ज्योतिष शास्त्र कोर्स

  1. ज्योतिष
  2. Ashadha Amavasya 2023 Date: Ashadh Amavasya Correct snan daan muhurat vidhi and upay for money
  3. JEEVAN VAIBHAW PATRIKA
  4. काम की खबर: BHU से ज्योतिष और वास्तुशास्त्र में करें स्पेशल कोर्स, जानें फीस और आवेदन की तारीख
  5. ज्योतिष शास्त्र की हमारे जीवन में भूमिका
  6. ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान व भाग्य से इसका संबंध


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ज्योतिष

यह लेख मुख्य रूप से अथवा पूर्णतया ज्‍योतिष या ज्यौतिष विषय भारतीय आचार्यों द्वारा रचित ज्योतिष की एक लाख से भी अधिक है। प्राचीनकाल में • (१) तन्त्र या सिद्धान्त - गणित द्वारा ग्रहों की गतियों और नक्षत्रों का ज्ञान प्राप्त करना तथा उन्हें निश्चित करना। • (२) होरा - जिसका सम्बन्ध • (३) शाखा - यह एक विस्तृत भाग था जिसमें शकुन परीक्षण, लक्षणपरीक्षण एवं भविष्य सूचन का विवरण था। इन तीनों स्कन्धों ( तन्त्र-होरा-शाखा ) का जो ज्ञाता होता था उसे 'संहितापारग' कहा जाता था। तन्त्र या सिद्धान्त में मुख्यतः दो भाग होते हैं, एक में ग्रह आदि की गणना और दूसरे में सृष्टि-आरम्भ, गोल विचार, यन्त्ररचना और कालगणना सम्बन्धी मान रहते हैं। तंत्र और सिद्धान्त को बिल्कुल पृथक् नहीं रखा जा सकता । सिद्धान्त, तन्त्र और १-मध्यमाधिकार २–स्पष्टाधिकार ३-त्रिप्रश्नाधिकार ४-चन्द्रग्रहणाधिकार ५-सूर्यग्रहणाधिकार ६-छायाधिकार ७–उदयास्ताधिकार ८-शृङ्गोन्नत्यधिकार ९-ग्रहयुत्यधिकार १०-याताधिकार ' ज्योतिष' से निम्नलिखित का बोध हो सकता है- • • • • •

Ashadha Amavasya 2023 Date: Ashadh Amavasya Correct snan daan muhurat vidhi and upay for money

Ashadha Amavasya 2023 Date: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। हर साल आषाढ़ मास के कृष्ण की अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या मनाई जाती है। आषाढ़ महीने की अमावस्या को आषाढ़ी अमावस्या या हल हलहारिणी अमावस्या भी कहा जाता है। इस साल आषाढ़ अमावस्या 18 जून 2023 को है। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को बेहद खास माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने व दान-तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और जातक को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। योगिनी एकादशी 2023: यहां जानें पूजन का सटीक समय, व्रत-विधि, महत्व, व्रत के लाभ व व्रत पारण का समय आषाढ़ अमावस्या 2023 शुभ मुहूर्त- आषाढ़, कृष्ण अमावस्या प्रारम्भ 17 जून को सुबह 09:11 बजे से और समाप्त 18 जून को सुबह 10:06 बजे। हिंदू धर्म में उदयातिथि में व्रत-त्योहार मनाने की परंपरा है। ऐसे में आषाढ़ अमावस्या का व्रत उदयातिथि में 18 जून को रखा जाएगा और 17 जून को दर्श अमावस्या मनाई जाएगी। आषाढ़ अमावस्या 2023 के दिन दान-स्नान का शुभ मुहूर्त- हिंदू पंचांग के अनुसार, 18 जून यानी आषाढ़ अमावस्या के दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 08 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। मेष व मिथुन समेत ये 3 राशियां हैं भगवान श्रीगणेश को अतिप्रिय, गणपति हर संकट से करते हैं रक्षा आषाढ़ अमावस्या पूजा विधि- हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। इसलिए अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना अति शुभ माना गया है। इसके अलावा इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी किया जाता है। अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है। नदी में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों का तर...

JEEVAN VAIBHAW PATRIKA

जीवन वैभव पत्रिका में विविध विषय जो की परिवार एवं समाज के लिए उपयोगी है,इन् विषय पर सामग्री प्रकाशित की जाती है वास्तव में वही शिक्षा है जो जीवन का निर्माण कर सके | जीवन … है| मानव जीवन की श्रेष्ठता शारीरिक सौष्ठव या आर्थिक वैभव … जीवन … है|और यही कारण है कि उनके जीवन में व्याप्त विषमताएँ, …. संभाषण करती है • Home • About Us • Gallery • Jeevan Vaibhaw Events • Jeevan Vaibhaw Patrika • Patrika • Patrika jan-march 2019 • Patrika jul-Sep 2019 • Jeevan Vaibhav Mag July • Jeevan Vaibhav Oct-Dec inner • Jeevan Vaibhav jan – march 2021 • Jeevan Vaibhav Oct-Dec 2021 • Jeevan Vaibhav Dec 2022 • Jeevan Vaibhav Jan 2023 • Jeevan Vaibhav April 2023 • Services • Contact Us

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• ज्योतिष प्रबोध वर्ग ( प्राथमिक ज्योतिष शास्त्र ) • कालावधी : ३ महिने :(ऑडिओ + Google Meet ऑनलाईन) • वर्गाची वेळ : • १)ऑडिओ वर्ग बुधवार ४ मे पासून सुरु.( तुमच्या वेळेनुसार ऑडिओ केव्हाही ऐकून अभ्यास करू शकता.) • २)ऑनलाईन वर्ग : दर सोमवारी ४ जुलै पासून सायंकाळी ७ वा .Google Meet वर घेतला जाईल. • दोन्ही वर्गाची लिंक १ दिवस आधी नांव नोंदणी केलेल्या अभ्यासकांना ई-मेल वर पाठविली जाईल. • ३ ज्योतिष वर्ग विनामूल्य • रजिस्ट्रेशन फी सर्व ज्योतिष वर्गासाठी ( ३ वर्गासाठी:ज्योतिष प्रबोध,ज्योतिष प्राज्य आणि ज्योतिष मार्तंड ) फक्त एकदाच Rs ५०० /- (परीक्षा, सर्टिफिकेट आणि प्राथमिक ज्योतिषच्या PDF फाईलसह ) • अभ्यासक्रम : १) ज्योतिष शास्त्राचा परिचय २) आपली सूर्यमाला ३) कुंडलीतील 12 भाव ४) ग्रहांचा परिचय ५) 12 ग्रहांचे गुणविशेष ६) ग्रहांच्या स्वराशी ,उच्च ,नीच व मूलत्रिकोण राशी ७) १२ राशी,१२ ग्रह त्यांची तत्वे,आणि स्वभाव. ८) ग्रहांची स्थानगत फले. ९) भावेशाची स्थानगत फले. १०) कालपुरुषाची कुंडली ( निसर्ग कुंडली ) ११) २७ नक्षत्रे, त्यांचे स्वरूप १२) शास्त्रार्थासह पंचांग वाचन १३) पंचांगानुसार कुंडलीची मांडणी १४) लग्न स्पष्ट करणे १५) चंद्र स्पष्ट करणे • या कोर्सच्या शेवटी वरील अभ्यासक्रमावर ऑब्जेक्टिव परीक्षा घेतली जाईल. फक्त पास झालेल्यांना ई सर्टिफिकेट मिळेल . • फक्त पास झालेल्यांना पुढील ऑनलाईन " ज्योतिष प्राज्य " वर्गात प्रवेश दिला जाईल. • प्रगत ज्योतिष शास्त्र • कालावधी : ६ महिन्याचा कोर्स ( २ तासाची २५ लेक्चर्स ) • फी : विनामूल्य (फक्त ज्योतिष प्रबोध उत्तीर्ण विद्या र्थ्यासाठी ) फक्त रु.५००/- (ज्योतिष प्राज्य थेट प्रवेश घेणाऱ्यांसाठी ) • दर मंगळवारी नवा वर्ग (April 22) आणि सध्याचा चालू अस...

काम की खबर: BHU से ज्योतिष और वास्तुशास्त्र में करें स्पेशल कोर्स, जानें फीस और आवेदन की तारीख

वाराणसी. सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) में ज्योतिष और वास्तु शास्त्र को लेकर स्पेशल कोर्स चलाया जा रहा है. विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के ज्योतिष विभाग (Jyotish Vibhag) में इसके लिए ‘पीजी डिप्लोमा इन ज्योतिष एंड वास्तुशास्त्र’ नाम से एक वर्षीय डिप्लोमा चलता है. इस कोर्स में एडमिशन लेने वाले छात्रों को ज्योतिष और वास्तुशास्त्र से जुड़े चीजों की विस्तृत जानकारी दी जाती है. ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर डॉ विनय पांडेय ने बताया कि ज्योतिष के यूजी और वास्तुशास्त्र की पढ़ाई कर चुके छात्र इस कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं. इस कोर्स में यूजी स्तर पर ज्योतिष में जो पढ़ाई कराई जाती है उसे और विस्तार से इस पाठ्यक्रम में जानकारी दी जाती है. इस कोर्स के बाद छात्र शोध के साथ ही वास्तु और ज्योतिष के केंद्र खोलकर अच्छी कमाई कर सकते हैं. बता दें कि संस्कृत से जुड़े विद्वानों ने इसके पाठ्यक्रम को तय किया है. बीएचयू का ये कोर्स होगा मददगार शहर के जाने माने ज्योतिषी कन्हैया महराज ने बताया कि उन्होंने भी गुरुकुल में रहकर ज्योतिष और इसकी शिक्षा प्राप्त की है. ऐसे में इस फील्ड में भविष्य बनाने के लिए बीएचयू का ये कोर्स छात्रों के लिए काफी उपयोगी साबित होगा. 15 जुलाई तक कर सकते हैं आवेदन बीएचयू में चलने वाले इस स्पेशल कोर्स में कुल 64 सीटें हैं. प्रतिवर्ष 10 हजार रुपये फीस के साथ रेगुलर फीस भी छात्रों को देनी होगी. 15 जुलाई तक छात्र इस कोर्स में एडमिशन के लिए आवेदन कर सकते हैं. विश्वविद्यालय के ऑफिसियल वेबसाइट www.bhuonline.in पर छात्र इसके लिए आवेदन कर सकते हैं. 600 रुपये है फीस विश्वविद्यालय में चलने वाले डिप्लोमा और स्पेश...

ज्योतिष शास्त्र की हमारे जीवन में भूमिका

ज्योतिष शास्त्र एक बहुत ही वृहद ज्ञान है, गूढ़ रहस्य है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखने वाली विद्या से है। ज्योतिष शास्त्र को सीखने से पहले इस शास्त्र को समझना आवश्यक है। सामान्य भाषा में कहें तो ज्योतिष यानी वह विद्या या शास्त्र जिसके द्वारा आकाश में स्थित ग्रह, नक्षत्रों आदि की गति, परिमाप, दूरी इत्या‍दि का निश्चय किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियां, 12 भाव और 27 नक्षत्र हैं, इन्हीं के आधार पर जन्मकुंडली का फलादेश किया जाता है। ज्योतिष वास्तव में संभावनाओं का शास्त्र है। सारावली के अनुसार इस शास्त्र का सही ज्ञान मनुष्य के जीवन में तरक्की और धन अर्जित करने में बड़ा सहायक होता है, क्योंकि ज्योतिष जब शुभ समय बताता है तो किसी भी कार्य में हाथ डालने पर सफलता की प्राप्ति होती है, इसके विपरीत स्थिति होने पर व्यक्ति उस कार्य में हाथ नहीं डालता। तो इस प्रकार ज्योतिष प्रत्येक माईने में मनुष्य जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी है। यदि आप भी ज्योतिष सीखना चाहते हैं, तो फ्यूचर पॉइंट के माध्यम से ऑनलाइन कोर्स ज्वाइन करें। ज्योतिषशास्त्र के आचार्यों ने अपनी अन्वेषणात्मक बुद्धि से ग्रहों के पड़ने वाले प्रभावों को पूर्ण रूप से परखा तथा उसके विषय में समाज को उचित मार्ग-दर्शन प्रदान किया। आज इस बात की आवश्यकता है कि हम इस शास्त्र के ज्ञान को सही सरल और सुबोध बनाकर मानव-समाज के समक्ष प्रस्तुत करें। शास्त्र वर्णित नियमानुसार यदि फलादेश किया जाए, जो प्रत्यक्ष रूप से घटित हो, तो इस शास्त्र को विज्ञान कहने में किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। फलादेश की प्रक्रिया: फलित ज्योतिष के विस्तार एवं विधाओं को देखने से ज्ञात होता है कि महर्षियों ने अपनी-अपनी सूझ-बूझ से अन्वे...

ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान व भाग्य से इसका संबंध

क्या है ज्योतिष विद्या? ज्योतिष विद्या को हम ज्योतिष शास्त्र या फिर ज्योतिष विज्ञान भी कहते हैं। यह एक बेहद पुरानी विद्या है, जिसकी चर्चा वेदों में भी की गयी है। ज्योतिष शास्त्र को अंग्रेजी में “एस्ट्रोलॉजी” कहते हैं। सौरमण्डल में होने वाले परिवर्तन और मौजूद ग्रह-नक्षत्रों आदि के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए आदमी ने ग्रह-तारों आदि को देखना, परखना और समझना शुरू किया। धीरे-धीरे ग्रहों-नक्षत्रों की चाल इंसान की समझ में आने लगी। वह अपने आस-पास होने वाली घटनाओं को सौरमण्डल में मौजूद इन ग्रहों-नक्षत्रों की गतिविधियों से जोड़ने लगा और इस प्रकार यह एक शास्त्र बन गया, जिसे आज हम सभी ज्योतिष या ज्योतिष विद्या के नाम से जानते हैं। वेदो में ज्योतिष शास्त्र की प्रामाणिक परिभाषा मौजूद है। 'ज्योतिषां सूर्यादि ग्रहाणां बोधकं शास्त्रम्' इसका अर्थ है कि ग्रह (ग्रह, नक्षत्र, आदि) और समय का ज्ञान देने वाले विज्ञान को ज्योतिष विज्ञान कहते हैं। क्या है ज्योतिष ज्ञान का उद्देश्य? भारत में ज्योतिष का इतिहास क़रीब 8 हज़ार सालों से भी ज़्यादा पुराना है इसीलिए कई विद्वानों का यह भी मानना है कि ज्योतिष शास्त्र का उदय भारत में ही हुआ था। आसान शब्दों में कहें तो ग्रहों के विषय में ज्ञान कराने वाले शास्त्र को ज्योतिष शास्त्र कहते हैं। आज के इस आधुनिक युग में जब विज्ञान ने चन्द्रमा और अन्य ग्रहों के विषय में इतनी गहराई से जान लिया है, तब भी ज्योतिष की अपनी अलग पहचान कायम है। लोग अपने भाग्य को बेहतर बनाने के लिए ज्योतिषीय उपाय का सहारा लेते हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्र को विश्व के चुनिंदा प्राचीन और विस्तृत ज्योतिष शास्त्रों के रूप में जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र का मकसद यह बताना नहीं है कि आपके या किसी और ...