ऊतकों

  1. यूरिन में एल्ब्यूमिन: नार्मल स्तर, लक्षण, कारण, टेस्ट, इलाज
  2. स्नायु ऊतक के कार्य क्या हैं? / एनाटॉमी और फिजियोलॉजी
  3. ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) के लक्षण, कारण, इलाज और बचाव
  4. मानव शरीर की विभिन्न ग्रंथियाँ (Human Glands in Hindi) एवं उनके कार्य
  5. मानव त्वचा की संरचना, कार्य, स्तर, रोग, टेस्ट और इलाज
  6. Amla Side Effects: इन 4 लोगों को कभी नहीं खाना चाहिए आंवला, वरना अस्पताल के बेड पर खुलेगी आंख


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यूरिन में एल्ब्यूमिन: नार्मल स्तर, लक्षण, कारण, टेस्ट, इलाज

एल्ब्यूमिन रक्त में मौजूद एक सबसे महत्वपूर्ण प्रोटीन होता है । यूरिया और क्रिएटिनिन जैसे पदार्थ रक्त की सफाई करते समय शरीर से पेशाब के द्वारा बाहर निकाल दिए जाते हैं और एल्ब्यूमिन नहीं निकाला जाता। लेकिन जब पेशाब में एल्ब्यूमिन आ जाए तो यह किडनी की किसी बीमारी की ओर संकेत देता है। क्या होता है एल्ब्यूमिन एल्ब्यूमिन लीवर में बनने वाला एक साधारण प्रोटीन है, जो रक्त प्रवाह के माध्यम से पूरे शरीर मं जाता है। एल्ब्यूमिन शरीर में नए उतकों का विकास करने, कोशिकाओं की मरम्मत करने और उन्हें स्वस्थ बनाए रखने का काम करता है। एल्ब्यूमिन रक्त वाहिकाओं में रक्त का संतुलन बनाए रखने और रक्त-चाप बनाए रखने का काम करता है। रक्त और पेशाब में एल्ब्यूमिन की सामान्य मात्रा रक्त में एल्ब्यूमिन का सामान्य स्तर 3.4 से 5.4 g/dL. है। यदि आपके रक्त में एल्ब्यूमिन का स्तर इस सामान्य स्तर से कम है तो आशंका है कि आप कुपोषित हो सकते हैं या फिर आपको लीवर से संबंधित कोई बीमारी या असामान्यता है सकती है। पेशाब में एल्ब्यूमिन का आना भी रक्त में एल्ब्यूमिन के निम्न स्तर का कारण होता है। पेशाब में एल्ब्यूमिन का सामान्य स्तर 30 mg/प्रतिदिन से कम होता है। ययि आपके पेशाब में एल्ब्यूमिन का स्तर 30 mg/प्रतिदिन से अधिक है तो इसका मतलब है कि आपको किडनी की समस्याएं हो सकती हैं, भले ही आपकी GFR जाँच सामान्य आए। क्या है यूरिन में एल्ब्यूमिन आना एल्ब्यूमिन एक प्रकार का प्रोटीन है जो सामान्य रूप से रक्त में पाया जाता है। यह वह प्रोटीन है जो हमारे शरीर में मांसपेशियों के निर्माण, ऊतकों की मरम्मत और संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है। एल्ब्यूमिन मुख्य रूप से रक्त में होना चाहिए यदि यह पेशाब में आ जाता है तो यह किडनी की बीमारी ...

स्नायु ऊतक के कार्य क्या हैं? / एनाटॉमी और फिजियोलॉजी

के बीच में मांसपेशियों के ऊतकों का कार्य एक मुख्य रूप से कंकाल, हृदय और आंतरिक अंगों की गति को पाता है। शरीर के विशिष्ट भागों में स्थित तीन अलग-अलग प्रकार के मांसपेशी ऊतक होते हैं, जिनमें से प्रत्येक को शारीरिक कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है, जिन्हें आंदोलन की आवश्यकता होती है (श्वेत, 2001). स्नायु ऊतक जानवरों की सभी मांसपेशियों में पाया जाने वाला एक नरम ऊतक है जो मांसपेशियों को वज़न को स्थानांतरित करने या उठाने के लिए अनुबंध करने की अनुमति देता है. यह उत्तेजित करने योग्य कोशिकाओं से बना होता है, जो संकुचन और विश्राम की गति को नियंत्रित करने में सक्षम होता है। यह मानव शरीर में मौजूद सभी विभिन्न प्रकार के ऊतकों में सबसे प्रचुर मात्रा में ऊतक है, जैसे कि उपकला, संयोजी और तंत्रिका. मांसपेशी ऊतक के भीतर कई सूक्ष्म पोषक तत्व देखे जा सकते हैं जो कि एक्टिन और मायोसिन जैसे सिकुड़े हुए प्रोटीन से बने होते हैं। ये प्रोटीन सभी प्रकार की मांसपेशियों की गति के लिए जिम्मेदार होते हैं (सिगफ्राइड, 2004). मांसपेशियों के ऊतकों को तीन अलग-अलग प्रकारों में विभाजित किया जाता है: कंकाल, हृदय और चिकनी। ऊतक के इन विभिन्न प्रकारों में से प्रत्येक विशिष्ट कार्यों को पूरा करता है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों की आवाजाही की अनुमति देता है (रोसेस, 2003-2017). कंकाल के ऊतक में शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित तरीके से निष्पादित करने का कार्य होता है, हृदय का ऊतक हृदय की गति के लिए जिम्मेदार होता है जो शरीर को रक्त पंप करने की अनुमति देता है और चिकनी ऊतक में आंतरिक अंगों की प्रक्रियाओं को सुविधाजनक बनाने का कार्य होता है जो हृदय की विभिन्न प्रणालियों को बनाते हैं। शव. मांसपेशियों के ऊतकों और उनके कार्यों ...

ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) के लक्षण, कारण, इलाज और बचाव

Breast cancer in Hindi आज के इस लेख में आप जानेगे ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) क्या है यह कैसे होता है, स्तन कैंसर के कारण क्या होते है, ब्रैस्ट कैंसर के लक्षण क्या होते है और इन्हें कैसे पहचाने, ब्रैस्ट कैंसर की जांच कैसे की जाती है, स्तन कैंसर कितने प्रकार का होता है, ब्रैस्ट कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है, ब्रैस्ट कैंसर में क्या खाये और ब्रैस्ट कैंसर के बचाव के तरीकों के बारे में। भारतीय औरतों में स्तन कैंसर होने की औसत आयु घटती जा रही है। 22 में से एक महिला को जीवन के किसी भी समय में स्तन कैंसर से ग्रस्त होने का खतरा होता है अगर स्तन कैंसर का पता पहले या दुसरे चरण (stage) में लगा लिया जाता है तो इसके ठीक होने की सम्भावना अधिक होती है इसके लिए जागरूकता का होना बहुत जरूरी होता है इसके साथ ही स्तन की नियमित जांच और जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर स्तन कैंसर से बचा जा सकता है। 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) क्या है – What is Breast Cancer in hindi ब्रैस्ट कैंसर वह समस्या है जिसमें स्तन कोशिकाओं और ऊतकों में अनावश्यक रूप से वृद्धि होती है, जिससे स्तन में ट्यूमर बढ़ने लगता है यह ट्यूमर ही आंगे चलकर ब्रैस्ट कैंसर का कारण बनता है। स्तन कैंसर (ब्रैस्ट कैंसर )सामान्यता महिलाओं को होने वाला त्वचा का कैंसर है जो ज्यादातर महिलाओं की मौत का कारण बनता है। ब्रैस्ट कैंसर महिलाओं केअलावा पुरुषों में भी हो सकता है, लेकिन ज्यादातर महिलाओं में ही देखने को मिलता है। ब्रैस्ट कैंसर सामान्यता दूध उत्पादक ग्रंथियों (नलिकाओं) से शुरु होता है। यह कैंसर पुरुषों की तुलना मे महिलाओं में 100 गुना अधिक पाया जाता है। (और पढ़े – ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) के कारण – Causes of Breast Cance...

मानव शरीर की विभिन्न ग्रंथियाँ (Human Glands in Hindi) एवं उनके कार्य

मानव शरीर की रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई कोशिकाएं होती हैं, जो समूहों में विभिन्न ऊतकों का निर्माण करती हैं तथा इनसे मानव शरीर के विभिन्न छोटे बड़े अंगों का निर्माण होता है। अलग अलग अंग मिलकर शरीर के विभिन्न तंत्रों (Human Glands in Hindi) का निर्माण करते हैं तथा प्रत्येक तंत्र शरीर में किसी विशेष क्रिया के संचालन के लिए उत्तरदायी होता है। विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • • • उदाहरण के तौर पर रक्त प्रवाह के लिए परिसंचरण तंत्र, शरीर में गैसों का आदान-प्रदान एवं ऊर्जा के लिए श्वसन तंत्र तथा भोजन को पचाकर उससे जरूरी पोषक तत्वों को निकालने के लिए पाचन तंत्र आदि। इन तंत्रों के अंतर्गत ही अन्तःस्रावी प्रणाली (Human Glands in Hindi) भी शामिल है, जिसके बारे में आज इस लेख में चर्चा करेंगे। जानेंगे इस तंत्र का हमारे शरीर में क्या कार्य है तथा इसके अंतर्गत कौन कौन से अंग शामिल हैं। ग्रंथियाँ तथा इनसे निकलने वाले रसायन ग्रंथियाँ अथवा Glands मानव शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में शामिल हैं। ये शरीर में विभिन्न प्रकार के रसायनों (हार्मोन तथा एंजाइम) अथवा तरल पदार्थों का स्राव करती हैं, जो किसी अंग को किसी कार्य विशेष को करने के लिए प्रेरित अथवा उत्तेजित करता है। इन रसायनों के प्रभाव में ही हमारा शरीर किसी परिस्थिति विशेष में आवश्यक प्रतिक्रिया कर पाता है। हार्मोन : हार्मोन एक प्रकार के रसायन हैं, जिन्हें विभिन्न ग्रंथियों द्वारा रक्त में स्रावित किया जाता है तथा रक्त के प्रवाह में ये रसायन शरीर के विभिन्न हिस्सों तक संदेश ले जाने का कार्य करते हैं। इन्हें शरीर का संदेशवाहक भी कहा जा सकता है। हार्मोन्स ही हमारे शरीर के विकास, मेटाबॉलिज्म, प्रजनन आदि क्रियाओं के लिए उत्तरदाई होते हैं। इसक...

मानव त्वचा की संरचना, कार्य, स्तर, रोग, टेस्ट और इलाज

Human Skin Anatomy In Hindi: त्वचा एक वयस्क शरीर के कुल वजन का लगभग 15% होती है। यह शरीर के आवश्यक अंगों, मांसपेशियों, ऊतकों और कंकाल प्रणाली इत्यादि की, बाहरी दुनिया से सुरक्षा करती है। अतः एक स्वास्थ्य त्वचा मनुष्यों को बैक्टीरिया, बदलते तापमान और रासायनिक जोखिम से बचाती है। सनस्क्रीन लगाने, हाइड्रेटेड रहने और अपनी डाइट में विटामिन (A, C, E and K) से भरपूर खाद्य पदार्थ को शामिल करने से त्वचा को स्वस्थ्य रखने में मदद मिलती हैं। आज के इस लेख में आप जानेगें कि त्वचा क्या है, इसकी कितनी परतें होती हैं, तथा साथ-साथ इसके कार्य, रोग, निदान और उपचार के बारे में। 1. 2. 3. 4. 5. 6. मानव त्वचा की संरचना – Human skin anatomy in hindi त्वचा शरीर का सबसे बड़ा बाहरी भाग है, जिसका कुल क्षेत्रफल लगभग 20 वर्ग फुट होता है। मानव त्वचा की औसत मोटाई 0.05 से 0.65 सेमी० तक होती है। त्वचा मुख्य रूप से शरीर को एक सुरक्षात्मक कवच प्रदान करती है। यह यांत्रिक प्रभाव और दबाव, तापमान में बदलाव, सूक्ष्म जीव, विकिरण और रसायन इत्यादि से शरीर की रक्षा करती है। त्वचा को तीन परतों में विभाजित किया जाता है, जो एपिडर्मिस, डर्मिस, और चमड़े के नीचे की वसा या हाइपोडर्मिस (hypodermis) हैं। त्वचा का सबसे बाहरी स्तर, एपिडर्मिस में केराटिनोसाइट्स (keratinocytes) नामक कोशिकाओं का एक विशिष्ट समूह होता है, जो केराटिन (keratin) नामक एक सुरक्षात्मक प्रोटीन को संश्लेषित करता है। त्वचा की मध्य परत डर्मिस, मुख्य रूप से तंतुमय संरचनात्मक प्रोटीन कोलेजन (collagen) से बनी होती है। त्वचा की सबसे निचली परत हाइपोडर्मिस (hypodermis), वसा कोशिकाओं (लिपोसाइट्स) से बनी होती है। शरीर की शारीरिक रचना और भौगोलिक स्थिति के आधार पर, इन पर...

Amla Side Effects: इन 4 लोगों को कभी नहीं खाना चाहिए आंवला, वरना अस्पताल के बेड पर खुलेगी आंख

डीएनए हिंदीःआंवला जूस पीने के फायदों के बारे में तो आप बहुत कुछ जानते ही होंगे. यह इम्युनिटी बूस्टर है, विटामिन सी से भरपूर है और त्वचा और बालों की कई समस्याओं को दूर करने में भी मददगार है. लेकिन, क्या आप इसके नुकसान के बारे में भी जानते हैं. जी हां, हर बार आंवले का जूस पीना आपकी सेहत के लिए फायदेमंद नहीं होता है. कुछ बीमारियों में यह सेहत को फायदे की जगह बहुत नुकसान पहुंचा सकता है. तो आइए जानते हैं किन लोगों को आंवले का जूस पीने से बचना चाहिए. 1. लिवर से जुड़ी समस्याओं में आंवला न लें आंवला का जूस लीवर से जुड़ी कई स्थितियों के लिए हानिकारक हो सकता है. क्योंकि इसमें विटामिन सी और अत्यधिक अम्लीय तत्व होते हैं जो लिवर की चोट और दर्द को बदतर बना सकते है. इसलिए लीवर डैमेज और लीवर सिरोसिस के मामलों में आंवले का जूस पीने से पहले डॉक्टर से बात कर लें. 2. आंवला का किडनी पर दुष्प्रभाव किडनी से जुड़ी समस्याओं के लिए कई बार आंवले का जूस पीना हानिकारक हो सकता है. दरअसल, यह जूस मूत्रवर्धक गुणों से भरपूर होता है, लेकिन इसमें कुछ बायोएक्टिव तत्व भी होते हैं जो किडनी की बीमारी के दौरान कुछ कोशिकाओं और ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसलिए, अगर आप किडनी की गंभीर बीमारी से गुजर रहे हैं तो इसके सेवन से बचें. 3. लो बीपी में आंवला जूस 4. गर्भावस्था के दौरान आंवला के दुष्प्रभाव गर्भावस्था के दौरान आंवले का जूस पीना आपके लिए कई तरह से हानिकारक हो सकता है. सबसे पहले, यह अम्लता और खट्टी डकारें बढ़ा सकता है. दूसरा, आपको ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है. तीसरा, यह मूत्रवर्धक गुणों से भरपूर होता है और इसलिए पेशाब की मात्रा बढ़ा सकता है, जिससे निर्जलीकरण हो सकता है, जो गर्भावस्था के दौरान अच्छा नहीं होत...