तिल सकरात कब है

  1. Til Chauth 2021 Date: कब है तिल संकटा चौथ व्रत? जानें तिथि, पूजा विधि एवं मंत्र
  2. 2022 का तिल सकरात कब है? – ElegantAnswer.com
  3. January 2023 Festival List When Is Makar Sankranti Lohri And Basant Panchami In January 2023 See List Of Major Festivals
  4. Shattila ekadashi 2021 fasting date vrat rules katha and importance of sesame
  5. तिल कूट चतुर्थी कब है, कैसे करें पूजन, क्या है व्रत कथा, जानिए महत्व और शुभ मुहूर्त
  6. [ तिल की खेती कैसे करें 2023 ] जानिए तिल का हाइब्रिड बीज, उन्नत फसल उत्पादन तकनीक
  7. तिल कूट चौथ व्रत कब है 2023


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Til Chauth 2021 Date: कब है तिल संकटा चौथ व्रत? जानें तिथि, पूजा विधि एवं मंत्र

Til Chauth 2021 Date: तिल चौथ व्रत कल 15 फ़रवरी को है. इसे तिल संकटा चौथ व्रत भी कहते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने प्रसन्न होकर गणेश जी को आशीर्वाद देते हुए कहा था जो भी इस दिन व्रत करेगा उसके सभी संकट दूर हो जाएंगे. तिल संकटा चौथ पर ही भगवान गणेश ने देवी-देवताओं की मदद करके उनके संकट दूर किए थे तबसे यह दिन संकट चौथ के नाम से विख्यात हुआ. इस व्रत में भालचंद्र गणेश की पूजा षोड्शोपचार विधि से की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास की चतुर्थी तिथि को तिल संकटा चौथ का व्रत रखा जाता है. आइए जानें तिल चौथ का मन्त्र और व्रत की विधि… तिल चौथ का मन्त्र : गजाननं भूत गणादि सेवितं,कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ Also Read: तिल चौथ पूजा विधि: तिल चौथ व्रत के दिन प्रातः सुबह नित्य क्रम से निवृत होकर षोड्शोपचार विधि से भालचंद्र गणेश भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिए. इसके बाद ये मंत्र- गजाननं भूत गणादि सेवितं,कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।, उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ पढ़ना चाहिए. इसके बाद भालचंद्र गणेश का ध्यान करके उनके चरणों में फूल अर्पित करें और भगवान के शुभ नाम का जाप करें. शाम को सूर्य अस्त होने के पश्चात नहा धोकर साफ कपड़े पहनकर गणेश भगवान की पूजा करें. इसके लिए एक पीतल के कलश में जल भर कर रखें. धूप-दीप अर्पित करें. नैवेद्य में तिलकुट्टा, तिल तथा गुड़ के बने हुए लड्डु, ईख, शकरकंद, गुड़ तथा घी चढ़ाएं. तिल चौथ की कथा सुनें, चांद को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें. भक्त पहले तिलकुट्टा खाएं इसके बाद ही भोजन लें. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधार...

2022 का तिल सकरात कब है? – ElegantAnswer.com

2022 का तिल सकरात कब है? इसे सुनेंरोकेंइस साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को (Makar Sankranti 2022) मनाया जाएगा. मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगता है. इस दिन स्नान और दान-पुण्य जैसे कार्यों का विशेष महत्व माना गया है. मकर संक्रांति कौन से वाहन पर आ रही है? इसे सुनेंरोकेंइस मकर संक्रांति सूर्यदेव का वाहन बाघ और उप वाहन घोड़ा है, जानिए क्या हैं इसके मायने सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश करने का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस पौष महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि रहेगी। मकर संक्रांति पर सूर्य के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। 2022 मकर संक्रांति का वाहन क्या है? इसे सुनेंरोकेंMakar Sankranti 2022: बाघ पर सवार होकर आएगी संक्रांति, महिलाओं को मिलेंगे शुभ फल और बढ़ेगा देश का पराक्रम 14 जनवरी, शुक्रवार को सूर्य राशि बदलकर मकर में आ जाएगा। इस दिन पौष महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि रहेगी। इसलिए इस दिन सूर्य के साथ भगवान विष्णु की भी विशेष पूजा की जाएगी। मकर संक्रांति 2021 का वाहन क्या है? इसे सुनेंरोकेंवर्ष 2021 में संक्रांति का वाहन सिंह (व्याघ्र) एवं उपवाहन गज (हाथी) रहेगा। मकर संक्रांति 2021 वाहन क्या है? इसे सुनेंरोकेंवर्ष 2021 में संक्रांति का वाहन सिंह (व्याघ्र) एवं उपवाहन गज (हाथी) रहेगा। इस वर्ष संक्रांति का आगमन श्वेत वस्त्र व पाटली कंचुकी धारण किए बालावस्था में हो रहा है। Oct महीने की संक्रांति कब है 2021? इसे सुनेंरोकेंभगवान सूर्यदेव के तुला राशि में प्रवेश करने को ही तुला संक्रांति कहा जाता है। पंचांग के अनुसार इस बार तुला संक्रांत‍ि 17 अक्‍टूबर दिन रव‍िवार को है। सितंबर में संक्रांति कब है? इसे सुनेंरोकेंइस साल कन्या संक्...

January 2023 Festival List When Is Makar Sankranti Lohri And Basant Panchami In January 2023 See List Of Major Festivals

January 2023 Vrat Tyohar List: साल 2022 में जनवरी का महीना पौष माह से शुरू होकर माघ माह में समाप्त हो रहा है. नए साल के सबसे पहले महीने यानी जनवरी में मासिक शिवरात्रि, पौष पुत्रदा एकादशी, षटतिला एकादशी, मकर संक्रांति, बसंत पंचमी और पोंगल जैसे कई महत्वपूर्ण दिवस, व्रत और त्योहार हैं. यहां देखें जनवरी महीने में पड़ने वाले महत्वपूर्ण दिवस, व्रत और त्योहार की पूरी लिस्ट. पौष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. इस दिन सुदर्शन चक्रधारी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है, इसलिए इसे पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. यह व्रत मुख्य रूप से संतान की दीर्घायु के लिए रखा जाता है. 4 जनवरी, बुधवार- प्रदोष व्रत (शुक्ल) प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है. पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से बेहतर स्वास्थ और लम्बी आयु की प्राप्ति होती है. शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत एक साल में कई बार आता है. प्रायः यह व्रत महीने में दो बार आता है. 6 जनवरी, शुक्रवार- पौष पूर्णिमा व्रत हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का बेहद खास महत्व है. पूर्णिमा की तिथि चंद्रमा को प्रिय होती है और इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है. हिन्दू धर्म ग्रन्थों में पौष पूर्णिमा के दिन दान, स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व बतलाया गया है. ऐसा कहा जाता है कि पौष मास के समय में किए जाने वाले धार्मिक कर्मकांड की पूर्णता पूर्णिमा पर स्नान करने से सार्थक होती है. 10 जनवरी, मंगलवार- संकट चौथ संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी. संकष्टी संस्कृत...

Shattila ekadashi 2021 fasting date vrat rules katha and importance of sesame

माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं. इस बार षटतिला एकादशी 7 फरवरी को रविवार के दिन पड़ रही है. हिंदू शास्त्रों में एकादशी के व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. भगवान विष्णु को समर्पित सभी एकादशी व्रतों को सारी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला और मोक्षदायक माना गया है. षटतिला एकादशी पर तिल का विशेष महत्व माना जाता है. पूजा से लेकर दान और हवन करने तक इसका प्रयोग किया जाता है. जानिए इस व्रत से जुड़ी अन्य जानकारी. षटतिला एकादशी पर तिलों का प्रयोग छह तरीके से करने का विधान है. इस दिन काले तिल का उबटन लगाते हैं. तिल को पानी में डालकर स्नान किया जाता है. तिल से हवन होता है, तर्पण किया जाता है, तिल को भोजन में शामिल किया जाता है और विशेष रूप से इसे दान किया जाता है. तिल के दान का महत्व पौराणिक मान्यता के अनुसार षटतिला एकादशी के दिन व्रत रखकर काले तिलों का दान करने वाला व्यक्ति उतने ही हजार वर्ष तक स्वर्ग में वास करता है. व्रत के प्रभाव से उसे सभी कष्ट मिट जाते हैं और पापों का नाश होता है. इसके साथ ही उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. शुभ मुहूर्त एकादशी तिथि प्रारंभ : 7 फरवरी 2021 सुबह 06 बजकर 26 मिनट से एकादशी तिथि समाप्त : 8 फरवरी 2021 सुबह 04 बजकर 47 मिनट तक. षटतिला एकादशी व्रत विधि एकादशी व्रत के नियम दशमी रात से ही शुरू हो जाते हैं. दशमी को त्र सूर्यास्‍त के बाद भोजन ग्रहण न करें और रात में सोने से पहले भगवान विष्‍णु का ध्‍यान करें. सुबह जल्दी उठकर तिल का उबटन लगाएं और जल में तिल डालकर स्नान करें. स्नान आदि करके पूजा स्थल पर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें.इसके बाद विघ्‍नहर्ता भगवान गणेश को नमन करने के बाद भगवान विष्णु का स्मरण करें. फिर पांच मुट्ठी तिल ल...

तिल कूट चतुर्थी कब है, कैसे करें पूजन, क्या है व्रत कथा, जानिए महत्व और शुभ मुहूर्त

वर्ष 2022 में 21 जनवरी, शुक्रवार को तिल कूट चौथ (Tilkut Chauth Vrat) का व्रत मनाया जा रहा है। यह व्रत माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। यह दिन भगवान श्री गणेश के पूजन के लिए प्रसिद्ध है। पुत्र की रक्षा के लिए माताएं इस दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखती हैं। इस व्रत से सारे संकट दूर हो जाते है व मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। Tilkut Chauth Vrat Importance महत्व- हिन्दू धर्म की मान्यतानुसार महिलाएं पुत्रों की लंबी आयु तथा उनके खुशहाल जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन तिलकूट का प्रसाद बनाकर भगवान श्री गणेश को भोग लगाया जाता है ताकि वे प्रसन्न होकर आपकी हर कामना को पूर्ण करें। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी कहते हैं। इसी दिन तिल चतुर्थी व्रत भी किया जाता है। माना जाता है कि जो व्यक्ति नियमित रूप से चतुर्थी का व्रत नहीं कर सकते, वो यदि माघी चतुर्थी का व्रत कर लें, तो भी वर्ष भर की चतुर्थी व्रत का फल प्राप्त हो जाता है। माघी तिल चौथ या चतुर्थी पर श्री गणेश के देवस्थानों पर भक्तों की लंबी भीड़ नजर आती है। माघी चौथ के अवसर पर व्रतधारी को चंद्रदर्शन (Chandra darshan) और गणेश पूजा (Ganesh puja) के बाद व्रत समाप्त करना चाहिए। इसी दिन से दिन तिल भर बड़े होने लगते हैं, ऐसी भी मान्यता है। यह व्रत करने से चारों तरफ से सुख-समृद्धि बढ़ने के साथ ही पुत्र-पौत्रादि, धन-ऐश्वर्य की कमी नहीं रहती। यह व्रत करने से घर-परिवार में आ रही विपदा दूर होती है, कई दिनों से रुके मांगलिक कार्य संपन्न होते है तथा भगवान श्री गणेश असीम सुखों की प्राप्ति कराते हैं। इस दिन गणेश कथा सुनने अथवा पढ़ने का विशेष महत्व माना गया है। व्रत करने वा...

[ तिल की खेती कैसे करें 2023 ] जानिए तिल का हाइब्रिड बीज, उन्नत फसल उत्पादन तकनीक

तिल खरीफ की ऋतु में उगाई जाने वाली भारत की मुख्य तिलहन फसल है | तिलहनी तेल, सौन्दर्य उत्पाद, मिठाई, तीज-त्योहार, पूजा-पाठ, दवाईया आदि कार्यों में इसका भरपूर उपयोग होता है | तिल की फसल प्राय गर्म जलवायु और असिंचित क्षेत्रों मे ज्यादा में उगाई जाती है | आइए जानते है तिल की उन्नत खेती के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी – 15.4 तिलहन की बुवाई कब की जाती है ? तिल की खेती कैसे करें सम्पूर्ण जानकारी – अधिक उत्पादन और अच्छा मुनाफा उन्नत किस्मों के प्रयोग व आधुनिक तरीकों को अपनाकर ही लिया जा सकता है| देश मे तिलों की खेती एकल एवं मिश्रित रूप से की जाती है | मैदानी क्षेत्रों में प्राय इसे ज्वार, बाजरा तथा अरहर के साथ बुआई करते हैं | तिल की उत्पादकता बहुत कम है, यदि किसान अच्छे बीजों और देखरेख के सतह इसकी खेती करता है, तो जरूर खेती के मुनाफा अर्जित कर सकता है | तिल के लिए कौन सी मिट्टी उपयुक्त है? तिल की अच्छी पैदावार के लिए गर्म मौसम ठीक रहता है | इसकी खेती के लिए 25-27 सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त है | अधिक वर्षा वाले क्षेत्र तिलहन की खेती के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि इन क्षेत्रों में फफूंद जनित रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है | तिल कितने प्रकार के होते हैं ? बाजार की मांग और उपयोग के आधार पर तिल के बीजों की बुआई कर उत्पादन लिया जाता है- • काला तिल • लाल तिल • सफेद तिलका पौधा तिल की प्रमुख उन्नत किस्में ? तिल के उन्नत बीजों का चयन करते समय ध्यान रखे की आपके क्षेत्र मे विकसित होने वाली वैराइटियों का ही चयन करें | देश मे हर किस्म/वैराइटी का विकास मिट्टी-जलवायु आदि कारकों को ध्यान मे रखकर किया जाता है तिल की उन्नत किस्में – तिल की प्रमुख उन्नत किस्में टी-4 टी-12 गुजरात तिल-3 टी-13 टी-78 राजस्थान त...

तिल कूट चौथ व्रत कब है 2023

हिंदू धर्म में तिल कूट चौथ का व्रत भगवान लंबोदर यानी कि गणेश जी को समर्पित है. जिसका अर्थ होता है, दुखों को हरने वाला! भारत के विभिन्न प्रांतों में इसे संकटा चौथ, तिल चौथ, गणेश चौथ, वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी, माघी चौथ, वक्रतुंडी चतुर्थी, तिलवा, तिलकुट चौथ, शंकर चौथ, बहुला चतुर्थी, लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी आदि नामों से भी जाना जाता है. तिल कूट चौथ का व्रत चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पूर्ण माना जाता है. व्रत पुत्र की दीघार्यु के लिए किया जाता है. सनातन धर्म में किसी भी कार्य को शुरू करने के पूर्व यदि भगवान गणेश का स्मरण किया जाए तो उसे पूर्ण होने से कोई भी नहीं रोक सकता. यदि हम त्योहारों में बात करें तो सकट चौथ एक ऐसा व्रत है, जो साल के पहले महीने में आकर पूरे वर्ष के अन्य त्योहारों और व्रतों को शुभ कर देता है. तिलकूट चौथ का त्यौहार भगवान गणेश को समर्पित है. इस लेख में हम आपकों विस्तार पूर्वक बताने वाले हैं कि, तिल कूट चौथ व्रत कब है 2023 – Tilkut Chauth Vrat Kab Hai 2023 Date Calendar India तिल कूट चौथ 2023 व्रत कब है – Tilkut Chauth Vrat 2023 Kab Hai तिल कूट चौथ व्रत कब है 2023 – Tilkut Chauth Vrat Kab Hai Date Calendar India 365 दिनों में प्रत्येक माह दो चतुर्थी आती है, जिसमें एक कृष्णा पक्ष की और दूसरी शुक्ल पक्ष की होती है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को हम संकष्टी चतुर्थी कहते है. वहीं दूसरी यानि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हम विनायक चतुर्थी कहते है. माघ मास के कृष्णा पक्ष की चतुर्थी की धार्मिक और पौराणिक मान्यता है. जिसे हम तिलकूट चौथ के नाम से जानते हैं। चलिए अब जानते है की तिल चौथ, गणेश चौथ या कहें तो तिल कूट चौथ कब है – Tilkut Chauth 2023 Vrat Kab Hai Tilkut Chauth Vra...