सूचना प्रौद्योगिकी के आधार

  1. सूचना प्रौद्योगिकी
  2. Parliamentary Panel Refused To Discuss On Former Twitter CEO Jack Dorsey Claims
  3. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
  4. जीवन भवन, फेज
  5. सूचना प्रौद्योगिकी (अवरुद्ध नियम), 2009 और आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69a
  6. सूचना प्रौद्योगिकी
  7. जीवन भवन, फेज
  8. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
  9. सूचना प्रौद्योगिकी (अवरुद्ध नियम), 2009 और आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69a
  10. Parliamentary Panel Refused To Discuss On Former Twitter CEO Jack Dorsey Claims


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सूचना प्रौद्योगिकी

सूचना प्रौद्योगिकी ( : information technology) आँकड़ों की प्राप्ति, सूचना संग्रह, सुरक्षा, परिवर्तन, आदान-प्रदान, अध्ययन, डिज़ाइन आदि कार्यों तथा इन कार्यों के निष्पादन के लिये आवश्यक कंप्यूटर हार्डवेयर एवं साफ्टवेयर अनुप्रयोगों से संबंधित (सम्बन्धित) है। सूचना प्रौद्योगिकी, वर्तमान समय में वाणिज्य और व्यापार का अभिन्न अंग बन गयी है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी भी कहा जाता है। एक उद्योग के तौर पर यह एक उभरता हुआ क्षेत्र है। २००५ में विश्व के विभिन्न देशों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी पर व्यय राशि (यूएसए की तुलना में)

Parliamentary Panel Refused To Discuss On Former Twitter CEO Jack Dorsey Claims

नई दिल्ली: ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी के दावे पर उठा विवाद अभी शांत होता नहीं दिख रहा है. विपक्षी पार्टी के सांसद इस मामले में संसद की स्थायी समिति के समक्ष उठाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने ट्विटर के पूर्व सीईओ के आरोपों पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है. निशिकांत दुबे ने कहा कि क्या विपक्ष अपने देश की सरकार के बजाए एक विदेशी की बातों पर ज्यादा भरोसा करती है. उन्होंने कहा कि एक विदेशी के संस्करण को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए. संचार और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के लिए संसदीय स्थायी समिति की गुरुवार को बैठक हुई. बैठक में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्विटर के पूर्व प्रमुख जैक डोर्सी के उस बयान का उल्लेख किया और चर्चा की मांग की. हालांकि, संसदीय पैनल ने इस मुद्दे पर चर्चा से इनकार कर दिया. समिति की बैठक में मौजूद एक विधायक ने इसके बारे में जानकारी दी. उनके मुताबिक, कुछ विपक्षी सांसदों ने इस मामले को उठाने की कोशिश की, लेकिन समिति के अध्यक्ष ने उन्हें ऐसा करने से परहेज करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा विचार-विमर्श के एजेंडे में नहीं था. इस बैठक का मुख्य एजेंडा 'नागरिकों की डेटा सुरक्षा और गोपनीयता विषय पर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रतिनिधियों का साक्ष्य' था. डेटा प्रोटेक्शन बिल पर हुई चर्चा इससे पहले इस समिति की बैठक में डेटा प्रोटेक्शन बिल पर चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक, मोटे तौर पर सदस्यों में इस बिल को लेकर सहमति दिखी. कुछ सदस्यों ने कहा कि कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने आधार का डेटा बिना किसी प्रोटेक्शन के जमा किया. इस समिति में दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) सहित विभिन्न दलों के 31...

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000

सूचना तकनीक अधिनियम (Information Technology Act 2000) संयुक्त राष्ट्र संकल्प के बाद भारत ने मई 2000 में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 पारित कर दिया और 17 अक्टूबर 2000 को अधिसूचना जारी कर इसे लागू कर दिया। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 को सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम, 2008 के माध्यम से काफी संशोधित किया गया है, जिसे 23 दिसम्बर को भारतीय संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था। अनुक्रम • 1 अधिनियम के उद्देश्य • 2 इतिहास • 3 परिचय • 3.1 66-एफ: साइबर आतंकवाद के लिए दंड का प्रावधान • 4 सूचना तकनीक क़ानून, 2000 के अंतर्गत साइबरस्पेस में क्षेत्राधिकार संबंधी प्रावधान • 5 भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) में साइबर अपराधों से संबंधित प्रावधान • 6 सन्दर्भ • 7 बाहरी कड़ियाँ अधिनियम के उद्देश्य [ ] सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 निम्नलिखित मुद्दों को को संबोधित करता है:- • इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को कानूनी मान्यता • डिजिटल हस्ताक्षर को कानूनी मान्यता • अपराध और उल्लंघन • साइबर अपराधों के लिए न्याय व्यवस्था इतिहास [ ] सूचना तकनीक क़ानून 9 जनवरी 2000 को पेश किया गया था। 30 जनवरी 1997 को संयुक्त राष्ट्र की जनरल एसेंबली ने 30 जनवरी 1997 को प्रस्ताव संख्या ए/आरइएस/51/162 के तहत यूनाइटेड नेशंस कमीशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड लॉ द्वारा अनुमोदित मॉडल लॉ ऑन इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स (इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स से संबंधित आदर्श कानून) को अपनी मान्यता दे दी। इस क़ानून में सभी देशों से यह अपेक्षा की जाती है कि सूचना के आदान-प्रदान और उसके संग्रहण के लिए काग़ज़ आधारित माध्यमों के विकल्प के रूप में इस्तेमाल की जा रहीं तकनीकों से संबंधित कोई भी क़ानून बनाने या उसे संशोधित करते समय वे इसके प्रावधानों का ध्या...

जीवन भवन, फेज

कॉपीराइट © 2023 - सर्वाधिकार सुरक्षित - भारतीय जीवन बीमा निगम की आधिकारिक वेबसाइट। इस वेबसाइट पर सामग्री भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा प्रकाशित और प्रबंधित की जाती है। कॉर्पोरेट कार्यालय: योगक्षेम बिल्डिंग, जीवन बीमा मार्ग, पी.ओ. बॉक्स नंबर - 19953, मुंबई - 400 021 आईआरडीएआई रेग नंबर - 512 भारतीय जीवन बीमा निगम, प्रशासनिक अधिकारी, कॉर्पोरेट संचार विभाग।

सूचना प्रौद्योगिकी (अवरुद्ध नियम), 2009 और आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69a

यह लेख Aishwarya S द्वारा लिखा गया है, जो लॉसिखो से साइबर लॉ, फिनटेक रेगुलेशन और टेक्नोलॉजी कॉन्ट्रैक्ट्स में डिप्लोमा कर रही हैं। इसका संपादन (एडिट) Prashant Baviskar (एसोसिएट, लॉसिखो) और Zigishu Singh (एसोसिएट, लॉसिखो) ने किया है। इस लेख में लेखक सूचना प्रौद्योगिकी (अवरुद्ध नियम) (इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (ब्लॉकिंग रूल्स)) 2009 और आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69a को संक्षिप्त में समझाने की कोशिश करती हैं। इस लेख का अनुवाद Divyansha Saluja के द्वारा किया गया है। Table of Contents • • • • • परिचय जैसे-जैसे मनुष्य ने अपने जीवन को सरल बनाने के लिए कई तकनीकों को विकसित करना और खोजना शुरू किया, ऐसी ही एक तकनीक, मशीनों का आविष्कार था जो मनुष्य की भागीदारी के साथ काम करती थी। यहां भागीदारी से मेरा तात्पर्य यह है कि जिन मशीनों का आविष्कार किया गया था, उन्हें वांछित (डिजायर) परिणाम प्राप्त करने के लिए मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता है। कंप्यूटर ऐसे आविष्कारों में से एक है जिसने हमें 20वीं सदी के अंतिम चरण और 21वीं सदी के प्रारंभिक चरण के दौरान एक बड़ी डिजिटल क्रांति देखने की अनुमति दी है। प्रौद्योगिकी के अत्यधिक विकास के कारण हम कई लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम थे, लेकिन साथ ही इसके कुछ नुकसान भी थे। इन्हीं में से एक है साइबर अपराध, शुरू में यह प्रकृति में बहुत गंभीर था क्योंकि यह अपराध सुदूर (रिमोट) इलाके से किया गया था। इसलिए इन सभी गतिविधियों को विनियमित (रेग्यूलेट) करने की आवश्यकता थी क्योंकि बिना विनियमन के इन मानवीय कार्यों को करने की अनुमति देना खतरनाक होगा। साइबर अपराध और प्रौद्योगिकी विकास दोनों को विनियमित करने की आवश्यकता है और इसलिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (इनफॉर्मेश...

सूचना प्रौद्योगिकी

सूचना प्रौद्योगिकी ( : information technology) आँकड़ों की प्राप्ति, सूचना संग्रह, सुरक्षा, परिवर्तन, आदान-प्रदान, अध्ययन, डिज़ाइन आदि कार्यों तथा इन कार्यों के निष्पादन के लिये आवश्यक कंप्यूटर हार्डवेयर एवं साफ्टवेयर अनुप्रयोगों से संबंधित (सम्बन्धित) है। सूचना प्रौद्योगिकी, वर्तमान समय में वाणिज्य और व्यापार का अभिन्न अंग बन गयी है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी भी कहा जाता है। एक उद्योग के तौर पर यह एक उभरता हुआ क्षेत्र है। २००५ में विश्व के विभिन्न देशों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी पर व्यय राशि (यूएसए की तुलना में)

जीवन भवन, फेज

कॉपीराइट © 2023 - सर्वाधिकार सुरक्षित - भारतीय जीवन बीमा निगम की आधिकारिक वेबसाइट। इस वेबसाइट पर सामग्री भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा प्रकाशित और प्रबंधित की जाती है। कॉर्पोरेट कार्यालय: योगक्षेम बिल्डिंग, जीवन बीमा मार्ग, पी.ओ. बॉक्स नंबर - 19953, मुंबई - 400 021 आईआरडीएआई रेग नंबर - 512 भारतीय जीवन बीमा निगम, प्रशासनिक अधिकारी, कॉर्पोरेट संचार विभाग।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000

सूचना तकनीक अधिनियम (Information Technology Act 2000) संयुक्त राष्ट्र संकल्प के बाद भारत ने मई 2000 में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 पारित कर दिया और 17 अक्टूबर 2000 को अधिसूचना जारी कर इसे लागू कर दिया। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 को सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम, 2008 के माध्यम से काफी संशोधित किया गया है, जिसे 23 दिसम्बर को भारतीय संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था। अनुक्रम • 1 अधिनियम के उद्देश्य • 2 इतिहास • 3 परिचय • 3.1 66-एफ: साइबर आतंकवाद के लिए दंड का प्रावधान • 4 सूचना तकनीक क़ानून, 2000 के अंतर्गत साइबरस्पेस में क्षेत्राधिकार संबंधी प्रावधान • 5 भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) में साइबर अपराधों से संबंधित प्रावधान • 6 सन्दर्भ • 7 बाहरी कड़ियाँ अधिनियम के उद्देश्य [ ] सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 निम्नलिखित मुद्दों को को संबोधित करता है:- • इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को कानूनी मान्यता • डिजिटल हस्ताक्षर को कानूनी मान्यता • अपराध और उल्लंघन • साइबर अपराधों के लिए न्याय व्यवस्था इतिहास [ ] सूचना तकनीक क़ानून 9 जनवरी 2000 को पेश किया गया था। 30 जनवरी 1997 को संयुक्त राष्ट्र की जनरल एसेंबली ने 30 जनवरी 1997 को प्रस्ताव संख्या ए/आरइएस/51/162 के तहत यूनाइटेड नेशंस कमीशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड लॉ द्वारा अनुमोदित मॉडल लॉ ऑन इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स (इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स से संबंधित आदर्श कानून) को अपनी मान्यता दे दी। इस क़ानून में सभी देशों से यह अपेक्षा की जाती है कि सूचना के आदान-प्रदान और उसके संग्रहण के लिए काग़ज़ आधारित माध्यमों के विकल्प के रूप में इस्तेमाल की जा रहीं तकनीकों से संबंधित कोई भी क़ानून बनाने या उसे संशोधित करते समय वे इसके प्रावधानों का ध्या...

सूचना प्रौद्योगिकी (अवरुद्ध नियम), 2009 और आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69a

यह लेख Aishwarya S द्वारा लिखा गया है, जो लॉसिखो से साइबर लॉ, फिनटेक रेगुलेशन और टेक्नोलॉजी कॉन्ट्रैक्ट्स में डिप्लोमा कर रही हैं। इसका संपादन (एडिट) Prashant Baviskar (एसोसिएट, लॉसिखो) और Zigishu Singh (एसोसिएट, लॉसिखो) ने किया है। इस लेख में लेखक सूचना प्रौद्योगिकी (अवरुद्ध नियम) (इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (ब्लॉकिंग रूल्स)) 2009 और आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69a को संक्षिप्त में समझाने की कोशिश करती हैं। इस लेख का अनुवाद Divyansha Saluja के द्वारा किया गया है। Table of Contents • • • • • परिचय जैसे-जैसे मनुष्य ने अपने जीवन को सरल बनाने के लिए कई तकनीकों को विकसित करना और खोजना शुरू किया, ऐसी ही एक तकनीक, मशीनों का आविष्कार था जो मनुष्य की भागीदारी के साथ काम करती थी। यहां भागीदारी से मेरा तात्पर्य यह है कि जिन मशीनों का आविष्कार किया गया था, उन्हें वांछित (डिजायर) परिणाम प्राप्त करने के लिए मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता है। कंप्यूटर ऐसे आविष्कारों में से एक है जिसने हमें 20वीं सदी के अंतिम चरण और 21वीं सदी के प्रारंभिक चरण के दौरान एक बड़ी डिजिटल क्रांति देखने की अनुमति दी है। प्रौद्योगिकी के अत्यधिक विकास के कारण हम कई लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम थे, लेकिन साथ ही इसके कुछ नुकसान भी थे। इन्हीं में से एक है साइबर अपराध, शुरू में यह प्रकृति में बहुत गंभीर था क्योंकि यह अपराध सुदूर (रिमोट) इलाके से किया गया था। इसलिए इन सभी गतिविधियों को विनियमित (रेग्यूलेट) करने की आवश्यकता थी क्योंकि बिना विनियमन के इन मानवीय कार्यों को करने की अनुमति देना खतरनाक होगा। साइबर अपराध और प्रौद्योगिकी विकास दोनों को विनियमित करने की आवश्यकता है और इसलिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (इनफॉर्मेश...

Parliamentary Panel Refused To Discuss On Former Twitter CEO Jack Dorsey Claims

नई दिल्ली: ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी के दावे पर उठा विवाद अभी शांत होता नहीं दिख रहा है. विपक्षी पार्टी के सांसद इस मामले में संसद की स्थायी समिति के समक्ष उठाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने ट्विटर के पूर्व सीईओ के आरोपों पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है. निशिकांत दुबे ने कहा कि क्या विपक्ष अपने देश की सरकार के बजाए एक विदेशी की बातों पर ज्यादा भरोसा करती है. उन्होंने कहा कि एक विदेशी के संस्करण को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए. संचार और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के लिए संसदीय स्थायी समिति की गुरुवार को बैठक हुई. बैठक में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्विटर के पूर्व प्रमुख जैक डोर्सी के उस बयान का उल्लेख किया और चर्चा की मांग की. हालांकि, संसदीय पैनल ने इस मुद्दे पर चर्चा से इनकार कर दिया. समिति की बैठक में मौजूद एक विधायक ने इसके बारे में जानकारी दी. उनके मुताबिक, कुछ विपक्षी सांसदों ने इस मामले को उठाने की कोशिश की, लेकिन समिति के अध्यक्ष ने उन्हें ऐसा करने से परहेज करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा विचार-विमर्श के एजेंडे में नहीं था. इस बैठक का मुख्य एजेंडा 'नागरिकों की डेटा सुरक्षा और गोपनीयता विषय पर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रतिनिधियों का साक्ष्य' था. डेटा प्रोटेक्शन बिल पर हुई चर्चा इससे पहले इस समिति की बैठक में डेटा प्रोटेक्शन बिल पर चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक, मोटे तौर पर सदस्यों में इस बिल को लेकर सहमति दिखी. कुछ सदस्यों ने कहा कि कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने आधार का डेटा बिना किसी प्रोटेक्शन के जमा किया. इस समिति में दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) सहित विभिन्न दलों के 31...