सत्यनारायण की असली कथा

  1. सत्यनारायण व्रत कथा
  2. सत्यनारायण की व्रत कथा
  3. श्री सत्यनारायण पूजा : सरल विधि, कथा और महत्व
  4. सत्यनारायण कथा : जीवन के सभी कष्टो से मुक्ति देती अद्भुत कथा
  5. [PDF] सत्यनारायण व्रत कथा के सारे अध्याय


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लीलावती

भारतमेंहिंदूधार्मिकव्रतकरतेहैं, मनौतियांमानतेहैंऔरपूरीहोनेपरसत्यनारायणकाव्रतरखतेहैंऔरउनकीकथासुनते-सुनातेहैं. सत्यनारायणव्रतकथाअसलमेंउनकेलिएईश्वरकोधन्यवाददेनेकासबसेआसानतरीकाहै. इसलिएलगभगसभीहिंदूपरिवारोंमेंअलग-अलगसंस्कारोंकेदौरान, किसीखासमौकेपरयाकभी-कभीबेमौकेभीयहआयोजनचलतारहताहै. ऐसेमें, ऐसेकिसीकोढूंढनाजिसनेसत्यनारायणकीकथानहींसुनीहोगीमुश्किलहै. लेकिनक्याकथासुननेवालोंको - यहांतककिकथाबांचनेवालोंकोभी - यहपताहैकिसत्यनारायणकीकथाअसलमेंहैक्या? मध्यप्रदेशकेसुदूरगांवकेएकपुरोहितलालजीशास्त्रीसेजबसत्याग्रहनेयहसवालकियातोवेथोड़ेनाराजहोगए. उनकाकहनाथा, ‘आपसत्यनारायणपरसवालकैसेउठासकतेहैं! सत्यनारायणकीकथाजोहैसोहै. आपकथाकरवाइएऔरपुण्यकमाइए. ऐसेभगवानऔरउनकीकथापरसवालउठानाआपकोपापकाभागीबनाएगा.’ कथाकेनामपरकथाकेपात्रक्याकरवातेहैंयहकिसीकोपतानहींहै. वेतोहमारीवालीसत्यनारायणकीकथाभीनहींकरवासकतेथेक्योंकियहतोलिखीहीउनकेऊपरगईहै इसकेबादशास्त्रीजीनेअनौपचारिकबातचीतकेबीचबतायाकिकैसेवेदक्षिणामेंमिलनेवालीमुद्राओंकेअनुपातमेंसत्यनारायणभगवानकीछोटीऔरबड़ीकथासुनातेहैं. यानीकिपुरोहितकोमिलनेवालीदक्षिणाभीकथाकेस्वरुपमेंएकमहत्वपूर्णभूमिकाअदाकरतीहै. लेकिनशास्त्रीजीसेमिलीइसछोटी-बड़ीकथाकीजानकारीकेबादभीहमारामूलसवालज्योंकात्योंबनाहुआहै. इसवक्तजोपांचअध्यायोंवालीसत्यनारायणकीकथाहमारेघरोंमेंआनेवालेपंडितजीहमेंसुनातेहैंउसकेपहलेअध्यायमेंयहबतायाजाताहैकिजोभीभक्तसत्यानारायणकाव्रतकरेगा, पूजनकरेगाऔरउनकीकथाकरवाएगा, उसकेसारेमनोरथपूरेहोंगे. दूसरेसेपांचवेंअध्यायतकसूतजीपांचपात्रोंशतानंदब्राह्मण, काष्ठविक्रेताभील, राजाउल्कामुख, साधुनामकेबनियेऔरराजातुंगध्वजकीकहानीबतातेहैं. इसकथाकेसबसेलोकप्रियपात्रसाधुबनियाकीपत्नीलीलावतीऔरपुत्रीकलावतीहैं. पहलेसेहीपांचअध्या...

सत्यनारायण व्रत कथा

सत्यनारायण व्रत कथा | Satyanarayan Vrat Katha पहला अध्याय एक बार भगवान नारद जी भगवान विष्णु जी की आराधना करते हुए उनके पास चले जाते हैं और तभी भगवान विष्णु जी नारद जी से कहते हैं कि तुम किस प्रयोजन से मेरे पास आए हो? तुमको क्या चाहिए? तभी नारदजी ने भगवान विष्णु जी से कहा कि प्रभु पृथ्वी लोक पर सभी लोग अपने कर्मों के अनुसार विभिन्न प्रकार की योनि में जन्म लेने वाले जानवर और मानव विभिन्न प्रकार के रोगों से पीड़ित है और वह किसी ना किसी मानसिक तनाव या शारीरिक तनाव से भी पीड़ित हैं। आप मुझे उन सभी के इस कष्टों को दूर करने का कुछ उपाय बताइए। उसके बाद भगवान विष्णु जी ने नारद जी से कहा तुमने संसार के भले के लिए कुछ मांगा है। मैं तुमको इसका उपाय अवश्य बताऊंगा। जिसके बाद भगवान विष्णु ने सत्यनारायण की व्रत करने के लिए कहा कि जो भी व्यक्ति इस व्रत को करेगा, वह मोह माया से मुक्ति पा जाएगा। भगवान सत्यनारायण का व्रत स्वर्ग लोक और मृत्यु लोक में पुण्यप्रद व्रत है। इस व्रत को करने से मनुष्य पृथ्वी लोक में सुख और समृद्धि के साथ-साथ मृत्यु हो जाने के बाद परलोक में मोक्ष प्राप्त कर सकता है। Image: Satyanarayan Vrat Katha जिसके बाद नारद जी ने भगवान विष्णु जी से इस व्रत को करने की विधि पूछी। तब भगवान विष्णु जी ने बताया कि यह व्रत दुख, शारीरिक और मानसिक शोक आदि का दमन करता है। इस व्रत को करने से धन धान्य की वृद्धि होती है। संतान प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता है। इस व्रत को करने के लिए सच्चे मन से भक्ति और श्रद्धा के साथ साथ धर्म में तत्पर होकर सायकाल के समय सत्यनारायण भगवान की पूजा आराधना करें और विभिन्न प्रकार के भोजन बनाकर नैवेध लगाए। प्रसाद बनाने के लिए केले का फल, घी, दूध, साठी, गेहूं या चा...

सत्यनारायण की व्रत कथा

सत्यनारायण कथा के पांचवें और अंतिम अध्याय में सर्व ज्ञाता सूत जी ऋषि और मुनि गणों को एक और कहानी सुनाते हैं। यह कहानी तुंगध्वज नामक एक राजा की थी, जो प्रजापालन में व्यस्त रहता था। कुछ समय बाद राजा तुंगध्वज अपने नगर के पास के जंगल में शिकार के लिए निकले। शिकार के बाद राजा एक पेड़ के पास विश्राम करने के लिए रुके जहां उनकी नजर कुछ लोगों पर पड़ी, जो पूरे विधि-विधान के साथ भक्ति में लीन होकर श्री सत्यनारायण भगवान की आराधना कर रहे थे। इस कहानी के बाद सूत जी ऋषियों को कहते हैं, “हे मुनिगण! इस संसार में जो भी मनुष्य श्री सत्यनारायण भगवान के व्रत को करेगा उसकी सभी मनोकामना पूरी होगी। इस पूजा को करने से गरीब को धन की प्राप्ति, निसंतान को संतान का सुख प्राप्त होता है। वहीं, मनुष्य अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद जीवन के आखिरी वक्त में बैकुंठ धाम चला जाता है।” इसके अलावा, “तीसरे अध्याय के उल्कामुख राजा ने दशरथ के रूप में बैकुंठ की ओर प्रस्थान किया। चौथे अध्याय के साधु नामक वैश्य ने मोरध्वज के रूप में अपने पुत्र की तरफ से मोक्ष की प्राप्ति की। वहीं, पांचवें यानी अंतिम अध्याय के तुंगध्वज राजा ने भगवान की भक्ति में लीन होकर मोक्ष की प्राप्ति की।” इस प्रकार श्री सत्यनारायण कथा का पांचवा अध्याय संपन्न हुआ।

श्री सत्यनारायण पूजा : सरल विधि, कथा और महत्व

भगवान श्री सत्यनारायण (Lord Satyanarayan) की व्रत कथा आस्थावान हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए जानी-मानी कथा है। संपूर्ण भारत में इस कथा के प्रेमी अनगिनत संख्या में हैं, जो इस कथा और व्रत का नियमित पालन व पारायण करते हैं। श्री सत्यनारायण व्रत-पूजन खास तौर पर पूर्णिमा और गुरुवार को भी किया जाता है। पौराणिक शास्त्रों और स्कंद पुराण के रेवाखंड में भगवान श्री सत्यनारायण की कथा (Shri Satyanarayan Katha) का उल्लेख किया गया है। यह कथा सभी प्रकार के मनोरथ पूर्ण करने वाली, अनेक दृष्टि से अपनी उपयोगिता सिद्ध करती है। यह कथा समाज के सभी वर्गों को सत्यव्रत की शिक्षा देती है। महत्व (Satyanarayan Vrat Importance)- शास्त्रों के अनुसार सत्य को ईश्वर मानकर, निष्ठा के साथ समाज के किसी भी वर्ग का व्यक्ति यदि इस व्रत व कथा का श्रवण करता है, तो उसे इससे निश्चित ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि सत्यनारायण कथा कराने से हजारों साल तक किए गए यज्ञ के बराबर फल मिलता है। साथ ही सत्यनारायण कथा सुनने को भी सौभाग्य की बात माना गया है। आमतौर पर देखा जाता है किसी भी शुभ काम से पहले या मनोकामनाएं पूरी होने पर सत्यनारायण व्रत की कथा सुनी जाती है। तब नारद जी बोले- नारायण नारायण प्रभु! आप तो पालनहार हैं। सर्वज्ञाता हैं। प्रभु-मुझे ऐसी कोई सरल और छोटा-सा उपाय बताएं, जिसे करने से पृथ्वीवासियों का कल्याण हो। इस पर भगवान श्री हरि विष्णु बोले- हे देवर्षि! जो व्यक्ति सांसारिक सुखों को भोगना चाहता है और मरणोपरांत परलोक जाना चाहता है। उसे सत्यनारायण पूजा अवश्य करनी चाहिए। विष्णु जी द्वारा बताए गए व्रत का वृत्तांत व्यास मुनि जी द्वारा स्कंद पुराण में वर्णन करना। नैमिषारण्य तीर्थ में सुखदेव ...

सत्यनारायण कथा : जीवन के सभी कष्टो से मुक्ति देती अद्भुत कथा

लेख सारिणी • • • • सत्यनारायण कथा : Satyanarayan katha in Hindi Satyanarayan vrat katha in Hindi – सत्यनारायण कथा सनातन (हिंदूधर्म) के अनुयायियों में लगभग पूरे भारतवर्ष में प्रचलित है। सत्यनारायण भगवान विष्णु (Satyanarayan vrat katha) को ही कहा जाता है भगवान विष्णु जो कि समस्त जग के पालनहार माने जाते हैं। लोगों की मान्यता है कि भगवान सत्यनारायण का व्रत रखने उनकी कथा सुनने से मनुष्य मात्र के सभी कष्ट मिट जाते हैं। सत्यनारायण व्रतकथा का उल्लेख स्कंदपुराण के रेवाखंड में मिलता है। क्या है भगवान सत्यनारायण की कथा – Satyanarayan vrat katha in Hindi पौराणिक ग्रंथों के अनुसार एक समय की बात है कि नैमिषारण्य तीर्थ पर शौनकादिक अट्ठासी हजार ऋषियों ने पुराणवेता महर्षि श्री सूत जी से पूछा कि हे महर्षि इस कलियुग में बिना वेद बिना विद्या के प्राणियों का उद्धार कैसे होगा? क्या इसका कोई सरल उपाय है जिससे उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति हो। इस पर महर्षि सूत ने कहा कि हे ऋषियो ऐसा ही प्रश्न एक बार नारद जी ने भगवान विष्णु से किया था तब स्वयं श्रीहरि ने नारद जी को जो विधि बताई थी उसी को दोहरा रहा हूं। भगवान विष्णु ने नारद को बताया था कि इस संसार में लौकिक क्लेशमुक्ति, सांसारिक सुख-समृद्धि एवं अंत में परमधाम में जाने के लिये एक ही मार्ग हो वह है सत्यनारायण व्रत अर्थात सत्य का आचरण, सत्य के प्रति अपनी निष्ठा, सत्य के प्रति आग्रह। सत्य ईश्वर का ही रुप है उसी का नाम है। सत्याचरण करना ही ईश्वर की आराधना करना है उसकी पूजा करना है। इसके महत्व को सपष्ट करते हुए उन्होंने एक कथा सुनाई कि एक शतानंद नाम के दीन ब्राह्मण थे, भिक्षा मांगकर अपना व परिवार का भरण-पोषण करते थे। लेकिन सत्य के प्रति निष्ठावान थे सद...

[PDF] सत्यनारायण व्रत कथा के सारे अध्याय

श्री सत्यनारायण व्रत कथा पहला अध्याय श्रीव्यास जी ने कहा – एक समय नैमिषारण्य तीर्थ में शौनक आदि सभी ऋषियों तथा मुनियों ने पुराणशास्त्र के वेत्ता श्रीसूत जी महाराज से पूछा – महामुने! किस व्रत अथवा तपस्या से मनोवांछित फल प्राप्त होता है, उसे हम सब सुनना चाहते हैं, आप कहें। श्री सूतजी बोले – इसी प्रकार देवर्षि नारदजी के द्वारा भी पूछे जाने पर भगवान कमलापति ने उनसे जैसा कहा था, उसे कह रहा हूं, आप लोग सावधान होकर सुनें। एक समय योगी नारदजी लोगों के कल्याण की कामना से विविध लोकों में भ्रमण करते हुए मृत्युलोक में आये और यहां उन्होंने अपने कर्मफल के अनुसार नाना योनियों में उत्पन्न सभी प्राणियों को अनेक प्रकार के क्लेश दुख भोगते हुए देखा तथा ‘किस उपाय से इनके दुखों का सुनिश्चित रूप से नाश हो सकता है’, ऐसा मन में विचार करके वे विष्णुलोक गये। वहां चार भुजाओं वाले शंख, चक्र, गदा, पद्म तथा वनमाला से विभूषित शुक्लवर्ण भगवान श्री नारायण का दर्शन कर उन देवाधिदेव की वे स्तुति करने लगे। नारद जी बोले – हे वाणी और मन से परे स्वरूप वाले, अनन्तशक्तिसम्पन्न, आदि-मध्य और अन्त से रहित, निर्गुण और सकल कल्याणमय गुणगणों से सम्पन्न, स्थावर-जंगमात्मक निखिल सृष्टिप्रपंच के कारणभूत तथा भक्तों की पीड़ा नष्ट करने वाले परमात्मन! आपको नमस्कार है। स्तुति सुनने के अनन्तर भगवान श्रीविष्णु जी ने नारद जी से कहा- महाभाग! आप किस प्रयोजन से यहां आये हैं, आपके मन में क्या है? कहिये, वह सब कुछ मैं आपको बताउंगा। नारद जी बोले – भगवन! मृत्युलोक में अपने पापकर्मों के द्वारा विभिन्न योनियों में उत्पन्न सभी लोग बहुत प्रकार के क्लेशों से दुखी हो रहे हैं। हे नाथ! किस लघु उपाय से उनके कष्टों का निवारण हो सकेगा, यदि आपकी मेरे ऊप...