विश्वकर्मा पूजा कितना तारीख को है

  1. विश्वकर्मा पूजा 2023
  2. Vishwakarma Puja 2022 Date: When Is Vishwakarma Puja Know Exact Date Puja Muhurat And Importance
  3. विश्वकर्मा
  4. विश्वकर्मा पूजा 2021
  5. विश्वकर्मा पूजा आज, पढ़ें महत्‍व, पूजा विधि और आरती
  6. Vishwakarma Puja 2022 17 September Puja Muhurat Midhi Mantra Vishwakarma Jayanti Aarti


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विश्वकर्मा पूजा 2023

• इतिहास • घूमने के स्थान • कैसे पहुंचा जाये विश्वकर्मा जयंती पूरे भारत में दिव्य वास्तुकार की जयंती के रूप में मनाई जाती है, जिन्होंने देवी-देवताओं के लिए महलों, शहरों, हथियारों और वाहनों का निर्माण किया। विश्वकर्मा भगवान ब्रह्मा के पुत्र और वास्तुकला के देवता थे, जिन्हें द्वारका शहर बनाने के लिए जाना जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण अपने यादवों के वंश के साथ मथुरा से आए और हमेशा के लिए बस गए। वास्तुकला के देवता की पूजा पूरे भारत में की जाती है, लेकिन मुख्य रूप से ओडिशा में। श्रमिक खेतों और कारखानों में अपनी दक्षता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। पूजा बहुत सारे धार्मिक रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ मनाई जाती है जो निश्चित रूप से लोगों के लिए एक योग्य अनुभव है। यह किसी भी कीमत पर छूटने का अवसर नहीं है क्योंकि यह कई अन्य समारोहों और कार्यक्रमों के साथ चिह्नित है। विश्वकर्मा पूजा का इतिहास भारत प्राचीन ग्रंथों के अनुसार भाद्र मास के अंतिम दिन भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है। पूजा के रूप में भी जाना जाता है भाद्र संक्रांतिभारत के पूर्वी राज्यों में। भारत के कुछ उत्तरी राज्यों में दीवाली के एक दिन बाद माघ मास में भी यही पूजा की जाती है। किंवदंतियों में कहा गया है कि सर्वोच्च वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा का जन्म समुद्र मंथन से हुआ था, जो कि महान समुद्र मंथन है जो हिंदू परंपरा के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। लोकप्रिय लोककथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने स्वर्ग और इंद्रप्रस्थ जैसे प्राचीन शहरों को डिजाइन और बनाया। हस्तिनापुर, और लंका। ऋग्वेद में उनका उल्लेख सर्वोच्च बढ़ई के रूप में भी मिलता है, जो वास्तुकला और यांत्रिकी के विज...

Vishwakarma Puja 2022 Date: When Is Vishwakarma Puja Know Exact Date Puja Muhurat And Importance

Vishwakarma Puja 2022 Date: हिंदू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का खास महत्व है. धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma) इस सृष्टि के शिल्पकार हैं. इन्हें दुनिया का पहला वास्तुकार भी कहा जाता है. विश्वकर्मा पूजा के दिन (Vishwakarma Puja Date 2022) भगवान विश्वकर्मा की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही विश्वकर्मा पूजा के दिन शस्त्र पूजन भी किया जाता है. इससे अलावा इस दिन फैक्ट्री, कारखाने में मशीनों की पूजा की जाती है. इस बार विश्विकर्मा पूजा 17 सितंबर को होगी. आइए जानते हैं विश्वकर्मा पूजा की सही तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व के बारे में. विश्वकर्मा पूजा 2022 शुभ मुहूर्त | Vishwakarma Puja 2022 Date and Shubh Muhurat विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति के दिन होती है. इस बार विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को की जाएगी. इस बार विश्वकर्मा पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 17 सितंबर को सुबह 7 बजकर 36 मिनट से लेकर रात के 9 बजकर 38 मिनट तक है. इस दौरान भगवान विश्वकर्मा की पूजा शुभ फलदायी साबित होगी. विश्वकर्मा पूजा विधि | Vishwakarma Puja Vidhi विश्वकर्मा पूजा के दिन स्नान करके पूजन सामग्री को एकत्र कर लें. इसके बाद परिवार के साथ इस पूजा को शुरू करें. अगर पति-पत्नी इस पूजा को एक साथ करते हैं तो और भी अच्छा है. पूजा के हाथ में चावल (अक्षत) लें और भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें. इसके बाद भगवान विश्वकर्मा को सफेद फूल अर्पित करें. फिर धूप, दीप, पुष्प अर्पित करते हुए हवन कुंड में आहुति दें. इस दौरान अपनी मशीनों और औजारों की भी पूजा करें. फिर भगवान विश्वकर्मा को भोग लगाकर प्रसाद सभी को बांट दें. विश्वकर्मा पूजा का महत्व | Vishwakarma Puja Mahatva पौराणिक मान्यता और धर्म शास्त्रों के अनुसार,...

विश्वकर्मा

भगवान विश्वकर्मा सृजन, निर्माण, वास्तुकला, औजार, शिल्पकला, मूर्तिकला एवं वाहनों समेत समस्त संसारिक वस्तुओं के अधिष्ठात्र देवता भगवान विश्वकर्मा अपने सिंहासन पर विराजमान और अपने भक्तों से घिरे हुए अन्य नाम विश्वकर्मा, देव शिल्पी, जगतकर्ता और शिल्पेश्वर निवासस्थान विश्वकर्मा लोक अस्त्र कमंडल, पाश, प्रतीक औजार माता-पिता संतान बृहस्मति, त्यौहार विश्वकर्मा पूजा (१७ सितंबर हर साल) अनुक्रम • 1 वेदों में उल्लेख • 2 आश्चर्यजनक वास्तुकार • 3 विश्वकर्मा जयंती • 4 इन्हें भी देखें • 5 बाहरी कड़ियाँ वेदों में उल्लेख [ ] प्रजापति विश्वकर्मा विसुचित। परन्तु महाभारत के खिल भाग सहित सभी पुराणकार प्रभात पुत्र विश्वकर्मा को आदि विश्वकर्मा मानतें हैं। स्कंद पुराण प्रभात खण्ड के निम्न श्लोक की भांति किंचित पाठ भेद से सभी पुराणों में यह श्लोक मिलता हैः- बृहस्पते भगिनी भुवना ब्रह्मवादिनी। प्रभासस्य तस्य भार्या बसूनामष्टमस्य च। विश्वकर्मा सुतस्तस्यशिल्पकर्ता प्रजापतिः॥16॥ महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र बृहस्पति की बहन भुवना जो ब्रह्मविद्या जानने वाली थी वह अष्टम् वसु महर्षि प्रभास की पत्नी बनी और उससे सम्पुर्ण शिल्प विद्या के ज्ञाता प्रजापति विश्वकर्मा का जन्म हुआ। पुराणों में कहीं योगसिद्धा, वरस्त्री नाम भी बृहस्पति की बहन का लिखा है। शिल्प शास्त्र का कर्ता वह ईश विश्वकर्मा देवताओं का आचार्य है, सम्पूर्ण सिद्धियों का जनक है, वह प्रभास ऋषि का पुत्र है और महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र का भानजा है। अर्थात अंगिरा का दौहितृ (दोहिता) है। अंगिरा कुल से विश्वकर्मा का सम्बन्ध तो सभी विद्वान स्वीकार करते हैं। जिस तरह भारत मे विश्वकर्मा को शिल्पशस्त्र का अविष्कार करने वाला देवता माना जाता हे और सभी कारीगर ...

विश्वकर्मा पूजा 2021

Read in English भगवान विश्वकर्मा की पूजा हर साल सितंबर के महीने में की जाती है, जिन्हें सृष्टि और सृष्टि के देवता देवताओं का शिल्पी कहा जाता है। इसी माह भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है। विश्वकर्मा पूजा के दिन विशेष रूप से निर्माण कार्य से जुड़े औजारों, मशीनों, दुकानों, कारखानों आदि की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा की कृपा से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है, व्यापार में उन्नति होती है। जो भी कार्य शुरू होते हैं, वे पूरे होते हैं। भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर भी कहा जाता है। इस साल कब है विश्वकर्मा पूजा, क्या है पूजा का समय? हर साल की तरह इस बार भी भगवान विश्वकर्मा कौन हैं मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा पहले वास्तुकार और इंजीनियर हैं। उन्होंने स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, द्वारका नगरी, यमपुरी, कुबेरपुरी आदि का निर्माण कराया। उन्होंने इस संसार की रचना में ब्रह्मा जी की सहायता की थी। इस दुनिया का नक्शा तैयार किया गया था। हिन्दू धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व है। पूजा के माध्यम से लोग भगवान के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करते हैं और परिणामस्वरूप उनकी मनोकामना पूरी होती है। लोग दिन के अनुसार प्रत्येक भगवान की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। पूजा भगवान के प्रति समर्पण दिखाने के लिए की जाती है और इसके बाद आरती की रस्म होती है।

विश्वकर्मा पूजा आज, पढ़ें महत्‍व, पूजा विधि और आरती

विश्वकर्मा पूजा पर ऐसे करें भगवान विश्वकर्मा की आराधना, धन-धान्य से भरा रहेगा जीवन! भारत को हमेशा से ही त्योहारों का देश माना जाता रहा है, जहाँ अलग-अलग धर्म के लोग विभिन्न त्योहारों-पर्वों को मिल-जुलकर मनाते हैं। इन्ही में से एक पर्व है विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja), जो हर वर्ष 17 सितंबर को मनाया जाता है। इस वर्ष ये तारीख मंगलवार के दिन पड़ रही है। माना जाता है कि इस दिन निर्माण के देवता विश्वकर्मा का जन्‍म हुआ था, जिनका देवशिल्‍पी यानी देवताओं के वास्‍तुकार के रूप में पूजन किये जाने का विधान है। हिन्दू धर्म के अनुसार उन्‍होंने ही सभी देवताओं के लिए महलों, शास्त्रों और भवनों का निर्माण किया था। ऐसे में आज विश्वकर्मा पूजा के मौके पर ज़्यादातर दफ्तरों में अवकाश होता है, इस दौरान लोग अपने औजारों, मशीनों और दुकानों की विधिवत पूजा करते हुए भगवान विश्वकर्मा की आराधना करते हैं। विश्वकर्मा पूजा का महत्व भगवान विश्वकर्मा को विश्व के पहले वास्तुकार के रूप में पूजा जाता है। जिनकी पूजा करने से माना जाता है कि व्यक्ति की शिल्पकला का विकास होता है और इससे इंजीनियर, मिस्त्री, वेल्डर, बढ़ई, मिस्त्री जैसे पेशेवर लोग पहले से अधिक कुशलता से काम कर पाते है। ऐसे में भगवान विश्वकर्मा को समर्पित इस त्योहार को पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग विशेष रूप से पूरी विधि-विधान अनुसार विश्वकर्मा देवता की पूजा करते है और साथ ही अपने औजारों और अस्त्रों की भी साफ सफाई कर उनकी पूजा करते है। इस मौके पर पूजा के बाद प्रसाद बांटने का भी विधान है। इस दिन औजारों की पूजा को लेकर माना जाता है कि यदि जीवन में शिल्पकार ना रहे तो हम फिर से पाषाण काल में चले जाएंगे। ऐसे में आज के युग में मानव...

Vishwakarma Puja 2022 17 September Puja Muhurat Midhi Mantra Vishwakarma Jayanti Aarti

Vishwakarma Puja 2022: विश्वकर्मा पूजा पर कल बन रहे 5 अद्भुत संयोग, जानें मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि Vishwakarma Puja 2022 Muhurat: विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर 2022 को मनाई जाती है. विश्वकर्मा जयंती पर सालों बाद 5 अद्भुत योग का संयोग बन रहा है. जानते हैं विश्वकर्मा जयंती का मुहूर्त, योग और पूजा विधि. Vishwakarma Puja 2022 Time: देवताओं के शिल्पकार भगवान विश्वरकर्मा का जन्म अश्विन माह की कन्या संक्राति (Kanya Sankranti 2022) को हुआ था. हर साल विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर 2022 (Vishwakarma Jayanti 2022 date) को मनाई जाती है. इस दिन सृष्टि का पहला इंजीनियर माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की पूजा होती है. विश्वकर्मा जयंती पर लोग अपने दफ्तरों, कारखानों में मशीनों, औजारों और निर्माण कार्यों में काम आने वाले उपकरण, वाहनों की पूजा कर कार्य में तरक्की की प्रार्थना करते हैं. इस साल विश्वकर्मा जयंती पर सालों बाद 5 अद्भुत योग का संयोग बन रहा है. कहते हैं शुभ संयोग में ब्रह्मा जी के मानस पुत्र और वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा करने से व्यापार में वृद्धि होती है, जातक अपने कार्यों में सफलता पाते हैं. आइए जानते हैं विश्वकर्मा जयंती का मुहूर्त, योग और पूजा विधि. विश्वकर्मा पूजा 2022 मुहूर्त (Vishwakarma Puja 2022 Muhurat) विश्वकर्मा जयंती पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा के तीन शुभ मुहूर्त है. मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा से कारोबार में कभी रुकावट नहीं आती. शुभ मुहूर्त में पूजा करने पर व्यक्ति को व्वयवसाय में उन्नति और कुशलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है. सुबह का मुहूर्त - 07.39 AM - 09.11 AM (17 सितंबर 2022) दोपहर का मुहूर्त - 01.48 PM - 03.20 PM (17 सितंबर 2022) तीसरा मुहूर्त ...