सूरज भगवान की कहानी

  1. सूर्य भगवान व्रत कथा
  2. सूरज रविवार की कहानी
  3. सूरज जी के रोट व्रत की कहानी – HIND IP
  4. सूरज रोटा
  5. 5 बेहद रोचक पौराणिक कथाएं और कहानियां


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सूर्य भगवान व्रत कथा

दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम लोग जानेंगे Suraj Bhagwan Ki Kahani और उनकी महिमाओं के बारे में। नीचे हमने सूर्य भगवान की 2 व्रत कथा दे रखा हैं।आशा करता हूं आपको यह अच्छा लगेगा। मित्रों हिंदू धर्म में Suraj Bhagwan को बहुत महान बताया गया है ऐसा माना जाता है किस सूरज भगवान की आराधना करने पर अपने भक्तों को मुंह मांगा वरदान देते हैं। Suraj Bhagwan Ki Kahani विस्तृत रूप से जाने। Suraj Bhagwan Ki Kahani Hindi Mein बहुत पुरानी बात है एक गांव में एक वृद्ध महिला रहती थी। जो नियमित रूप से हर रविवार के दिन सूर्यउदय से पहले उठ कर अपने नित्य कार्यों को पूरा कर अपने आंगन को गोबर से लिपती थी जिससे वह साफ रह सके। तत्पश्चात सूर्य भगवान की पूजा करती थी। साथ ही रविवार को Suraj Bhagwan Ki Kahani सुनती थी। इस दिन वाह मात्र एक बार भोजन करती थी और उससे पूर्व Suraj Bhagwan को भोग लगाती थी। सूरज भगवान उस वृद्ध महिला से बहुत प्रसन्न थे। सूरज भगवान के प्रसन्न होने के कारण उस वृद्ध महिला को कोई कष्ट नहीं था वह हमेशा बहुत खुश रहती थी। इसी दौरान उसकी पास वाली पड़ोसन ने देखा कि वह वृद्ध महिला बहुत सुखी है। मैं इतने कष्ट में हूं तो वह उस वृद्ध महिला से जलने लगी। उस वृद्ध महिला के पास कोई गाय ना होने के कारण वह गोवर अपने पड़ोसन से लिया करती थी। एक दिन उसके पड़ोसन ने अपनी गाय अपने घर के अंदर बांध दीया जिससे उस वृद्ध महिला को पूजा करने के लिए गोबर ना मिल सके। अगला रविवार आने पर उस वृद्ध महिला को Suraj Bhagwan Ki पूजा करनी थी। गोबर ना मिलने के कारण वह वृद्ध महिला भूखी प्यासी रहकर Suraj Bhagwan Ki आराधना और Kahani सुनने लगी। दोपहर बीत गया और वह वृद्ध महिला भूखी प्यासी Suraj Bhagwan से प्रार्थना कर रही थी। तभी ...

सूरज रविवार की कहानी

सूरज रविवार की कहानी | सूरज रोट रविवार की कहानी | Suraj ravivar ki kahani सूरज रविवार का व्रत गणगौर पूजन करने वाली कन्याओं और स्त्रियों के लिए सूरज रविवार का व्रत करना आवश्यक माना गया हैं | इस व्रत को ‘ होली पाछला रविवार ‘ व ‘ सूरज रोट का व्रत ‘ भी कहते हैं | होली के बाद और गणगौर से पहले आने वाले रविवार को यह व्रत किया जाता हैं | जों कोई इस सूरज रोटो रविवार का व्रत करता हैं वह अपने जीवन में सभी सुखों को प्राप्त करता हैं उसके जीवन में कभी किसी वस्तु का अभाव नहीं होता हैं | सूरज रविवार व्रत विधि एक चौकी पर जल भरा लोटा रख उस पर रोली से स्वास्तिक बनाये उस पर मोली बांधे , कच्चे सूत का आठ तार का आठ गांठ लगाकर डोरा बनाये और आठ गेहूँ के दाने हाथ में लेकर कहानी सुने , उसकें बाद बिना नमक का रोट [ रोटी जैसा ] बनाये | एक के बीच में छेद करे और एक को पूरा रोटी [ रोट ] जैसा रखे | छेद वाले रोट में से सूरज भगवान को देखते हुये कहानी सुने हुये जल से सूरज भगवान को अर्ध्य दे वे | अपने साथ एक महिला को रखे जों जल चढ़ाती जाये और पूछती जाये ‘ सूरज – सूरज दिख्यो ‘ आप स्वयं कहे ‘ दिख्यो सो ही ठुठ्यो ‘ ऐसे सात बार कहे | फिर जों दूसरा रोट हैं उसे आप स्वयं खा लेवे | दिन अस्त होने के बाद पानी भी नहीं पीवे | सूरज रविवार व्रत उद्यापन विधि अगर लडकी के शादी का पहला साल हो तो उद्यापन करे | व्रत की विधि एक जैसी रहेगी , सिर्फ आठ जगह चार – चार पुड़ी – हलवा , बेस [साड़ी , ब्लाउज ,पेटीकोट ] रुपया कल्प कर सासुजी को पाँव लग कर देवे व आठ व्रत करी हुई लडकियों को जिमावे व उन्हें दक्षिणा भी दे देवे | सूरज रविवार की कहानी | सूरज रोट रविवार की कहानी दो माँ बेटी थी | सूरज भगवान का व्रत करती थी | सूरज रविवार का व्रत आया माँ क...

सूरज जी के रोट व्रत की कहानी – HIND IP

एक गांव में मां और बेटी रहती थी दोनों सूरज का व्रत रखती थी एक बार सूरज जी के व्रत के दिन मां पानी भरने गई तो बेटी को दो रोट बनाने के लिए कह कर गई। एक बड़ा रोट मां का तथा छोटा रोट बेटी के लिए था क्योंकि इस व्रत में रोट पूरा खाना चाहिए और झूठा नहीं बचना चाहिए और एक रोटी ही खाते हैं। इस दिन बिना नमक मिलाएं रोट बनाते हैं लड़की मां का रोट बना रही थी कि सूरज जी एक साधु बाबा के भेष में भिक्षा मांगने आए लड़की ने कहा यह रोट तो मां का है आप बैठो अभी मेरा रोट बनेगा तब ले लेना। बाबा ने कहां देना है तो अभी ही दो नहीं तो मैं जा रहा हूं लड़की ने मां के रोट से एक टुकड़ा तोड़कर बाबा को दे दिया जब मां वापस आई तो रोटb का टुकड़ा टूटा हुआ देख कर नाराज हुई और कहा ” धीए बाई धिए दे” रोटा माइली कोर दे मारो दे पण सारो दे। मां अपनी बेटी को मारने लगी।बेटी मार से बचने के लिए वहां से भागकर जंगल में चली गई और बड़ के पेड़ पर चढ़कर बैठ गई। सूरज भगवान ने सोचा कि इसको मेरी वजह से घर से निकलना पड़ा तो इसकी रक्षा भी मुझे ही करनी है। सूरज भगवान रोज चूरमे का एक लड्डू और पानी का लौटा उस लड़की के पास भेज देते थे।लड़की मजे से खा कर वहां ही बैठी रहती । एक दिन एक राजा शिकार खेलता हुआ उधर से जा रहा था ।राजा थक जाता है और वहां पर विश्राम के लिए उस बड़ के पेड़ के नीचे रुक जाता है। उसके साथ आए नाई से कहा की थोड़ा पानी मिल जाता तो प्राण बच जाते । प्यास से जान निकली जा रही हैं।ये सुनकर उस लड़की ने अपने लौटे में से चुल्लू भर पानी डाल दिया । राजा ने फिर कहा की आधी जान तो बच गई यदि थोड़ा पानी और मिल जाता तो आधी जान और बच जाती । यह सुनकर लड़की ने चुल्लू भर पानी और डाल दिया। राजा को बताया कि राजा जी तुम रानी लेकर आए हो या जाटन...

सूरज रोटा

सूरज रोटा | Suraj Rota सूरज रोटा Suraj Rota शीतल सप्तमी क पछ जो रविवार आवे बी दिन सूरज भगवान की पूजा करणू। सूरजजी का ऊजुवणा में सूरज भगवान की पूजा करणु। आठ सवागण लुगायां न जीमाणू। एक साखीदार न जिमाणू सबन जीमा कर शक्ति सारू नेक का रुपया देणू। ऊजुवणा की रसोई में गेहूँ का आटा का ८ रोट बनाणूं ब्यांक क कंगूरा बनाणू और घी शक्कर रख कर पूजा करणू तथा लुगाया न पुरसणु। सूरज रोटा की कहानी | Suraj Rota Ki Kahani (सूरज रोटा कथा | Suraj Rota Katha) एक डोकरी ही आपक सूरज रोटा बणाया आप गई बार बेटी न केहकर गई थारा म्हारा दो रोटा बणालीज । सूरज भगवान साधु के भेष धर कर आया और आवाज लगायी घर की देवी भिक्षान्न देही | बा बोली महाराज म्हारी माँ को रोटो हुयो ह म्हारो हाल हुयों कोनी। ओरूं आवाज लगाई बेटी मनमं विचार करयो आयो साधु भूखो जाई माँ का रोटा मंसू आधो साधू न दे दियो। बारसू माँ आई धी (बेटी) रोटो द पण सागे रोटो द । माँ बार बार पुकारण लागी। बेटी सुण सुणर बेजार होर पीपल क झाड पर जार बेठगी। गांव को राजा शिकार खेल बान गयो हो पाछो आंवतो बी पीपल का झाड के नीच आकर बेठयो | भूखो प्यासो हो। बेटी ऊपर सुं थोडो रोटा को टुकडो ओर पाणी राजा न दियो राजा आपका नोकरां न कहयो ऊपर कोई मिनख ह । ऊपर जाकर देख नौकर झाड पर चढ़गा देख तो बठ एक सावकार की बेटी बेठी ह । राजा बोल्यो तु कुण है। भूत ह पलित ह मिनखह । बा कहयो म सावकार की बेटी हूँ। राजा बोल्यो म्ह थारासु ब्याह करूं। बा बोली म्हार घरदार परिवार की कोनी। पर फेर भी राजा बीसूं ब्याव करर साथ लेग्यो। पाछो चेत को महिनो आयो। सूरज रोटो खोलण लागी माथो न्हार बार झरोखा मं केस सुखावण न ऊबी नीच स माँ निकली। बेटी न पिछाण कर कहयो धी रोटो द पण सागे रोटो द । बेटी जाण्यो म्ह राजा की राणी...

5 बेहद रोचक पौराणिक कथाएं और कहानियां

दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट मे आपको पौराणिक ग्रंथो पर आधरित बेहद रोचक पौराणिक कथाएं (Pauranik Katha), धार्मिक कथा (Dharmik kahaniya) पढ़ने को मिलेगी। यह सभी कथाएं धार्मिक ग्रंथो और कहानियों से ली गई है। इन्हे आप अवश्य पढ़े और कमेंट के द्वारा हमें अपने विचार बातएं की आपको यह पौराणिक कथाएं ( mythological stories in hindi ) कैसी लगी। • Pauranik Katha 1 – सहस्त्रबाहु अर्जुन द्वारा अहंकारी रावण को बंधी बनाना Dharmik kahaniya – Pauranik Katha – mythological stories in hindi सहस्रबाहु अर्जुन एक पराकर्मी और शूर वीर योद्धा थे । भगवान् द्वारा उन्हें हर प्रकार की सिद्धियां प्राप्त थी और वायु की गति से पूरे संसार में कोई भी रूप धारण कर जब चाहे विचरण कर सकते थे। पुराणो के अनुसार शास्त्र बाहु ने महाराज हेय की 10वी पीढ़ी मात पद्मनी और महाराज कृतवीर्ये के परिवार में हुआ था। चन्द्रवंश कृतवीर्ये के पुत्र होने के कारण इन्हे कृतवीर्ये अर्जुन के नाम से भी जाना जाता था। इसके आलावा पुराणों और ग्रंथो मे हैहयाधिपति, सहस्रार्जुन, दषग्रीविजयी, सुदशेन, चक्रावतार, सप्तद्रवीपाधि, कृतवीर्यनंदन, राजेश्वर आदि आदि के नामों का भी वर्णन है। कृतवीर्ये अर्जुन का उल्लेख कई वेद, वाल्मीकि रामयण, महाभारत जैसे कई हिन्दू धर्म ग्रंथो में भी मिलता है । भगवान् विष्णु पुराण के अनुसार कृतवीर्ये -अर्जुन की उत्पाती श्री हरी विष्णु और माता लक्ष्मी द्वारा हुई है। धार्मिक कथाओं और ग्रंथो के अनुसार सहस्रबाहु अर्जुन विष्णु के दसवे अवतार दत्तात्रेय के उपासक थे और अपनी कठोर तपस्या वा भक्ति आराधना से भगवान् दत्तात्रेय को प्रसन्न क्र उनसे 10 वरदान प्राप्त किये थे । जिसमे उन्हें हजार भुजाओ का वरदान भी मिला था और तभी से इनका नाम सहस्रबाहु अर...