वाख पाठ का भावार्थ class 9 pdf

  1. NCERT Books for Class 9
  2. Vaakh Class 9 Explanation : वाख का भावार्थ
  3. पठन सामग्री और भावार्थ
  4. Geet Ageet Poem Summary in Hindi
  5. Vakh Summary in Hindi Claas 9
  6. सवैये का भावार्थ
  7. वाख Class 9 Hindi (कृतिका और क्षितिज)
  8. Kaidi Aur Kokila Summary Class 9 Explanation
  9. NCERT Books in Hindi


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NCERT Books for Class 9

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Vaakh Class 9 Explanation : वाख का भावार्थ

Vaakh Class 9 Explanation , Vaakh Class 9 Hindi Kshitij Bhag 1 Chapter 10 Explanation , Laldyad Ke Vaakh Class 9 , वाख का भावार्थ कक्षा 9 हिन्दी क्षितिज भाग 1 अध्याय 10 , ललद्यद के वाख का अर्थ कक्षा 9 , Vaakh Class 9 Explanation वाख का भावार्थ कक्षा 9 Note – • “ललद्यद के वाख” पाठ के MCQS पढ़ने के लिए Link में Click करें – • “वाख ” पाठ के प्रश्न उत्तर पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page • वाख के भावार्थ को हमारे YouTube channel में देखने के लिए इस Link में Click करें। YouTube channel link – ( Padhai Ki Batein / पढाई की बातें) Vaakh Class 9 Explanation , वाख 1. रस्सी कच्चे धागे की , खींच रही मैं नाव। जाने कब सुन मेरी पुकार , करें देव भवसागर पार। भावार्थ – उपरोक्त काव्य खंड में कवयित्री ने अपनी जिंदगी की तुलना नाव से और अपनी श्वासों (सांस) की तुलना कच्ची डोरी से की है। कवयित्री कहती है कि मैं अपनी जिंदगी रूपी नाव को अपनी श्वासों रूपी कच्ची डोरी से खींच रही हूं। यानि जैसे-तैसे अपनी जिंदगी गुजार रही हूँ। आगे कवयित्री कहती हैं कि पता नहीं कब प्रभु उनकी करुण पुकार सुनकर , उन्हें इस संसार के जन्म मरण रूपी भवसागर से पार उतारेंगे। पानी टपके कच्चे सकोरे , व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे। जी में उठती रह-रह हूक , घर जाने की चाह है घेरे।। भावार्थ – यहाँ पर कवयित्री ने अपने शरीर की तुलना कच्ची मिट्टी के घड़े या बर्तन से की है जिसमें से लगातार पानी टपक रहा है। कवयित्री के कहने का तात्पर्य यह हैं कि हर बीतते दिन के साथ उनकी उम्र कम होती जा रही है और प्रभु से मिलने के उनके सारे प्रयास व्यर्थ होते जा रहे हैं। कवयित्री आगे कहती है कि उनका दिल बार-बार प्रभु मिलन को तड़प उठता हैं और अब उनके अंद...

पठन सामग्री और भावार्थ

(1) मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥ पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यो कर छत्र पुरंदर कारन। जो खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदीकूल कदम्ब की डारन॥ अर्थ - इन पंक्तियों द्वारा रसखान ने अपने आराध्य श्रीकृष्णकी जन्मभूमि के प्रति लगाव को प्रदर्शित किया है। वे कहते हैं की अगर अगले जन्म में उन्हें मनुष्य योनि मिले तो वे गोकुल के ग्वालों केबीच रहने का सुयोग मिले। अगर पशु योनि प्राप्त होतो वेब्रज में ही रहना चाहते हैंताकि वेनन्द की गायों के साथ विचरण कर सकें। अगर पत्थर भी बन जाएँतो भी उस पर्वत का जिसे हरिने अपनी तर्जनी पर उठा ब्रज को इन्द्र के प्रकोप से बचाया था। अगर पक्षी बने तो यमुना किनारे कदम्ब की डालों में बसेरा डालें। वे हर हाल में श्रीकृष्ण का सान्निध्य चाहते हैं चाहे इसके लिए उन्हें कोई भी परेशानी का सामना करना पड़े। (2) या लकुटी अरु कामरिया पर, राज तिहूँ पुर को तजि डारौं। आठहुँ सिद्धि, नवों निधि को सुख, नंद की धेनु चराय बिसारौं॥ रसखान कबौं इन आँखिन सों, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं। कोटिक हू कलधौत के धाम, करील के कुंजन ऊपर वारौं॥ अर्थ - यहाँ रसखान कह रहे हैं हैं की ग्वालों कीलाठी और कम्बल के लिए अगर उन्हें तीनों लोको का राज त्यागना पड़ा तो भी वे त्याग देंगे। वे इसके लिए आठों सिध्दि और नौ निधियों का भी सुख छोड़ने के लिए तैयार हैं। वे अपनी आँखों से ब्रज के वन, बागों और तालाब को जीवन भर निहारना चाहते हैं। वे ब्रज की कांटेंदार झाड़ियों के लिए भी सोने केसौ महल निछावर करने को तैयार हैं। मोरपखा सिरऊपर राखिहौं, गूंज की माल गरें पहिरौंगी। ओढ़ि पितंबर लै लकुटी बन गोधन गवरनि संग फिरौंगी।। भावतो वोही मेरो रसखानि...

Geet Ageet Poem Summary in Hindi

रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय- Ramdhari Singh Dinkar Ka Jeevan Parchay : हिन्दी के सुविख्यात कवि रामधारी सिंह दिनकर जी का जन्म 23 सितंबर 1908 में सिमरिया, मुंगेर में एक सामान्य किसान-पुत्र के रूप में हुआ था। दिनकर जब दो वर्ष के थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया। उनका एवं उनके भाई-बहनों का पालन-पोषण उनकी विधवा माता ने किया। उन्होंने अपना पूरा जीवन गांव में बिताया और इसी कारणवश उनकी कविताओं में गांव के सौंदर्य का बड़ा ही सजग वर्णन मिलता है। उन्होंने इतिहास, दर्शन-शास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया। कवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने सामाजिक-आर्थिक असमानता और शोषण के खिलाफ कविताओं की रचना की। उनकी महान रचनाओं में रश्मिरथी और परशुराम की प्रतीक्षा शामिल हैं। दिनकर के प्रथम तीन काव्य-संग्रह प्रमुख हैं– ‘रेणुका’ (1935 ई.), ‘हुंकार’ (1938 ई.) और ‘रसवन्ती’ (1939 ई.), ये उनके आरम्भिक आत्म-मंथन के युग की रचनाएँ हैं। दिनकर जी को उनकी रचना कुरुक्षेत्र के लिये काशी नागरी प्रचारिणी सभा, उत्तरप्रदेश सरकार और भारत सरकार से सम्मान मिला। संस्कृति के चार अध्याय के लिये उन्हें 1959 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें 1959 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया। वर्ष 1972 में काव्य रचना उर्वशी के लिये उन्हें ज्ञानपीठ से सम्मानित किया गया। 1952 में वे राज्यसभा के लिए चुने गये और लगातार तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे। रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत अगीत कविता का सार – Geet Ageet Poem Meaning in Hindi : कवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने इस कविता में गीत-...

Vakh Summary in Hindi Claas 9

Class 9 Hindi Kshitij Chapter 10 Summary Vakh by Lalghad Class 9 in Hindi ललघद का जीवन परिचय : ललघद का जन्म 1320 के आस-पास कश्मीर स्थित पांपोर गांव में हुआ था। ललघद को लल्लेश्वरी, लला, ललयोगेश्वरी, ललारीफ़ा आदि नामों से भी जाना जाता है। वे चौदहवीं सदी की एक भक्त कवयित्री थी, जो कश्मीर की शैव-भक्ति परम्परा और कश्मीरी भाषा की एक अनमोल कड़ी मानी जाती हैं। कश्मीरी संस्कृति और कश्मीर के लोगों के धार्मिक और सामाजिक विश्वासों के निर्माण में लल्लेश्वरी का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। ललघद की काव्य शैली को वाख कहा जाता है। इनकी कविताओं में चिंतन एवं भावनात्मकता का विचित्र संगम है। इन्होंने अपने वाखों के माध्यम से उस समय समाज में व्याप्त धार्मिक आडंबरों का खुलकर विरोध किया है। इनकी काव्य-शैली की भाषा अत्यंत सरल मानी जाती है, जिसके वजह से ललघद और भी प्रभावशाली बन जाती हैं। ललघद आधुनिक कश्मीरी भाषा का प्रमुख स्तंभ मानी जाती हैं। वाख कविता का सारांश : प्रस्तुत वाखों का संकलन मीरा कान्त जी ने किया है। यहाँ प्रस्तुत वाखों में कवयित्री ललघद हमें यह कहना चाह रही हैं कि ईश्वर को ढूंढने के लिए मंदिर-मस्जिद में जाने से कोई फायदा नहीं होगा। ईश्वर को प्राप्त करने का केवल एक ही मार्ग है। अगर कोई सच्चे हृदय से अपने अंतःकरण की ओर झांकेगा, तो ही वह ईश्वर को प्राप्त कर सकता है। ललघद के अनुसार आत्मज्ञान ही सच्चा ज्ञान है, जो हमें आडंबरों से भरी इस समाज रूपी नदी में डूबने से बचा सकता है। उन्होंने धार्मिक तथा अन्य भेदभावों का विरोध किया है और ईश्वर को एक बताया है। उनके अनुसार सद्कर्म के द्वारा ही हम इस मायाजाल से मुक्त हो सकते हैं। कवयित्री के अनुसार, हम सद्कर्म तभी कर सकते हैं, जब हम अपने अंदर बसे अहंका...

सवैये का भावार्थ

सवैये का भावार्थ | Raskhan ke Savaiye | NCERT Solutions for Hindi Class 9 Kshitij Chapter 11 Summary आज हम आप लोगों को क्षितिज भाग 1 कक्षा-9 पाठ-11 (NCERT Solutions for hindi class 9 kshitij bhag-1 Chapter – 11) सवैये काव्य खंड के भावार्थ (Raskhan ke Savaiye Summary ) बारे में बताने जा रहे है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं। सवैये का भावार्थ | Raskhan ke Savaiye कविता परिचय रसखान द्वारा रचित सवैयों में कृष्ण और उनकी लीला-भूमि वृंदावन की प्रत्येक वस्तु के प्रति लगाव प्रकट हुआ है। कवि श्रीकृष्ण के काले कंबल पर तीनों लोकों का सुख त्यागने को तैयार है। तीसरे सवैये में कृष्ण के रूप सौंदर्य पर मुग्ध गोपियाँ स्वयं कृष्ण रूप धारण करना चाहती हैं और चौथे सवैए में कृष्ण की बाँसुरी की धुन की मादकता तथा गोपियों की विवशता का सजीव चित्रण हुआ है। 1 मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन। जौ पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन।। पाहन हौं तो वही गिरि को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन। जौ खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन।। शब्दार्थ– मानुष-मनुष्य। बसौं-बसना, रहना। ग्वारन-ग्वालों के मध्य। कहा बस-वश में रहना। चरों-चरता रहूँ। नित-हमेशा । धेनु-गाय । मँझारन-बीच में। पाहन-पत्थर । गिरि-पर्वत । छत्र-छाता । पुरंदर-इंद्र । धारन-धारण किया। खग-पक्षी। बसेरो-निवास करना । कालिंदी-यमुना। कूल-किनारा । कदंब-एक वृक्ष । डारन-शाखाएँ, डालें। भावार्थ-कृष्ण की लीला भूमि ब्रज के प्रति अपना लगाव प्रकट करते हुए कवि कहता है कि अगले जन्म में यदि मैं मनुष्य बनूँ तो गोकुल गाँव के ग्व...

वाख Class 9 Hindi (कृतिका और क्षितिज)

वाख - Class 9 Hindi (कृतिका और क्षितिज) | Class 9 | Notes, Videos & Tests is part of Class 9 2023 for Class 9 Hindi (कृतिका और क्षितिज) preparation. The notes and questions for वाख - Class 9 Hindi (कृतिका और क्षितिज) | Class 9 | Notes, Videos & Tests have been prepared according to the Class 9 exam syllabus. Information about वाख - Class 9 Hindi (कृतिका और क्षितिज) | Class 9 | Notes, Videos & Tests covers all important topics for Class 9 2023 Exam. Find important definitions, questions, notes, meanings, examples, exercises and tests below for वाख - Class 9 Hindi (कृतिका और क्षितिज) | Class 9 | Notes, Videos & Tests. Introduction of वाख - Class 9 Hindi (कृतिका और क्षितिज) | Class 9 | Notes, Videos & Tests in English is available as part of our Class 9 Hindi (कृतिका और क्षितिज) for Class 9 & वाख - Class 9 Hindi (कृतिका और क्षितिज) | Class 9 | Notes, Videos & Tests in Hindi for Class 9 Hindi (कृतिका और क्षितिज) course. Download more important topics related with वाख - Class 9 Hindi (कृतिका और क्षितिज) | Class 9 | Notes, Videos & Tests, notes, lectures and mock test series for Class 9 Exam by signing up for free. In this chapter you can find the वाख - Class 9 Hindi (कृतिका और क्षितिज) | Class 9 | Notes, Videos & Tests defined & explained in the simplest way possible. Besides explaining types of वाख - Class 9 Hindi (कृतिका और क्षितिज) | Class 9 | Notes, Videos & Tests theory, EduRev gives you an ample number of questions to practice वाख - Class 9 Hindi (कृतिका और क्षितिज) | Cla...

Kaidi Aur Kokila Summary Class 9 Explanation

Kaidi Aur Kokila Class 9 Explanation | कैदी और कोकिला कविता का भावार्थ | NCERT Solutions for Hindi Class 9 Kshitij Chapter 12 आज हम आप लोगों को क्षितिज भाग 1 कक्षा-9 पाठ-12 (NCERT Solutions for hindi class 9 kshitij bhag-1 Chapter – 12) कैदी और कोकिला काव्य खंड के भावार्थ (Kaidi Aur Kokila Summary ) बारे में बताने जा रहे है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं। कैदी और कोकिला का सारांश – Kaidi Aur Kokila Summary कवि ने इस कविता को जिसका नाम है “कैदी और कोकिला” उस समय लिखी थी, जब हमारा देश ब्रिटिश शासन के अधीन गुलामी के जंजीरों में जकड़ा हुआ था। वे खुद भी एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिस वजह से उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। जेल में जाने के पश्चात उन्हें इस बात का पता चला की, जेल जाने के बाद स्वतंत्रता सेनानियों के साथ कितना दुर्व्यवहार किया जाता है। इसी सोच को उस समय सभी जनता के सामने लाने के लिए उन्होंने इस कविता की रचना की। अपनी इस कविता में कवि ने जेल में बंद एक स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ एक कोयल का भी वर्णन किया है। इस कविता में कवि हमें जेल में मिल रही उस समय की यातनाओं के बारे में बता रहे है। कवि (कैदी) के अनुसार, जहाँ पर चोर-डाकुओं को रखा जाता है, वहाँ उन्हें (स्वतंत्रता सेनानियों) को रखा गया है। उन्हें भर-पेट भोजन भी नसीब नहीं होता। ना वह रो सकते हैं और ना ही चैन की नींद सो सकते हैं। जेल में उन्हें बेड़ियाँ और हथकड़ियाँ पहन कर रहना पड़ता है। वहां उन्हें ना तो चैन से जीने दिया जाता है और ना ही चैन से मरने दिया जाता है। ऐसे में, कवि चाहते हैं कि यह कोयल समस्त देशवासियों को मुक्ति का गी...

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