स्वल्प का संधि विग्रह

  1. स्वाधीन का संधि विच्छेद क्या है ! Svaadheen ka sandhi vichchhed
  2. विग्रह
  3. सच्चरित्र में कौन सी संधि है? सच्चरित्र शब्द का संधि विच्छेद, सच्चरित्र में प्रयुक्त संधि का नाम
  4. [Solved] निम्न में कौन सा विग्र�
  5. संस्कृत: संधि परिभाषा,भेद और उदाहरण Sanskrit sandhi [Sanskrit Grammar]
  6. यण संधि
  7. स्वेच्छा का संधि विच्छेद
  8. [Solved] निम्न में कौन सा विग्र�
  9. स्वेच्छा का संधि विच्छेद


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स्वाधीन का संधि विच्छेद क्या है ! Svaadheen ka sandhi vichchhed

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संधि

अनुक्रम • 1 अ, आ • 2 उ, ऊ • 3 ए, ऐ • 4 ओ, औ, अं, अः • 5 क, ख • 6 ग, घ, ङ • 7 च, छ • 8 ज, झ, ञ • 9 ट, ठ • 10 ड, ढ, ण • 11 त, थ • 12 द, ध, न • 13 प, फ • 14 ब, भ, म • 15 य, र, ल, व • 16 श, ष, स, ह • 17 क्ष, त्र, ज्ञ • 18 इन्हें भी देखें अ, आ • अंतःकरण = अंतः + करण (विसर्ग-संधि) • अजंत = अच् + अंत (व्यंजन संधि) • अंनाश = अच् + नाश (व्यंजन संधि) • अधोगति = अधः + गति (विसर्ग-संधि) • अनुच्छेद = अनु + छेद (व्यंजन संधि) • अन्वय = अनु + अय (यण स्वर संधि) • अन्वेषण = अनु + एषण (यण स्वर संधि) • अब्ज = अप् + ज (व्यंजन संधि) • अभिषेक = अभि + सेक (व्यंजन संधि) • अम्मय = अप् + मय (व्यंजन संधि) • आच्छादन = आ + छादन (व्यंजन संधि) अत्रैव = अत्र + एव (वृद्दि संधि) • इत्यादि = इति + आदि (यण स्वर संधि) • अहीर = अहि + ईर (दीर्घ सन्धि) उ, ऊ • उच्चारण = उत् + चारण (व्यंजन संधि) • उच्छिष्ट = उत् + शिष्ट (व्यंजन संधि) • उज्झटिका = उत् + झटिका (व्यंजन संधि) • उड्डयन = उत् + डयन (व्यंजन संधि) • उद्धरण = उत् + हरण (व्यंजन संधि) • उद्धार = उत् + हार (व्यंजन संधि) • उन्नयन = उत् + नयन (व्यंजन संधि) • उल्लास = उत् + लास (व्यंजन संधि • उल्लेख = उत् + लेख (व्यंजन संधि) ए, ऐ • एकैक = एक + एक (वृद्धि स्वर संधि) ओ, औ, अं, अः क, ख • किंकर = किम् + कर (व्यंजन संधि) • किंचित = किम् + चित (व्यंजन संधि) ग, घ, ङ • गायक = गै + अक (अयादि स्वर संधि) • गिरीश = गिरि + ईश (दीर्घ स्वर सन्धि) च, छ • चतुष्पाद = चतुः + पाद (विसर्ग-संधि) ज, झ, ञ • जगदीश = जगत् + ईश (व्यंजन संधि) • जलोर्मि = जल + ऊर्मि (गुण स्वर सन्धि) ट, ठ ड, ढ, ण त, थ • तट्टीका = तत् + टीका (व्यंजन संधि) • तद्धित = तत् + हित (व्यंजन संधि) • तद्रूप = तत् + रूप...

विग्रह

चर्चित शब्द (विशेषण) जो किसी वस्तु, स्थान आदि के मध्य या बीच में स्थित हो। (संज्ञा) स्त्रियों का गहने, कपड़े आदि से अपने आपको सजाने की क्रिया। (संज्ञा) राजा जनक की पुत्री तथा राम की पत्नी। (संज्ञा) शिक्षा संबंधी योग्यता। (विशेषण) अच्छे चरित्रवाली। (विशेषण) धोखा देने के लिए किसी प्रकार की झूठी कार्रवाई करने वाला। (विशेषण) कहीं-कहीं पर होने वाला। (संज्ञा) सेना का प्रधान और सबसे बड़ा अधिकारी। (संज्ञा) वह रोग जिसमें भोजन नहीं पचता। (विशेषण) जो प्रशंसा के योग्य हो।

सच्चरित्र में कौन सी संधि है? सच्चरित्र शब्द का संधि विच्छेद, सच्चरित्र में प्रयुक्त संधि का नाम

Advertisement विद्यार्थियों के लिए व्यंजन संधि के बारे में संक्षेप में जानकारी इस प्रकार है:-व्यंजन संधि के अनेक भेद एवं प्रकार हैं। यहाँ पर हमने व्यंजन संधि के सच्चरित्र से संबन्धित भेद को समझाया है। विद्यार्थी व्यंजन संधि को गहराई से समझने के लिए नीचे दिये गए लिंक लिंक पर जाएँ और व्यंजन संधि के सभी 10 नियमों का विस्तार से अध्ययन कर सकते हैं। व्यंजन संधि की परिभाषा व्यंजन तथा व्यंजन या स्वर के मेल से जो विकार (परिवर्तन) उत्पन्न होता है उसे व्यंजन संधि कहते हैं अर्थात् शब्दों या शब्दांशों के मिलने से नया शब्द बनने पर पहले शब्द के आखिरी और दूसरे शब्द के प्रथम वर्णों में होने वाले परिवर्तन को संधि कहते हैं। यदि दन्त्य स् या त् वर्ग से पहले या बाद में तालव्य ‘श’ या च वर्ग का कोई एक वर्ण आये तो दन्त्य ‘स’ का तालव्य ‘श’ में और त् वर्ग को च् वर्ग में बदल देते हैं। Advertisement व्यंजन संधि के उदाहरण :- सत् + चरित्र = सच्चरित्र शरद् + चन्द्र = शरच्चन्द्र उत् + च = उच्च विद्युत् + चालक = विद्युच्चालक विभिन्न परीक्षाओं में सच्चरित्र में कौन सी संधि है आदि प्रश्न कई प्रकार से पूछे जाते हैं।जैसे कि :- सच्चरित्र शब्द में कौन सी संधि है? सच्चरित्र का संधि विग्रह? सच्चरित्र में कौन सी संधि है? सच्चरित्र का संधि भेद कीजिये? सच्चरित्र संधि का नाम बताइये? सच्चरित्र का संधि विच्छेद? Related Posts: • सच्चेष्टा में कौन सी संधि है? सच्चेष्टा शब्द का संधि… • उच्च में कौन सी संधि है? उच्च शब्द का संधि विच्छेद, उच्च में… • सच्चित में कौन सी संधि है? सच्चित शब्द का संधि विच्छेद,… • तच्च में कौन सी संधि है? तच्च शब्द का संधि विच्छेद, तच्च में… • जगच्चक्र में कौन सी संधि है? जगच्चक्र शब्द का संधि वि...

[Solved] निम्न में कौन सा विग्र�

दिए गए विकल्पों के अनुसार वृद्धि संधि का विग्रह सु + अल्प है इसमें वृद्धि संधि है l अन्य विकल्प असंगत है । अतः सु + अल्प विकल्प सही उत्तर है l स्पष्टीकरण : • वृद्धि संधि का विग्रह स्वल्प का संधि - विच्छेद विकल्प सु + अल्प है इसमें वृद्धि संधि है l • ध्वनि के मेल से होने वाले विकार को संधि कहते है। संधि परिभाषा उदाहरण वृद्धि संधि अ , आ का मेल ए , ऐ के साथ होने पर ' ऐ ' तथा ओ , औ के साथ होने पर ' औ ' में परिवर्तित हो जाता है। जैसे – एक + एक ( अ + ए ) = एकैक , परम + ओजस्वी ( अ + ओ ) = परमौजस्वी। विशेष : संधि स्वर संधि स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है। जैसे – विद्या + अर्थी = विद्यार्थी , महा + ईश = महेश। व्यंजन संधि एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है। जैसे - अहम् + कार = अहंकार , उत् + लास = उल्लास। विसर्ग संधि विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार उत्पन्न होता है। जैसे – दुः + आत्मा = दुरात्मा , निः + कपट = निष्कपट।

संस्कृत: संधि परिभाषा,भेद और उदाहरण Sanskrit sandhi [Sanskrit Grammar]

व्यंजन सन्धि जब व्यञ्जन के सामने कोई व्यंजन अथवा स्वर आता है तब 'हल्' (व्यंजन) सन्धि होती है। व्यंजन संधि (हल् सन्धि) भी कहा जाता है व्यंजन सन्धि के नियम नियम (1) शचुत्व संधि (श्तोश्चुनाश्चु) यदि स् अथवा त वर्ग (त, थ, द, ध, न) के बाद या पहले श् अथवाच वर्ग (च, छ, ज, झ, अ) हो तो स् को श् तथा त वर्ग के अक्षरों का क्रमशः च वर्गीय अक्षर हो जाता है। व्यंजन सन्धि के उदाहरण सत् + चरित्रः = सच्चरित्रः सत् + चित् = सच्चित् रामस् + चिनोति = रामश्चिनोति उत् + चारणम् = उच्चारणम् महान् + जयः = महाजय यज् + नः = यज्ञ (ज ञ झ) निस् + शब्द = निश्शब्द नियम (2) ष्टुत्व सन्धि (ष्ट्र नाष्टुः)- यदि स् अथवा त वर्ग (त, थ, द, ध, न) के बाद या पहले ष् अथवा ट वर्ग (ट, ठ, ड, ण) के अक्षर आवे तो स् का ष् त वर्ग , ट वर्ग में बदल जाता है व्यंजन सन्धि के उदाहरण धनुष + टंकार – धनुष्टंकार उद् + डयनम् = उड्डयनम् तत् + टीका– तट्टीका सत् + टीका– सट्टीका षष् + थः = षष्ट पेष् + ता= पेष्टा नियम (3) जस्तव सन्धि- श्पादान्त (झलां जशझशि)--यदि किसी भी वर्ग के प्रथम, द्वितीय अथवा चतुर्थ अक्षर के पश्चात् किसी भी वर्ग का तृतीय अक्षर हो जाता है। प्रथम भाग-यदि वर्गों के पथम अक्षर (क, च, ट, त, प) के बाद घाव य, र, ल, व्, ह्) को छोड़कर कोई भी स्वर या व्यंजन वर्ण आता है तो वह प्रथम अका त. प) अपने वर्ग का तीसरा अक्षर (ग. ज. ड, द, ब) हो जाता हो दिक् + गजः = (क् का तीसरा अक्षर ग् होने पर) दिग्गजः वाक् + दानम् = (क् का तीसरा अक्षर ग् होने पर) वाग्दानम् वाक् + ईशः = (क् का तीसरा अक्षर 'ग्' होने पर) वागीशः अच् + अन्तः = (च का तीसरा अक्षर ज् होने पर) अजन्तः षट् + आननः = (ट् का तीसरा अक्षर ड् होने पर) षडाननः द्वितीय भाग-यदि पद के मध्य मे...

यण संधि

यण/यण् संधि अथवा यण स्वर संधि इको यणचि: यदि प्रथम शब्द के अन्त में इ, ई, उ, ऊ, ऋ हो और द्वितीय शब्द के प्रारम्भ में कोई असमान यानी इनसे भिन्न स्वर हो तो इ या ई का य्, उ या ऊ का व्, ऋ का र् हो जाता है। इस नियम से बने संधि को यण् अथवा यण संधि कहते हैं। जैसे- इ+अ = य, इ+आ = या, ई+अ = य, इ+उ = यु, इ+ऊ = यू, इ+ए = ये, इ+अं = यं, ई+उ = यु, ई+ऊ = यू, ई+ऐ = यै, ई+ओ = यो, ई+औ = यौ, ई+अं = यं, उ+अ = व, उ+आ = वा, ऋ+अ = र। उदहारण :- • यदि+अपि = यद्यपि (इ+अ = य) • परि+आप्त = पर्याप्त (इ+आ = या) • गोपी+अर्थ = गोप्यर्थ (ई+अ = य) • उपरि+उक्ति = उपर्युक्त (इ+उ = यु) • नि+ऊन = न्यून (इ+ऊ = यू) • प्रति+एक = प्रत्येक (इ+ए = ये) • अति+अन्त= अत्यन्त (इ+अं = यं) • देवी+उक्ति =देव्युक्ति (ई+उ = यु) • नदी+ऊर्मी = नद्यूर्मी (ई+ऊ = यू) • देवी+ऐश्वर्य = देव्यैश्वर्य (ई+ऐ = यै ) • देवी+ओज = देव्योज (ई+ओ = यो) • देवी+औदार्य = देव्यौदार्य (ई+औ =यौ) • देवी+अंग = देव्यंग (ई+अं = यं) • अनु+अय = अन्वय (उ+अ = व) • सु+आगत = स्वागत (उ+आ = वा) • पितृ+अंश = पित्रंश (ऋ+अ = र) • पितृ+आदेश = पित्रादेश (ऋ+आ = रा) ‘ ‘सन्धि’ शब्द की व्युत्पत्ति- सम् उपसर्ग पूर्वक ‘धा’ धातु (डुधाञ् धारणपोषणयोः) में ‘कि’ प्रत्यय लगकर ‘सन्धि’ शब्द निष्पन्न होता है, जिसका तात्पर्य होता है संधानं सन्धिः अर्थात् मेल, जोड़, संयोग आदि। व्याकरण के अनुसार ‘वर्णानां परस्परं विकृतिमत् संधानं सन्धिः’ अर्थात् दो वर्णाक्षरों के मेल से उत्पन्न हुए विकार को ‘सन्धि’ कहते हैं। जैसे- सेवा+अर्थ = सेवार्थ। यहाँ ‘सेवार्थ’ में सेवा और अर्थ ये दो शब्द हैं जिसमें सेवा का अन्तिम अक्षर ‘आ’ है और अर्थ का प्रथम शब्द ‘अ’ है। आ और अ ये दो वर्ण नियमतः आपस में मिलकर ‘आ...

स्वेच्छा का संधि विच्छेद

स्वेच्छा का संधि विच्छेद | Sandhi Vichchhed of Swechchha संधि का नाम संधि विच्छेद स्वेच्छा स्व+इच्छा Swechchhā Swa+Ichchhā स्वेच्छा में कौन-सी संधि है ? गुण संधि Type of Sandhi Guna Sandhi संधि बनाने के नियम संधि-नियम जैसे– अ+अ = आ, अ+आ = आ, आ+अ = आ, इ+इ = ई, इ+ई = ई, ई+इ = ई, ई+ई = ई, उ+उ =ऊ, उ+ऊ = ऊ, ऊ+उ = ऊ। अ+इ = ए, अ+ई = ए, आ+इ = ए, आ+ई = ए, अ+उ = ओ, अ+ऊ = ओ, आ+उ = औ, आ+ऊ = औ, अ+ऋ = अर्, आ+ऋ = अर् इ+अ = य, इ+आ = या, ई+अ = य, इ+उ = यु, इ+ऊ = यू, इ+ए = ये, इ+अं = यं, ई+उ = यु, ई+ऊ = यू, ई+ऐ = यै, ई+ओ = यो, ई+औ = यौ, ई+अं = यं, उ+अ = व, उ+आ = वा, ऋ+अ = र। अ+ए = ऐ, आ+ए = ऐ, अ+ऐ = ऐ, आ+ऐ = ऐ, अ+ओ = औ, अ+औ = औ, आ+ओ = औ, आ+औ = औ। (:) विसर्ग के पहले यदि ‘अ’ रहे और उसके बाद य, र , ल, व या ह रहे या फिर किसी भी वर्ग का तृतीय, चतुर्थ, या पंचम वर्ण आए तो विसर्ग का ‘उ’ हो जाता है फिर यही उ पूर्ववर्ती ‘अ’ से मिलकर गुणसंधि के माध्यम से ”ओ’ हो जाता है| इसे भी जानें ‘सन्धि’ शब्द की व्युत्पत्ति(निर्वचन) ‘सन्धि’ शब्द की व्युत्पत्ति- सम् उपसर्ग पूर्वक ‘धा’ धातु (डुधाञ् धारणपोषणयोः) में ‘कि’ प्रत्यय लगकर ‘सन्धि’ शब्द निष्पन्न होता है, जिसका तात्पर्य होता है संधानं सन्धिः अर्थात् मेल, जोड़, संयोग आदि। व्याकरण के अनुसार ‘वर्णानां परस्परं विकृतिमत् संधानं सन्धिः’ अर्थात् दो वर्णाक्षरों के मेल से उत्पन्न हुए विकार को ‘सन्धि’ कहते हैं। जैसे- सेवा+अर्थ = सेवार्थ। यहाँ ‘सेवार्थ’ में सेवा और अर्थ ये दो शब्द हैं जिसमें सेवा का अन्तिम अक्षर ‘आ’ है और अर्थ का प्रथम शब्द ‘अ’ है। आ और अ ये दो वर्ण नियमतः आपस में मिलकर ‘आ’ बन जाता है। आ और अ वर्ण मिलकर बना ‘आ’ ही विकार कहलाता है। जैसे रमा+ईश = रमेश। यहाँ...

[Solved] निम्न में कौन सा विग्र�

दिए गए विकल्पों के अनुसार वृद्धि संधि का विग्रह सु + अल्प है इसमें वृद्धि संधि है l अन्य विकल्प असंगत है । अतः सु + अल्प विकल्प सही उत्तर है l स्पष्टीकरण : • वृद्धि संधि का विग्रह स्वल्प का संधि - विच्छेद विकल्प सु + अल्प है इसमें वृद्धि संधि है l • ध्वनि के मेल से होने वाले विकार को संधि कहते है। संधि परिभाषा उदाहरण वृद्धि संधि अ , आ का मेल ए , ऐ के साथ होने पर ' ऐ ' तथा ओ , औ के साथ होने पर ' औ ' में परिवर्तित हो जाता है। जैसे – एक + एक ( अ + ए ) = एकैक , परम + ओजस्वी ( अ + ओ ) = परमौजस्वी। विशेष : संधि स्वर संधि स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है। जैसे – विद्या + अर्थी = विद्यार्थी , महा + ईश = महेश। व्यंजन संधि एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है। जैसे - अहम् + कार = अहंकार , उत् + लास = उल्लास। विसर्ग संधि विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार उत्पन्न होता है। जैसे – दुः + आत्मा = दुरात्मा , निः + कपट = निष्कपट।

स्वेच्छा का संधि विच्छेद

स्वेच्छा का संधि विच्छेद | Sandhi Vichchhed of Swechchha संधि का नाम संधि विच्छेद स्वेच्छा स्व+इच्छा Swechchhā Swa+Ichchhā स्वेच्छा में कौन-सी संधि है ? गुण संधि Type of Sandhi Guna Sandhi संधि बनाने के नियम संधि-नियम जैसे– अ+अ = आ, अ+आ = आ, आ+अ = आ, इ+इ = ई, इ+ई = ई, ई+इ = ई, ई+ई = ई, उ+उ =ऊ, उ+ऊ = ऊ, ऊ+उ = ऊ। अ+इ = ए, अ+ई = ए, आ+इ = ए, आ+ई = ए, अ+उ = ओ, अ+ऊ = ओ, आ+उ = औ, आ+ऊ = औ, अ+ऋ = अर्, आ+ऋ = अर् इ+अ = य, इ+आ = या, ई+अ = य, इ+उ = यु, इ+ऊ = यू, इ+ए = ये, इ+अं = यं, ई+उ = यु, ई+ऊ = यू, ई+ऐ = यै, ई+ओ = यो, ई+औ = यौ, ई+अं = यं, उ+अ = व, उ+आ = वा, ऋ+अ = र। अ+ए = ऐ, आ+ए = ऐ, अ+ऐ = ऐ, आ+ऐ = ऐ, अ+ओ = औ, अ+औ = औ, आ+ओ = औ, आ+औ = औ। (:) विसर्ग के पहले यदि ‘अ’ रहे और उसके बाद य, र , ल, व या ह रहे या फिर किसी भी वर्ग का तृतीय, चतुर्थ, या पंचम वर्ण आए तो विसर्ग का ‘उ’ हो जाता है फिर यही उ पूर्ववर्ती ‘अ’ से मिलकर गुणसंधि के माध्यम से ”ओ’ हो जाता है| इसे भी जानें ‘सन्धि’ शब्द की व्युत्पत्ति(निर्वचन) ‘सन्धि’ शब्द की व्युत्पत्ति- सम् उपसर्ग पूर्वक ‘धा’ धातु (डुधाञ् धारणपोषणयोः) में ‘कि’ प्रत्यय लगकर ‘सन्धि’ शब्द निष्पन्न होता है, जिसका तात्पर्य होता है संधानं सन्धिः अर्थात् मेल, जोड़, संयोग आदि। व्याकरण के अनुसार ‘वर्णानां परस्परं विकृतिमत् संधानं सन्धिः’ अर्थात् दो वर्णाक्षरों के मेल से उत्पन्न हुए विकार को ‘सन्धि’ कहते हैं। जैसे- सेवा+अर्थ = सेवार्थ। यहाँ ‘सेवार्थ’ में सेवा और अर्थ ये दो शब्द हैं जिसमें सेवा का अन्तिम अक्षर ‘आ’ है और अर्थ का प्रथम शब्द ‘अ’ है। आ और अ ये दो वर्ण नियमतः आपस में मिलकर ‘आ’ बन जाता है। आ और अ वर्ण मिलकर बना ‘आ’ ही विकार कहलाता है। जैसे रमा+ईश = रमेश। यहाँ...