सविनय अवज्ञा आंदोलन के दो कारण लिखिए

  1. सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व और कृतित्व पर निबंध
  2. सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाए जाने के मुख्य कारण क्या था?
  3. सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930
  4. सविनय अवज्ञा आन्दोलन के क्या कारण थे ? उसके परिणामों पर प्रकाश डालिए।
  5. सविनय अवज्ञा आन्दोलन
  6. सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930
  7. सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाए जाने के मुख्य कारण क्या था?
  8. सविनय अवज्ञा आन्दोलन के क्या कारण थे ? उसके परिणामों पर प्रकाश डालिए।
  9. सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व और कृतित्व पर निबंध


Download: सविनय अवज्ञा आंदोलन के दो कारण लिखिए
Size: 32.34 MB

सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व और कृतित्व पर निबंध

• • • • • सुभाष चन्द्र बोस पर निबंध 100 शब्दों में सुभाष चन्द्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रीय देशभक्त थे जिनका जन्म 1897 में 23 जनवरी को एक हिंदू कायस्थ परिवार में कटक में हुआ था। वह जानकीनाथ बोस (पिता) और प्रभाती देवी (मां) की संतान थे और वह अपने माता-पिता की चौदह संतानों में से नौवें भाई थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कटक से पूरी की लेकिन कलकत्ता में मैट्रिक की डिग्री और कलकत्ता विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री (1918 में) प्राप्त की। वह उच्च अध्ययन करने के लिए 1919 में इंग्लैंड गए, वह चित्तरंजन दास (एक बंगाली राजनीतिक प्रमुख) से बेहद प्रभावित थे और जल्द ही भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। उन्होंने स्वराज नामक समाचार पत्र के माध्यम से लोगों के सामने अपने विचार व्यक्त करना शुरू किया, उन्होंने ब्रिटिश शासन का विरोध किया और भारतीय राजनीति में रुचि ली। उनकी जीवंत भागीदारी के परिणामस्वरूप, उन्हें अखिल भारतीय युवा कांग्रेस अध्यक्ष और बंगाल राज्य कांग्रेस सचिव के रूप में चुना गया। इनकी मृत्यु 18 अगस्त 1945 को हुई। सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 200 शब्दों में सुभाष चंद्र बोस एक महान भारतीय राष्ट्रवादी थे। लोग आज भी उन्हें उनके देश के लिए प्यार से जानते हैं। इस सच्चे भारतीय व्यक्ति का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी। सुभाष चंद्र बोस निश्चित रूप से एक क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे । सुभाष चंद्र बोस की भागीदारी सविनय अवज्ञा आंदोलन के साथ हुई। इस तरह सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बने। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के सदस्य बने। साथ ही 1939 में वह पार्टी अध्यक्ष बने। अंग्रेजों ने सुभाष ...

सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाए जाने के मुख्य कारण क्या था?

असहयोग आन्दोलन के बाद लगभग 8 वर्ष तक देश के राजनीतिक जीवन में शिथिलता रही। काँग्रेस ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाया, केवल स्वराज्य पार्टी ने विधायिकाओं में पहुँचकर अपनी असहयोग नीति को कार्यान्वित किया और जब जहाँ अवसर मिला संविधान में गतिरोध उत्पन्न किया। इस बीच कुछ ऐसी परिस्थितियाँ बनीं जिसने एक जन आन्दोलन- सविनय अवज्ञा आन्दोलन को जन्म दिया जो 1930 से 1934 ई. तक चला। इस आन्दोलन में पहली बार बड़ी संख्या में भारतीयों ने भाग लिया जिसमें मजदूर और किसानों से लेकर उच्चवर्गीय लोग तक थे। (1) इन आन्दोलनकारियों की विशेषता थी कि सरकार के सारे अत्याचारों के बावजूद उन्होंने अहिंसा को नहीं त्यागा जिससे भारतीयों में आत्मबल की वृद्धि हुई । (2) इस आन्दोलन में कर बंदी का भी प्रावधान था। जिससे किसानों में राजनीतिक चेतना एवं अधिकारों की माँग के लिए संघर्ष करने की क्षमता का विकास हुआ । (3) इस आन्दोलन ने काँग्रेस की कमजोरियों को भी स्पष्ट कर दिया। (4) इस आन्दोलन के माध्यम से गाँधी जी ने एक सौम्य तथा निष्क्रिय राष्ट्र को शताब्दियों की निद्रा से जगा दिया था सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाए जाने के मुख्य कारणसविनय अवज्ञा आंदोलन चलाए जाने के मुख्य कारण थे। • साइमन कमीशन के बहिष्कार आंदोलन के दौरान जनता के उत्साह को देखकर यह लगने लगा अब एक आंदोलन आवश्यक है। • सरकार ने मोतीलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट अस्वीकार कर दी थी इससे असंतोष व्याप्त था। • चौरी-चौरा कांड (1922) को एकाएक रोकने से निराशा फैली थी, उस निराशा को दूर करने भी यह आंदोलन आवश्यक प्रतीत हो रहा था। • 1929 की आर्थिक मंदी भी एक कारण थी। • क्रांतिकारी आंदोलन को देखते हुए गांधीजी को डर था कि कहीं समस्त देश हिंसक आंदोलन की ओर न बढ़ जा...

सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930

आधुनिक भारत का इतिहास : सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 (Civil Disobedience Movement in Hindi) भारत को देश को अंग्रेजों से आजादी वैसे तो 1947 को मिली थी, लेकिन ये आजादी एक पल में नहीं मिली थी, हजारों लाखों लोगों की सालों की मेहनत और क़ुरबानी के बाद लोगों ने आजादी का स्वाद चखा था. कई आंदोलन, धरना-प्रदर्शन आदि का नतीजा 1947 में मिला। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए हुए आंदोलन में से एक था सविनय अवज्ञा आंदोलन । • सविनय अवज्ञा आंदोलन की औपचारिक घोषणा 6 अप्रैल 1930 को गाँधी जी के नेतृत्व में हुई थी. आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाये गए कानून को तोड़ना और उनकी बात की अवहेलना करना था. • इस आंदोलन की शुरुवात गाँधी जी की दांडी यात्रा के साथ शुरू हुई थी, जहाँ गाँधी जी ने • अंग्रेज सरकार विदेश से आयात नमक को ही भारत में बेचना चाहती थी, ताकि उनकी आर्थिक व्यवस्था और मजबूत हो. लेकिन गाँधी जी समुद्र किनारे किसी भी भारतीय का नमक बनाना मौलिक अधिकार मानते थे, जिसके चलते गाँधी जी खुद गए और समुद्र किनारे जाकर नमक बनाया। • इसके साथ ही उन्होंने समूह में जाकर यह गैर क़ानूनी काम किया जहाँ से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुवात हो गई. सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण (Reasons of Civil Disobedience Movement) • दिसंबर 1929 को • • • 1929 में भारत देश की आर्थिक व्यवस्था भी ख़राब होती जा रही थी, मंदी को ध्यान में रखते हुए इस आंदोलन को लाने की योजना बनाई गई. • • देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए उनको परेशान करना जरुरी थी, अंग्रेजों के कानून को तोड़ सामूहिक रूप से शांति पूर्ण ढंग से गैर क़ानूनी काम करना, इससे अंग्रेज सरकार पूरी तरह हिल गई. सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत होने वाले कार्यक्रम (Programme of Civil Diso...

सविनय अवज्ञा आन्दोलन के क्या कारण थे ? उसके परिणामों पर प्रकाश डालिए।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन का अर्थ है–विनम्रतापूर्वक आज्ञा या कानून की अवमानना करना। मार्च, 1930 ई० में गांधी जी ने यह आन्दोलन चलाया। इस आन्दोलन में गुजरात में स्थित डाण्डी नामक स्थान से समुद्र तट तक उन्होंने पैदल यात्रा की, जिसमें हजारों नर-नारियों ने उनका साथ दिया। वहाँ उन्होंने स्वयं नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा। शीघ्र ही हजारों लोगों तथा राष्ट्रीय नेताओं को जेल में डाल दिया गया। सविनय अवज्ञा आन्दोलन निम्नलिखित परिस्थितियों में बाध्य होकर आरम्भ किया गया था – 1. अंग्रेजों द्वारा पारित नमक कानून के कारण भारत की निर्धन जनता पर बुरा प्रभाव पड़ा था; अत: उनमें अंग्रेजों के इस अन्यायपूर्ण कानून के विरुद्ध भारी रोष था। 2. साइमन कमीशने में भारतीयों को प्रतिनिधित्व न मिलने के कारण जनता में रोष व्याप्त था। 3. अंग्रेजों ने नेहरू रिपोर्ट के तहत भारतीयों को डोमिनियन स्तर देना अस्वीकार कर दिया था। 4. बारदोली के किसान-आन्दोलन’ की सफलता ने गांधी जी को अंग्रेजों के विरुद्ध आन्दोलन चलाने को प्रोत्साहित किया। आन्दोलनको प्रारम्भ ( सन् 1930-31 ई० ) –सविनय अवज्ञा आन्दोलन गांधी जी की डाण्डी-यात्रा से आरम्भ हुआ। उन्होंने 12 मार्च, 1930 ई० को पैदल यात्रा आरम्भ की और 6 अप्रैल, 1930 ई० को डाण्डी के निकट समुद्र तट पर पहुँचे। वहाँ उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाया और नमक कानून भंग किया। वहीं से यह आन्दोलन सारे देश में फैल गया। अनेक स्थानों पर लोगों ने सरकारी कानूनों का उल्लंघन किया। सरकार ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए दमन-चक्र आरम्भ कर दिया। गांधी जी सहित अनेक आन्दोलनकारियों को जेलों में बन्द कर दिया गया, परन्तु आन्दोलन की गति में कोई अन्तर न आया। इसी बीच गांधी जी और तत्कालीन वायसराय में एक समझौता हुआ। सम...

सविनय अवज्ञा आन्दोलन

विवरण शुरुआत उद्देश्य कुछ विशिष्ट प्रकार के ग़ैर-क़ानूनी कार्य सामूहिक रूप से करके ब्रिटिश सरकार को झुका देना था। प्रभाव ब्रिटिश सरकार ने आन्दोलन को दबाने के लिए सख़्त क़दम उठाये और अन्य जानकारी इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को यह दिखा दिया कि सविनय अवज्ञा आन्दोलन, इन्हें भी देखें: सविनय अवज्ञा आन्दोलन का कार्यक्रम सविनय अवज्ञा आन्दोलन के अंतर्गत चलाये जाने वाले कार्यक्रम निम्नलिखित थे- • नमक क़ानून का उल्लघंन कर स्वयं द्वारा नमक बनाया जाए। • सरकारी सेवाओं, शिक्षा केन्द्रों एवं उपाधियों का बहिष्कार किया जाए। • महिलाएँ स्वयं शराब, अफ़ीम एवं विदेशी कपड़े की दुकानों पर जाकर धरना दें। • समस्त विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए उन्हें जला दिया जाए। • कर अदायगी को रोका जाए। क़ानून तोड़ने की नीति क़ानूनों को जानबूझ कर तोड़ने की इस नीति का कार्यान्वयन औपचारिक रूप से उस समय हुआ, जब महात्मा गांधी ने अपने कुछ चुने हुए अनुयायियों के साथ गांधी जी की चिंता

सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930

आधुनिक भारत का इतिहास : सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 (Civil Disobedience Movement in Hindi) भारत को देश को अंग्रेजों से आजादी वैसे तो 1947 को मिली थी, लेकिन ये आजादी एक पल में नहीं मिली थी, हजारों लाखों लोगों की सालों की मेहनत और क़ुरबानी के बाद लोगों ने आजादी का स्वाद चखा था. कई आंदोलन, धरना-प्रदर्शन आदि का नतीजा 1947 में मिला। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए हुए आंदोलन में से एक था सविनय अवज्ञा आंदोलन । • सविनय अवज्ञा आंदोलन की औपचारिक घोषणा 6 अप्रैल 1930 को गाँधी जी के नेतृत्व में हुई थी. आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाये गए कानून को तोड़ना और उनकी बात की अवहेलना करना था. • इस आंदोलन की शुरुवात गाँधी जी की दांडी यात्रा के साथ शुरू हुई थी, जहाँ गाँधी जी ने • अंग्रेज सरकार विदेश से आयात नमक को ही भारत में बेचना चाहती थी, ताकि उनकी आर्थिक व्यवस्था और मजबूत हो. लेकिन गाँधी जी समुद्र किनारे किसी भी भारतीय का नमक बनाना मौलिक अधिकार मानते थे, जिसके चलते गाँधी जी खुद गए और समुद्र किनारे जाकर नमक बनाया। • इसके साथ ही उन्होंने समूह में जाकर यह गैर क़ानूनी काम किया जहाँ से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुवात हो गई. सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण (Reasons of Civil Disobedience Movement) • दिसंबर 1929 को • • • 1929 में भारत देश की आर्थिक व्यवस्था भी ख़राब होती जा रही थी, मंदी को ध्यान में रखते हुए इस आंदोलन को लाने की योजना बनाई गई. • • देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए उनको परेशान करना जरुरी थी, अंग्रेजों के कानून को तोड़ सामूहिक रूप से शांति पूर्ण ढंग से गैर क़ानूनी काम करना, इससे अंग्रेज सरकार पूरी तरह हिल गई. सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत होने वाले कार्यक्रम (Programme of Civil Diso...

सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाए जाने के मुख्य कारण क्या था?

असहयोग आन्दोलन के बाद लगभग 8 वर्ष तक देश के राजनीतिक जीवन में शिथिलता रही। काँग्रेस ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाया, केवल स्वराज्य पार्टी ने विधायिकाओं में पहुँचकर अपनी असहयोग नीति को कार्यान्वित किया और जब जहाँ अवसर मिला संविधान में गतिरोध उत्पन्न किया। इस बीच कुछ ऐसी परिस्थितियाँ बनीं जिसने एक जन आन्दोलन- सविनय अवज्ञा आन्दोलन को जन्म दिया जो 1930 से 1934 ई. तक चला। इस आन्दोलन में पहली बार बड़ी संख्या में भारतीयों ने भाग लिया जिसमें मजदूर और किसानों से लेकर उच्चवर्गीय लोग तक थे। (1) इन आन्दोलनकारियों की विशेषता थी कि सरकार के सारे अत्याचारों के बावजूद उन्होंने अहिंसा को नहीं त्यागा जिससे भारतीयों में आत्मबल की वृद्धि हुई । (2) इस आन्दोलन में कर बंदी का भी प्रावधान था। जिससे किसानों में राजनीतिक चेतना एवं अधिकारों की माँग के लिए संघर्ष करने की क्षमता का विकास हुआ । (3) इस आन्दोलन ने काँग्रेस की कमजोरियों को भी स्पष्ट कर दिया। (4) इस आन्दोलन के माध्यम से गाँधी जी ने एक सौम्य तथा निष्क्रिय राष्ट्र को शताब्दियों की निद्रा से जगा दिया था सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाए जाने के मुख्य कारणसविनय अवज्ञा आंदोलन चलाए जाने के मुख्य कारण थे। • साइमन कमीशन के बहिष्कार आंदोलन के दौरान जनता के उत्साह को देखकर यह लगने लगा अब एक आंदोलन आवश्यक है। • सरकार ने मोतीलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट अस्वीकार कर दी थी इससे असंतोष व्याप्त था। • चौरी-चौरा कांड (1922) को एकाएक रोकने से निराशा फैली थी, उस निराशा को दूर करने भी यह आंदोलन आवश्यक प्रतीत हो रहा था। • 1929 की आर्थिक मंदी भी एक कारण थी। • क्रांतिकारी आंदोलन को देखते हुए गांधीजी को डर था कि कहीं समस्त देश हिंसक आंदोलन की ओर न बढ़ जा...

सविनय अवज्ञा आन्दोलन के क्या कारण थे ? उसके परिणामों पर प्रकाश डालिए।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन का अर्थ है–विनम्रतापूर्वक आज्ञा या कानून की अवमानना करना। मार्च, 1930 ई० में गांधी जी ने यह आन्दोलन चलाया। इस आन्दोलन में गुजरात में स्थित डाण्डी नामक स्थान से समुद्र तट तक उन्होंने पैदल यात्रा की, जिसमें हजारों नर-नारियों ने उनका साथ दिया। वहाँ उन्होंने स्वयं नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा। शीघ्र ही हजारों लोगों तथा राष्ट्रीय नेताओं को जेल में डाल दिया गया। सविनय अवज्ञा आन्दोलन निम्नलिखित परिस्थितियों में बाध्य होकर आरम्भ किया गया था – 1. अंग्रेजों द्वारा पारित नमक कानून के कारण भारत की निर्धन जनता पर बुरा प्रभाव पड़ा था; अत: उनमें अंग्रेजों के इस अन्यायपूर्ण कानून के विरुद्ध भारी रोष था। 2. साइमन कमीशने में भारतीयों को प्रतिनिधित्व न मिलने के कारण जनता में रोष व्याप्त था। 3. अंग्रेजों ने नेहरू रिपोर्ट के तहत भारतीयों को डोमिनियन स्तर देना अस्वीकार कर दिया था। 4. बारदोली के किसान-आन्दोलन’ की सफलता ने गांधी जी को अंग्रेजों के विरुद्ध आन्दोलन चलाने को प्रोत्साहित किया। आन्दोलनको प्रारम्भ ( सन् 1930-31 ई० ) –सविनय अवज्ञा आन्दोलन गांधी जी की डाण्डी-यात्रा से आरम्भ हुआ। उन्होंने 12 मार्च, 1930 ई० को पैदल यात्रा आरम्भ की और 6 अप्रैल, 1930 ई० को डाण्डी के निकट समुद्र तट पर पहुँचे। वहाँ उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाया और नमक कानून भंग किया। वहीं से यह आन्दोलन सारे देश में फैल गया। अनेक स्थानों पर लोगों ने सरकारी कानूनों का उल्लंघन किया। सरकार ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए दमन-चक्र आरम्भ कर दिया। गांधी जी सहित अनेक आन्दोलनकारियों को जेलों में बन्द कर दिया गया, परन्तु आन्दोलन की गति में कोई अन्तर न आया। इसी बीच गांधी जी और तत्कालीन वायसराय में एक समझौता हुआ। सम...

सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व और कृतित्व पर निबंध

• • • • • सुभाष चन्द्र बोस पर निबंध 100 शब्दों में सुभाष चन्द्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रीय देशभक्त थे जिनका जन्म 1897 में 23 जनवरी को एक हिंदू कायस्थ परिवार में कटक में हुआ था। वह जानकीनाथ बोस (पिता) और प्रभाती देवी (मां) की संतान थे और वह अपने माता-पिता की चौदह संतानों में से नौवें भाई थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कटक से पूरी की लेकिन कलकत्ता में मैट्रिक की डिग्री और कलकत्ता विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री (1918 में) प्राप्त की। वह उच्च अध्ययन करने के लिए 1919 में इंग्लैंड गए, वह चित्तरंजन दास (एक बंगाली राजनीतिक प्रमुख) से बेहद प्रभावित थे और जल्द ही भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। उन्होंने स्वराज नामक समाचार पत्र के माध्यम से लोगों के सामने अपने विचार व्यक्त करना शुरू किया, उन्होंने ब्रिटिश शासन का विरोध किया और भारतीय राजनीति में रुचि ली। उनकी जीवंत भागीदारी के परिणामस्वरूप, उन्हें अखिल भारतीय युवा कांग्रेस अध्यक्ष और बंगाल राज्य कांग्रेस सचिव के रूप में चुना गया। इनकी मृत्यु 18 अगस्त 1945 को हुई। सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 200 शब्दों में सुभाष चंद्र बोस एक महान भारतीय राष्ट्रवादी थे। लोग आज भी उन्हें उनके देश के लिए प्यार से जानते हैं। इस सच्चे भारतीय व्यक्ति का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी। सुभाष चंद्र बोस निश्चित रूप से एक क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे । सुभाष चंद्र बोस की भागीदारी सविनय अवज्ञा आंदोलन के साथ हुई। इस तरह सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बने। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के सदस्य बने। साथ ही 1939 में वह पार्टी अध्यक्ष बने। अंग्रेजों ने सुभाष ...