सुख-दुख में समास है

  1. 'लाभ हानि का विग्रह इस प्रकार होगा लाभ और हानि यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए क माता पिता =à¤
  2. सुख और दुःख क्या है?
  3. 'लाभ हानि का विग्रह इस प्रकार होगा लाभ और हानि यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए क माता पिता =à¤
  4. सुख और दुःख क्या है?
  5. सुख और दुःख क्या है?
  6. 'लाभ हानि का विग्रह इस प्रकार होगा लाभ और हानि यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए क माता पिता =à¤


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सुख

जीवन में सुख-दुःख तो लगे ही रहते हैं, ऐसे वाक्य अपने अक्सर जरूर सुने होंगे लेकिन क्या आपको पता है कि सुख-दुख शब्द में कौन सा समास होता है? प्रिय पाठकों यदि आप हिंदी के विधार्थी हैं तो सुख दुख में प्रयुक्त समास का नाम और उसका विग्रह आपको जरूर पता होना चाहिए। आज हम आपको यही बताने वाले हैं कि सुख दुख में कौन सा समास होता है, और उसमें वह समास कैसे हैं? इस लेख को पढ़ने के बाद आप सुख दुख का समास विग्रह आसानी से कर पाएंगे और उसमें आने वाले समास को कभी नहीं भूलेंगे Q. ‘सुख-दुःख’ में समास है? A तत्पुरुष समास B बहुव्रीहि समास C द्विगु समास D द्वन्द्व समास Answer: सही उत्तर विकल्प (D) सुख-दुःख शब्द में द्वंद्व समास होता है। 9. सारांश सुख-दुःख शब्द में समास है? सुख-दुःख का समास विग्रह क्या है? सुख-दुःख शब्द में द्वंद्व समास होता है। इस सुख दुःख शब्द का समास विग्रह (Sukh Dukh Ka Samas Vigrah) होता है ‘ सुख और दुःख।’ सुख दुःख शब्द के समास विग्रह करने पर दोनों पदों के बीच ‘और’ शब्द प्रयुक्त हुआ है इस वजह से सुख दुःख शब्द में ‘द्वंद्व समास’ होता है। • सुख दुःख शब्द में समास – द्वंद्व समास • सुख दुःख शब्द का समास विग्रह – सुख और दुःख सुख दुःख का अर्थ क्या है “सुख” और “दुःख” दो हिंदी शब्द हैं जो जीवन के दो विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। “सुख” का अर्थ होता है आनंद, संतोष, खुशी या सुखद अनुभव जो जीवन की अनुभूति करते हैं। वहीं, “दुःख” का अर्थ होता है दर्द, तकलीफ, असंतोष या दुखद अनुभव जो जीवन में होते हैं। सुख दुख Meaning in English सुख दुख Meaning in English – • Joy and Sorrow • THROUGH THICK AND THIN • pleasure and pain सुख दुःख शब्द से सम्बन्धित उदाहरण • सीताराम – सीता और राम • • नून-तेल – नू...

'लाभ हानि का विग्रह इस प्रकार होगा लाभ और हानि यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए क माता पिता =à¤

'लाभ हानि का विग्रह इस प्रकार होगा लाभ और हानि यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए क माता पिता =ख पाप पुण्य =……………ग सुख दुख =……घ रात दिन =ङ अन्न जल =…… .च घर बाहर =……………छ देश विदेश = More • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • •...

माता

माता-पिता शब्द में समास (Mata-Pita Mein Kaun sa Samas Hai) माता-पिता में प्रयुक्त समास का नाम क्या है? माता-पिता में द्वंद्व समास है। Mata-Pita Mein Kaun sa Samas Hai? Mata-Pita Shabd mein Dwand Samas Hai. माता-पिता का समास विग्रह क्या है? माता-पिता का समास विग्रह माता और पिता है। Mata-Pita ka Samas Vigrah kya hai? Mata aur pita माता और पिता का समस्त पद है? माता-पिता माता-पिता, में दोनों ही पद प्रधान हैं एवं जब दोनों पदों को जोड़ा जाता है तब बीच में से ‘और’ योजक लुप्त हो जाता है। द्वंद्व समास कि भी बिलकुल ऐसी ही विशेषताएं होती हैं, जिनमें दोनों पद प्रधान होते हैं एवं जोड़ने पर योजक लुप्त हो जाते हैं। अतः यह उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे। द्वंद समास की परिभाषा जिस समास में समस्तपद के दोनों पद प्रधान हों या दोनों पद सामान हों एवं दोंनों पदों को मिलाते समय ‘और’, ‘अथवा’, ‘या’, ‘एवं’ आदि योजक लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता है। जैसे भूल-चूक: भूल या चूक सुख-दुख: सुख या दुःख गौरीशंकर: गौरी और शंकर ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा कि आप देख सकते हैं, यहां भूल-चूक, सुख-दुख व गौरीशंकर जैसे शब्द मिलकर भूल या चूक, सुख या दुःख व गौरी और शंकर बना रहे हैं जब इनका समास हो रहा है। समास होने पर इनके बीच के योजक चिन्हों का लोप हो जाता है। यह उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे। द्वंद्व समास के बारे में विस्तार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें परीक्षा में यह भी पूछे जा सकते हैं • • • • राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, न...

सुख और दुःख क्या है?

सुख और दुःख का अपना कोई अस्तित्व नहीं है। इनका कोई सुनिश्चित, ठोस, सर्वमान्य आधार भी नहीं है। सुख-दुःख मनुष्य की अनुभूति के ही परिणाम हैं। उसकी मान्यता कल्पना एवं अनुभूति विशेष के ही रूप में सुख-दुख का स्वरूप बनता है। सुख-दुःख मनुष्य के मानस पुत्र हैं ऐसा कह दिया जाय तो कोई अत्युक्ति न होगी। मनुष्य की अपनी विशेष अनुभूतियां, मानसिक स्थिति में ही सुख-दुःख का जन्म होता है। बाह्य परिस्थितियों से इसका कोई सम्बन्ध नहीं। क्योंकि जिन परिस्थितियों में एक दुःखी रहता है तो दूसरा उनमें खुशियाँ मनाता है, सुख अनुभव करता है। वस्तुतः सुख-दुःख मनुष्य की अपनी अनुभूति के निर्णय हैं, और इन दोनों में से किसी एक के भी प्रवाह में बह जाने पर मनुष्य की स्थिति असन्तुलित एवं विचित्र-सी हो जाती है। उसके सोचने समझने तथा मूल्याँकन करने की क्षमता नष्ट हो जाती है। किसी भी परिस्थिति में सुख का अनुभव करके अत्यन्त प्रसन्न होना, हर्षातिरेक हो जाना तथा दुःख के क्षणों में रोना बुद्धि के मोहित हो जाने के लक्षण हैं। इस तरह की अवस्था में सही-सही सोचने और ठीक काम करने की क्षमता नहीं रहती। मनुष्य उल्टा-सीधा सोचता है। उल्टे-सीधे काम करता है। कई लोग व्यक्ति विशेष को अपना अत्यन्त निकटस्थ मान लेते हैं। फिर अधिकार- भावनायुक्त व्यवहार करते हैं। विविध प्रयोजनों का आदान-प्रदान होने लगता है। एक दूसरे से कुछ न कुछ अपेक्षायें रखने लगते हैं। जब तक गाड़ी भली प्रकार चलती रहती है तो लोग सुख का अनुभव करते हैं। लेकिन जब दूसरों से अपनी अपेक्षायें पूरी न हों या जैसा चाहते हैं वैसा प्रतिदान उनसे नहीं मिले तो मनुष्य दुःखी होने लगता है। अक्सर अनुकूलताओं में सुखी और प्रतिकूलताओं में दुःखी होना हमारा स्वभाव बन गया है। उन्नति के, लाभ के, फ...

'लाभ हानि का विग्रह इस प्रकार होगा लाभ और हानि यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए क माता पिता =à¤

'लाभ हानि का विग्रह इस प्रकार होगा लाभ और हानि यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए क माता पिता =ख पाप पुण्य =……………ग सुख दुख =……घ रात दिन =ङ अन्न जल =…… .च घर बाहर =……………छ देश विदेश = More • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • •...

सुख और दुःख क्या है?

सुख और दुःख का अपना कोई अस्तित्व नहीं है। इनका कोई सुनिश्चित, ठोस, सर्वमान्य आधार भी नहीं है। सुख-दुःख मनुष्य की अनुभूति के ही परिणाम हैं। उसकी मान्यता कल्पना एवं अनुभूति विशेष के ही रूप में सुख-दुख का स्वरूप बनता है। सुख-दुःख मनुष्य के मानस पुत्र हैं ऐसा कह दिया जाय तो कोई अत्युक्ति न होगी। मनुष्य की अपनी विशेष अनुभूतियां, मानसिक स्थिति में ही सुख-दुःख का जन्म होता है। बाह्य परिस्थितियों से इसका कोई सम्बन्ध नहीं। क्योंकि जिन परिस्थितियों में एक दुःखी रहता है तो दूसरा उनमें खुशियाँ मनाता है, सुख अनुभव करता है। वस्तुतः सुख-दुःख मनुष्य की अपनी अनुभूति के निर्णय हैं, और इन दोनों में से किसी एक के भी प्रवाह में बह जाने पर मनुष्य की स्थिति असन्तुलित एवं विचित्र-सी हो जाती है। उसके सोचने समझने तथा मूल्याँकन करने की क्षमता नष्ट हो जाती है। किसी भी परिस्थिति में सुख का अनुभव करके अत्यन्त प्रसन्न होना, हर्षातिरेक हो जाना तथा दुःख के क्षणों में रोना बुद्धि के मोहित हो जाने के लक्षण हैं। इस तरह की अवस्था में सही-सही सोचने और ठीक काम करने की क्षमता नहीं रहती। मनुष्य उल्टा-सीधा सोचता है। उल्टे-सीधे काम करता है। कई लोग व्यक्ति विशेष को अपना अत्यन्त निकटस्थ मान लेते हैं। फिर अधिकार- भावनायुक्त व्यवहार करते हैं। विविध प्रयोजनों का आदान-प्रदान होने लगता है। एक दूसरे से कुछ न कुछ अपेक्षायें रखने लगते हैं। जब तक गाड़ी भली प्रकार चलती रहती है तो लोग सुख का अनुभव करते हैं। लेकिन जब दूसरों से अपनी अपेक्षायें पूरी न हों या जैसा चाहते हैं वैसा प्रतिदान उनसे नहीं मिले तो मनुष्य दुःखी होने लगता है। अक्सर अनुकूलताओं में सुखी और प्रतिकूलताओं में दुःखी होना हमारा स्वभाव बन गया है। उन्नति के, लाभ के, फ...

माता

माता-पिता शब्द में समास (Mata-Pita Mein Kaun sa Samas Hai) माता-पिता में प्रयुक्त समास का नाम क्या है? माता-पिता में द्वंद्व समास है। Mata-Pita Mein Kaun sa Samas Hai? Mata-Pita Shabd mein Dwand Samas Hai. माता-पिता का समास विग्रह क्या है? माता-पिता का समास विग्रह माता और पिता है। Mata-Pita ka Samas Vigrah kya hai? Mata aur pita माता और पिता का समस्त पद है? माता-पिता माता-पिता, में दोनों ही पद प्रधान हैं एवं जब दोनों पदों को जोड़ा जाता है तब बीच में से ‘और’ योजक लुप्त हो जाता है। द्वंद्व समास कि भी बिलकुल ऐसी ही विशेषताएं होती हैं, जिनमें दोनों पद प्रधान होते हैं एवं जोड़ने पर योजक लुप्त हो जाते हैं। अतः यह उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे। द्वंद समास की परिभाषा जिस समास में समस्तपद के दोनों पद प्रधान हों या दोनों पद सामान हों एवं दोंनों पदों को मिलाते समय ‘और’, ‘अथवा’, ‘या’, ‘एवं’ आदि योजक लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता है। जैसे भूल-चूक: भूल या चूक सुख-दुख: सुख या दुःख गौरीशंकर: गौरी और शंकर ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा कि आप देख सकते हैं, यहां भूल-चूक, सुख-दुख व गौरीशंकर जैसे शब्द मिलकर भूल या चूक, सुख या दुःख व गौरी और शंकर बना रहे हैं जब इनका समास हो रहा है। समास होने पर इनके बीच के योजक चिन्हों का लोप हो जाता है। यह उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे। द्वंद्व समास के बारे में विस्तार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें परीक्षा में यह भी पूछे जा सकते हैं • • • • राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, न...

सुख और दुःख क्या है?

सुख और दुःख का अपना कोई अस्तित्व नहीं है। इनका कोई सुनिश्चित, ठोस, सर्वमान्य आधार भी नहीं है। सुख-दुःख मनुष्य की अनुभूति के ही परिणाम हैं। उसकी मान्यता कल्पना एवं अनुभूति विशेष के ही रूप में सुख-दुख का स्वरूप बनता है। सुख-दुःख मनुष्य के मानस पुत्र हैं ऐसा कह दिया जाय तो कोई अत्युक्ति न होगी। मनुष्य की अपनी विशेष अनुभूतियां, मानसिक स्थिति में ही सुख-दुःख का जन्म होता है। बाह्य परिस्थितियों से इसका कोई सम्बन्ध नहीं। क्योंकि जिन परिस्थितियों में एक दुःखी रहता है तो दूसरा उनमें खुशियाँ मनाता है, सुख अनुभव करता है। वस्तुतः सुख-दुःख मनुष्य की अपनी अनुभूति के निर्णय हैं, और इन दोनों में से किसी एक के भी प्रवाह में बह जाने पर मनुष्य की स्थिति असन्तुलित एवं विचित्र-सी हो जाती है। उसके सोचने समझने तथा मूल्याँकन करने की क्षमता नष्ट हो जाती है। किसी भी परिस्थिति में सुख का अनुभव करके अत्यन्त प्रसन्न होना, हर्षातिरेक हो जाना तथा दुःख के क्षणों में रोना बुद्धि के मोहित हो जाने के लक्षण हैं। इस तरह की अवस्था में सही-सही सोचने और ठीक काम करने की क्षमता नहीं रहती। मनुष्य उल्टा-सीधा सोचता है। उल्टे-सीधे काम करता है। कई लोग व्यक्ति विशेष को अपना अत्यन्त निकटस्थ मान लेते हैं। फिर अधिकार- भावनायुक्त व्यवहार करते हैं। विविध प्रयोजनों का आदान-प्रदान होने लगता है। एक दूसरे से कुछ न कुछ अपेक्षायें रखने लगते हैं। जब तक गाड़ी भली प्रकार चलती रहती है तो लोग सुख का अनुभव करते हैं। लेकिन जब दूसरों से अपनी अपेक्षायें पूरी न हों या जैसा चाहते हैं वैसा प्रतिदान उनसे नहीं मिले तो मनुष्य दुःखी होने लगता है। अक्सर अनुकूलताओं में सुखी और प्रतिकूलताओं में दुःखी होना हमारा स्वभाव बन गया है। उन्नति के, लाभ के, फ...

माता

माता-पिता शब्द में समास (Mata-Pita Mein Kaun sa Samas Hai) माता-पिता में प्रयुक्त समास का नाम क्या है? माता-पिता में द्वंद्व समास है। Mata-Pita Mein Kaun sa Samas Hai? Mata-Pita Shabd mein Dwand Samas Hai. माता-पिता का समास विग्रह क्या है? माता-पिता का समास विग्रह माता और पिता है। Mata-Pita ka Samas Vigrah kya hai? Mata aur pita माता और पिता का समस्त पद है? माता-पिता माता-पिता, में दोनों ही पद प्रधान हैं एवं जब दोनों पदों को जोड़ा जाता है तब बीच में से ‘और’ योजक लुप्त हो जाता है। द्वंद्व समास कि भी बिलकुल ऐसी ही विशेषताएं होती हैं, जिनमें दोनों पद प्रधान होते हैं एवं जोड़ने पर योजक लुप्त हो जाते हैं। अतः यह उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे। द्वंद समास की परिभाषा जिस समास में समस्तपद के दोनों पद प्रधान हों या दोनों पद सामान हों एवं दोंनों पदों को मिलाते समय ‘और’, ‘अथवा’, ‘या’, ‘एवं’ आदि योजक लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता है। जैसे भूल-चूक: भूल या चूक सुख-दुख: सुख या दुःख गौरीशंकर: गौरी और शंकर ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा कि आप देख सकते हैं, यहां भूल-चूक, सुख-दुख व गौरीशंकर जैसे शब्द मिलकर भूल या चूक, सुख या दुःख व गौरी और शंकर बना रहे हैं जब इनका समास हो रहा है। समास होने पर इनके बीच के योजक चिन्हों का लोप हो जाता है। यह उदाहरण द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे। द्वंद्व समास के बारे में विस्तार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें परीक्षा में यह भी पूछे जा सकते हैं • • • • राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, न...

'लाभ हानि का विग्रह इस प्रकार होगा लाभ और हानि यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए क माता पिता =à¤

'लाभ हानि का विग्रह इस प्रकार होगा लाभ और हानि यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए क माता पिता =ख पाप पुण्य =……………ग सुख दुख =……घ रात दिन =ङ अन्न जल =…… .च घर बाहर =……………छ देश विदेश = More • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • •...