सूर्य कवच

  1. इस तरह सूर्य कवच का पाठ करने से मिलते हैं अद्भुत फायदे, जानकार हो जाएंगे हैरान – Buy Spiritual Products
  2. सूर्य कवच स्तोत्रं अर्थ सहित Surya Kavach Stotra with meaning – Sanatan Group
  3. Sri Surya Kavacham
  4. सूर्य स्त्रोत एवं सूर्य रक्षा कवच से करें सूर्य देव को प्रसन्न, ऊर्जामय एवं सुखमय होगा जीवन
  5. शिव कवच


Download: सूर्य कवच
Size: 44.53 MB

इस तरह सूर्य कवच का पाठ करने से मिलते हैं अद्भुत फायदे, जानकार हो जाएंगे हैरान – Buy Spiritual Products

हिन्दू धर्म में कई तरीकों से ईश्वर को प्रसन्न करने के आख्यान है। इन आख्यानों में Surya Kavach का भी ज़िक्र है। कवच का वैसे तो अर्थ रक्षा करना है। लेकिन जब इसमें किसी देवता का नाम जुड़ता है तो उसकी विशेषताएं भी बदल जाती है। यह बदलता रुख व्यक्ति की अलग परेशानियों की ओर इशारा करती है। साथ ही समाधान प्रस्तुत करती हैं। आज हम उन्हीं परेशानियों का समाधान सूर्य कवच के प्रयोग के रूप में लाएं हैं। सूर्य कवच व्यक्ति को कई सारे बुरे प्रभावों से बचाने में सहायक है। सूर्य कवच का काम व्यक्ति को सभी रोगों से मुक्ति दिलाना है। साथ ही शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाना भी है। सूर्य कवच के बारे में याज्ञवल्क्य का उवाच कुछ इस प्रकार है : श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्। शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।1 इससे तात्पर्य है कि इसके प्रयोग से व्यक्ति को सौभाग्य मिलता है। हर कार्य में सफलता पाने में लाभकारी है। अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाने में Surya kavach Locket सहायक है। क्योंकि सूर्य एकमात्र ऐसे देवता हैं जो प्रत्यक्ष रूप से हमारे बीच मौजूद है। All Surya Kavach Benefits : 1. Surya kavach locket जैसा कि इसके नाम से ही प्रतीत होता है जो शरीर की रक्षा करता है। 2. समाज में सम्मान-प्रतिष्ठा पाने और कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए लाभदायक है। 3. यह दिव्यता और सौभाग्य के साथ- साथ यश और पराक्रम भी प्रदान करता है। 4. जीवन की आपदाओं से हमारी रक्षा करता है फिर चाहे वो भौतिक हो या आंतरिक। 5. हर रविवार को surya raksha kavach का पाठ करना बहुत ही लाभकारी रहता है। 1. Surya kavach pendant को पहनने के लिए प्रातः काल स्नान कर सूर्य देवता को जल चढ़ाएं। 2. नीचे दिए गए सूर्य कवच का पाठ कर या ...

सूर्य कवच स्तोत्रं अर्थ सहित Surya Kavach Stotra with meaning – Sanatan Group

सभी ग्रहों में सबसे उच्च पद सूर्यदेवजी को दिया है, इस तरह समस्त ग्रहों के ऊपर अपना आधिपत्य रखने वाले होते है, जो कि ग्रहों के कारकत्व के रूप में आत्मा के कारक माने गए है, इसलिए समस्त तरह के विकारों को समाप्त करने के लिए सूर्यदेवजी की अर्चना करनी चाहिए। क्योंकि जब आत्मा में किसी तरह के बुरे विकार नहीं जागृत होते है तब तक कोई भी अपना कार्य एवं जीवन को सही दिशा में चला सकता है, जब आत्मा में विकृति आ जाती है तब किसी भी तरह से राहत नहीं मिलती हैं। सूर्य ग्रह को व्यवसाय एवं नौकरी का कारकेश माना जाता हैं। जिस किसी के व्यवसाय एवं नौकरी में परेशानी आ रही हो उनको सूर्य कवच स्तोत्रं का वांचन नियमित रूप से करते रहना चाहिए। || सूर्य कवच स्तोत्रं अर्थ सहित || श्री सूर्य कवच स्तोत्रम् का विनियोग:-याज्ञवल्क्य ऋषिवर ने मन्त्रों के वांचन से पूर्व देवी-देवताओं के निमित मनुष्य को अपने शुद्ध दाएँ हाथ में आचमनी में जल भरकर लें, बाएँ हाथ से दायीं भुजा को स्पर्श करते हुए निम्न प्रकार से विनियोग या संकल्प के लिए विनियोग करने के बारे में बताया हैं। अथ विनियोगः- ऊँ अस्य श्री सूर्य-कवचस्य ब्रह्मा ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्री सूर्यो देवताः। आरोग्य च प्रापत्यर्थं, अहम्, पुत्रो श्री, पौत्रो श्री, गोत्रे जन्मौ, श्रीसूर्य-कवच-पाठे विनियोगः। अर्थात्:-श्री सूर्य-कवच स्तोत्रम् श्लोकों में वर्णित मंत्रों की रचना ब्रह्मा ऋषिवर ने की थी, जिसमें अनुष्टुप छंद हैं एवं सूर्य देवता के रूप में हैं, जो कोई सूर्य-कवच स्तोत्रं के श्लोकों में वर्णित मंत्रों के द्वारा इनके देवता को याद करते हुए वांचन का संकल्प करता हैं, सभी जगहों पर विजय पाने और देह को व्याधियों से मुक्ति पाने एवं निरोग्यता कि प्राप्ति हेतु-मैं पुत्र श्री-...

Sri Surya Kavacham

याज्ञवल्क्य उवाच । शृणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम् । शरीरारोग्यदं दिव्यं सर्वसौभाग्यदायकम् ॥ १ ॥ देदीप्यमानमुकुटं स्फुरन्मकरकुण्डलम् । ध्यात्वा सहस्रकिरणं स्तोत्रमेतदुदीरयेत् ॥ २ ॥ शिरो मे भास्करः पातु ललाटं मेऽमितद्युतिः । नेत्रे दिनमणिः पातु श्रवणे वासरेश्वरः ॥ ३ ॥ घ्राणं घर्मघृणिः पातु वदनं वेदवाहनः । जिह्वां मे मानदः पातु कण्ठं मे सुरवन्दितः ॥ ४ ॥ स्कन्दौ प्रभाकरः पातु वक्षः पातु जनप्रियः । पातु पादौ द्वादशात्मा सर्वाङ्गं सकलेश्वरः ॥ ५ ॥ सूर्यरक्षात्मकं स्तोत्रम् लिखित्वा भूर्जपत्रके । ददाति यः करे तस्य वशगाः सर्वसिद्धयः ॥ ६ ॥ सुस्नातो यो जपेत्सम्यग्योऽधीते स्वस्थमानसः । स रोगमुक्तो दीर्घायुः सुखं पुष्टिं च विन्दति ॥ ७ ॥ इति श्रीमद्याज्ञवल्क्यमुनिविरचितं सूर्यकवचस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥ इतर श्री सूर्य स्तोत्राणि पश्यतु । इतर

सूर्य स्त्रोत एवं सूर्य रक्षा कवच से करें सूर्य देव को प्रसन्न, ऊर्जामय एवं सुखमय होगा जीवन

Surya Stotra And Surya Raksha Kavach- सूर्य देव को जीवनी शक्ति प्रदान करने वाला माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य से प्राप्त ऊर्जा से ही समस्त संसार का संचालन होता है. रविवार को जो जातक व्रत रखकर सूर्य देव की पूजा अर्चना करते हैं उन्हें जीवन में यश एवं सम्मान की प्राप्ति होती है. ऐसे जातकों का वैभव पूरे संसार में होता है. मान्यता यह भी है कि रविवार के दिन सूर्य देव का व्रत रखने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं, शरीर निरोगी रहता है और समस्त प्रकार की पीड़ाओं से निजात मिलती है. आज रविवार के दिन हम आपके लिए लेकर आए हैं सूर्य रक्षा कवच एवं सूर्य स्त्रोत. सूर्य रक्षा कवच जहां हर प्रकार की बाधाओं और परेशानियों से जातक की रक्षा करता हैं वहीं सूर्य स्त्रोत जातक का कल्याण करता है. सूर्य स्त्रोत में सूर्य देव के कई गोपनीय नामों का वरण हैं तो आइए पढ़ें सूर्य स्त्रोत एवं सूर्य रक्षा कवच … सूर्य स्त्रोत: विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः। लोक प्रकाशकः श्री माँल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥ लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा। तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥ गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः। एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥ ‘विकर्तन, विवस्वान, मार्तण्ड, भास्कर, रवि, लोकप्रकाशक, श्रीमान, लोकचक्षु, महेश्वर, लोकसाक्षी, त्रिलोकेश, कर्ता, हर्त्ता, तमिस्राहा, तपन, तापन, शुचि, सप्ताश्ववाहन, गभस्तिहस्त, ब्रह्मा और सर्वदेव नमस्कृत- इस प्रकार इक्कीस नामों का यह स्तोत्र भगवान सूर्य को सदा प्रिय है।’ (ब्रह्म पुराण : 31.31-33) इसे भी पढ़ें: सूर्य रक्षा कवच: याज्ञवल्क्य उवाच- श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्। शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।1। देदीप्यमान मु...

शिव कवच

शिव कवच – Shiva Kavach शिव कवच (shiv kavach stotra) सभी प्रकार के शारीरिक, मानसिक, आर्थिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है। शिव कवच (shiv kavach in hindi) हमें भगवान शिव की सुरक्षा का प्रभामंडल प्रदान करता है। आपकी कोई भी समस्या हो, चाहे जन्म कुंडली की, आत्माओं की हो या तंत्र या काला जादू की, यह कवच हमेशा काम करता है। शिव कवच का पाठ केवल भगवान शिव की पूर्ण भक्ति से करने की आवश्यकता है। इसे रोजाना एक बार या जितनी बार हो सके जप करें। इस शिव कवच के लिए कोई न्यूनतम (या अधिकतम) नहीं है। इसे सहस्त्राक्षर अमोघ शिव कवच (amogh shiv kavach) माना जाता है। Amogh Shiv Kavach – अमोघ शिव कवच