सुधर्मा संस्कृत समाचार पत्र

  1. संस्कृत का इकलौता अखबार सुधर्मा, ताकि बची रहे संस्कृति
  2. अस्तित्व के लिए संघर्ष करता संस्कृत भाषा का दैनिक समाचार पत्र सुधर्म जानिए
  3. पीएम मोदी ने सुधर्मा के संपादक के निधन पर संस्कृत में पत्र लिखकर जताया शोक कुछ इस तरह किया याद
  4. संस्कृत के एकमात्र दैनिक समाचार पत्र के प्रकाशक दंपत्ति को पद्मश्री
  5. संस्कृत के पुरातन समाचार पत्र सुधर्मा के संपादक संपत कुमार का निधन
  6. संस्कृत समाचार पत्र ‘सुधर्मा’ के संपादक का निधन
  7. दैनिक संस्कृत समाचार पत्र


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संस्कृत का इकलौता अखबार सुधर्मा, ताकि बची रहे संस्कृति

मैसूर: एक ओर जहां अंग्रेजी व अन्य आधुनिक भारतीय भाषाओं के समाचार पत्र फल-फूल रहे हैं वहीं संस्कृत का दुनिया का अकेला समाचार पत्र 'सुधर्मा' अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। 'सुधर्मा' अगले सप्ताह अपने 42वें साल में प्रवेश कर रहा है। मैसूर से प्रकाशित होने वाले इस समाचार पत्र के सम्पादक के.वी. सम्पत कुमार ने कहा, "कोई भी प्रादेशिक या केंद्रीय निकाय हमारी मदद के लिए आगे नहीं आया और निजी क्षेत्र के विभिन्न संगठनों का हाल भी अलग नहीं है।" इस समाचार पत्र के 2,000 ग्राहक हैं। जब उनसे पूछा गया कि वह बिना किसी मदद के एक 'मृत भाषा' में समाचार पत्र क्यों निकाल रहे हैं तो इस पर कुमार की पत्नी जयालक्ष्मी ने कहा, "कौन कहता है संस्कृत मर गई है। हर सुबह लोग श्लोकों का उच्चारण करते हैं, पूजा करते हैं, विवाह, बच्चे के जन्म और मृत्यु सहित सारे संस्कार संस्कृत में सम्पन्न होते हैं। संस्कृत की वजह से ही भारत एकजुट है। यह हमारी मातृभाषा है जो अपने में कई भाषाओं को समेटे है। इसका विकास हो रहा है और अब तो आईटी व्यवसायी भी कहते हैं कि यह भाषा उपयोगी है।" जयालक्ष्मी हिंदी, तमिल, कन्नड़, अंग्रेजी व संस्कृत भाषाओं की जानकार हैं। कुमार कहते हैं कि उनके पिता पंडित वरदराज आयंगर ने 15 जुलाई, 1970 को इस समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया था। उन्होंने बताया, "जब 1990 में उनकी मृत्यु हुई तो उससे पहले उन्होंने मुझसे वादा लिया था कि मैं किसी भी तरह से उनके मिशन को जारी रखूंगा। अब यह दैनिक एक मिशन की तरह उसी जुनून और समर्पण के साथ जारी है। मैं अपने आखिरी वक्त तक इसका प्रकाशन करता रहूंगा।" एक रुपये मूल्य में मिलने वाले इस समाचार पत्र में ज्यादातर लेख वेदों, योग, धर्म पर केंद्रित होते हैं। इसके साथ ...

अस्तित्व के लिए संघर्ष करता संस्कृत भाषा का दैनिक समाचार पत्र सुधर्म जानिए

मैसूर, नेशनल डेस्क।देश में देववाणी यानी संस्कृत भाषा की लोकप्रियता की तमाम कोशिशें हो रही है। भाषा मनीषियों और सरकार की ओर से विश्व संस्कृत सप्ताह के तहत कार्यक्रमों और संगोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है। इन सब के बीच दिल कचोटने वाली बात यह है कि दक्षिण भारतीय शहर मैसूर से प्रकाशित संस्कृत भाषा का एकमात्र दैनिक समाचार पत्र सुधर्म अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। ए-थ्री साइज और पांच कालम शीट वाले दो पेज के इस समाचार पत्र में वेद, योग, धार्मिक विषयों वाले आलेख प्रकाशित होते हैं। राजनीतिक और सांस्कृतिक समाचारों के साथ ही अन्य जानकारियां भी छपती हैं। प्रबंधक व उसके सुधी पाठकों ने गत दिनों समाचार पत्र की 50वीं वर्षगांठ मनाई। साथ ही यह उम्मीद भी जाहिर की कि समाचार पत्र के संचालन में आने वाली आर्थिक दिक्कतों से निजात के लिए केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियां उसकी मदद के लिए आगे आएंगी। 1970 में हुई थी अखबार की शुरुआत संस्कृत भाषा के विद्वान पंडित वरदराजा आयंगर ने 15 जुलाई 1970 में दैनिक समाचार पत्र सुधर्म की शुरुआत की थी। इसके माध्यम से वह देववाणी को घर-घर तक पहुंचाना चाहते थे। इस काम में उनके सहभागी बने पुत्र केवी संपत कुमार और पत्नी जयालक्ष्मी, जो आज भी इस काम में जुटे हुए हैं। इस समाचार पत्र के तकरीबन तीन हजार नियमित ग्राहक हैं, जिनमें ज्यादातर संस्थान और पुस्तकालय हैं। संपादक केवी संपत को किया गया सम्मानित इन सभी को समाचार पत्र डाक के माध्यम से मिलता है। संस्कृत भाषा के इस समाचार पत्र का ई-पेपर भी है, जिसके पाठकों की संख्या तकरीबन एक लाख तक है। विश्व संस्कृत संस्थान द्वारा शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में समाचार पत्र के संपादक केवी संपत कुमार को...

पीएम मोदी ने सुधर्मा के संपादक के निधन पर संस्कृत में पत्र लिखकर जताया शोक कुछ इस तरह किया याद

पीएम मोदी ने सुधर्मा के संपादक के निधन पर संस्कृत में पत्र लिखकर जताया शोक, कुछ इस तरह किया याद संस्कृत में लिखे गए शोक पत्र में मोदी ने 64 वर्षीय संपत कुमार को श्रद्धांजलि अर्पित की है। जिनका 30 जून को निधन हो गया था। कुमार का जीवन विशेष रूप से युवाओं के बीच संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के लिए समर्पित था। बेंगलुरू,आइएएनएस।देश के सबसे पुराने संस्कृत दैनिक समाचार पत्र 'सुधर्मा' के संपादक केवी संपत कुमार के निधन पर पीएम मोदी ने दुख व्यक्त करते हुए उनकी पत्नी केएस जयलक्ष्मी को एक शोक पत्र लिखा है। पीएम मोदी द्वारा लिखा गया यह पत्र संस्कृत भाषा में है। इस पत्र को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर साझा किया है। संस्कृत में लिखे गए शोक पत्र में मोदी ने 64 वर्षीय संपत कुमार को श्रद्धांजलि अर्पित की है। जिनका 30 जून को निधन हो गया था। कुमार का जीवन विशेष रूप से युवाओं के बीच संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के लिए समर्पित था। संस्कृत के प्रति कुमार का जुनून और समर्पण वास्तव में प्रेरणादायक है, पीएम मोदी ने ये बात अपने पत्र में लिखी है। येदियुरप्पा ने ट्विटर पर इस पत्र को साझा करते हुए कहा कि विदुषी श्रीमती जयलक्ष्मी को संस्कृत में लिखे अपने पत्र में हमारे प्रधानमंत्री ने सुधारा संपादक श्री के.वी. संपत कुमार को कहा कि यह याद करने योग्य है कि युगल को संस्कृत के संरक्षण और लोकप्रिय बनाने में उनके असाधारण कार्य के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। बता दें कि देश के सबसे पुराने संस्कृत समाचार पत्र सुधर्मा के संपादक संपत कुमार का बुधवार को मैसूर में कार्डियक अरेस्ट के बाद निधन हो गया था। उन्हें अपनी पत्नी विदुषी जयलक्ष्मी के साथ प्रकाशन को सभी बाधाओं के खिलाफ स...

Dailyhunt

मैसूर, 30 जून (भाषा) संस्कृत समाचार पत्र 'सुधर्मा' के संपादक के वी संपत कुमार का मैसूर में बुधवार दोपहर में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके परिवार से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी। संपत कुमार 64 साल के थे। बताया जाता है कि 'सुधर्मा' विश्व का एकमात्र संस्कृत समाचार पत्र है। संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार में योगदान और कई चुनौतियों के बावजूद समाचार पत्र का प्रकाशन जारी रखने के लिए संपत कुमार और उनकी पत्नी के एस जयलक्ष्मी को 2020 में 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया था। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार 'सुधर्मा' की शुरुआत कुमार के पिता वरदराजा अय्यंगर ने 15 जुलाई 1970 को की थी।

संस्कृत के एकमात्र दैनिक समाचार पत्र के प्रकाशक दंपत्ति को पद्मश्री

50 वर्ष से हो रहा एकमात्र संस्कृत समाचार पत्र सुधर्मा का प्रकाशन नई दिल्ली. भारत सरकार ने देश के एकमात्र दैनिक संस्कृत समाचार पत्र चलाने वाले दंपत्ति का चयन भी पद्मश्री पुरस्कार के लिए किया है. दोनों को संयुक्त रूप से पद्मश्री प्रदान किया जाएगा. एकमात्र संस्कृत दैनिक समाचार पत्र सुधर्मा का प्रकाशन कर्नाटक के मैसूर से होता है, सुधर्मा के संपादक व प्रकाशक केवी संपत कुमार और उनकी पत्नी जयलक्ष्मी का पुरस्कार के लिए चयन किया गया है. ए – थ्री साइज और पांच कॉलम शीट वाले दो पेज के समाचार पत्र में वेद, योग, धार्मिक विषयों के आलेख प्रकाशित होते हैं. राजनीति और सांस्कृतिक समाचारों के साथ ही अन्य जानकारियां भी प्रकाशित होती हैं. संस्कृत समाचार पत्र के करीब 3000 सबस्क्राइबर्स हैं. समाचार पत्र का वितरण डाक द्वारा होता है. संस्कृत समाचार पत्र के ई-वर्जन के करीब एक लाख पाठक हैं. संस्कृत के विद्वान पं. वरदराज आयंगर ने संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए 15 जुलाई 1970 को सुधर्मा की शुरुआत की थी. जिसके बाद अब उनके पुत्र केवी संपत कुमार, पुत्रवधु जयलक्ष्मी कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं. संस्कृत भाषा के समाचार पत्र का ई-पेपर भी है. जिसके पाठकों की संख्या लगभग एक लाख तक है. विश्व संस्कृत संस्थान द्वारा संपादक केवी संपत कुमार को सम्मानित किया जा चुका है. संस्कृत के विद्वानों, आचार्यों सहित कई गणमान्य नागरिक सुधर्मा समाचार पत्र के कार्यालय में जाकर नियमित कामकाज को देख चुके हैं. सुधर्मा समाचार पत्र के प्रकाशक ने बताया कि संस्कृत भाषा के समाचार पत्र का प्रकाशन फायदे का सौदा नहीं है, लेकिन यह एक मिशन है, भाषा के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने का एक माध्यम है, जिससे दुनिया में संस्कृत भाषा को मान हासि...

संस्कृत के पुरातन समाचार पत्र सुधर्मा के संपादक संपत कुमार का निधन

मैसुरु, आइएएनएस। देश के पुरातन संस्कृत समाचार पत्रों में शुमार सुधर्मा के संपादक व प्रकाशक केवी संपत कुमार का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 64 वर्ष के थे। संपत कुमार व उनकी पत्नी विदुषी केएस जयलक्ष्मी को वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने पद्मश्री प्रदान किया था। यह सम्मान दोनों को प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सुधर्मा का प्रकाशन जारी रखने के लिए दिया गया था। वर्ष 2009 में सुधर्मा संस्कृत का पहला ई समाचार पत्र बना। प्रेट्र के अनुसार, सुधर्मा को देश के एकमात्र संस्कृत समाचार पत्र माना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संपत कुमार के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें प्रेरक व्यक्तित्व बताया है। दैनिक समाचार पत्र सुधर्मा पिछले पांच दशकों से कर्नाटक से प्रकाशित हो रहा है। पंडित केएनवी अयंगर ने सुधर्मा का प्रकाशन 15 जुलाई, 1970 को मैसुरु से शुरू किया था। दो पन्नों के इस अखबार में सभी प्रकार की खबरें समाहित होती हैं। अयंगर के दूसरे पुत्र संपत कुमार ने उन्हीं से संस्कृत पत्रकारिता सीखी और 1990 में उनके निधन के बाद सुधर्मा के संपादक व प्रकाशक की जिम्मेदारी संभाली। संस्कृत में दक्ष पत्नी जयलक्ष्मी ने उनका पूरा साथ दिया। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि संपत कुमार को वर्ष 2016 में पहली बार दिल का दौरा पड़ा था और उसके बाद से ही वह कमजोर हो गए थे। सुधर्मा की इक्यावनवीं वर्षगांठ के एक पखवाड़े पहले वह अपने कार्यालय में थे तभी उन्हें दोबारा दिल का दौरा पड़ गया। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

संस्कृत समाचार पत्र ‘सुधर्मा’ के संपादक का निधन

बताया जाता है कि ‘सुधर्मा’ विश्व का एकमात्र संस्कृत समाचार पत्र है। संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार में योगदान और कई चुनौतियों के बावजूद समाचार पत्र का प्रकाशन जारी रखने के लिए संपत कुमार और उनकी पत्नी के एस जयलक्ष्मी को 2020 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार ‘सुधर्मा’ की शुरुआत कुमार के पिता वरदराजा अय्यंगर ने 15 जुलाई 1970 को की थी। संपत कुमार ने बाद में यह बीड़ा अपने कंधों पर उठाया और समाचार पत्र के रिपोर्टर, संपादक तथा प्रकाशक के रूप में कार्य किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया, ‘‘श्री के वी संपत कुमार जी एक प्रेरणादायी शख्सियत थे जिन्होंने संस्कृत के संरक्षण और खासकर युवाओं में उसे लोकप्रिय बनाने के लिए अथक प्रयास किया। उनका जुनून और समर्पण प्रेरणादायी है। उनके निधन की खबर से दुखी हूं। उनके परिवार एवं प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति।’’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संपत कुमार के निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया, ‘‘के वी संपत कुमार जी का जीवन संस्कृत भाषा के संरक्षण व संवर्धन के प्रति समर्पित रहा। संस्कृत भाषा को आम बोलचाल का हिस्सा बनाने में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनका निधन संस्कृत व पत्रकारिता जगत के लिए बड़ी क्षति है। प्रभु दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करें।’’ कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने भी संपत कुमार के निधन पर शोक जताया है। • Mp Assembly Elections 2023: • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • •...

दैनिक संस्कृत समाचार पत्र

कहाँ पर क्या घटित हुआ है किस देश की गतिविधियाँ क्या है यह बात हमें घर बैठे समाचार पत्रों से ही प्राप्त हो जाती है। मनुष्य के जीवन में जितना महत्व रोटी और पानी का होता है उतना ही समाचार पत्रों का भी होता है। आज के समय में समाचार पत्र जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। समाचार पत्र की शक्ति असीम होती है। समाचार पत्रों के भेद : समाचार पत्र कई प्रकार के होते हैं। समाचार पत्रों को दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक, वार्षिक आदि भागों में बांटा जाता है। दैनिक समाचार पत्रों में हर तरह के समाचार को प्रमुखता दी जाती है। अन्य पत्रिकाओं में समसामयिक विषयों पर विभिन्न लेखकों के लेख, किसी भी घटना की समीक्षा, किसी भी गणमान्य जन का साक्षात्कार प्रकाशित होता है। बहुत सी पत्रिकाएँ साल में एक बार विशेषांक निकालती हैं जिसमें साहित्यिक, राजनैतिक, धार्मिक, सामाजिक, पौराणिक विषयों पर ज्ञानवर्धक, सारगर्भित सामग्रियों का वृहंद संग्रह होता है। जिस दिन भी हम समाचार नहीं पढ़ते हैं, हमारा वह दिन सूना-सूना प्रतीत होता है। आज के समय में संसार के किसी भी कोने का समाचार सारे संसार में कुछ ही पलों में बिजली की तरह फैल जाता है। मुद्रण कला के विकास के साथ समाचार पहुँचने के लिए समाचार-पत्रों का प्रादुर्भाव हुआ। आज के समय में रोज पूरे संसार में समाचार-पत्रों द्वारा समाचारों का विस्तृत वर्णन पहुंच रहा है। वर्तमान समय में संसार के किसी भी कोने में कोई भी घटना घटित हो जाए दूसरे दिन उसकी खबर हमारे पास आ जाती है।