उपचुनाव क्या है

  1. चुनाव और उपचुनाव में अंतर क्या है? » Chunav Aur Upchunav Me Antar Kya Hai
  2. उपचुनाव
  3. एक उपचुनाव क्या जीत लिया, दिवास्वप्न देखने लगीं मायावती: डॉ महेंद्र नाथ पांडेय
  4. नौगांव सादात उपचुनाव: क्या इस बार भी चलेगा 'मत चूको चौहान' वाला गणित !
  5. उपचुनाव: वोटरों की किस उंगली में लगानी है स्याही...बारीकी से देखेंगे मतदान कर्मी, जानिए क्या है वजह?
  6. मध्यप्रदेश उपचुनाव: भाजपा और कांग्रेस, कौन कितने पानी में
  7. उपचुनाव की परिभाषा क्या है? » Upchunav Ki Paribhasha Kya Hai
  8. उपचुनाव क्या होता है


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चुनाव और उपचुनाव में अंतर क्या है? » Chunav Aur Upchunav Me Antar Kya Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। हेलो सर गुड मॉर्निंग और यह मान लीजिए कि एमपी और एमएलए का चुनाव विधायक हमारा तो टिकट प्रणाली कहते हैं कि हम सभी सुनते हैं और विधायक सांसद बनाते हैं और जैसे ही वह सांसद या विधायक बन जाते हैं ब्रिटिश प्रणाली के द्वारा किया जाता है जनता के द्वारा और फिर क्या होता है सांसद की सीट है तो अगर उस सीट पर जो वहां के सांसद हैं किसी कारण बस उनके त्याग जाती है या अपना पद से इस्तीफा दे देते हैं वहां 6 महीने के अंतर्गत थी उनके इस्तीफा देने के बाद 6 महीने के अंदर गति उचित रूप बनाकर आ जाता है और इसकी एकता तो रोती रहेगी हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हैं तो उन्हें भी सांसद होना जरूरी होता है यदि के सांसद मंत्री की मान्यता नहीं होगी की तरह जो वाराणसी से सांसद के लिए लड़े थे एक सीट से और एक सीट और थी जहां से और लड़के दोनों ही चुके थे लेकिन उन्हें एक दूसरे पर उन्होंने खाली किया तो वहां पर जो चुनाव हुए चुनावों के बाद में कब चुनाव हुए थे डिफरेंट होता है चुनाव उपचुनाव में धन्यवाद hello sir good morning aur yah maan lijiye ki MP aur mla ka chunav vidhayak hamara toh ticket pranali kehte hain ki hum sabhi sunte hain aur vidhayak saansad banate hain aur jaise hi vaah saansad ya vidhayak ban jaate hain british pranali ke dwara kiya jata hai janta ke dwara aur phir kya hota hai saansad ki seat hai toh agar us seat par jo wahan ke saansad hain kisi karan bus unke tyag jaati hai ya apna pad se istifa de dete hain wahan 6 mahine ke antargat thi unke istifa dene ke baad 6 mahine...

उपचुनाव

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर (मार्च 2022) स्रोत खोजें: · · · · उपचुनाव मुख्य चुनाव के बाद होने वाला चुनाव है जो मुख्य चुनव न हो पाने की स्तिति में करवाया जाता है। ज्यादातर मामलों में ये चुनाव अवलंबी के मरने या इस्तीफा देने के बाद होते हैं, लेकिन ये तब भी होते हैं जब पद पर बने रहने के लिए अवलंबी अपात्र हो जाता है (क्योंकि याद करने, समझाने-बुझाने, आपराधिक विश्वास या न्यूनतम संतुलन बनाए रखने में विफलता)। आम तौर पर, इन चुनावों को तब कराया जाता है जब एक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव को वोटिंग अनियमितताओं द्वारा अमान्य किया जाता है।.

एक उपचुनाव क्या जीत लिया, दिवास्वप्न देखने लगीं मायावती: डॉ महेंद्र नाथ पांडेय

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नाथ पांडेय ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि जिनकी उल्टी-सीधी सभी तरह की गिनती जनता पहले ही खत्म कर चुकी है, वह अब उल्टी गिनती की बात कर रही हैं. डॉ महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता ने मायावती को गिनती गिनने का कष्ट ही नहीं दिया. कांशीराम जी के बहुजन मिशन से शुरू हुई बसपा को कमीशन वाली बसपा बनाने वाली मायावती खुद तो चुनाव मैदान में उतरने का साहस न जुटा सकीं. अलबत्ता वह दलितों का शोषण करने वालों के समर्थन में जरूर खड़ी हो गई हैं. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि चुनौती पूर्ण समीकरणों के बीच एक उपचुनाव क्या जीत लिया, दिवास्वप्न देखने लगीं. उन्होंने कहा कि मायावती दिन में सपने देखना बंद करें. डॉ महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी भारत के 80 फीसदी भू-भाग पर जनता की सेवा कर रही है और बसपा सुप्रीमो प्रदेश में ही अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं. मिशन को कमीशन में बदलकर दलितों के वोटों का सौदा करके मायावती ने दलितों-वंचितों के विश्वास को चकनाचूर किया है. यही कारण है कि अब मायावती की समाप्त हुई गिनती फिर शुरू होने वाली नहीं है. दरअसल बसपा सुप्रीमो मायावती ने कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव पर कहा था कि बीजेपी सरकार की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. मायावती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों के बाद अब कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी की करारी हार हो गई है. देश में जहां भी उपचुनाव हुए, बीजेपी से दुखी और पीड़ित जनता ने उसे सही रास्ता दिखा दिया है. उन्होंने कहा कि अब जनता बीजेपी के झूठे वा...

नौगांव सादात उपचुनाव: क्या इस बार भी चलेगा 'मत चूको चौहान' वाला गणित !

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव की तारीख करीब आने के साथ ही राजनीतिक तापमान बढ़ रहा है। नौगांव सादात में करीब एक तिहाई मुस्लिम मतदाता हैं इसके बावजूद यहां चुनावी गणित उलझा हुआ है। इस बार यहां 'लाठी', 'बाकी' और 'सहानुभूति' का भी असर पड़ेगा। बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में सहानुभूति और किसानों को बाकी गन्ना मूल्य के भुगतान की उम्मीद है तो आरएलडी हाथरस में अपने नेता जयंत चौधरी पर लाठी बरसाने के मुद्दे को भुनाने की कोशिश में है। सपा को हमेशा की तरह मुस्लिम, यादव और अन्य पिछड़ों से उम्मीदें हैं। जबकि बसपा को भी मुसलमानों और अपने कैडर के वोट बैंक से आशा है। 2017 में हुआ गैर मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण करीब 3.21 लाख मतदाताओं वाले नौगांव सादात विधान सभा क्षेत्र में करीब 1 लाख 10 हजार मुस्लिम मतदाता हैं। इनके मुकाबले चौहान मतदाताओं की संख्या एक चौथाई यानी करीब 32 हजार है। नौगांव सादात विधान सभा क्षेत्र का गठन 2008 में और पहला चुनाव 2012 में हुआ। तब माना जा रहा था कि इस क्षेत्र में मुसलमान मतदाताओं का वोट ही निर्णायक होगा। ऐसा 2012 के चुनाव में हुआ भी जब सपा के अशफाक अली खान ने जीत हासिल की। लेकिन यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या एक तिहाई होने के बावजूद 2017 के विधान सभा चुनाव में "चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान" वाली सटीक गणना को सार्थक करते हुए पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान ने मैदान मार लिया था। दरअसल 2017 में गैर मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण के चलते बीजेपी के पक्ष में 41.43 फीसदी वोट पड़े और इस 'गणना' ने सारा गणित बिगाड़ दिया और चेतन चौहान ने सपा के नौगांव सादात गढ़ को जीत लिया। ध्रुवीकरण का गणित क्या इस बार दिलाएगा जीत? इस उपचुनाव में बीजेपी ने स्वर्गीय च...

उपचुनाव: वोटरों की किस उंगली में लगानी है स्याही...बारीकी से देखेंगे मतदान कर्मी, जानिए क्या है वजह?

अंबाती रायडू का बड़ा खुलासा, पूर्व सेलेक्टर ने अपने बेटे के कारण मेरा करियर बर्बाद कर दिया © Asianet News Hindi द्वारा प्रदत्त रामपुर (Rampur News): स्वार विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने वाले हैं। वोटिंग को लेकर चुनाव आयोग की तरफ से एक गाइडलाइन जारी की गई है। उसके मुताबिक अब मतदान कर्मियों को वोटरों की उंगली पर लगी स्याही को बारीकी से देखना होगा और वोटर की जिस उंगली पर स्याही लगी होगी, दूसरे हाथ की उसी उंगली पर स्याही लगानी होगी। आयोग की इस गाइडलाइन से मतदान कर्मियों की उलझनें बढेंगीं। उन्हें पहले तय करना होगा कि किसी उंगली में स्याही लगानी है। आपको बता दें कि पूर्व मंत्री आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम को कोर्ट से सजा के बाद यह सीट खाली हुई है। क्यों किया जा रहा है ऐसा? ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि प्रदेश में निकाय चुनाव भी चल रहे हैं। निकाय चुनाव के पहले चरण में इलाके में मतदान हो चुका है। इस दौरान भी वोटरों की उंगलियों पर स्याही लगाई गई है। सप्ताह भर के भीतर वोटर विधानसभा उपचुनाव के लिए दोबारा वोट डालेंगे तो ऐसे में जब वोटरों के उंगलियों पर पहले से ही स्याही लगी है और दोबारा जब वह वोट डालने जाएंगे तो फिर उनके ​उंगलियों में स्याही लगाई जाएगी। इसको लेकर मतदान कर्मी कन्फयूज मत हो। इसलिए वोटरों की उंगलियों पर स्याही लगाने के लिए चुनाव आयोग की नई गाइडलाइन आई है। मतदान कर्मियों को दिए गए हैं ये निर्देश मतदान से जुड़े अधिकारियों को इस सिलसिले में निर्देश जारी किए गए हैं। जिसमें कहा गया है कि यदि किसी वोटर के एक हाथ की तर्जनी उंगली में पहले से ही स्याही का निशान हो तो उस हाथ की मध्यमा उंगली में स्याही लगाई जा सकती है। ऐसा भी हो सकता है कि किसी वोटर की दोनों उंगलियों में स्याही लगी ह...

मध्यप्रदेश उपचुनाव: भाजपा और कांग्रेस, कौन कितने पानी में

नई दिल्ली- चुनाव आयोग की घोषणा के मुताबिक इस महीने जब बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होगा तो उसके साथ ही मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव की तारीख भी घोषित कर दी जाएगी। मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव इस बार कई मायनों में अहम है। यह प्रदेश का एक तरह से मिनी चुनाव है। इससे तय होगा कि सत्ता में भाजपा बनी रहेगी या फिर कांग्रेस को फिर से काबिज होने का मौका मिलेगा। राज्य में ब्यावरा के कांग्रेसी विधायक गोवर्धन दांगी की मौत के बाद उपचुनावों वाली सीटों की संख्या अब 27 से बढ़कर 28 हो चुकी है। प्रदेश में इतनी ज्यादा सीटों पर कभी भी एक साथ उपचुनाव नहीं हुए, इसलिए हम इसे मिनी विधानसभा चुनाव कह रहे हैं। हर चुनाव की तरह इसमें भी कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही हैं। Madhya Pradesh By Election: BJP बचा पाएगी सत्ता, जानिए कौन कितने पानी में ? | वनइंडिया हिंदी उपचुनाव की तारीख की घोषणा का इंतजार मध्य प्रदेश में जिन 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीख घोषित होने वाली है, उनमें 3 सीटें विधायकों के निधन के कारण खाली हुई हैं। जबकि, 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के सदन से इस्तीफे की वजह से खाली हुई हैं। ये पूर्व कांग्रेसी विधायक कमलनाथ का हाथ छोड़ने के बाद भारतीय जनता पार्टी का कमल थाम चुके हैं। उनमें से कुछ शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में मंत्री भी बन चुके हैं। प्रदेश की जिन 28 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से सिर्फ आगर की एक सीट छोड़कर सारी सीटें 2018 के दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीती थी। इस वजह से कांग्रेस के पास आज सिर्फ 88 विधायक रह गए हैं और सत्ताधारी भाजपा के पास 107 एमएलए हैं। इस तरह से 230 सदस्यों वाले सदन में अभी सिर्फ 202 विधायक...

उपचुनाव की परिभाषा क्या है? » Upchunav Ki Paribhasha Kya Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। उपचुनाव मुख्य चुनाव के बाद होने वाले चुनाव होते हैं जो मुख्य चुनाव ना होने पाने की स्थिति में करवाया जाता है जा तन मामलों में चुनाव अब लंबी कि मरने का इस्तीफा देने के बाद होते हैं लेकिन यह तभी होने होते हैं जब पद पर बने रहने के लिए अब लंबी आप पात्र हो जाता है उसे उपचुनाव कहते हैं upchunav mukhya chunav ke baad hone waale chunav hote hain jo mukhya chunav na hone paane ki sthiti me karvaya jata hai ja tan mamlon me chunav ab lambi ki marne ka istifa dene ke baad hote hain lekin yah tabhi hone hote hain jab pad par bane rehne ke liye ab lambi aap patra ho jata hai use upchunav kehte hain उपचुनाव मुख्य चुनाव के बाद होने वाले चुनाव होते हैं जो मुख्य चुनाव ना होने पाने की स्थिति

उपचुनाव क्या होता है

उपचुनाव के बारें में (By-election in hindi) : इसे सरल शब्दों में समझे तो उपचुनाव मुख्य चुनाव के बाद होने वाला चुनाव है जो मुख्य चुनाव न हो पाने की स्तिति में करवाया जाता है। ज्यादातर मामलों में ये चुनाव अवलंबी (election process in india) के मरने या इस्तीफा देने के बाद होते हैं, लेकिन ये तब भी होते हैं जब पद पर बने रहने के लिए अवलंबी अपात्र हो जाता है। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की आम तौर पर, इन चुनावों को तब कराया जाता है जब एक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव (today election in india) को वोटिंग अनियमितताओं द्वारा अमान्य किया जाता है। इसके अलावा आप यह भी ध्यान रहे की उपचुनाव में चुने गए जनप्रतिनिधि का कार्यकाल पूरे 5 साल नहीं होता बल्कि मुख्य चुनाव के लिए शेष बची अवधि उसका कार्यकाल होता है। उप चुनाव क्यों होते है? यहाँ हम आपको कुछ बिंदु बता रहे है, जिन्हें पढ़कर आप समझ सकते है की उप चुनाव (By polls in India) क्यों होते है... • जब किसी जनप्रतिनिधि (सांसद या विधायक) को पार्टी से बर्खास्त कर दिया जाए। • जब किसी निर्वाचन प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण मानते हुए निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया जाए। • जब कोई जनप्रतिनिधि (सांसद या विधायक) कार्यकाल पूरा होने से पहले अपने पद से इस्तीफा दे दे। • जब किसी जनप्रतिनिधि (सांसद या विधायक) को चुनाव के अयोग्य घोषित कर दिया जाए। • जब किसी जनप्रतिनिधि (सांसद या विधायक) की कार्यकाल पूर्ण होने से पहले ही मृत्यु हो जाए। उपरोक्त बिन्दुओं में से कोई एक घटना घट जाती है तब जाकर उपचुनाव कराना जरूरी हो जाता है। राजनितिक विज्ञानं से सम्बन्धित अधिक पढने के लिए यहाँ क्लिक करें