Top class 10 bhavarth

  1. NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 7
  2. NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij, Kritika, Sparsh, Sanchayan (2019
  3. Top Class 10 Hindi Lesson Explanation, Summary, Question Answers
  4. आत्मत्राण
  5. राम लक्ष्मण परशुराम संवाद का भावार्थ, व्याख्या, सारांश कक्षा
  6. सूरदास के पद का भावार्थ
  7. "साखी" Saakhi Class 10 Hindi Chapter 1, Explanation, Notes, Question Answers
  8. संगतकार
  9. NCERT Solutions For Class 10 Sparsh II Hindi Chapter 7


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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 7

Preparing for board examinations requires paying attention to the minuscule details of the course studies. Students cannot ignore the importance of language. Having a strong grip on Hindi in Class 10 CBSE is crucial. Class 10 Hindi Sparsh Chapter 7 Solutions allow students to learn the subject in detail. Students can get good marks in Hindi by preparing the subject in detail with the help of this resource. The resource includes detailed questions and answers regarding the seventh chapter of Class 10 Hindi book. NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 7 have been formulated in a straightforward and simple manner to make students understand it instantly. Learners of any calibre can give it a read and understand the solutions to the questions. Download NCERT Solution for Class 10 Hindi Chapter 7 free PDF. Subjects like Science, Maths, English,Hindi will become easy to study if you have access to NCERT Solution for Class 10 Science , Maths solutions and solutions of other subjects. You can also download NCERT Solutions for Class 10 Maths to help you to revise complete syllabus and score more marks in your examinations. (क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 1. विरासत में मिली चीज़ों की बड़ी सँभाल क्यों होती है? स्पष्ट कीजिए। उत्तर : विरासत में मिली चीज़ों की बड़ी सँभाल इसलिए होती है क्योंकि ये वस्तुएँ हमें अपने पुरखों की, अपने इतिहास की स्मृतियों को याद दिलाती हैं। इनसे हमारा गहरा भावनात्मक संबंध होता है। इसलिए इन्हें अमूल्य माना जाता है। ये तात्कालिक परिस्थितियों ...

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij, Kritika, Sparsh, Sanchayan (2019

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij, Kritika, Sparsh, Sanchayan are the part of Please find Free NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan, Sparsh, Kshitiz, Kritika in this page. We have compiled detailed Chapter wise Class 10 Hindi NCERT Solutions for your reference. Class 10 Hindi NCERT Textbook fro Sanchayan contains 3 chapters, sparsh contains 17 chapters, Kshitiz contains 17 chapters and Kritika contains 5 Chapters. We developed NCERT Solutions to help both teachers and students to equip with best study material for Class 10 Hindi. NCERT Solutions for Class 10 Hindi NCERT Solutions for Class 10 Hindi – A NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Bhag 2 क्षितिज भाग 2 काव्य – खंड • • • • • • • • • गद्य – खंड • • • • • • • • NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Bhag 2 कृतिका भाग 2 • • • • • NCERT Solutions for Class 10 Hindi – B NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Bhag 2 स्पर्श भाग 2 काव्य – खंड • • • • • • • • गद्य – खंड • • • • • • • • • NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Bhag संचयन भाग 2 • • • CBSE Class 10 Hindi A Unseen Passages अपठित बोध • • CBSE Class 10 Hindi A Grammar व्याकरण • • • • CBSE Class 10 Hindi A Writing Skills लेखन कौशल • • • CBSE Class 10 Hindi B Unseen Passages अपठित बोध • • CBSE Class 10 Hindi B Grammar व्याकरण • • • • • CBSE Class 10 Hindi B Writing Skills लेखन कौशल • • • • • We hope the ...

Top Class 10 Hindi Lesson Explanation, Summary, Question Answers

बोर्ड परीक्षा में हाई स्कोर करें: हमारे SuccessCDs कक्षा 10 हिंदी कोर्स के साथ! Click here ‘तोप’ Explanation, Summary, Question and Answers and Difficult word meaning तोप CBSE Class 10 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson ' TOP' along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary and all the exercises, Question and Answers given at the back of the lesson • • • • • तोप पाठ प्रवेश 'प्रतीक' अर्थात निशानी और 'धरोहर' अर्थात विरासत दो तरह की होती हैं । एक वे जिन्हें देखकर या जिनके बारे में जानकर हम अपने देश और समाज की प्राचीन उपलब्धियों के बारे में जान सकते हैं और दूसरी वे जो हमें बताती हैं कि हमारे पूर्वजों से कब क्या गलती हुई थी जिसके कारण देश की कई पीढ़ियों को गहरे दुःख और कष्टों को झेलना पड़ा। अगर उन्होंने कुछ बाग़ - बगीचे बनाये तो उन्होंने तोपें भी तैयार की। देश को फिर से आज़ाद करने का सपना देखने वाले जाबाजों को इन तोपों ने मौत के घाट उतार दिया। पर एक दिन ऐसा भी आया जब हमारे पूर्वजों ने उस सत्ता को उखाड़ फैंका। तोप को बेकार कर दिया। फिर भी हमें इन निशानियों के माध्यम से याद रखना होगा की भविष्य में कोई और इस तरह हम पर हुक्म ना जमा पाए जिसके इरादे अच्छे ना हो और यहाँ फिर से वही परिस्थितियाँ बने जिनके घाव आज तक हमारे दिलों में हरे हैं। भले ही अंत में उनकी तोप भी उसी काम क्यों ना आये जिस काम इस पाठ की तोप आ रही है। Top Top Class 10 Video Explanation Top तोप पाठ सार प्रस्तुत पाठ हमें याद दिलाता है कि कभी ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने के इरादे से आई थी। भारत में उसका स्वागत किया गया था ...

आत्मत्राण

पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तरऔर व्याख्या- आत्मत्राण स्पर्शभाग- 2 व्याख्या विपदाओं से मुझे बचाओ ,यह मेरी प्रार्थना नहीं केवल इतना हो (करुणामय) कभी न विपदा में पाऊँ भय। दुःख ताप से व्यथित चित को न दो सांत्वना नहीं सहीं पर इतना होवे (करुणामय) दुःख को मैंकर सकूँसदा जय। कोई कहीं सहायक न मिले, तो अपना बल पौरुषन हिले, हानि उठानी पड़े जगत में लाभ वंचना रही तो भी मन में न मानूँक्षय।। इन पंक्तियों में कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ईश्वर सेकह रहे हैं कि दुखों से मुझेदूर रखें ऐसी आपसे में प्रार्थना नही कर रहा हूँ बल्कि मैंचाहता हूँ आप मुझे उन दुखों को झेलने की शक्ति दें। उन कष्ट के समय में मैं भयभीत ना हूँ। वे दुःख के समय में ईश्वर से सांत्वना बल्कि उन दुखों पर विजय पाने की आत्मविश्वास और हौंसलाचाहते हैं। कोई कहींकष्ट में सहायता करने वाला भी नही मिले फिर भी उनका पुरुषार्थ ना डगमगाए। अगर मुझे इस संसार मेंहानि भी उठानी पड़े, कोई लाभ प्राप्त ना हो या धोखा ही खाना पड़े तब भी मेरा मन दुखी ना हो। कभी भी मेरे मन की शक्ति का नाश ना हो। मेरा त्राण करो अनुहदन तुम यह मेरी प्रार्थनानही बस इतना होवे(करुणामय) तरने की हो शक्तिअनामय। मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नही सही। केवल इतना रखना अनुनय - वहन कर सकूँ इसको निर्भय। नत शिरहोकर सुख के दिन में तव मुख पहचानूँछीन-छीन में। दुख रात्रिमे करे वंचना मेरी जिसदिन निखिलमही उस दिनऎसा हो करुणामय , तुम पर करूँनहीं कुछसंशय।। कविकहते हैं कि हे भगवन्! मेरी यह प्रार्थना नहीं है आप प्रतिदिन मुझे भय से छुटकारा दिलाएँ। आप मुझे केवल रोग रहित यानीस्वस्थ रखें ताकि मैं अपने बल और शक्ति के सहारे इस संसार रूपी भवसागर को पार कर सकूँ। मैं यह नहीं चाहता की आप मेरे कष्टों का ...

राम लक्ष्मण परशुराम संवाद का भावार्थ, व्याख्या, सारांश कक्षा

राम लक्ष्मण परशुराम संवाद व्याख्या भावार्थ क्षितिज कक्ष 10 इस पोस्ट में हमलोग राम लक्ष्मण परशुराम संवाद के भावार्थ, व्याख्या और सारांश को पढ़ेंगे। यह पाठ क्षितिज भाग दो chapter 2 से लिया गया है। राम लक्ष्मण परशुराम संवाद का सार या सारांश राम लक्ष्मण परशुराम संवाद पाठ गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के बालकांड से लिया गया है। राजा जनक यह शर्त रखते है कि जो इस शिव धनुष को तोड़ेगा उससे मैं अपनी पुत्री सीता की शादी कर दूँगा। यह शर्त सुनकर देश विदेश के राजागण धनुष तोड़ने के लिए सभा में उपस्थित होते है। अयोध्या से मुनि वशिष्ठ राम-लक्ष्मण को साथ लेकर सभा में आते हैं। राजा की शर्त के अनुसार श्रीराम धनुष को तोड़ देते हैं। धनुष के टूटते ही परशुराम सभा में अति क्रोध के साथ उपस्थित होते हैं। क्रोध के साथ कहते हैं की जिसने भी इस शिव धनुष को तोड़ा है वह मेरे सामने आ जाए नहीं तो सभा में उपस्थित सभी राजागण को मैं अपने फरसे से काट दूँगा। परशुराम के अति दुःसाहस को देखकर लक्ष्मणजी उन्हें फटकारते हुए कहते हैं कि हे मुनि श्रेष्ठ आप महान हैं। इस प्रकार आपका क्रोध करना उचित नहीं हैं। आगे लक्ष्मण जी कहते हैं कि आप केवल लम्बी-लम्बी बात करके अपनी महानता सिद्ध करना चाह रहे हैं। लक्ष्मण की इस बात को सुनकर परशुराम उन्हें मारने की धमकी देते हुए वशिष्ठ से कहते हैं कि हे मुनिदेव आपके नम्र स्वभाव के कारण ही इस बालक को छोड़ दे रहा हूँ। इस अबोध बालक को मेरी प्रतिभा के बारे में बताइए। परशुराम की बात को सुनकर मुनि वशिष्ठ मन ही मन मुसकुराते हुए सोचते हैं कि यह अज्ञानी मुनि क्रोध के कारण बालकों के वास्तविक रूप को नहीं पहचान पा रहे हैं। परशुराम के बढ़े हुए क्रोध को जानकर श्रीराम नेत्रों के इशारे से लक्...

सूरदास के पद का भावार्थ

आज हम आप लोगों को कृतिका भाग-2 के कक्षा-10 का पाठ-1 (NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 1) के सूरदास के पद पाठ का भावार्थ (Surdas ke Pad Hindi bhavarth) के बारे में बताने जा रहे है जो कि सूरदास (Surdas) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं। NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 1 : Surdas ke Pad bhavarth पद 1 . अपरस रहत सनेह तगा तैं , नाहिन मन अनुरागी। पुरइनि पात रहत जल भीतर , ता रस देह न दागी। ज्यौं जल माँह तेल की गागरि , बूँद न ताकौं लागी। प्रीति नदी मैं पाउँ न बोरयौ , दृष्टि न रूप परागी। ‘ सूरदास ’ अबला हम भोरी , गुर चाँटी ज्यौं पागी। शब्दार्थ:- बड़भागी – भाग्यवान, अपरस -अलिप्त , सनेह -प्रेम , तगा -धागा , नाहीन -नही , पुरइन पात– कमल का पत्ता , देह – शरीर, ज्यौं – जैसे , माँह – में, गागरि– गगरी , ताकौं – उसे/ उसपर , बोरया – डुबोना , परागी – मोहित होना , अबला – नारी , भोरी– भोली , चाँटी– चींटी , भावार्थ:- प्रस्तुत पंक्तियाँ सूरदास द्वारा रचित पद शीर्षक पाठ से लिया गया है । जिसमें गोपियाँ श्री कृष्ण के सखा उद्धव से अपने मन की व्यथा को व्यंग रूप में कह रही हैं। गोपियाँ उद्धव पर व्यंग करते हुए कहती है कि- हे उद्धव तुम बड़े ही भाग्यवान हो जो तुम कृष्ण के सबसे निकट रहते हुए भी उनके प्रेम के बंधन में नहीं बँधे हो। तुम्हें कृष्ण से जरा सा भी मोह नहीं है और तुम अभी तक उनके प्रेम रस से भी अछूते हो। वे कहती है कि उद्धव के हृदय में प्रेम का अभाव है। लेकिन हे उद्धव !! तुम कमल के उस पत्ते की तरह हो , जो जल के भीतर रहता है फिर भी उसपर पानी का प्रभाव नह...

"साखी" Saakhi Class 10 Hindi Chapter 1, Explanation, Notes, Question Answers

बोर्ड परीक्षा में हाई स्कोर करें: हमारे SuccessCDs कक्षा 10 हिंदी कोर्स के साथ! Click here CBSE Class 10 Hindi Chapter 1 Saakhi Summary, Explanation ( Sparsh 2 Book) साखी CBSE Class 10 Hindi Chapter 1 summary with detailed explanation of the lesson 'Saakhi' along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary and all the exercises, Question and Answers given at the back of the lesson साखी पाठ प्रवेश 'साखी ' शब्द ' साक्षी ' शब्द का ही (तद्भव ) बदला हुआ रूप है। साक्षी शब्द साक्ष्य से बना है। जिसका अर्थ होता है -प्रत्यक्ष ज्ञान अर्थात जो ज्ञान सबको स्पष्ट दिखाई दे। यह प्रत्यक्ष ज्ञान गुरु द्वारा शिष्य को प्रदान किया जाता है। संत ( सज्जन ) सम्प्रदाय (समाज ) मैं अनुभव ज्ञान (व्यवाहरिक ज्ञान ) का ही महत्व है -शास्त्रीय ज्ञान अर्थात वेद , पुराण इत्यादि का नहीं। कबीर का अनुभव क्षेत्र बहुत अधिक फैला हुआ था अर्थात कबीर जगह -जगह घूम कर प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करते थे। इसलिए उनके द्वारा रचित साखियों मे अवधि , राजस्थानी , भोजपुरी और पंजाबी भाषाओँ के शब्दों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। इसी कारण उनकी भाषा को 'पचमेल खिंचड़ी ' अर्थात अनेक भाषाओँ का मिश्रण कहा जाता है। कबीर की भाषा को सधुक्क्ड़ी भी कहा जाता है। ' साखी ' वस्तुतः (एक तरह का ) दोहा छंद ही है जिसका लक्षण है 13 और 11 के विश्राम से 24 मात्रा अर्थात पहले व तीसरे चरण में 13 वर्ण व दूसरे व चौथे चरण में 11 वर्ण के मेल से 24 मात्राएँ। प्रस्तुत पाठ की साखियाँ प्रमाण हैं की सत्य को सामने रख कर ही गुरु शिष्य को जीवन के व्यावहारिक ज्ञान की शिक्षा देता है। यह शिक्षा जितनी अधिक ...

संगतकार

कविता में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगीतकार की भूमिका के महत्त्व पर विचार किया गया है। संगीतकार न केवल दृश्य माध्यम की प्रस्तुतियों में साथ देता है, बल्कि समाज और राष्ट्र के निर्माण व विकास में संगीतकारों जैसे अनेक लोगों ने अहम भूमिका निभाई है। कविता इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि सहयोगी की भूमिका और नायक के पीछे रहना उनकी कमज़ोरी नहीं, बल्कि मानवीयता है। कविता की दृश्यात्मकता कविता को ऐसी गति देती है, मानो हम सब कुछ अपने सामने घटते देख रहे हैं। कवि-परिचय मंगलेश डबराल का जन्म 16 मई, 1948 को उत्तराखंड स्थित टिहरी गढ़वाल के काफलपानी गाँव में हुआ। देहरादून से शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात्‌ ये दिल्‍ली आकर हिंदी पेट्रियट, प्रतिपक्ष तथा आसपास से जुड़ गए। तत्पश्चात्‌ कला परिषद्‌, भारत भवन, भोपाल से प्रकाशित त्रैमासिक पूर्वाग्रह में सहायक संपादक का कार्यभार सँभाला । अमृत प्रभात, जनसत्ता और सहारा समय में संपादन कार्य करने के पश्चात्‌ इन दिनों ये नेशनल बुक ट्रस्ट में अपनी सेवा दे रहे है। पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज़ भी एक जगह है तथा नए युग में शत्रु इनके प्रसिद्ध काव्य-संग्रह; लेखक की रोटी तथा कवि का अकेलापन गद्य संग्रह और एक बार आयोवा यात्रावृत्त है। इनकी कविताएँ कई विदेशी भाषाओं में भी अनूदित हैं। स्वयं डबराल भी एक ख्याति प्राप्त अनुवादक हैं। इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, साहित्यकार सम्मान, पहल सम्मान, कुमार विमल स्मृति पुरस्कार , श्रीकांत बर्मा पुरस्कार आदि से विभूषित किया गया है। कवि कहता है कि मुख्य गायक की सफलता के पीछे संगीतकार का योगदान छिपा रहता है। जब मुख्य गायक चट्टान के समान गम्भीर, भारी भरकम आवाज़ में गाता था, तो उसका संगीतकार अपनी अत्यन्...

NCERT Solutions For Class 10 Sparsh II Hindi Chapter 7

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 7 तोप is part of Board CBSE Textbook NCERT Class Class 10 Subject Hindi Sparsh Chapter Chapter 7 Chapter Name तोप Number of Questions Solved 18 Category NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 7 तोप पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास (क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- प्रश्न 1. विरासत में मिली चीजों की बड़ी सँभाल क्यों होती है? स्पष्ट कीजिए। उत्तर- विरासत में मिली चीज़ों की बड़ी सँभाल इसलिए होती है, क्योंकि ये चीजें हमारी धरोहर हैं, जिन्हें देखकर या जानकर हमें अपने देश और समाज की प्राचीन उपलब्धियों का ज्ञान होता है, मान होता है और ये चीजें हमें तत्कालिक परिस्थिति की जानकारी देने के साथ-साथ दिशा-निर्देश भी देती हैं। नई पीढ़ी अपने पूर्वजों के बारे में जाने, उनके अनुभवों से कुछ सीखे, इसी उद्देश्य से विरासत में मिली चीज़ों को सँभाल कर रखा जाता है। You can also download NCERT Solutions For Class 10 Science to help you to revise complete syllabus and score more marks in your examinations. प्रश्न 2. इस कविता से आपको तोप के विषय में क्या जानकारी मिलती है? उत्तर- यह कविता हमें कंपनी बाग में रखी तोप के विषय में बताती है कि यह तोप सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय अंग्रेज़ी सेना द्वारा प्रयोग की गई थी। इस तोप ने अपने गोलों से असंख्य शूरवीरों को मार डाला था। यह तोप बड़ी जबर थी परंतु अब यह तोप प्रदर्शन की वस्तु बनकर रह गई है। अब इससे कोई नहीं डरता। इस पर बच्चे घुड़सवारी करते हैं। चिड़ियाँ, गौरैयें इसके भीतर घुस जाती हैं। यह तोप हमें बताती है कि कोई कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, एक-न-एक दिन उसे धराशायी होना ही पड़ता ह...

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