स्वतंत्रता के समय देश में कौन सी समस्याएं थी

  1. स्वतंत्रता के समय भारत के सामने कौन सी चुनौतियाँ थीं?
  2. स्वतंत्रता प्राप्ति के समय उद्योगों की क्या अवस्था थी?
  3. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के सामने क्या क्या समस्याएं थी? – ElegantAnswer.com
  4. स्वतंत्रता के बाद भारत के प्रमुख चुनौती कौन सी थी?
  5. स्वतंत्रता के समय भारत के समक्ष कौन कौन सी चुनौतियां थी?
  6. स्वतंत्रता के समय भारत के समक्ष क्या चुनौती थी? » Swatatrata Ke Samay Bharat Ke Samaksh Kya Chunauti Thi
  7. स्वतंत्रता के समय भारत में कौन सी समस्या थी?
  8. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में कौन


Download: स्वतंत्रता के समय देश में कौन सी समस्याएं थी
Size: 14.37 MB

स्वतंत्रता के समय भारत के सामने कौन सी चुनौतियाँ थीं?

विषयसूची Show • • • • Hello दोस्तों ज्ञानोदय में आपका स्वागत है । आज हम बात करते हैं, आजाद भारत की चुनौतियों के बारे में । यानी Challenges in Independent India. जब हमारा भारत आजाद हुआ था तो आजाद भारत के सामने कौन-कौन सी चुनौतियां थी ? आपको याद होगा सन 1757 में भारत को गुलाम बनाया गया था और 1947 में भारत को आजादी मिली थी । 190 साल बाद लगभग 200 साल की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली थी । पंडित जवाहरलाल नेहरू को आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री चुना गया था । हिंदुस्तान के नागरिक इस पल का बेसब्री के साथ इंतजार कर रहे थे । इस Topic की Video के लिए यहाँ Click करें । देश को आजादी मिली लेकिन बंटवारे का भी सामना करना पड़ा । बंटवारे की घोषणा होते ही दोनों तरफ अल्पसंख्यकों पर हमले शुरू हो गए । बहन, बेटियों की इज्जत लूटी गई । उन लोगों को मारा जाने लगा । बहुत सारे लोगों ने अपने घर की इज्जत बचाने के लिए अपनी बहू बेटियों को अपने हाथों से मार दिया । यह बंटवारा बहुत ही खतरनाक था । बंटवारे के दौरान जो लोग घर नहीं छोड़ना चाहते थे, उन्हें भी मजबूरी में अपना घर छोड़ना पड़ा । इसी तरह देश को आजादी मिली थी । आज़ादी के बाद की चुनौतियाँ आजादी के तुरंत बाद देश के सामने तीन बड़ी-बड़ी समस्याएं थी । जिसमें पहली चुनौती थी विकास की आजादी के बाद भारत में विकास करना बहुत बड़ी चुनौती थी । क्योंकि अंग्रेजी शासन के दौरान भारत की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी थी । अंग्रेज भारत से कच्चा माल ले जाते थे और तैयार माल लाकर यहां पर बेचते थे । जिससे हमारा भारत बहुत गरीब हो गया था । जब हमारा देश आजाद हुआ था तो आजादी के बाद विकास करने के 2 मॉडल मशहूर थे । 1 अमेरिका का पूंजीवादी मॉडल और 2 सोवियत संघ का...

स्वतंत्रता प्राप्ति के समय उद्योगों की क्या अवस्था थी?

दीर्घकालीन औपनिवेशिक शासन के फलस्वरूप भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद एक ऐसी अर्थव्यवस्था विरासत में मिली, जिसमें सीमित उद्योगीकरण, निम्न कृषि उत्पादन, अल्प प्रति व्यक्ति आय तथा मंद आर्थिक विकास गति जैसी नकारात्मक विशेषताएं मौजूद थी। अशिक्षा, संकीर्णता तथा सामाजिक असमानता इसके अन्य प्रमुख तत्व थे। विषयसूची Show • • • • स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद राजनितिक नेतृत्व द्वारा परिस्थितियों एवं जनाकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए विकास के चार लक्ष्य घोषित किये गये, ये थे- • आयात और विदेशी सहायता पर भारत की निर्भरता को कम करना • पूंजी निर्माण एवं संसाधनों का प्रसार करना • सामाजिक एवं क्षेत्रीय असमानताओं का उन्मूलन करना, तथा • जनसामान्य हेतु पर्याप्त एवं न्यूनतम जीवन स्तर की उपलब्धि करना| उपर्युक्त लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु राजनीतिक नेतृत्व के पास दो विचारधाराओं- पूंजीवादी और साम्यवादी पर आधारित शासन प्रणालियों को अपनाने के विकल्प मौजूद थे, किंतु पूंजीवादी व्यवस्था में व्याप्त असमानता तथा साम्यवादी शासन की निरंकुशता ने भारतीय नेतृत्व को तीसरे रास्ते का चुनाव करने को प्रेरित किया। जवाहरलाल नेहरू के प्रभाव के अंतर्गत लोकतांत्रिक व्यवस्था में आर्थिक नियोजन को लागू करने के नये प्रयोग को अपनाने का निर्णय किया गया, जिसमें विकास और समता के उद्देश्यों को शांतिपूर्ण तरीके से प्राप्त किया जाना था। [divide] नियोजन सम्बंधी प्रारंभिक प्रयास कांग्रेस ने 1938 में राष्ट्रीय योजना समिति का गठन किया, जिसके अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू थे। समिति द्वारा तैयार कई रिपोर्टों में मूलभूत उद्योगों के सार्वजानिक स्वामित्व, बड़े और लघु उग्योगों के मध्य समन्वय, क्षतिपूर्ति देकर जमीदारी प्रथा के उन्मूलन, नियोजन में क...

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के सामने क्या क्या समस्याएं थी? – ElegantAnswer.com

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के सामने क्या क्या समस्याएं थी? विभाजन और शरणार्थियों की समस्याएं भारत में विभाजन के समय हिंदू और मुसलमान में भयंकर सांप्रदायिक दंगे हुए तथा इन दंगों के प्रभाव में आकर लाखों लोगों की मृत्यु हुई । • एकता और अखंडता की समस्या • पाकिस्तानी प्रचार और भारतीय मुस्लिम समाज • विदेशी राजनीतिक व्यवस्था की समस्याएं व्यक्ति को स्वतंत्रता क्यों चाहिए? इसे सुनेंरोकेंइस अर्थ में स्वतंत्रता व्यक्ति की रचनाशीलता, संवेदनशीलता और क्षमताओं के भरपूर विकास को बढावा देती है। यह विकास खेल, विज्ञान, कला, संगीत या अन्वेषण जैसे किसी भी क्षेत्र में हो सकता है। व्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध प्रभुत्व और बाहरी नियंत्रण से लग सकते हैं। स्वतंत्रता के बाद भारत के सामने प्रमुख चुनौतियां कौन सी थी? इसे सुनेंरोकेंस्वतंत्रता के बाद भारत के सामने प्रमुख चुनौती: राष्ट्र ने धार्मिक हिंसा, जातिवाद, नक्सलवाद, आतंकवाद और क्षेत्रीय अलगाववादी विद्रोहों का सामना किया है। भारत के चीन के साथ अनसुलझे क्षेत्रीय विवाद हैं जो 1962 में चीन-भारतीय युद्ध में बदल गए, और पाकिस्तान के साथ जिसके परिणामस्वरूप 1947, 1965, 1971 और 1999 में युद्ध हुए। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में कौन कौन सी तत्कालीन समस्याएं थी? 1 Answer • स्वतन्त्रता मिलने के बाद भारत को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ा • शरणार्थियों की समस्या • औद्योगिक समस्या • देशी राज्यों की समस्या • खाद्यान्न की समस्या • परिवहन व्यवस्था का तहस • समाधान भारतीय लोकतंत्र की प्रमुख 2 चुनौतियों कौन कौन सी है? इसे सुनेंरोकेंइसमें लोकतांत्रिक संस्थाओं की कार्य पद्धति को सुधारना तथा मजबूत करना है ताकि लोगों की भागीदारी और नियंत्रण में वृद्ध...

स्वतंत्रता के बाद भारत के प्रमुख चुनौती कौन सी थी?

विषयसूची Show • • • • • • • • • • • प्रश्न : ‘‘नेताओं का दृष्टिकोण एवं उनके निर्णय ही किसी राष्ट्र के भाग्य का फैसला करते हैं।’’ इस कथन के आलोक में, भारत को एकजुट करने और इसे एक लोकतांत्रिक स्वरूप प्रदान करने में पंडित नेहरू तथा सरदार पटेल की भूमिका का विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द) 30 Oct, 2019 रिवीज़न टेस्ट्स इतिहास उत्तर : प्रश्न विच्छेद • भारत के एकीकरण व इसे लोकतांत्रिक स्वरूप प्रदान करने में नेहरू व पटेल की भूमिका को बताना है। हल करने का दृष्टिकोण • कथन के अनुसार उत्तर प्रारंभ करें। • भारत को एकजुट करने में नेहरू व पटेल की भूमिका को बताएँ। • इसे लोकतांत्रिक स्वरूप प्रदान करने में भूमिका को स्पष्ट करें। • प्रभावी निष्कर्ष लिखें। स्वतंत्रता उपरांत भारत के समक्ष कई चुनौतियाँ विद्यमान थीं, जिनमें तीन प्रमुख चुनौतियाँ थीं- देश का एकीकरण, लोकतांत्रिक व्यवस्था को कायम करना और समावेशी विकास। इनमें देश के एकीकरण को प्राथमिकता प्रदान की गई लेकिन समस्या यह थी कि देश में विद्यमान देशी रियासतों का एकीकरण कैसे किया जाए? उस समय कुल रजवाड़ों की संख्या 565 थी और इनमें से कुछ भारत संघ में शामिल होना नहीं चाहते थे। • उपरोक्त चुनौतियों को देखते हुए नेहरू द्वारा रजवाड़ों को भारत संघ में मिलाने की ज़िम्मेदारी सरदार पटेल को दी गई। पटेल ने महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हुए उन सभी रजवाड़ों, जिनकी सीमाएँ आज़ाद हिन्दुस्तान से मिलती थीं, को शांतिपूर्ण बातचीत के ज़रिये भारत संघ में शामिल कर लिया। किंतु जूनागढ़, हैदराबाद, कश्मीर और मणिपुर की रियासतों को भारत में शामिल करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। पटेल द्वारा रणनीतिक कौशल का परिचय देते हुए हैदराबाद को सैन्य कार्रवाई, जूनागढ़ को जनमत संग्रह त...

स्वतंत्रता के समय भारत के समक्ष कौन कौन सी चुनौतियां थी?

विषयसूची Show • • • • • • • • • 1 स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के सामने क्या क्या समस्याएं थी? • 2 स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में कौन कौन सी तत्कालीन समस्याएं थी? • 3 स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरंत बाद देश को कुल कितने चुनौतियों का सामना करना पड़ा था? • 4 स्वतंत्र भारत के समक्ष कौन कौन सी समस्याएं थी? • 5 स्वतंत्रता के समय देश में कौन समस्या थी? स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के सामने क्या क्या समस्याएं थी? विभाजन और शरणार्थियों की समस्याएं भारत में विभाजन के समय हिंदू और मुसलमान में भयंकर सांप्रदायिक दंगे हुए तथा इन दंगों के प्रभाव में आकर लाखों लोगों की मृत्यु हुई । • एकता और अखंडता की समस्या • पाकिस्तानी प्रचार और भारतीय मुस्लिम समाज • विदेशी राजनीतिक व्यवस्था की समस्याएं व्यक्ति को स्वतंत्रता क्यों चाहिए? इसे सुनेंरोकेंइस अर्थ में स्वतंत्रता व्यक्ति की रचनाशीलता, संवेदनशीलता और क्षमताओं के भरपूर विकास को बढावा देती है। यह विकास खेल, विज्ञान, कला, संगीत या अन्वेषण जैसे किसी भी क्षेत्र में हो सकता है। व्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध प्रभुत्व और बाहरी नियंत्रण से लग सकते हैं। स्वतंत्रता के बाद भारत के सामने प्रमुख चुनौतियां कौन सी थी? इसे सुनेंरोकेंस्वतंत्रता के बाद भारत के सामने प्रमुख चुनौती: राष्ट्र ने धार्मिक हिंसा, जातिवाद, नक्सलवाद, आतंकवाद और क्षेत्रीय अलगाववादी विद्रोहों का सामना किया है। भारत के चीन के साथ अनसुलझे क्षेत्रीय विवाद हैं जो 1962 में चीन-भारतीय युद्ध में बदल गए, और पाकिस्तान के साथ जिसके परिणामस्वरूप 1947, 1965, 1971 और 1999 में युद्ध हुए। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में कौन कौन सी तत्कालीन समस्याएं थी? 1 Answer • स्वतन्त्रता मिलने के बाद...

स्वतंत्रता के समय भारत के समक्ष क्या चुनौती थी? » Swatatrata Ke Samay Bharat Ke Samaksh Kya Chunauti Thi

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। हिंदुस्तान सन 1947 में जिन हालात के बीच आजाद हुआ था शायद उस समय कोई भी मुल्क वैसे हालात में आजाद नहीं हुआ था मुख्य तौर पर भारत के सामने 3 तरह की चुनौतियां थी पहली और तत्कालीन चुनौतियां एक सूत्र में गढ़ने की थी दूसरी चुनौतियां थी कि लोकतंत्र को कायम करने की थी तीसरी चुनौतियों में सबसे खास के ऐसे विकास की जाए जिससे समूचे समाज का भला हो ना कि कुछ तबकों का आजादी के तुरंत बाद राष्ट्र निर्माण की चुनौतियां सबसे प्रमुख थी Hindustan san 1947 mein jin haalaat ke beech azad hua tha shayad us samay koi bhi mulk waise haalaat mein azad nahi hua tha mukhya taur par bharat ke saamne 3 tarah ki chunautiyaan thi pehli aur tatkalin chunautiyaan ek sutra mein gadhane ki thi dusri chunautiyaan thi ki loktantra ko kayam karne ki thi teesri chunautiyon mein sabse khas ke aise vikas ki jaaye jisse samuche samaj ka bhala ho na ki kuch tabkon ka azadi ke turant baad rashtra nirmaan ki chunautiyaan sabse pramukh thi हिंदुस्तान सन 1947 में जिन हालात के बीच आजाद हुआ था शायद उस समय कोई भी मुल्क वैसे हालात मे

स्वतंत्रता के समय भारत में कौन सी समस्या थी?

विषयसूची Show • • • • Hello दोस्तों ज्ञानउदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान में उन समस्याओं के बारे में जो भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात उतपन्न हुई । स्वतंत्रता के बाद भारत में बहुत सारी समस्याएं पैदा हुई । जैसे राजनीतिक समस्याएं जिसमें विभाजन की समस्या और शरणार्थी की समस्या एकता और अखंडता की समस्या, रियासतों की समस्या, कश्मीर की समस्या आदि । इसके अलावा बहुत सारी सामाजिक और आर्थिक समस्याएं शामिल है । आइए इनको विस्तार से जानते हैं । स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले भारत की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था अंग्रेजी शासन से अत्यधिक प्रभावित थी । बहुत सारे आंदोलनों, संघर्षों और विवादों के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली और इसके साथ ही भारत का बंटवारा भी हुआ । स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत लंबे समय तक अंग्रेजों के गुलाम रहने के कारण अनेक समस्याओं से ग्रसित हो गया था । इन सभी समस्याओं का उदय वास्तव में अंग्रेजी शासन काल में हुआ था । लेकिन अंग्रेजी सरकार इन समस्याओं के प्रति उदासीन थी । जिसके कारण यह समस्याएं लगातार बढ़ती रही और आजादी के बाद यह समस्याएं भयंकर रूप में प्रकट हुई । इनमें से प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं- A) राजनीतिक समस्याएं सबसे पहले हम बात करेंगे, राजनीतिक समस्याओं की क्योंकि स्वतंत्रता के बाद भारत में राजनीतिक दृष्टिकोण से सबकुछ बिखरा हुआ था । एक नए सिरे से भारत में सरकार का गठन करना था और पूरे देश में अव्यवस्था को व्यवस्थित करना और कुशल रूप से संचालित करना था । राजनीतिक समस्याएं निम्न प्रकार है । 1) विभाजन और शरणार्थियों की समस्याएं भारत में विभाजन के समय हिंदू और मुसलमान में भयंकर सांप्रदायिक दंगे हुए तथा...

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में कौन

स्वतन्त्रता मिलने के बाद भारत को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ा शरणार्थियों की समस्या शरणार्थी लाखों की संख्या में पाकिस्तान के भिन्न-भिन्न इलाकों से आए। उनकी सहायता तथा रोजगार देने की कठिन समस्या भारत के सामने थी। औद्योगिक समस्या देश के विभाजन से पहले भारत का जूट तथा वस्त्र उद्योग बहुत उन्नत था परन्तु विभाजन के बाद जूट और कपास पैदा करने वाले क्षेत्र पाकिस्तान चले गए और अर्थव्यवस्था असन्तुलित हो गई थी। उद्योगों के लिए कच्चे माल का अभाव हो गया। कपास और पटसन के कारखाने तो भारत में थे परन्तु कच्चे माल का उत्पादन करने वाले अधिकांश क्षेत्र पाकिस्तान में थे। अत: बहुत से कारखाने बन्द हो गए। देशी राज्यों की समस्या भारत की स्वतन्त्रता के साथ 500 से अधिक देशी रियासतें भी स्वतन्त्र हो गईं। इन रियासतों को भारतीय संघ में शामिल किए बिना भारत की स्वतन्त्रता अधूरी थी। खाद्यान्न की समस्या देश के विभाजन से गेहूँ और चावल पैदा करने वाला काफी सारा उपजाऊ क्षेत्र पाकिस्तान में चला गया। इसी प्रकार भारत में नहरी सिंचाई वाले क्षेत्र भी कम रह गए। अतः भारत में खाद्यान्न की समस्या पैदा हो गई। परिवहन व्यवस्था का तहस नहस होना- परिवहन व्यवस्था तहस-नहस हो गई, जरूरी चीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने में कठिनाई आई। समाधान सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च करके शरणार्थियों को बसाया। पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा खाद्यान्न, औद्योगिक तथा रोजगार समस्याओं को हल किया गया। सरदार पटेल के प्रयत्नों से देश को एकीकरण हुआ। सितम्बर 1961 ई० में सैनिक कार्यवाही करने पर पुर्तगालियों ने गोआ, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली भारत को सौंप दिए।