हनुमान जी की लंबाई कितनी थी?

  1. हनुमान जी की लंबाई कितनी थी? » Hanuman Ji Ki Lambai Kitni Thi
  2. अयोध्या
  3. जानिए हनुमान जी किसके अवतार थे..और कितनी सिद्धियां थीं ?
  4. Hanuman Katha: हनुमान जी की परीक्षा लेने आई थी सुरसा नामक राक्षसी, जानें क्या था उसका उद्देश्य
  5. पितृ पर्वत हनुमान मंदिर
  6. भारत में कहां हुआ था हनुमानजी का जन्म...
  7. lord hanuman was tribal says congress mla umang singhar in madhya pradesh
  8. हनुमान जी की आयु कितनी थी? » Hanuman Ji Ki Aayu Kitni Thi


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हनुमान जी की लंबाई कितनी थी? » Hanuman Ji Ki Lambai Kitni Thi

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। राम जी की आपका प्रश्न हनुमान जी की लंबाई कितनी थी तो मैं आपको बता दूं हनुमान जी को ऐसी 8 प्रकार की सिद्धियां प्राप्त थी और मैं एक यदि यह भी थी कि वह अपना आकार कितना भी बड़ा या छोटा कर सकती थी जब वह लंका में सीता जी का पता लगाने के लिए जब उनको जामवंत जी ने उत्साहित किया तो उन्हें अपनी वरदानी शक्तियां याद आई हनुमान जी को और फिर उनका शरीर जो है इकाई बड़ा हो गया और विंध्य पर्वत के समान विशाल हो गया उनके वाल्मीकि रामायण दूसरों में इस प्रकार का संस्कृत में वर्णन मिलता है प्रबंध माना साबुन अरविंदा गुप्ता हनुमान जी एकाएक बढ़ने लगी और विंध्य पर्वत के समान विशाल हो गई तो हनुमान जी में वह सिद्धि थी कि वह कितना ही बड़ा आकार ले सकते थे और कितना भी छोटा आकार ले सकते थे जैसे मानस में रामचरितमानस में वर्णन है मसक समान रूप कपि धारी लंतई चलु समीर नर्सरी तो वह हनुमान जी जो हैं मच्छर के समान आकार ग्रहण कर सकते छोटे से छोटा रूप बना सकती हैं वह बड़े से बड़ा ग्रुप बना सकती हैं हनुमान जी का वैसे आकार सामान्य कार्य हनुमान जी का निगम को वरदानी शक्ति प्राप्त है कि वह अपना आकार कितना ही बड़ा है छोटा कर सकते हैं कि आपके प्रश्न का उत्तर है ram ji ki aapka prashna hanuman ji ki lambai kitni thi toh main aapko bata doon hanuman ji ko aisi 8 prakar ki siddhiyan prapt thi aur main ek yadi yah bhi thi ki vaah apna aakaar kitna bhi bada ya chota kar sakti thi jab vaah lanka me sita ji ka pata lagane ke liye jab unko jamavant ji ne utsaahit kiya toh unhe apni vardani shaktiyan yaad I hanuman ...

अयोध्या

उत्तर प्रदेश में स्थिति निर्देशांक: 26°48′N 82°12′E / 26.80°N 82.20°E / 26.80; 82.20 Invalid arguments have been passed to the function देश क्षेत्रफल •कुल 120.8किमी 2 (46.6वर्गमील) ऊँचाई 93मी (305फीट) जनसंख्या (2011) •कुल 55,890 भाषाएँ •प्रचलित 224001, 224123, 224133, 224135 दूरभाष कोड +91-5278 UP-42 वेबसाइट .nic .in अयोध्या जिसे साकेत और रामनगरी भी कहा जाता है। अनुक्रम • 1 स्थापना और नामोत्पत्ति • 2 इतिहास • 3 मुख्य आकर्षण • 3.1 मुख्य पर्व • 3.2 श्रीरामजन्मभूमि • 3.3 कनक भवन • 3.4 हनुमान गढ़ी • 3.5 राजद्वार मंदिर • 3.6 आचार्यपीठ श्री लक्ष्मण किला • 3.7 नागेश्वर नाथ मंदिर • 3.8 श्रीअनादि पञ्चमुखी महादेव मन्दिर • 3.9 राघवजी का मन्दिर • 3.10 सप्तहरि • 3.11 जैन मंदिर • 3.12 स्मरणीय सन्त • 4 आवागमन • 4.1 रेल मार्ग • 4.2 सड़क मार्ग • 5 चित्रदीर्घा • 6 इन्हें भी देखें • 7 बाहरी कड़ियाँ • 8 सन्दर्भ स्थापना और नामोत्पत्ति [ ] मान्यता है कि इस नगर को अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका । पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिका:॥ (अर्थ: अयोध्या, इतिहास [ ] मुख्य लेख: शहर के पश्चिमी हिस्से में स्थित रामकोट में स्थित अयोध्या का सर्वप्रमुख स्थान श्रीरामजन्मभूमि है। श्रीराम-लक्ष्मण-भरत और शत्रुघ्न चारों भाइयों के बालरूप के दर्शन यहाँ होते हैं। यहां भारत और विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का साल भर आना जाना लगा रहता है। मार्च-अप्रैल में मनाया जाने वाला रामनवमी पर्व यहां बड़े जोश और धूमधाम से मनाया जाता है। कनक भवन [ ] हनुमान गढ़ी के निकट स्थित कनक भवन अयोध्या का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर सीता और राम के सोने मुकुट पहने प्रतिमाओं के लिए लोकप्रिय है। इसी कारण बहुत बार इस मंदिर को स...

जानिए हनुमान जी किसके अवतार थे..और कितनी सिद्धियां थीं ?

• • • • • 🚩 हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग में चैत्र पूर्णिमा की पावन तिथि पर हुआ । तब से हनुमान जयंती का उत्सव मनाया जाता है । इस दिन हनुमान जी का तारक एवं मारक तत्त्व अत्याधिक मात्रा में अर्थात अन्य दिनों की तुलना में 1 सहस्र गुना अधिक कार्यरत होता है । इससे वातावरण की सात्त्विकता बढती है एवं रज-तम कणों का विघटन होता है । विघटन का अर्थ है, ‘रज-तम की मात्रा अल्प होना।’ इस दिन हनुमान जी की उपासना करने वाले भक्तों को हनुमान जी के तत्त्व का अधिक लाभ होता है । 🚩 ज्योतिषियों की गणना अनुसार हनुमान जी का जन्म 1 करोड़ 85 लाख 58 हजार 115 वर्ष पहले चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6:03 बजे हुआ था । हनुमान जी भगवान शिवजी के 11वें रुद्रावतार, सबसे बलवान और बुद्धिमान हैं । 🚩हनुमान जी के पितासुमेरू पर्वतके वानरराज राजाकेसरीतथा माताअंजनाहैं । हनुमान जी को पवनपुत्र के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि पवन देवता ने हनुमान जी को पालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । 🚩हनुमानजी को बजरंगबली के रूप में जाना जाता है क्योंकि हनुमान जी का शरीर वज्र की तरह है। 🚩पृथ्वी पर सात मनीषियों को अमरत्व (चिरंजीवी) का वरदान प्राप्त है, उनमेंबजरंगबलीभी हैं । हनुमानजी आज भी पृथ्वी पर विचरण करते हैं। 🚩हनुमानजी को एक दिन अंजनी माता फल लाने के लिये आश्रम में छोड़कर चली गई। जब शिशु हनुमानजी को भूख लगी तो वे उगते हुयेसूर्यको फल समझकर उसे पकड़ने आकाश में उड़ने लगे । उनकी सहायता के लिये पवन भी बहुत तेजी से चला। उधर भगवान सूर्य ने उन्हें अबोध शिशु समझकर अपने तेज से नहीं जलने दिया । जिस समय हनुमान जी सूर्य को पकड़ने के लिये लपके, उसी समयराहुसूर्य पर ग्रहण लगाना चाहता था । हनुमान जी न...

Hanuman Katha: हनुमान जी की परीक्षा लेने आई थी सुरसा नामक राक्षसी, जानें क्या था उसका उद्देश्य

देवताओं ने सुरसा को आदेश दे हनुमान जी की परीक्षा हेतु भेजा. सुरसा ने राक्षसी बन हनुमान जी के बल-बुद्धि की परीक्षा ली. Hanuman Katha: जब पवनपुत्र हनुमान उड़कर सीता माता की खोज में लंका की ओर जा रहे थे, तब अनेक राक्षस उनके सम्मुख आए, जिनका एक मात्र मकसद हनुमान जी को लंका जाने से रोकना था परंतु क्या आपको पता है कि उन सभी राक्षसों में से एक को स्वयं देवताओं ने श्री हनुमान जी महाराज के बुद्धि एवं बल की परीक्षा लेने भेजा था? अगर नहीं तो हम बताते हैं आपको उस वाक्या के बारे में. सुन्दरकाण्ड में वर्णन आता है कि जब हनुमान जी लंका की ओर उड़ चले तो सबसे पहले उन्हें समुद्र देव ने उड़ते देखा और सोचा कि उड़ते उड़ते हनुमान जी को थकान हो गयी होगी, क्यों ना उनके आराम का कुछ प्रबंध किया जाए. इसके लिए उन्होंने अपने ही अंदर समाए मैनाक पर्वत से ऊपर आने के लिए कहा, जिससे हनुमान जी थोड़ी देर उस पर विश्राम कर सकें. ये भी पढ़ें: किस देवता की कितनी बार करनी चाहिए परिक्रमा? जानें क्या है सही नियम मैनाक पर्वत ने विश्राम के लिए जगह दी मैनाक समुद्र के ऊपर आए, जिस पर हनुमान जी ने मैनाक का परिचय एवं उनका रास्ता रोकने का कारण पूछा, मैनाक बोले, “हनुमान! मैं आपके पिता वायु देव का मित्र मैनाक पर्वत हूं, आप मेरे ऊपर कुछ देर विश्राम करें, इसी हेतु से मुझे समुद्र देव ने आपके सम्मुख भेजा है.” यह सुनकर हनुमान जी ने सर्वप्रथम मैनाक को रिश्ते में अपना काका होने के नाते प्रणाम किया और भगवान राम के कार्य को पूर्ण किये बिना आराम ना करने के संकल्प के बारे में बताकर आगे बढ़ चले. देवों ने सुरसा को परीक्षा लेने भेजा इधर लंकापति रावण के भय के कारण सभी देवता पाताल में चले गए थे, हनुमान जी को लंका जाता देख उन्होंने उनके बल-बुद्धि का...

पितृ पर्वत हनुमान मंदिर

पितृ पर्वत हनुमान मंदिर इंदौर शहर के हातोद रोङ में स्थित है। यह मंदिर हातोद रोङ से थोङा अंदर की तरफ स्थित है। यहाँ पर लोगों को हनुमान जी की विशाल प्रतिमा हातोद मुख्य सङक से ही दिख जाती है, क्योंकि हनुमान मंदिर एक ऊंची पहाङी पर बना हुआ है। यह मंदिर इंदौर में गोमटगिरी से कुछ दूरी पर ही स्थित है। यह एक धार्मिक स्थल है। यह हनुमानजी का मंदिर है। यहांँ पर हनुमान जी की बहुत विशाल प्रतिमा है, जो बहुत ही आकर्षक है। यहां पर हनुमान जी का मंदिर बना हुआ है, इस मंदिर में हनुमानजी की मूर्ति बहुत ही सुंदर है। यह प्रतिमा मध्यप्रदेश की सबसे बङी प्रतिमाओं से एक है। इस प्रतिमा की ऊंचाई 76 फीट है। यह प्रतिमा अष्ट धातुओं से बनी हुई है। यहां पर शनिवार और मंगलवार के दिन बहुत सारे लोग हनुमान जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। हनुमान जी का यह मंदिर पहाङी के ऊपर बना हुआ है। इस पर्वत को पितृ पर्वत कहते हैं। इस पर्वत के चारों ओर बहुत सारे पेङ पौधे लगे हुए हैं। यहाँ पर बहुत हरियाली है। मुख्य हनुमान मंदिर तक जाने के लिए सङक बनी हुई है। हनुमान जी की प्रतिमा गोल्डन कलर की है। इस प्रतिमा में हनुमान जी की बैठी हुई अवस्था है और इस प्रतिमा में हनुमान जी भजन कर रहे है। हनुमान जी का मंदिर बहुत ही सुंदरता से बनाया गया है। पितेश्वर हनुमान मंदिर – Hanuman Mandir Indore मंदिर की दीवारों और खंभों में नक्काशी की गई है। यहां पर शनिवार, रविवार और मंगलवार के दिन लेजर शो का आयोजन होता है। यहां पर बहुत सारे लोग शनिवार, मंगलवार और रविवार के दिन भगवान हनुमान जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। यहां से चारों तरफ का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। यहां का शांति भरा माहौल बहुत ही अच्छा लगता है। इस मंदिर को पितेश्वर हनुमान जी मंद...

भारत में कहां हुआ था हनुमानजी का जन्म...

हम में से बहुत कम लोग जानते हैं कि हनुमानजी का जन्म भारत में कहां हुआ था। हनुमानजी की माता का नाम अंजना है इसीलिए उन्हें आंजनेय भी कहा जाता है। उनके पिता का नाम केसरी है इसीलिए उन्हें केसरीनंदन भी कहा जाता है। केसरी को कपिराज भी कहा जाता था, क्योंकि वे कपिक्षेत्र के राजा थे। अब सवाल यह उठता है कि यह कपि क्षे‍त्र भारत में कहां स्थित है? इस विषय में विद्वानों में मतभेद हैं। 1. डांग जिला का अंजनी पर्वत : कुछविद्वान मानते हैं कि नवसारी (गुजरात) स्थित डांग जिला पूर्व काल में दंडकारण्य प्रदेश के रूप में पहचाना जाता था। इस दंडकारण्य में राम ने अपने जीवन के 10 वर्ष गुजारे थे। डांग जिला आदिवासियों का क्षेत्र है। आजकल यहां ईसाई मिशनरी सक्रिय है। हालांकि आदिवासियों के प्रमुख देव राम हैं। आदिवासी मानते हैं कि भगवान राम वनवास के दौरान पंचवटी की ओर जाते समय डांग प्रदेश से गुजरे थे। डांग जिले के सुबिर के पास भगवान राम और लक्ष्मण को शबरी माता ने बेर खिलाए थे। शबरी भील समाज से थी। आज यह स्थल शबरी धाम नाम से जाना जाता है। जंगल और पहाड़ों में से घिरे इस आंजन गांव में एक अति प्राचीन गुफा है। यह गुफा पहाड़ की चोटी पर स्थित है। माना जाता है कि यहीं पर माता अंजना और पिताकेसरी रहते थे। यहीं पर हनुमानजी का जन्म हुआ था। गुफा का द्वार बड़े पत्थरों से बंद है लेकिन छोटे छिद्र से आदिवासी लोग उस स्थान के दर्शन करते हैं और अक्षत व पुष्प चढ़ाते हैं। लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि यह स्थान माता अंजना के जन्म से जुड़ा है। एक जनश्रुति के अनुसार आदिवासियों को इस बात का भान नहीं था कि हनुमानजी और उनके माता-पिता पवित्रता और धर्म के पालन करने वालों के प्रति प्रसन्न रहते हैं। आदिवासियों ने माता अंजना को प्रसन्न करने ...

lord hanuman was tribal says congress mla umang singhar in madhya pradesh

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है, लेकिन उससे पहले नेताओं के बयानों से राज्य का सियासी पारा चढ़ने लगा है। इसी बीच कर्नाटक के बाद अब मध्य प्रदेश में भी बजरंगबली की एंट्री हो चुकी है। कांग्रेस विधायक और कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे उमंग सिंघार ने हनुमान जी को लेकर बड़ा बयान दिया है। सिंघार ने कहा कि भगवान राम को लंका तक पहुंचाने वाले आदिवासी थे। मैं तो कहता हूं कि हनुमान भी आदिवासी थे। गर्व से कहो कि हम आदिवासी हैं। गंधवानी विधायक उमंग सिंघार धार जिले के बाग में जननायक भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि के मौके पर जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम को लंका तक पहुंचाने वाली वानर सेना नहीं थी, बल्कि भगवान श्री राम को लंका तक आदिवासियों ने पहुंचाया। वहीं हनुमान जी आदिवासी हैं। कहानीकारों ने भ्रमित करने का काम किया है। ‘बीजेपी वालों को गांव में मत घुसने देना’ उमंग सिंघार ने कहा कि अभी कर्नाटक चुनाव बजरंगबली जीते हैं और ये (बीजेपी) हारे हैं। मैं सरकार के खिलाफ लड़ता हूं तो कहते हैं कि आदिवासी है इसे रोको। मुझे जेल में डाल नहीं पाते तो केस लादे जा रहे हैं। मैं आदिवासियों के लिए लड़ता रहूंगा। सिंघार ने कहा कि भाजपाइयों को गांव में घुसने मत देना पूरा तुम्हारा भविष्य खराब हो जाएगा। उमंग सिंगार ने कांग्रेस विधायक लाडली बहन योजना को लेकर सरकार को घेरा कांग्रेस विधायक ने लाडली बहन योजना पर भी सरकार को घेरा। सिंगार ने कहा कि सरकार के पास पैसा कहां है। न सरपंच के पास, न जिला पंचायत सदस्य पास, न विधायक के पास पैसा है। पैसा विकास यात्राओं में जा रहा है। पैसा पंचायतों, छात्रावास अधीक्षकों, टीचरों और महिला...

हनुमान जी की आयु कितनी थी? » Hanuman Ji Ki Aayu Kitni Thi

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। हनुमान जी के बहुत ज्यादा आयु थी और ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी आइए अमर हैं वह कभी मर नहीं सकते हैं वह भी भी आज के डेट में ही पृथ्वी पर ही हैं भगवान राम श्री राम ने खुश होकर कि उन्हें जो वरदान दिया था थैंक यू hanuman ji ke bahut zyada aayu thi aur aisa mana jata hai ki hanuman ji aaiye amar hain vaah kabhi mar nahi sakte hain vaah bhi bhi aaj ke date me hi prithvi par hi hain bhagwan ram shri ram ne khush hokar ki unhe jo vardaan diya tha thank you हनुमान जी के बहुत ज्यादा आयु थी और ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी आइए अमर हैं वह कभी मर नही