यूरोलॉजी क्या होता है

  1. यज्ञोपवीत
  2. यूरोलॉजी सर्जरी
  3. Urological Health: General Guidelines To Improve Urological Health
  4. विस्तार से जानिए MS क्या है और इसे कैसे करें
  5. उर्दू शब्दकोश
  6. know how to deal with urine related problems from urology expert
  7. मरीज के गुर्दा में था कैंसर; चार घंटे की सर्जरी में मात्र निकला 100 एमएल खून
  8. साइकोलॉजी क्या है?, अर्थ, परिभाषा और शाखाएं
  9. यज्ञोपवीत
  10. Urological Health: General Guidelines To Improve Urological Health


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यज्ञोपवीत

यज्ञोपवीत (संस्कृत संधि विच्छेद= यज्ञ+उपवीत) शब्द के दो अर्थ हैं- उपनयन संस्कार जिसमें जनेऊ पहना जाता है और विद्यारंभ होता है। मुंडन और पवित्र जल में स्नान भी इस संस्कार के अंग होते हैं। सूत से बना वह पवित्र धागा जिसे यज्ञोपवीतधारी व्यक्ति बाएँ कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। यज्ञोपवीत एक विशिष्ट सूत्र को विशेष विधि से ग्रन्थित करके बनाया जाता है। इसमें सात ग्रन्थियां लगायी जाती हैं। ब्राह्मणों के यज्ञोपवीत में ब्रह्मग्रंथि होती है। तीन सूत्रों वाले इस यज्ञोपवीत को गुरु दीक्षा के बाद हमेशा धारण किया जाता है। तीन सूत्र हिंदू त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक होते हैं। अपवित्र होने पर यज्ञोपवीत बदल लिया जाता है। बिना यज्ञोपवीत धारण किये अन्न जल गृहण नहीं किया जाता। यज्ञोपवीत धारण करने का मन्त्र: बाजसनेयीनाम्; यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्। आयुष्यमग्रं प्रतिमुंच शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः ।। (पारस्कर गृह्यसूत्र, ऋग्वेद, २/२/११) छन्दोगानाम्: ॐ यज्ञो पवीतमसि यज्ञस्य त्वोपवीतेनोपनह्यामि।। यज्ञोपवीत उतारने का मंत्र: एतावद्दिन पर्यन्तं ब्रह्म त्वं धारितं मया। जीर्णत्वात्वत्परित्यागो गच्छ सूत्र यथा सुखम्।। जनेऊ: जनेऊ का नाम सुनते ही सबसे पहले जो चीज़ मन में आती है, वो है धागा, दूसरी चीज है ब्राह्मण। जनेऊ का संबंध क्या सिर्फ ब्राह्मण से है, ये जनेऊ पहनते क्यों हैं, क्या इसका कोई लाभ है, जनेऊ क्या, क्यों, कैसे आज आपका परिचय इससे ही करवाते हैं। जनेऊ को उपवीत, यज्ञसूत्र, व्रतबन्ध, बलबन्ध, मोनीबन्ध और ब्रह्मसूत्र के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के 24 संस्कारों (आप सभी को 16 संस्कार पता होंगे लेकिन वो प्रधान संस्कार हैं, 8 उप संस्का...

यूरोलॉजी सर्जरी

The on-screen keyboard can be used to type English or Indian language words. The keyboard uses the ISCII layout developed by the Government of India. It is also used in Windows, Apple and other systems. There is a base layout, and an alternative layout when the Shift key is pressed. If you have any questions about it, please contact us. यूरोलॉजी सर्जरी का अंग्रेजी मतलब यूरोलॉजी सर्जरी का अंग्रेजी अर्थ, यूरोलॉजी सर्जरी की परिभाषा, यूरोलॉजी सर्जरी का अनुवाद और अर्थ, यूरोलॉजी सर्जरी के लिए अंग्रेजी शब्द। यूरोलॉजी सर्जरी के उच्चारण सीखें और बोलने का अभ्यास करें। यूरोलॉजी सर्जरी का अर्थ क्या है? यूरोलॉजी सर्जरी का हिन्दी मतलब, यूरोलॉजी सर्जरी का मीनिंग, यूरोलॉजी सर्जरी का हिन्दी अर्थ, यूरोलॉजी सर्जरी का हिन्दी अनुवाद, का हिन्दी मीनिंग, का हिन्दी अर्थ. "यूरोलॉजी सर्जरी" के बारे में यूरोलॉजी सर्जरी का अर्थ अंग्रेजी में, यूरोलॉजी सर्जरी का इंगलिश अर्थ, यूरोलॉजी सर्जरी का उच्चारण और उदाहरण वाक्य। यूरोलॉजी सर्जरी का हिन्दी मीनिंग, यूरोलॉजी सर्जरी का हिन्दी अर्थ, यूरोलॉजी सर्जरी का हिन्दी अनुवाद, का हिन्दी मीनिंग, का हिन्दी अर्थ।

Urological Health: General Guidelines To Improve Urological Health

Urological Health: यूरोलॉजिकल हेल्थ क्या है, जानें यूरोलॉजी प्रॉब्लम के बारे में सबकुछ... Urinary tract infection (UTI): यूरोलॉजिकल बीमारियां (Urological Diseases) यानी मूत्र संबंधी रोग महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्गों सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है. इस लेख में हम आपको बता रहे हैं मूत्र रोगों के इलाज, कारण और बचाव के उपायों के बारे में- यूरोलॉजिकल हेल्थ (Urological Health) यानी मूत्र संबंधी स्वास्थ्य सेहत के लिए बहुत जरूरी है. अक्सर पूछा जाता है कि यूरोलॉजी क्या है, तो आपको बता दें कि यूरोलॉजी एक मेडिसिन स्पेशिलिटी है यानी विशेषज्ञता, जो कि यूरिनरी ट्रेक (Urinary Tract Infection) जैसे किडनी, यूट्रस, ब्लैडर वगैरह से जुड़ी समस्याओं से संबंधी है. यूरोलॉजिकल बीमारियां (Urological diseases) यानी मूत्र संबंधी रोग महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्गों सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है. इस लेख में हम आपको बता रहे हैं मूत्र रोगों के इलाज, कारण और बचाव के उपायों के बारे में- मूत्र रोगों से बचने के उपाय (Tips to Improve Urological Health) ऐसे बहुत से काम हैं जो कर आप बेहतर यूरिनरी हेल्थ पा सकते हैं. हेल्दी यूरिनरी ट्रेक के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा. संपूर्ण मूत्र प्रणाली को रोग मुक्त बनाए रखने के लिए हम दे रहे हैं आपको कुछ टिप्स - 1. अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहें, जलवायु परिस्थितियों के आधार पर एक दिन में 3 से 4 लीटर पानी का सेवन करना चाहिए (यदि गुर्दे सामान्य रूप से काम कर रहे हैं). अपशिष्ट उत्पादों (Waste Products) ज्यादातर मूत्र के माध्यम से ही शरीर से बाहर जाते हैं. इसलिए जब आप ज्यादा पानी पीते हैं तो टॉक्सिन्स बाहर निकलने में मदद होती है. तो इस तरह आप ज्या...

विस्तार से जानिए MS क्या है और इसे कैसे करें

बायोलॉजी विषय से पूरी होते ही बहुत से बच्चे डॉक्टर बनने का ख्वाब देखते हैं। डॉक्टर कई तरह के होते हैं। जो डॉक्टर मरीजों की सर्जरी करता है उसे सर्जन कहते हैं। ज्यादातर बच्चे जो मेडिकल की पढ़ाई करते हैं उनका ख्वाब एक सर्जन बनना ही होता है। ऐसे में बहुत से बच्चों के मन में ऐसा प्रश्न उत्पन्न होता होगा कि MS kya hai है। पहले तो आप जान लीजिए कि MS का फुल फॉर्म Master of Surgery है। हिंदी में एमएस का फुल फॉर्म शल्यविज्ञान निष्णात होता है। एमएस एक पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री कोर्स है, जो सर्जरी के क्षेत्र में प्रदान किया जाता है। जिन लोगों ने चिकित्सा में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली है, वे एमएस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। MS kya hai के बारे में विस्तार से जानने के लिए यह ब्लॉग पूरा पढ़ें। This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • MS क्या होता है? एम.एस की पढ़ाई एम.बी.बी.एस. करने के बाद ही कर सकते हैं। कोई भी डॉक्टर बनने में कम से कम 5 से 6 साल का वक्त लगता है। एम.बी बी.एस करने के बाद मास्टर ऑफ सर्जरी का कोर्स किया जाता है।एमएस 3 साल का पोस्ट ग्रेजुएशन का कोर्स है, जिसमें विद्यार्थी सर्जिकल ट्रेनिंग की स्किल और नॉलेज प्राप्त करते हैं। इस कोर्स के माध्यम से डॉक्टरों को किसी भी बीमारी का सटीक इलाज करना बताया जाता है। उन्हें इस कोर्स के तहत हर बात को बहुत ही गहराई से बताई जाती है। मास्टर ऑफ सर्जरी कोर्स में आपको रिसर्च और सर्जरी के विषयों के बारे में पढ़ाया जाता है इसमें आपको स्वास्थ्य विभाग के अलग-अलग विषयों, बिमारियों और अलग-अलग भागो के बारे में पढ़ाया जाता है। इस कोर्स के पूरा होने पर ही डॉक्टर सर्जन बनते हैं।इस कोर्स में आपको विभिन्न क्षेत्र में स्पेशलाइजेशन करने का मौका मिलता ...

उर्दू शब्दकोश

Urdu: The Lingua Franca of 12th Century India Many people are aware of the fact that Urdu originated in northern India and spread across the entire subcontinent henceforth. But very few people know that there was a time when Urdu was the most commonly spoken language in mediaeval India ...continue reading रेख़्ता डिक्शनरी उर्दू भाषा के संरक्षण और प्रसार के लिए रेख़्ता फ़ाउंडेशन की एक महत्त्वपूर्ण पहल है। रेख़्ता डिक्शनरी की टीम इस डिक्शनरी के उपयोग को और सरल एवं अर्थपूर्ण बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नरत है। कृपया रेख़्ता डिक्शनरी को संसार का सर्वश्रेष्ठ त्रिभाषी शब्दकोश बनाने के लिए हमें सहयोग कीजिए। दानकर्ता द्वारा दी गई योगदान-राशि भारतीय अधिनियम की धारा 80G के तहत कर-छूट के अधीन होगी।

know how to deal with urine related problems from urology expert

देरी, अनदेखी, लापरवाही और जानकारी का अभाव अकसर हमारे लिए सेहत से जुड़ी गंभीर समस्या का कारण बन जाता है। ऐसे ही मुद्दों में से एक है पेशाब का महसूस होना और उसके निस्तारण में देरी करना। विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसा करके आप मुसीबतों को न्योता दे रहे हैं। ऐसी ही परेशानियों के बारे में जानकारी दे रही हैं दिव्यानी त्रिपाठी हमारा शरीर कुदरत की एक बहुत अच्छी कृति है, जो अपने लिए जरूरी हर काम के लिए समय-समय पर अलार्म बजाकर हमें सतर्क करता रहता है। ऐसी ही एक प्रक्रिया है पेशाब का महसूस होना और उसका निस्तारण। कई बार हम ऐसी परिस्थिति में होते हैं कि अलार्म बजने के बाद भी इस प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पाते, यानी महसूस होने पर भी हम उसे रोक कर रखते हैं। ऐसा कभी-कभी हो, तो फर्क नहीं पड़ता, लेकिन अगर आप अकसर ऐसा करते हैं, तो यकीनन यह आपकी सेहत पर ग्रहण लगा सकता है। हो सकती है गुर्दे में पथरी लम्बे समय तक पेशाब को रोके रखने की आदत आपको पेशाब की थैली, गुर्दे या पेशाब की नली में जलन और सूजन सरीखी समस्याओं का शिकार बना सकती है। आपका ऐसा करना गुर्दे के लिए बेहद हानिकारक है। इससे किडनी की कार्यप्रणाली में बाधा आ जाती है और उसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है। पेशाब में मौजूद मिनरल एकत्रित होकर गुर्दों में पथरी का निर्माण कर सकते हैं। इससे गुर्दे में पथरी या संक्रमण की आशंका रहती है। पेशाब के रास्ते में संक्रमण की आशंका यूं तो इस संक्रमण के होने के कई कारण हैं, लेकिन काफी देर तक पेशाब को रोके रखने से भी मूत्र मार्गीय संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। पेशाब की तीव्रता को ज्यादा देर तक नियंत्रित करना बैक्टीरिया को बढ़ाने का काम करता है। हालांकि शोध इस बात की पुष्टि नहीं करते, पर डॉक्टर इस बात से इत्तेफाक रखते है...

मरीज के गुर्दा में था कैंसर; चार घंटे की सर्जरी में मात्र निकला 100 एमएल खून

नोएडा में पहली बार रोबोट की मदद से गुर्दे के कैंसर का सर्जरी की गई। दाएं गुर्दा के कैंसर से जूझ रहे 60-वर्षीय मरीज महाबीर सिंह पर दा-विंची-ची-रोबोट-एडेड सर्जरी को डायरेक्‍टर, यूरोलॉजी एंड रीनल ट्रांसप्‍लांट, फोर्टिस हॉस्‍पीटल के डॉ दुष्‍यंत नाडर ने किया। इस सर्जरी को चार घंटे में पूरा किया गया। महावीर सिंह दादरी के रहने वाले है। डॉक्टर दुष्यंत नाडर ने बताया कि जब मरीज को अस्पताल आया गया। वह पेट के दर्द से ग्रस्‍त थे। मरीज की मेडिकल जांच यानी अल्‍ट्रासाउंड, सीटी स्‍कैन और रीनल एंजियोग्राम से उनके दाएं गुर्दे में एक पिंड दिखाई दिया। यह रीनल हिलम (किडनी का वह भाग जिसमें सभी रक्‍तवाहिकाएं और मूत्रन‍ली होती है) में था। सीटी स्‍कैन रिपोर्ट से मरीज के रीनल कैंसर का शिकार होने की पुष्टि हुई। 60-वर्षीय मरीज महाबीर सिंह 8 साल से थी परेशानी मरीज महावीर सिंह ने बताया कि मुझे ये बीमारी आठ साल से थी। लेकिन इस बारे में जानकारी नहीं थी। पेशाब करने में दिक्कत होती थी। पेट में दर्द रहता था। मेरे छोटे भाई की पत्नी का इलाज कराने यहां आया था। सोचा की अपना भी टेस्ट करा लू। जब जांच कराई तो इसकी जानकारी जानकारी मिली। अभी मै बिल्कुल फिट हूं। खाना टहलना और शरीर में स्फ़ूर्ती बनी हुई है। इससे पहले कई अस्पताल में गए वहां दवा दी जाती थी कुछ दिनों तक आराम मिलने पर फिर दिक्कत होने लगती थी। पूरी सर्जरी में महज 100 एमएल खून बहा डॉक्‍टरों की टीम ने इस कैंसरग्रस्‍त पिंड को निकालने के लिए रोबोटिक सर्जरी करने का फैसला किया। इस कैंसर की लोकेशन इतनी जटिल थी कि इसे निकालना वाकई चुनौतीपूर्ण था। डॉक्‍टर किडनी की प्रमुख रचनाओं को क्षतिग्रस्‍त किए बगैर इस कैंसरग्रस्‍त पिंड को निकालने में न सिर्फ सफल हुए बल्कि सर्जरी...

साइकोलॉजी क्या है?, अर्थ, परिभाषा और शाखाएं

विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • साइकोलॉजी क्या है? (Psychology Kya Hai) साइकोलॉजी मनोविज्ञान को ही कहा जाता है। इसमें मस्तिष्क फंक्शन और मनुष्य के व्यवहार को समझा जाता है। मनुष्य के आधार पर और उम्र के आधार पर मनोविज्ञान की अलग-अलग शाखाएं विभाजित की गई है। मनोविज्ञान की शाखाओं के बारे में नीचे जानकारी दी गई है। मनोविज्ञान की शाखाएं मनोविज्ञान के शाखाओं की संख्या देखी जाए तो 50 से अधिक हो सकती है। लेकिन यहाँ पर हम मुख्य शाखाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे, जिसका सीधा संबंध मनुष्य के व्यवहार और मस्तिष्क के फंक्शन के अध्ययन को लेकर होता है। सामान्य मनोविज्ञान मनोविज्ञान की यह पहली शाखा है। इसे सामान्य मनोविज्ञान के अंतर्गत मनुष्य के हर सामान्य व्यवहार को पढ़ा जाता है। सरल शब्दों में बताया जाए तो इस मनोविज्ञान की शाखा के जरिए मनुष्य के व्यवहार के बारे में साधारण जानकारी का अध्ययन किया जाता है। असामान्य मनोविज्ञान जाहिर सी बात है कि मनुष्य सामान्य व्यवहार के अलावा कई बार असामान्य व्यवहार भी लोगों के साथ रखता है। ऐसे में इस शाखा के जरिए हर मनुष्य के असामान्य व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। दूसरे शब्दों में बात की जाए तो असामान्य मनोविज्ञान के अंतर्गत व्यक्ति के दूसरी पर्सनैलिटी की चीजें शामिल होती है। शिक्षा मनोविज्ञान मनुष्य के जीवन में नियमों व सिद्धांतों का उपयोग करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में मनुष्य क्या करता है। उसके बारे में जानकारी शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत आती है। पशु मनोविज्ञान इसके अंतर्गत मानव और पशु के बीच सामान्य व्यवहार की तुलना की जाती है और मनुष्य को पशुओं के बीच अलग-अलग व्यवहारों की तुलना करते हुए हर अध्याय को पढ़ा जाता है। बाल मनोविज्ञान बाल मनोवि...

यज्ञोपवीत

यज्ञोपवीत (संस्कृत संधि विच्छेद= यज्ञ+उपवीत) शब्द के दो अर्थ हैं- उपनयन संस्कार जिसमें जनेऊ पहना जाता है और विद्यारंभ होता है। मुंडन और पवित्र जल में स्नान भी इस संस्कार के अंग होते हैं। सूत से बना वह पवित्र धागा जिसे यज्ञोपवीतधारी व्यक्ति बाएँ कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। यज्ञोपवीत एक विशिष्ट सूत्र को विशेष विधि से ग्रन्थित करके बनाया जाता है। इसमें सात ग्रन्थियां लगायी जाती हैं। ब्राह्मणों के यज्ञोपवीत में ब्रह्मग्रंथि होती है। तीन सूत्रों वाले इस यज्ञोपवीत को गुरु दीक्षा के बाद हमेशा धारण किया जाता है। तीन सूत्र हिंदू त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक होते हैं। अपवित्र होने पर यज्ञोपवीत बदल लिया जाता है। बिना यज्ञोपवीत धारण किये अन्न जल गृहण नहीं किया जाता। यज्ञोपवीत धारण करने का मन्त्र: बाजसनेयीनाम्; यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्। आयुष्यमग्रं प्रतिमुंच शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः ।। (पारस्कर गृह्यसूत्र, ऋग्वेद, २/२/११) छन्दोगानाम्: ॐ यज्ञो पवीतमसि यज्ञस्य त्वोपवीतेनोपनह्यामि।। यज्ञोपवीत उतारने का मंत्र: एतावद्दिन पर्यन्तं ब्रह्म त्वं धारितं मया। जीर्णत्वात्वत्परित्यागो गच्छ सूत्र यथा सुखम्।। जनेऊ: जनेऊ का नाम सुनते ही सबसे पहले जो चीज़ मन में आती है, वो है धागा, दूसरी चीज है ब्राह्मण। जनेऊ का संबंध क्या सिर्फ ब्राह्मण से है, ये जनेऊ पहनते क्यों हैं, क्या इसका कोई लाभ है, जनेऊ क्या, क्यों, कैसे आज आपका परिचय इससे ही करवाते हैं। जनेऊ को उपवीत, यज्ञसूत्र, व्रतबन्ध, बलबन्ध, मोनीबन्ध और ब्रह्मसूत्र के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के 24 संस्कारों (आप सभी को 16 संस्कार पता होंगे लेकिन वो प्रधान संस्कार हैं, 8 उप संस्का...

Urological Health: General Guidelines To Improve Urological Health

Urological Health: यूरोलॉजिकल हेल्थ क्या है, जानें यूरोलॉजी प्रॉब्लम के बारे में सबकुछ... Urinary tract infection (UTI): यूरोलॉजिकल बीमारियां (Urological Diseases) यानी मूत्र संबंधी रोग महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्गों सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है. इस लेख में हम आपको बता रहे हैं मूत्र रोगों के इलाज, कारण और बचाव के उपायों के बारे में- यूरोलॉजिकल हेल्थ (Urological Health) यानी मूत्र संबंधी स्वास्थ्य सेहत के लिए बहुत जरूरी है. अक्सर पूछा जाता है कि यूरोलॉजी क्या है, तो आपको बता दें कि यूरोलॉजी एक मेडिसिन स्पेशिलिटी है यानी विशेषज्ञता, जो कि यूरिनरी ट्रेक (Urinary Tract Infection) जैसे किडनी, यूट्रस, ब्लैडर वगैरह से जुड़ी समस्याओं से संबंधी है. यूरोलॉजिकल बीमारियां (Urological diseases) यानी मूत्र संबंधी रोग महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्गों सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है. इस लेख में हम आपको बता रहे हैं मूत्र रोगों के इलाज, कारण और बचाव के उपायों के बारे में- मूत्र रोगों से बचने के उपाय (Tips to Improve Urological Health) ऐसे बहुत से काम हैं जो कर आप बेहतर यूरिनरी हेल्थ पा सकते हैं. हेल्दी यूरिनरी ट्रेक के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा. संपूर्ण मूत्र प्रणाली को रोग मुक्त बनाए रखने के लिए हम दे रहे हैं आपको कुछ टिप्स - 1. अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहें, जलवायु परिस्थितियों के आधार पर एक दिन में 3 से 4 लीटर पानी का सेवन करना चाहिए (यदि गुर्दे सामान्य रूप से काम कर रहे हैं). अपशिष्ट उत्पादों (Waste Products) ज्यादातर मूत्र के माध्यम से ही शरीर से बाहर जाते हैं. इसलिए जब आप ज्यादा पानी पीते हैं तो टॉक्सिन्स बाहर निकलने में मदद होती है. तो इस तरह आप ज्या...