गणपति अथर्वशीर्ष

  1. गणपति अथर्वशीर्ष : आपकी किस्मत बदल देगा श्री गणेश का यह पवित्र पाठ
  2. प्रतिदिन पढ़ेंगे श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ तो बदल जाएगी किस्मत (पढ़ें हिन्दी अर्थ‍सहित)। Shree Ganpati Atharvashirsha
  3. गणपती अथर्वशीर्ष
  4. गणपति अथर्वशीर्ष मराठी अर्थ सहित
  5. गणपति अथर्वशीर्ष के नियमित पाठ से दूर होते हैं सारे संकट
  6. [PDF] संपूर्ण गणपति अथर्वशिर्ष
  7. गणपति अथर्वशीर्ष लिरिक्स
  8. श्री गणपति अथर्वशीर्ष सम्पूर्ण पाठ


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गणपति अथर्वशीर्ष : आपकी किस्मत बदल देगा श्री गणेश का यह पवित्र पाठ

भगवान श्री गणेश विघ्नहर्ता है। उनकी आराधना बहुत मंगलकारी मानी जाती है। प्रतिदिन प्रात: शुद्ध होकर गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करने से गणेश जी की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत है श्री गणपति अथर्वशीर्ष का संपूर्ण पाठ, जो मन की शांति पाने का और अपनी किस्मत बदलने का अचूक उपाय है। आइए पढ़ें...

प्रतिदिन पढ़ेंगे श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ तो बदल जाएगी किस्मत (पढ़ें हिन्दी अर्थ‍सहित)। Shree Ganpati Atharvashirsha

हे पार्वतीनंदन! तुम मेरी (मुझ शिष्य की) रक्षा करो। वक्ता (आचार्य) की रक्षा करो। श्रोता की रक्षा करो। दाता की रक्षा करो। धाता की रक्षा करो। व्याख्या करने वाले आचार्य की रक्षा करो। शिष्य की रक्षा करो। पश्चिम से रक्षा। पूर्व से रक्षा करो। उत्तर से रक्षा करो। दक्षिण से रक्षा करो। ऊपर से रक्षा करो। नीचे से रक्षा करो। सब ओर से मेरी रक्षा करो। चारों ओर से मेरी रक्षा करो। तुम सत्व, रज और तम तीनों गुणों से परे हो। तुम जागृत, स्वप्न और सुषुप्ति इन तीनों अवस्थाओं से परे हो। तुम स्थूल, सूक्ष्म औ वर्तमान तीनों देहों से परे हो। तुम भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों से परे हो। तुम मूलाधार चक्र में नित्य स्थित रहते हो। इच्छा, क्रिया और ज्ञान तीन प्रकार की शक्तियाँ तुम्हीं हो। तुम्हारा योगीजन नित्य ध्यान करते हैं। तुम ब्रह्मा हो, तुम विष्णु हो, तुम रुद्र हो, तुम इन्द्र हो, तुम अग्नि हो, तुम वायु हो, तुम सूर्य हो, तुम चंद्रमा हो, तुम ब्रह्म हो, भू:, र्भूव:, स्व: ये तीनों लोक तथा ॐकार वाच्य पर ब्रह्म भी तुम हो। गण के आदि अर्थात 'ग्' कर पहले उच्चारण करें। उसके बाद वर्णों के आदि अर्थात 'अ' उच्चारण करें। उसके बाद अनुस्वार उच्चारित होता है। इस प्रकार अर्धचंद्र से सुशोभित 'गं' ॐकार से अवरुद्ध होने पर तुम्हारे बीज मंत्र का स्वरूप (ॐ गं) है। गकार इसका पूर्वरूप है।बिन्दु उत्तर रूप है। नाद संधान है। संहिता संविध है। ऐसी यह गणेश विद्या है। इस महामंत्र के गणक ऋषि हैं। निचृंग्दाय छंद है श्री मद्महागणपति देवता हैं। वह महामंत्र है- ॐ गं गणपतये नम:। एकदंत चतुर्भज चारों हाथों में पाक्ष, अंकुश, अभय और वरदान की मुद्रा धारण किए तथा मूषक चिह्न की ध्वजा लिए हुए, रक्तवर्ण लंबोदर वाले सूप जैसे बड़े-बड़े कानों वाल...

गणपती अथर्वशीर्ष

श्री गणेश अथर्वशीर्ष हे एक नव्य उपनिषद आहे. अर्थ [ ] थर्व म्हणजे चंचल आणि अथर्व म्हणजे स्थिर. शीर्ष म्हणजे मस्तक. ज्याच्या पठणामुळे बुद्धीला स्थिरता येते असे उपनिषद म्हणजे अथर्वशीर्ष होय असा याचा अर्थ लावला जातो. वर्ण्यविषय [ ] यामध्ये प्रथम गणपतीच्या सगुणब्रह्माची उपासना सांगून शेवटी तो गणपती म्हणजे परब्रह्म होय असे त्याचे उदात्तीकरण केले आहे.गणपती हा तीन देहांच्या पलीकडचा असला तरी "गं" हे त्याचे तांत्रिक शरीर आहे आणि तोच त्याचा महामंत्रही आहे. गणपती हा विश्वाचा आधार असून तो ज्ञान आणि विज्ञानमय आहे. व्रातपती, शिवाच्या गणांचा अधिपती असा असलेल्या गणपतीला यामध्ये नमस्कार केलेला आहे. मूळ स्रोत मजकूर विकिस्रोत मध्ये स्थानांतरित [ ] आंतरबन्धू विकिप्रकल्प पुनर्निर्देशन: * असे का?: विकिपीडिया हे दालन पूर्वप्रकाशित प्रताधिकार मुक्त (कॉपीराईट फ्री) पूर्वप्रकाशित मराठी अथर्वशीर्ष [ ] ॐ नमस्ते गणपते, तूचि प्रत्यक्ष तत्त्व सत्। तूचि केवल कर्ता बा, तूचि धर्ताहि केवल। तूचि केवल संहर्ता, तूचि ब्रह्महि सर्वहे। तू साक्षात् नित्य तो आत्मा॥१॥ ऋत मी सत्य मी वदे ॥२॥ करी रक्षण तू माझे, वक्त्या-श्रोत्यांस रक्ष तू। दात्या-घेत्यांस तू रक्ष, गुरू - शिष्यांस रक्ष तू। मागुनी पुढुनी डाव्या, उजव्या बाजूने पण वरूनी खालुनी माझे, सर्वथा कर रक्षण॥३॥ जसा वाङ्मय आहेस, तू चिन्मयहि बा तसा। जसा आनन्दमय तू, तू ब्रह्ममयही तसा। देवा तू सच्चिदानन्द, अद्वितीयहि तू तसा। प्रत्यक्ष ब्रह्म तू, ज्ञान-विज्ञान-मयही तसा ॥४॥ सर्व हे जग उत्पन्न, तुझ्यापासुनि होतसे। त्याची स्थिती तुझ्यायोगे, विलयेल तुझ्यात ते। भासते ते तुझ्या ठायी, तू भूमि जल अग्नि तू। तूचि वायुनी आकाश, वाणी स्थाने ही चार तू ॥५॥ तू जसा त्रिगुणां-पार, त्रिदेहां...

गणपति अथर्वशीर्ष मराठी अर्थ सहित

गणपति अथर्वशीर्ष मराठी अर्थ सहित | Ganpati Atharvashirsha PDF Marathi गणपति अथर्वशीर्ष मराठी अर्थ सहित | Ganpati Atharvashirsha Marathi PDF Download Download PDF of गणपति अथर्वशीर्ष मराठी अर्थ सहित | Ganpati Atharvashirsha in Marathi from the link available below in the article, Marathi गणपति अथर्वशीर्ष मराठी अर्थ सहित | Ganpati Atharvashirsha PDF free or read online using the direct link given at the bottom of content. इस स्तोत्र का स्मरण करने से सारे दुखो का निवारण हो जाता है। इस स्तोत्र के रोजाना जाप करने से श्री गणपति जी हमे मन चाहा फल देते हैं। जो लोग रोजाना गणेश वंदना का जाप करते हैं भगवान उनके जीवन से उनके सारे दुखो को दूर कर देता देते है तथा उन्हें एक सुख और समृद्ध जीवन जीने का आशीर्वाद देते हैं। मित्रानो भगवान गणेशाची हिंदू संस्कृति मधील भूमिका महत्वाची आहे. प्रत्येक पूजा व शुभ कार्यात आधी गणेशाचे स्मरण केले जाते. पूजेतील प्रथम पूजनीय स्थान त्यांना त्यांचे वडील भगवान शंकराकडून मिळाले आहे. भगवान गणपती हे विद्या आणि पवित्रतेचे देवता आहेत. गणपती अथर्वशीर्ष स्त्रोत्रच्या नियमित पठणाने भगवान गणेश ची कृपा होऊन सर्व दुःखापासून मुक्ती मिळते. म्हणून आपणही वाचा श्री गणेश अथर्वशीर्ष मराठी. गणपति अथर्वशीर्ष पीडीएफ – मराठी अर्थ सहित | Ganpati Atharvashirsha in Marathi ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि त्वमेव केवलं कर्ताऽसि त्वमेव केवलं धर्ताऽसि त्वमेव केवलं हर्ताऽसि त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि त्व साक्षादात्माऽसि नित्यम्।।1।। ऋतं वच्मि। सत्यं वच्मि।।2।। अव त्व मां। अव वक्तारं। अव धातारं। अवानूचानमव शिष्यं। अव पश्चातात। अव पुरस्तात। अवोत्तरात्तात। अव दक्षिणात्तात्। ...

गणपति अथर्वशीर्ष के नियमित पाठ से दूर होते हैं सारे संकट

नई दिल्ली। प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश समस्त विघ्न बाधाओं का नाश करने वाले देवता हैं। इन्हीं को समर्पित एक वैदिक प्रार्थना है गणपति अथर्वशीर्ष। इसमें भगवान श्रीगणेश में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास मानते हुए जीवन के समस्त दुखों को हरने की प्रार्थना की गई है। इसके पाठ से एक अद्भुत तरह के मेडिटेशन यानी ध्यान की अवस्था प्राप्त होती है। यह एक ऐसा चमत्कारिक स्तोत्र है जिसका नियमित पाठ करने से जीवन के समस्त संकटों का नाश हो जाता है। यह पाठ करने वाले व्यक्ति को मानसिक मजबूती देता है, जिससे वह एकाग्र होकर अपने काम कर पाता है और इसी से उसे प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है। इसके पाठ से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है। आइए जानते हैं गणपति अथर्वशीर्ष के पाठ के लाभ। ये हैं पाठ के लाभ - गणपति अथर्वशीर्ष का कम से कम एक पाठ नियमित करने से शरीर की आंतरिक शुद्धि होती है। इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। - गणपति अथर्वशीर्ष के पाठ से मानसिक शांति और मानसिक मजबूती मिलती है। इससे दिमाग स्थिर रहते हुए सटीक निर्णय लेने के काबिल बनता है। - इसके नियमित पाठ से शरीर के सारे विषैले तत्व बाहर आ जाते हैं। शरीर में एक विशेष तरह की कांति पैदा होती है। - जीवन में स्थिरता आती है। कार्यों में बेवजह आने वाली रूकावटें दूर होती हैं। गणपति अथर्वशीर्ष से शांत होते हैं अशुभ ग्रह - जिन लोगों की जन्मकुंडली में चंद्र के साथ पाप ग्रह राहु, केतु और शनि बैठे हों उनका जीवन संकटपूर्ण रहता है। ऐसे लोगों को हर दिन गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना ही चाहिए। - इसके पाठ से अशुभ ग्रह शांत होते हैं और भाग्य के कारक ग्रह बलवान होते हैं। - बच्चों और युवाओं का मन यदि पढ़ाई से उचट गया है या पढ़ाई पर ध्यान केंद्र...

[PDF] संपूर्ण गणपति अथर्वशिर्ष

श्री गणपति अथर्वशिर्ष Lyrics अर्थ सहित श्री गणेशाय नमः । हे! देवता महा गणपति को मेरा प्रणाम | ॐ नमस्ते गणपतये । त्वमेव प्रत्यक्षन् तत्त्वमसि । त्वमेव केवलङ् कर्ताङसि । त्वमेव केवलन् धर्ताङसि । त्वमेव केवलम् हर्ताङसि । त्वमेव सर्वङ् खल्विदम् ब्रह्मासि । त्वं साक्षादात्माङसि नित्यम् ।। हे ! गणेशा तुम्हे प्रणाम, तुम ही सजीव प्रत्यक्ष रूप हो, तुम ही कर्म और कर्ता भी तुम ही हो, तुम ही धारण करने वाले, और तुम ही हरण करने वाले संहारी हो | तुम में ही समस्त ब्रह्माण व्याप्त हैं तुम्ही एक पवित्र साक्षी हो | ऋतं वच्मि । सत्यं वच्मि ।। ज्ञान कहता हूँ सच्चाई कहता हूँ | अव त्वम् माम् । अव वक्तारम् । अव श्रोतारम् । अव दातारम् । अव धातारम् । अवानूचानमव शिष्यम् । अव पश्चात्तात् । अव पुरस्तात् । अवोत्तरात्तात् । अव दक्षिणात्तात् । अव चोध्र्वात्तात् । अवाधरात्तात् । सर्वतो माम् पाहि पाहि समन्तात् ।। तुम मेरे हो मेरी रक्षा करों, मेरी वाणी की रक्षा करो| मुझे सुनने वालो की रक्षा करों | मुझे देने वाले की रक्षा करों मुझे धारण करने वाले की रक्षा करों | वेदों उपनिषदों एवम उसके वाचक की रक्षा करों साथ उससे ज्ञान लेने वाले शिष्यों की रक्षा करों | चारो दिशाओं पूर्व, पश्चिम, उत्तर, एवम दक्षिण से सम्पूर्ण रक्षा करों | त्वं वाङ्मयस्त्वञ् चिन्मयः । त्वम् आनन्दमयस्त्वम् ब्रह्ममयः । त्वं सच्चिदानन्दाद्वितीयोङसि । त्वम् प्रत्यक्षम् ब्रह्मासि । त्वम् ज्ञानमयो विज्ञानमयोङसि ।। तुम वाम हो, तुम ही चिन्मय हो, तुम ही आनन्द ब्रह्म ज्ञानी हो, तुम ही सच्चिदानंद, अद्वितीय रूप हो , प्रत्यक्ष कर्ता हो तुम ही ब्रह्म हो, तुम ही ज्ञान विज्ञान के दाता हो | सर्वञ् जगदिदन् त्वत्तो जायते । सर्वञ् जगदिदन् त्वत्तस्तिष्ठति । सर्वञ्...

गणपति अथर्वशीर्ष लिरिक्स

ॐ भद्रं कर्णेभि शृणुयाम देवा:। भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा:।। स्थिरै रंगै स्तुष्टुवां सहस्तनुभि::। व्यशेम देवहितं यदायु:।1। ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा:। स्वस्ति न: पूषा विश्ववेदा:। स्वस्ति न स्तार्क्ष्र्यो अरिष्ट नेमि:।। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु।2। ॐ शांति:। शांति:।। शांति:।।। ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि।। त्वमेव केवलं कर्त्ताऽसि। त्वमेव केवलं धर्तासि।। त्वमेव केवलं हर्ताऽसि। त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि।। त्वं साक्षादत्मासि नित्यम्। ऋतं वच्मि।। सत्यं वच्मि।। अव त्वं मां।। अव वक्तारं।। अव श्रोतारं। अवदातारं।। अव धातारम अवानूचानमवशिष्यं।। अव पश्चातात्।। अवं पुरस्तात्।। अवोत्तरातात्।। अव दक्षिणात्तात्।। अव चोर्ध्वात्तात।। अवाधरात्तात।। सर्वतो मां पाहिपाहि समंतात्।।3।। त्वं वाङग्मयचस्त्वं चिन्मय। त्वं वाङग्मयचस्त्वं ब्रह्ममय:।। त्वं सच्चिदानंदा द्वितियोऽसि। त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि। त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि।4। सर्व जगदि‍दं त्वत्तो जायते। सर्व जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति। सर्व जगदिदं त्वयि लयमेष्यति।। सर्व जगदिदं त्वयि प्रत्येति।। त्वं भूमिरापोनलोऽनिलो नभ:।। त्वं चत्वारिवाक्पदानी।।5।। त्वं गुणयत्रयातीत: त्वमवस्थात्रयातीत:। त्वं देहत्रयातीत: त्वं कालत्रयातीत:। त्वं मूलाधार स्थितोऽसि नित्यं। त्वं शक्ति त्रयात्मक:।। त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यम्। त्वं शक्तित्रयात्मक:।। त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यं। त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं रुद्रस्त्वं इन्द्रस्त्वं अग्निस्त्वं। वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चंद्रमास्त्वं ब्रह्मभूर्भुव: स्वरोम्।।6।। गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादिं तदनंतरं।। अनुस्वार: परतर:।। अर्धेन्दुलसितं।। तारेण ऋद्धं।। एतत्तव मनुस्वरूपं।। गकार: पूर्व रूपं अकार...

श्री गणपति अथर्वशीर्ष सम्पूर्ण पाठ

भगवान गणेश जी को देव गणों में प्रथम पूजने का स्थान मिला है भी अपने भक्तों का हर संकट हरते हैं. भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए अनेकों मंत्र स्तोत्र एवं मंत्र उच्चारण किया जाता है ताकि वे अपने सभी भक्तों का दुख हर ले. इसीलिए गणपति अथर्वशीर्ष स्तोत्र (Ganapati Atharvashirsha) का पाठ करने से बहुत अधिक लाभ होता है जहां माना जाता है कि गणपत्यथर्वशीर्ष स्तोत्र का पाठ करने से सभी दुखों का अंत हो जाता है. इसके साथ ही रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति होती है. यह एक संस्कृत पाठ मंत्र है जो कि हिंदू धर्म में एक छोटा सा उपनिषद है यह भगवान गणेश जी को समर्पित एक उपनिषद है. श्री गणेश जी को बुद्धि प्रदान करने वाले देवताओं की श्रेणी में गिना जाता है. इस पाठ को इसे श्री गणपति अथर्व शीर्ष, गणपति अथर्वशीर्ष, गणेश अथर्वशीर्ष, या गणपति उपनिषद के रूप में भी जाना जाता है। गणपति / गणेश भगवान गणेश जी ने कई नामों से जाना जाता है भीम भगवान गणेश को सुख करता एवं दुखहर्ता कहा जाता है उनकी कई नाम है जिनमें 12 नाम प्रमुख है – सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन। जब कभी भी किसी स्थान पर पूजा का विद्यारंभ किया जाता है तो भगवान गणेश को प्रथम पूजा जाता है यह विधान सदियों से चलता आ रहा है। वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा। गणपति अथर्वशीर्ष एक कल्याणकारी स्तोत्र गणपति जी विघ्नहर्ता एवं शुभकर्ता करता है इनकी पूजा करने से मनुष्य जीवन में हर दुख दूर हो जाता है एवं किसी भी चीज की कमी नहीं रहती। गणपति जी की आराधना करने से घर में सुख समृद्धि एवं धन सब कुछ प्राप्त होता है रोगों का निवारण होता है दोस्त धाम सब कुछ ग...