वाल्मीकि जयंती कब की है

  1. महर्षि वाल्मीकि जयंती कब है, जानिए महत्व और इससे जुड़ी प्रचलित कथाएं
  2. Maharishi Valmiki Jayanti 2019 Date, History, Importance & Significance, Maharishi Valmiki Birthday Why We Celebrate
  3. वाल्मीकि जयंती 2022: जानें कब और क्यों मनाई जाती है वाल्मीकि जयंती और वाल्मीकि एक डाकू से कैसे बनें महर्षि
  4. valmiki jayanti 2022 date: valmiki jayanti 2022 mein kab hai valmiki jayanti kyon manae jaati hai
  5. Valmiki Jayanti 2022:महर्षि वाल्मिकी जयंती आज, जानिए उनके जीवन से जुड़ी खास बातें
  6. Valmiki Jayanti 2021 Know Date Puja Muhurat And Importance


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महर्षि वाल्मीकि जयंती कब है, जानिए महत्व और इससे जुड़ी प्रचलित कथाएं

भोपाल। सनातन धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथ रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की जयंती प्रतिवर्ष आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस बार महर्षि वाल्मीकि की जयंती 09 अक्टूबर को है। वाल्मीकि जयंती पर हर साल देश के विभिन्न हिस्सों में सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है । पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण महाकाव्य की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी। वाल्मीकि द्वारा संस्कृत में लिखी गई रामायण सबसे पुरानी मानी जाती है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है और यह दुनिया भर में प्रसिद्ध है। संस्कृत भाषा में पहली महाकाव्य कविता की रचना के कारण उन्हें आदिकवि भी कहा जाता है। महर्षि वाल्मीकि का जन्म- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महर्षि वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण से हुआ था। उनसे जुड़ी एक प्रचलित कथा के अनुसार उन्हें भीलों ने चुरा लिया था, जिसके बाद उनका पालन-पोषण भील समाज में हुआ। उसका नाम रत्नाकर था, वह अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए लोगों को लूटता था। एक बार उन्होंने नारद मुनि को बंधक बना लिया था, नारद मुनि की बात सुनकर उनका हृदय परिवर्तन हुआ और उन्होंने अनैतिक कार्यों को त्याग कर ईश्वर का मार्ग चुना। वाल्मीकि नाम क्यों? कहा जाता है कि एक बार महर्षि वाल्मीकि ध्यान में लीन थे। तभी दीमक उसके शरीर में प्रवेश कर गई। महर्षि वाल्मीकि ने साधना पूर्ण कर दीमक को हटा दिया। दीमकों के घर को वाल्मीकि कहते हैं। ऐसी अवस्था में उन्हें वाल्मीकि भी कहा जाता है। वाल्मीकि को रत्नाकर के नाम से भी जाना जाता है। लव-कुश को दिया ज्ञान- महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण में भगवान श्री राम और माता सीता के प...

Maharishi Valmiki Jayanti 2019 Date, History, Importance & Significance, Maharishi Valmiki Birthday Why We Celebrate

अश्विन महीने की शरद पूर्णिमा को महर्षि वाल्मीकि की जयंती (वाल्मीकि जयंती) मनाई जाती है. इस साल वाल्मीकि जयंती 13 अक्टूबर को पड़ रही है. वैदिक काल के प्रसिद्ध वाल्मीकि रामायण महाकाव्य के रचयिता के रूप में विश्व में विख्यात हैं. महर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में तो ज्यादा जानकारी नहीं है, हालांकि पौराणिक कथाओं के मुताबिक, महर्षि वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरूण और उनकी पत्नी चर्षणी के घर हुआ था. ऐसी मान्यता है कि वाल्मीकि के भाई भृगु थे. महर्षि का नाम वाल्मीकि उनके कठोर तप के कारण पड़ा था. बताया जाता है कि एक समय महर्षि वाल्मीकि ध्यान में मग्न थे और उनके शरीर को दीमकों ने घेर लिया था. जब उनकी साधना पूरी हुई तो वह दीमकों के घर से बाहर निकले. दीमकों के घर को वाल्मीकि कहा जाता है, इसलिए इनका नाम महर्षि वाल्मीकि पड़ा. ऐसी मान्यता है कि रत्नाकर ने लंबे वक्त कर राम नाम का जप किया, हालांकि कुछ समय के बाद राम शब्द मरा हो गया. मरा शब्द को कई सालों तक जपने के कारण वाल्मीकि का शरीर दुबला हो गया और उसपर चीटियां भी लग गईं. लेकिन अपनी कठोर साधना से वाल्मीकि ने ब्रह्मा को प्रसन्न किया. जिसके परिणाम स्वरूप ब्रह्मा ने उन्हें ज्ञान दिया और रामायण लिखने का सामर्थ्य दिया.

वाल्मीकि जयंती 2022: जानें कब और क्यों मनाई जाती है वाल्मीकि जयंती और वाल्मीकि एक डाकू से कैसे बनें महर्षि

माना जाता है कि महर्षि वाल्मीकि का जन्म आश्विन मास की शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। हालांकि उनके जन्म के संबंध में कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है, लेकिन पौराणिक मान्यताओं की मानें तो वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी के पुत्र के रूप में हुआ था। वरुण, महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र थे। महर्षि वाल्मीकि के बड़े भाई भृगु ऋषि थे। इस साल 2022 में वाल्मीकि जयंती 9 अक्टूबर को है। इस लेख में ऋषि वाल्मीकि के बारे में कुछ अहम बातें जानेंगे। एस्ट्रोलॉजर से बात करने के लिए: वाल्मीकि जयंती क्यों मनाई जाती हैं? महाकाव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था, इसलिए पंचांग के अनुसार वाल्मीकि जयंती हर साल पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। महाकाव्य में वाल्मीकि ने संस्कृत में 24,000 श्लोक, 7 सर्ग और अनेक श्लोक लिखे हैं। महर्षि वाल्मीकि की जयंती के दिन लोग महर्षि वाल्मीकि के सम्मान में एक जुलूस निकालते हैं और इस दिन को मनाते हुए भक्ति गीत और भजन गाते हैं। वाल्मीकि जयंती का इतिहास और महत्व वाल्मीकि जयंती हिंदू धर्म में बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है। वाल्मीकि, प्रचेता ब्राह्मण के पुत्र थे। वरुण का ही एक नाम प्रचेता है। ऐसा माना जाता है कि वाल्मीकि पहले एक डाकू थे जिन्हें रत्नाकर के नाम से जाना जाता था। वह लोगों को मार पीट करके लूटा करते थे, लेकिन एक दिन उनकी मुलाकात नारद मुनि से हुई, जिसके बाद से उनका जीवन हमेशा के लिए बदल गया और महर्षि वाल्मीकि भगवान राम के बहुत बड़े भक्त बन गए। इसलिए इस पर्व पर जीवन के परिवर्तन की कहानी सुनाई जाती है। जिससे मनुष्य बुरे कर्मों को छोड़कर अच्छे कर्म कर भक्ति के मार्ग पर चले। वैसे तो इस दिन को महा ऋषि वाल्मीकि जी की याद में मनाया जाता है, लेकिन...

valmiki jayanti 2022 date: valmiki jayanti 2022 mein kab hai valmiki jayanti kyon manae jaati hai

Valmiki Jayanti 2022 Date: शास्त्रों के अनुसार महर्षि वाल्मीकि का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए पंचांग के अनुसार वाल्मीकि जी के जन्मोत्सव के रूप में हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है। रामायण महाकाव्य के रचयिता महर्षि वाल्मीकि को आदिकवि के नाम से भी जाना जाता है। तो आइए जानते हैं इस साल वाल्मीकि जयंती कब है और क्या है इसका महत्व...

Valmiki Jayanti 2022:महर्षि वाल्मिकी जयंती आज, जानिए उनके जीवन से जुड़ी खास बातें

Valmiki Jayanti 2022: महर्षि वाल्मिकी जयंती आज, जानिए उनके जीवन से जुड़ी खास बातें विस्तार Valmiki Jayanti 2022: प्रत्येक वर्ष अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को महर्षि वाल्मीकि की जयंती मनाई जाती है। पूरे भारत में महर्षि वाल्मीकि की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस बार वाल्मीकि जयंती 09 अक्टूबर 2022 को है। महर्षि वाल्मीकि के द्वारा ही हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण महाकाव्य रामायण की रचना की गई थी। वाल्मीकि द्वारा संस्कृत भाषा में लिखी गई रामायण को सबसे प्राचीन माना जाता है। संस्कृत भाषा के प्रथम महाकाव्य की रचना करने के कारण महर्षि वाल्मीकि को आदि कवि भी कहा जाता है। महर्षि वाल्मीकि की जयंती पर देशभर में कई जगह धार्मिक कार्यक्रम होते है, झांकियां निकाली जाती हैं और मंदिरों में वाल्मीकि जी की पूजा की जाती है। महर्षि वाल्मीकि जी के नाम और उनके महर्षि बनने की कहानी बहुत दिलचस्प है। आइए जानते हैं वाल्मीकि जी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां... वाल्मीकि जयंती इस साल पूर्णिमा तिथि 09 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 40 मिनट से शुरू हो रही है, जो कि अगले दिन 10 अक्टूबर रात 2 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी। वाल्मीकि डाकू से महर्षि कैसे बने ? महर्षि वाल्मीकि के जन्म के विषय में कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं मिलता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार इनका जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी के यहां हुआ था। कहते हैं कि जन्म के बाद बाल काल में ही इन्हें भील समुदाय के लोग चुराकर ले गए थे, जिसके बाद इनका पालन-पोषण भील समाज में हुआ था और इनका नाम रत्नाकर था। अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए लोगों को लूटा करता था। इस घटना के बाद रत्नाकर बन गए महर्षि वाल्मीकि कहा जाता है कि एक बार रत्नाक...

Valmiki Jayanti 2021 Know Date Puja Muhurat And Importance

Valmiki Jayanti 2021 Importance: संस्कृत के आदि कवि महर्षि वाल्मीकि की जयंती (Valmiki Jayanti) आज 20 अक्टूबर 2021 को मनाई जा रही है. हिंदी कैलेंडर के अनुसार आदि कवि वाल्मीकि का जन्म अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था. इसलिए इसी उपलक्ष्य में हर साल पूर्णिमा तिथि को वाल्मीकि जयंती (Valmiki Jayanti) मनाई जाती है. अश्विन पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा भी कहते हैं. लोग जगत कल्याण की कामना करते हुए इस दिन मंदिरों में महर्षि वाल्मीकि की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. महर्षि वाल्मीकि ने सबसे पहले संस्कृत के श्लोक की रचना की थी. उन्होंने ही संस्कृत के महाकाव्य रामायण की भी रचना की थी, इस वजह से उनको संस्कृत के आदिकवि की उपाधि प्राप्त है. महर्षि वाल्मीकि जयंती 2021 तिथि ( Valmiki Jayanti Shubh Tithi) हिंदी पंचांग के अनुसार, अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा ति​​थि का प्रारंभ 19 अक्टूबर 2021 दिन मंगलवार को शाम 07 बजकर 03 मिनट से हुआ. यह तिथि आज 20 अक्टूबर को रात 08 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार इस वर्ष वाल्मीकि जयंती आज 20 अक्टूबर को मनाई जा रही है. वाल्मीकि जयंती 2021: पूजा मुहूर्त ( Valmiki Jayanti Shubh Muhurt) वाल्मीकि जयंती के दिन अर्थात 20 अक्टूबर को राहुकाल दोपहर 12 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक है. राहुकाल में पूजा आदि जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. इस दिन अमृत काल दिन में 11 बजकर 27 मिनट से दोपहर 01 बजकर 10 मिनट तक है एवं विजय मुहूर्त दोपहर बाद 01: 59 से 02:45 तक है. महर्षि वाल्मीकि जयंती का महत्व महर्षि वाल्मीकि संस्कृत के प्रथम कवि हैं. इन्हें संस्कृत का आदिकवि कहा जाता है. इन्होंने रामायण महाकाव्य की रचना संस्कृत में की. यह रामायण वाल्...