सुंदरकांड पाठ हिंदी में डाउनलोड

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सुंदरकांड अर्थ सहित हिंदी में पाठ

भावार्थ:-शान्त, सनातन, अप्रमेय (प्रमाणोंसेपरे), निष्पाप, मोक्षरूपपरमशान्तिदेनेवाले, ब्रह्मा, शम्भुऔरशेषजीसेनिरंतरसेवित, वेदान्तकेद्वाराजाननेयोग्य, सर्वव्यापक, देवताओंमेंसबसेबड़े, मायासेमनुष्यरूपमेंदिखनेवाले, समस्तपापोंकोहरनेवाले, करुणाकीखान, रघुकुलमेंश्रेष्ठतथाराजाओंकेशिरोमणिरामकहलानेवालेजगदीश्वरकीमैंवंदनाकरताहूँ॥1॥

सुन्दरकाण्ड पाठ हिंदी में अर्थ सहित

श्रीगणेशाय नमः श्रीजानकीवल्लभोविजयते श्रीरामचरितमानस पञ्चम सोपान सुन्दरकाण्ड श्लोक शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदांतवेद्यं विभुम् । रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम् ॥ १ ॥ (शान्त, सनातन, अप्रमेय (प्रमाणोंसे परे), निष्पाप, मोक्षरूप परमशान्ति देनेवाले, ब्रह्मा, शम्भु और शेषजी से निरन्तर सेवित, वेदान्तके द्वारा जाननेयोग्य, सर्वव्यापक, देवताओं में सबसे बड़े, माया से मनुष्य रूप में दिखने वाले, समस्त पापों को हरनेवाले, करुणाकी खान, रघुकुल में श्रेष्ठ तथा राजाओं के शिरोमणि राम कहलाने वाले जगदीश्वर की मैं वंदना करता हूँ॥१॥ ) नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा । भक्तिं प्रयच्छ रघुपुङ्गव निर्भरां मे कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च ॥ २ ॥ ( हे रघुनाथजी! मैं सत्य कहता हूँ और फिर आप सबके अंतरात्मा ही हैं (सब जानते ही हैं) कि मेरे हृदय में दूसरी कोई इच्छा नहीं है। हे रघुकुलश्रेष्ठ! मुझे अपनी निर्भरा (पूर्ण) भक्ति दीजिये और मेरे मन को काम आदि दोषों से रहित कीजिये॥२॥) अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् । सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ॥ ३ ॥ (अतुल बलके धाम, सोनेके पर्वत (सुमेरु) के समान कान्तियुक्त शरीरवाले, दैत्यरूपी वन (को ध्वंस करने) के लिये अग्निरूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान्‌जी को मैं प्रणाम करता हूँ॥३॥) सुन्दरकाण्ड -होम पेज “हनुमान वडवानल स्तोत्र” का पाठ बड़ी विपत्ति आ जाने पर किया जाता है । इस स्तोत्र के पाठ करने से बड़ी...

सुंदरकांड पाठ हिंदी अर्थ सहित PDF Hindi – InstaPDF

सुंदरकांड पाठ हिंदी अर्थ सहित PDF Hindi सुंदरकांड पाठ हिंदी अर्थ सहित Hindi PDF Download Download PDF of सुंदरकांड पाठ हिंदी अर्थ सहित in Hindi from the link available below in the article, Hindi सुंदरकांड पाठ हिंदी अर्थ सहित PDF free or read online using the direct link given at the bottom of content. सुंदरकांड पाठ हिंदी अर्थ सहित Hindi सुंदरकांड पाठ हिंदी अर्थ सहित हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप सुंदरकांड पाठ हिंदी अर्थ सहित हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको दे रहे हैं सुंदरकांड पाठ हिंदी अर्थ सहित के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक। सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त को हनुमान जी बल प्रदान करते हैं। उसके आसपास भी नकारात्मक शक्ति भटक नहीं सकती। यह भी माना जाता है कि जब भक्त का आत्मविश्वास कम हो जाए या जीवन में कोई काम ना बन रहा हो, तो सुंदरकांड का पाठ करने से सभी काम अपने आप ही बनने लगते हैं। सुंदरकांड का पाठ शुरू करने से पहले स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। -सुंदरकांड का पाठ करने से पहले पूजा स्थल पर रखी हनुमानजी की मूर्ति की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए। साथ ही सीता-राम की मूर्तियां भी हनुमान जी पास रखें। – हनुमानजी की पूजा फल-फूल, मिठाई और सिंदूर से करें। सुंदरकांड पाठ हिंदी अर्थ सहित 1 – जगदीश्वर की वंदना शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्। रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं वन्देऽहंकरुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्॥1॥ भावार्थ: शान्त, सनातन, अप्रमेय (प्रमाणों से परे), निष्पाप, मोक्षरूप परमश...

Sunderkand In Hindi PDF

Sunderkand PDF In Hindi गोसवामी श्री तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस में साथ अध्याय है। सुन्दरकाण्ड इस में से एक है। यह इन सभी में से पाचवा अध्याय माना है। वैसे तो रामचरितमानस के सभी अध्याय भगवान की भक्ति के लिए लिख गया है। किन्तु सुन्दरकाण्ड का महत्व सब से अधिक माना गया है। माना गया है कि सुन्दरकाण्ड के पाठ करने वाले भक्त की हनुमानजी असीम बल प्रदान करते है। sunderkand in hindi pdf ( Geeta Press) उस के आस पास कोई भी नकारत्मक शक्ति भटक नहीं सकती है। यह भी मान्यता है कि किसी भी भक्त का आत्मवश्वास काम हो जाएया उसके जीवन में कोई भी कष्ट आए तो यह पाठ जरूर करना चाहिए इससे जीवन के सारे कष्ट दूर होते है। सुन्दरकाण्ड में गोस्वामी तुलसीदासजी ने प्रभु श्री राम के परम प्रिय भक्त हनुमानजी की लीलाओं का विशद् वर्णन किया है। इस अध्याय में प्रस्तुत की गई अद्भुत और मनोहारी लीलाओं के कारण ही तुलसीदास ने इसे ‘सुन्दरकाण्ड’ का नाम दिया। यदि कोई राम चरित मानस का पाठ न कर पाए तो यह पाठ कर ना आवश्यक माना गया है। हमारे शास्त्रों और वेद पुराणों के आनुसार हनुमान जी की मृत्यु नहीं हुई थी। और वह आज भी जिंदा है। और शायद यही कारण है जिससे दूसरे भगवानों से ज्यादा हनुमान जी को पूजा जाता है। हनुमान पूजन को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। सुन्दरकाण्ड पाठ क्या है? | Sunderkand Kya Hai सुन्दरकाण्ड के पाठ से सभी कष्टों का निवारण होता है। इस सुन्दरकाण्ड के पाठ से भगवान हनुमान जी बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते है। माना गया है कि सुन्दरकाण्ड के पाठ करने वाले भक्त की हनुमानजी असीम बल प्रदान करते है। यह पर केवल शास्त्रीय मान्यताओं ने है नहीं बल्कि विज्ञान ने भी सुन्दरकाण्ड के पाठ को समझाया है। सुंदरकांड का पाठ करने से ह...

सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ हिंदी लिरिक्स

सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ, ।। पञ्चम सोपान सुन्दरकाण्ड।। (किष्किंधाकांड / आरती / चालीसा सहित) ।।आसन।। कथा प्रारम्भ होत है। सुनहुँ वीर हनुमान।। आसान लीजो प्रेम से। करहुँ सदा कल्याण।। – श्लोक – शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं, ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्, रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं, वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्।।1।। नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा। भक्तिं प्रयच्छ रघुपुङ्गव निर्भरां मे कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च।।2।। अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।3।। देखे – जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए।। तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई।। जब लगि आवौं सीतहि देखी। होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी।। यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा। चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा।। सिंधु तीर एक भूधर सुंदर। कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर।। बार बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी।। जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता।। जिमि अमोघ रघुपति कर बाना। एही भाँति चलेउ हनुमाना।। जलनिधि रघुपति दूत बिचारी। तैं मैनाक होहि श्रमहारी।। दो0- हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम। राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम।।1।। –*–*– जात पवनसुत देवन्ह देखा। जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा।। सुरसा नाम अहिन्ह कै माता। पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता।। आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा। सुनत बचन कह पवनकुमारा।। राम काजु करि फिरि मैं आवौं। सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं।। तब तव बदन पैठिहउँ आई। सत्य कहउँ मोहि जान दे माई।। कबनेहुँ जतन देइ नह...

Sunderkand In Hindi Pdf

2 Sunder Kand in Hindi / सुंदरकांड हिंदी में लेखक गोस्वामी तुलसीदास भाषा हिन्दी कुल पृष्ठ 74 Pdf साइज़ 11 MB Category धार्मिक Sunder Kand in Hindi / सुंदरकांड हिंदी में श्रीरामचरितमानस, पञ्चम सोपान, सुन्दरकाण्ड श्लोक शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् । रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्।।1।। नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा। भक्तिं प्रयच्छ रघुपुङ्गव निर्भरां मे कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च।।2।। अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।3।। Sunderkand pdf file जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए।। तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई।। जब लगि आवौं सीतहि देखी। होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी।। यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा। चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा।। सिंधु तीर एक भूधर सुंदर। कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर।। बार बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी।। जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता।। जिमि अमोघ रघुपति कर बाना। एही भाँति चलेउ हनुमाना।। जलनिधि रघुपति दूत बिचारी। तैं मैनाक होहि श्रमहारी।। दो0- हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम। राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम।।1।। Sunderkand PDF in Hindi चौपाई जात पवनसुत देवन्ह देखा। जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा।। सुरसा नाम अहिन्ह कै माता। पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता।। आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा। सुनत बचन कह पवनकुमारा।। राम काजु करि फिरि मैं आवौं। सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं।। तब तव ...

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रामचरित मानस तुलसीदास की सबसे सुंदर रचना है भारतीय जनमानस में राम कथा को इस पवित्र पुस्तक ने सदियों से फैलाया है. रामचरित मानस में भी तुलसी रचित सुंदरकांड तो जीवनशैली का हिस्सा बन गया है. इस कांड में भगवान राम और उनके परम भक्त हनुमान के बीच की कथा का वर्णन है. भक्त और भगवान के बीच के संबध को सुंदर चौपाइयों और दोहों के माध्यम से तुलसीदास जी ने समझाने की कोशिश की है. सुंदरकांड का पाठ समस्त दुखों को दुर करने वाला बताया गया है. सुंदरकांड की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह लोगों को कंठस्थ हो जाता है. यहां नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप सुंदरकांड के पीडीएफ वर्जन को डाउनलोड कर सकते हैं. Ramchrita Manas is the most beautiful creation of Tulsidas. Ram Katha has spread by this sacred book for centuries. Even in the Ramcharit Manas, the Sunder kand has become a part of the lifestyle. This story describes the story of Lord Ram and his devotional devotee Hanuman. Tulsidas ji tried to explain the relation between the devotee and God through the beautiful Chopai and doha. The text of Sundarakand has been described as removing all sorrows. The popularity of Sunderkand can be judged by the fact that it becomes the most popular book of Hindus. You can download the PDF version of Sunderkand by clicking on the link below.

Sampoorna Sunderkand Path: सम्पूर्ण सुंदरकांड पाठ हिंदी अर्थ सहित

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • sunderkand ka path गोस्वामी तुलसीदास रचित श्री राम चरित मानस अवधि भाषा में लिखी गयी है जिसमें सुंदरकांड एक अध्याय है, जो हनुमान जी की शक्ति और विजय का कांड है। सुंदरकाण्ड रामायण और रामचरितमानस का एक सोपान (भाग) है। “सुन्दरकांड” – श्री राम चरित मानस का पांचवां अध्याय/काण्ड है। इस सोपान के मुख्य घटनाक्रम हैं – हनुमानजी का लंका की ओर प्रस्थान, विभीषण से भेंट, सीताजी से भेंट करके उन्हें श्री राम की मुद्रिका देना, अक्षय कुमार का वध, लंका दहन और लंका से वापसी। हनुमानजी की शक्ति और सफलता के लिए सुंदरकाण्ड को याद किया जाता है। महाकाव्य में सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। संपूर्ण रामायण कथा श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है । किन्तु सुंदरकांड sunderkand path एकमात्र ऐसा अध्याय है, जो सिर्फ हनुमानजी की शक्ति और विजय का कांड है। वाल्मीकि जी ने क्यों रखा “सुन्दर कांड ” नाम ? Why is it called Sunderkand? हनुमानजी नें अपनी बुद्धि और बल से माता सीता की खोज की थी इसी कारण से सुंदरकांड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है। हनुमान जी सीता माता की खोज में लंका गए थे लंका के सुंदर पर्वत में ही अशोक वाटिका थी जहाँ हनुमान जी की भेंट सीता माता से हुई थी। इसी कारण इस भाग का नाम सुन्दरकाण्ड पड़ा। एक किवदंती के अनुसार हनुमान जी की माता अंजनी उन्हें प्यार से “सुंदरा” कहकर पुकारती थीं इसीलिए वाल्मीकि जी ने इस भाग का नाम सुन्दरकाण्ड रखना ही उचित समझा। सुन्दर काण्ड पाठ: Sunderkand in hindi हनुमानजी का सीता शोध के लिए लंका प्रस्थान ॥चौपाई॥ जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनु...