महिलाएं खाना परोसती है और कोई भी परिवार के सदस्य की चिंता और थकान अपने बातों से दूर कर देती है। वह बच्चो की शिक्षक बन जाती है और उन्हें पढ़ाती है और अपने घरेलू नुस्खों से परिवार के सदस्यों का इलाज़ भी करती है। वह बिना शर्त रखे सभी काम करती है और अपनों को खुश रखती है। वह औरो के जिन्दगी में ख़ुशी ...

स्त्री शिक्षा का महत्व पर 100, 200 और 500 शब्दों में निबंध

प्राचीन काल से कई शासकों, योद्धा अर्थात पुरुष प्रधान समाज के कारण स्त्री शिक्षा का महत्व नहीं था किन्तु एक शताब्दी पहले राजा राममोहन रॉय और ईश्वरचंद विद्यासागर ने नारी शिक्षा का प्रचलन किया। इन्हें कई विरोध एवं हिंसा का सामना करना पड़ा परन्तु लोगों में स्त्री शिक्षा के महत्व को लेकर परिवर्तन आया। जैसे जैसे समय बढ़ता चला गया और नारी शिक्षा में बदलाव और विकास होने लगा।जिस प्रकार पुरुष को इस देश के प्रगति, विकास एवं उन्नति के लिए विद्या मिल रही है तो नारी भी इस देश की नागरिक है और उसे भी शिक्षा प्राप्ति का पूरा हक़ है। जब दोनों को संविधान में समान अधिकार मिला है तो शिक्षा के क्षेत्र में भी समान अधिकार हो।तो आइये पढ़तें हैं कि स्त्री शिक्षा का महत्व प्राचीनकाल से वर्तमान तक कैसा उतार-चढ़ाव रहा है। The Blog Includes: • • • • • • • • स्त्री शिक्षा का अर्थ सिखने सिखाने की क्रिया को शिक्षा कहते है। शिक्षा के ज़रिए मनुष्य के ज्ञान एवं कला कौशल में वृद्धि करके उसके अनुवांशिक गुणों को निखारा जा सकता है और उसके व्यवहार को अर्जित किया जा सकता है। शिक्षा व्यक्ति की बुद्धि, बल और विवेक को उत्कृष्ट बनाती है वहीं एक अशिक्षित व्यक्ति जानवर के समान है।प्राचीन काल में स्त्रियों को केवल घर और विवाहित जीवन गुजारने की सलाह दी जाती थी परन्तु समाज के विकास के साथ-साथ नारी शिक्षा को भी अलग आकर और पद प्राप्त हुआ है। पुरुषप्रधान समाज से ही स्त्री अपने काम का लोहा मनवा रही हैं। कहते हैं कि एक अशिक्षित नारी गृहस्थी की भी देखभाल अच्छे से नहीं कर सकती है। स्त्री शिक्षा का स्वरुप एक कहावत है कि ‘एक पुरुष को शिक्षित करके हम सिर्फ एक ही व्यक्ति को शिक्षित कर सकते हैं लेकिन एक नारी को शिक्षित करके हम पूरे देश...

भारतीय समाज में नारी का स्थान पर निबंध Hindi Essay on Women in Indian society

भारतीय समाज में नारी का स्थान (Bhartiya samaj mein nari ka sthan) प्राचीन काल में हमारे समाज में नारी का महत्व नर से कहीं बढ़कर होता था। किसी समय तो नारी का स्थान नर से इतना बढ़ गया था कि पिता के नाम के स्थान पर माता का ही नाम प्रधान होकर परिचय का सूत्र बन गया था। धर्म द्रष्टा मनु ने नारी को श्रद्धामयी और पूजनीया मानते हुए महत्व प्रदर्शित किया- ‘यत्रनार्यस्तु पूज्यते, रभन्ते तत्र देवताः।’ Advertisement धीरे धीरे समय के पटाक्षेप के कारण नारी की दशा में कुछ अपूर्व परिवर्तन हुए। वह अब नर से महत्वपूर्ण न होकर उसके समकक्ष श्रेणी में आ गई। अगर पुरूष ने परिवार के भरण पोषण का उत्तरदायित्व सम्भाल लिया तो घर के अन्दर के सभी कार्यों का बोझ नारी ने उठाना शुरू कर दिया। इस प्रकार नर और नारी के कार्यों में काफी अन्तर आ गया। ऐसा होने पर भी प्राचीन काल की नारी ने हीन भावना का परित्याग कर स्वतंत्र और आत्मविश्वास होकर अपने व्यक्तित्व का सुन्दर और आकर्षक निर्माण किया। पंडित मिश्रा की पत्नी द्वारा शंकराचार्य जी के परास्त होने के साथ गार्गी, मैत्रेयी, विद्योत्तमा आदि विदुषियों का नाम इसी श्रेणी में उल्लेखनीय है। समय के बदलाव के साथ नारी दशा में अब बहुत परिवर्तन आ गया है। यों तो नारी को प्राचीनकाल से अब तक भार्या के रूप में रही है। इसके लिए उसे गृहस्थी के मुख्य कार्यों में विवश किया गया, जैसे- भोजन बनाना, बाल बच्चों की देखभाल करना, पति की सेवा करना। पति की हर भूख को शान्त करने के लिए विवश होती हुई अमानवता का शिकार बनकर क्रय विक्रय की वस्तु भी बन जाना भी अब नारी जीवन का एक विशेष अंग बन गया। Advertisement शिक्षा के प्रचार प्रसार के फलस्वरूप अब नारी की वह दुर्दशा नहीं है, जो कुछ अंधविश्वासों, रूढि़...

स्त्री पूरूष समानता निबंध मराठी

स्त्री पूरूष समानता निबंध मराठी - Stri Purush Samanta Essay in Marathi आजचा हे निबंध आहे स्त्री पुरुष समानते वर. आजचा आधुनिक युगात स्त्री आणि पुरुष या दोघांची काय स्तिथी आहे आणि या दोघांच्या समानते ची गरज आहे का ते ह्या स्त्री पुरुष समानता मराठी निबंध (stri purush samanta essay in marathi)मध्ये सांगितलं आहे. आशा करतो तुम्हाला हे निबंध नक्कीच आवडेल. स्त्री पूरूष समानता निबंध मराठी 'स्त्री व पुरुष ही संसाररथाची दोन चाके आहेत,' असे मोठ्या कौतुकाने म्हटले जाते. पण रथ नीट चालायला हवा तर ही चाके सारखी हवीत, त्यांत कोणताही लहानमोठेपणा असता कामा नये. संसारात स्त्री व पुरुष यांना समान हक्क, समान मान असतो का? फार पूर्वीपासून आपल्याकडे स्त्री घर सांभाळत असे आणि संपत्ती मिळवण्याचे काम पुरुष करीत असे. संसारगाडा चालवण्यासाठीच केलेली ही कामाची विभागणी होती. पण यांतूनच नकळत कमावणारा पुरुष प्रधान आणि अन्न शिजवणारी स्त्री ही गौण मानली जाऊ लागली. ' चूल-मूल ' सांभाळणाऱ्या स्त्रीला काय अक्कल असते, तिला काय कळतयं, हा विचारच मुळी स्त्रीला गुलाम बनवण्याच्या मनोभूमिकेतून पुढे आला. मग स्त्री झाली लाथा खाणारी पायाची दासी! आज हे चित्र बदलले आहे. स्त्रीने आपली कार्यक्षमता सिद्ध केली आहे. शहरातील स्त्री कचेरीतील बौद्धिक काम लीलया करते. अगदी प्रमुख अधिकारपदही सांभाळते. विद्यालयांत, महाविद्यालयांत अध्यापनाचे कार्य करते. तिने वैद्यकीय क्षेत्राबरोबर स्थापत्य क्षेत्राहही नावलौकिक मिळवला आहे. आजच्या युगातील ' माहिती तंत्रज्ञान ' या क्षेत्राहही ती अग्रेर आहे. ती मोटारगाडी, आगगाडी, विमान चालवते. अंतराळात झेप घेते आणि समुद्राच्या तळाशीही संशोधनासाठी जाते. कोणतेही क्षेत्रतिला असाध्य नाही. खेड्यातही स्त्रिया आज प...

निबंध

Maza Avadata Rutu Pavsala Nibandh in Marathi / पावसाळ्यातील एक दिवस निबंध Marathi आज इथे आम्ही पावसाळा या विषयावर मराठी निबंध लिहित आहोत .हा निबंध १००, २००, ३०० तसेच ४०० शब्दांत लिहिलेला आहे. हा निबंध इयत्ता पहिली ते बारावी पर्यंतच्या सर्व विद्यार्थ्यांना आवश्यक असू शकतो. मी सादर करीत असलेलानिबंधहा पुढील सर्व विषयांसाठी चालणारा असेल. म्हणजे … Categories Tags नमस्कार, आज आपण स्त्री पूरूष समानता मराठी निबंध बघणार आहोत, आपण भारतात राहतो. भारत प्राचीन काळापासून एक पुरुष प्रधान देश आहे असे समजले जाते. आपल्या देशात स्त्रीला देवी म्हणून पुजले जाते पण कितीही झाले तरी सामान हक्क आहेत असे म्हणता येणार नाही. पुरुष आणि स्त्री समान आहेत हे मात्र खरं आहे. फक्त हे समजत रुजवण्याची … Categories Tags प्रदूषण एक समस्या मराठी निबंध: आज इथे आम्ही प्रदूषण एक समस्या विषयावर मराठी निबंध लिहित आहोत .हा निबंध १००, २००, ३०० तसेच ४०० शब्दांत लिहिलेला आहे. हा निबंध इयत्ता पहिली ते बारावी पर्यंतच्या सर्व विद्यार्थ्यांना आवश्यक असू शकतो . मी सादर करीत असलेलानिबंधहा पुढील सर्व विषयांसाठी चालणारा असेल. म्हणजे जर तुम्हाला शाळेतून पुढीलपैकी कोणताही विषय … Categories Tags मोबाइलचे मनोगत मराठी निबंध (Mobile Che Manogat Essay in Marathi ) : आज इथे आम्ही मोबाइलचे मनोगत / आत्मकथा या विषयावर मराठी निबंध लिहित आहोत .हा निबंध १००, २००, ३०० तसेच ४०० शब्दांत लिहिलेला आहे. हा निबंध इयत्ता पहिली ते बारावी पर्यंतच्या सर्व विद्यार्थ्यांना आवश्यक असू शकतो . मी सादर करीत असलेलानिबंधहा पुढील सर्व विषयांसाठी … Categories Tags मी झाड बोलतोय मराठी निबंध : आज इथे आम्ही मी झाड बोलतोय या विषयावर मराठी निबंध लिहित आहोत .हा निबंध १...