कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

  1. कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा, महत्व, पूजा विधि Kartik purnima vrat katha in Hindi
  2. कार्तिक पूर्णिमा 2022: इस दिन स्नान
  3. कब है कार्तिक पूर्णिमा व देव दीपावली
  4. कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
  5. कार्तिक पूर्णिमा : जानें इस दिन का महत्व, पूजन विधि और दीपदान का महत्व
  6. Kartik Purnima 2022: इस दिन है कार्तिक पूर्णिमा, नोट कर लें डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, स्नान
  7. kartik purnima 2022 tomorrow know importance of donation date and muhurat
  8. Kartik Purnima 2022: इस दिन है कार्तिक पूर्णिमा, नोट कर लें डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, स्नान
  9. कब है कार्तिक पूर्णिमा व देव दीपावली
  10. कार्तिक पूर्णिमा : जानें इस दिन का महत्व, पूजन विधि और दीपदान का महत्व


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कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा, महत्व, पूजा विधि Kartik purnima vrat katha in Hindi

कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा, महत्व, पूजा विधि Kartik purnima vrat katha in Hindi दोस्तों जैसा की हम सभी जानते है, कि कार्तिक महीने की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को आता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन नदियों में स्नान, दीप दान, भगवान की पूजा और दान का बहुत बड़ा महत्व माना गया है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन कुछ खास नियमों का पालन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। Table of Content • • • • मान्यताएं Beliefs सिख संप्रदाय में कार्तिक पूर्णिमा का दिन प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन कार्तिक पूर्णिमा को ही जो कार्तिक में तुलसी वृक्ष के नीचे अगर रोहिणी नक्षत्र हो तो इस पूर्णिमा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और बृहस्पति होने पर यह महापूर्णिमा कही जाती है। कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और विशाखा पर सूर्य हो तो “पद्मक योग” बनता है जिसमें गंगा स्नान करने से पुष्कर से भी अधिक उत्तम फल की प्राप्ति होती है। मान्यता के अनुसार महाभारत के समय 18 दिनों के भयानक युद्ध में योद्धा और सगे सम्बन्धी एकत्र हुए। अपने सगे संबंधियों को युद्घ स्थल पर देख कर युधिष्ठिर कुछ विचलित हो उठे। तब भगवान श्री कृष्ण पांडवों के साथ गढ़ खादर के विशाल रेतीले मैदान पर उपस्थित हुए और कार्तिक शुक्ल अष्टमी को पांडवों ने स्नान किया और कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी तक गंगा किनारे यज्ञ करके रात में दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए दीप दान करके श्रद्धांजलि दी। इसी दिन से गंगा स्नान का विशेष महत्व है। कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर व्यक्ति को बिना स्नान ...

कार्तिक पूर्णिमा 2022: इस दिन स्नान

कार्तिक मास की पूर्णिमा बेहद ख़ास मानी जाती है जो हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आती है। यह कार्तिक महीने का आखिरी पर्व होता है और इस पूर्णिमा को भारत के कई हिस्सों में ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ और ‘गंगा स्नान’ के नाम से जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान, दीपदान और व्रत करके भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी जी की पूजा का प्रावधान है। मान्यता है कि सच्चे मन और विधि-विधान से इस दिन पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके विष्णु पुराण के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर ही भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार धारण किया था और यह भगवान विष्णु का पहला अवतार माना जाता है। आइए जानते हैं एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में कार्तिक पूर्णिमा 2022 की तिथि, मुहूर्त, महत्व और इस दिन किये जाने वाले सरल उपायों के बारे में। कार्तिक पूर्णिमा 2022: तिथि व मुहूर्त कार्तिक पूर्णिमा पर सूर्योदय से पहले स्नान का विशेष महत्व होता है और इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शुभ माना जाता है। वर्ष 2022 में कार्तिक के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 08 नवंबर 2022, मंगलवार के दिन पड़ रही है। अब आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं कार्तिक पूर्णिमा के मुहूर्त में। पूर्णिमा आरम्भ: 07 नवंबर, 2022 को शाम 04 बजकर 18 मिनट से पूर्णिमा समाप्त: 08 नवंबर, 2022 को शाम 04 बजकर 34 मिनट तक बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा कार्तिक पूर्णिमा 2022 का महत्व कार्तिक पूर्णिमा का शैव संप्रदाय (शिव के मानने वाले) और वैष्णव संप्रदाय (भगवान विष्णु के मानने वाले) दोनों ही संप्रदायों में बराबर म...

कब है कार्तिक पूर्णिमा व देव दीपावली

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आज की पोस्ट में हम बात करेंगे। कब है कार्तिक पूर्णिमा, जानें पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त (Kab hai Kartik Purnima 2022, Date, time, Importance, story facts in hindi) भारत में तिथि के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा 8 नवंबर को है लेकिन ग्रहण की वजह से विद्वान पंडितों ने इस बार कार्तिक पूर्णिमा 8 की बजाये 7 नवंबर को ही मनाये जाने का फैसला किया गया है। कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन स्नान व दीपदान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती हैं। भगवान शिव की नगरी काशी में कार्तिक पूर्णिमा देवताओं की दीवाली यानी देव दीपावली के नाम से जानते हैं। यह दिन बड़े ही धूमधान व भव्य तरीके से मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान संध्याकाल में होगा इसका शुभ मुहूर्त 4:15 में शुरू होगा यह समय दीपदान करने का सबसे अच्छा समय हैI चंद्रमा की पूजा की जाएगी और साथ में उसके दर्शन भी किए जाएंगे इसे हम लोग देव दीपावली के नाम से भी जानते हैंI कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 2022 में ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04:57 – 05:49 अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11:48 – 12:32 कार्तिक पूर्णिमा व देव दीपावली की मान्यताएं व कथा कार्तिक माह की पूर्णिमा को त्रिपुरारी कार्तिक पूर्णिमा भी कहते है ऐसी मान्यता है त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने बह्मा जी का घोर तप करके अमरता का वरदान प्राप्त कर लिया था। इसके पश्चात उसने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था। देवताओं में त्रहि-त्रहि मच गई थी। भगवान विष्णु ने वरदान के कारण उसका वध नहीं किया। फिर देवताओं के आग्रह पर भगवान शिव ने अर्द्धनारिश्वर रुप धारण करके राक्षस का वध किया। जिससे सभी देवता काफी खुश हुए और उन्हें पृथ्वी लोक पर आकर काशी में दीप जलाया था जिसके कारण काशी पूरी तर...

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

Table of Contents • • • • • • कार्तिक कार्तिक पूर्णिमा एक प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है जिसे ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ या ‘त्रिपुरारी पूर्णिमा’ के रूप में भी जाना जाता है जो राक्षस त्रिपुरासार पर भगवान शिव की जीत का जश्न मनाता है। जब कार्तिक पूर्णिमा ‘कृतिका’ नक्षत्र में आती है, तो इसे महा कार्तिक के रूप में जाना जाता है जिसका अधिक महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा को ‘देव दीपावली’ के रूप में भी मनाया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन, देवता पवित्र नदियों में पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। इसलिए, पवित्र नदियों में पवित्र स्नान करने से भक्तों को देवताओं का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा गुरु नानक देव की जयंती भी है। इस दिन, सिख समुदाय अपने पहले गुरु, ‘गुरु नानक देव’ का जन्मदिन मनाता है। सिख समुदाय के लोग सुबह स्नान कर गुरुवाणी सुनते हैं। इस पर्व को ‘गुरु पर्व’ भी कहा जाता है। कार्तिक पूर्णिमा की कथा राक्षस त्रिपुरासुर ने देवताओं को हराकर पूरी दुनिया को जीत लिया। उसने अंतरिक्ष में तीन नगर भी बनाए और उसका नाम ‘त्रिपुरा’ रखा। भगवान शिव त्रिपुरासुर का वध कर देवताओं की रक्षा के लिए आए। उन्होंने एक तीर से राक्षस त्रिपुरा को मार डाला और इस दिन को रोशनी के त्योहार के रूप में मनाया जाने का ऐलान किया। कार्तिक पूर्णिमा मत्स्य या इसके अलावा, यह वृंदा का जन्मदिन है जो तुलसी के पौधे की पहचान है। इसी दिन भगवान शिव के पुत्र यह दिन मृत पूर्वजों को भी समर्पित है। कार्तिक मास के अंतिम पांच दिनों को अधिक पवित्र माना जाता है, और हर दिन दोपहर में केवल एक बार भोजन किया जाता है जिसे ‘हबिशा’ के नाम से जाना जाता है। इन पांच दिनों को ‘पंचक’ के रूप में जाना जाता है और अंतिम दिन को “कार्तिका पू...

कार्तिक पूर्णिमा : जानें इस दिन का महत्व, पूजन विधि और दीपदान का महत्व

हिंदू धर्म में पूर्णिमा का बेहद महत्व बताया गया है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूरे आकार में होता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा के दिन दान, स्नान और सूर्यदेव को अर्घ्य देने का बेहद महत्व बताया गया है। पूर्णिमा का सीधा संबंध चंद्रमा से होता है और चंद्रमा और भगवान शिव का भी घनिष्ठ संबंध बताया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव ने चंद्रमा को अपनी जटाओं में धारण कर रखा है। ऐसे में इस दिन चंद्रमा की पूजा के साथ भगवान शिव की पूजा करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा के दिन दिखने वाले पूरे चंद्रमा से अंधेरा खत्म होता है। ऐसे में इस दिन सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है इस दिन हिंदू धर्म के कई भगवानों ने इस दिन मानव अवतार लिया था। एस्ट्रोसेज वार्ता से दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें फ़ोन पर बात कार्तिक पूर्णिमा व्रत मुहूर्त हिंदू वर्ष कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक मास में एक पूर्णिमा तिथि आती है। यानी कि एक वर्ष में कुल 12 पूर्णिमा तिथियां होती है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त नवम्बर 30, 2020, सोमवार नवंबर 29, 2020 को 12:49:43 से पूर्णिमा आरम्भ नवंबर 30, 2020 को 15:01:21 पर पूर्णिमा समाप्त जीवन में किसी भी समस्या का समाधान जानने लिए प्रश्न पूछें पूर्णिमा व्रत की विधि • पौराणिक धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन किसी भी तीर्थ स्थल, किसी पवित्र नदी, सरोवर, घाट, इत्यादि में स्नान करना बेहद शुभ बताया गया है। हालांकि अगर आप इस दिन इन जगह पर स्नान नहीं कर सकते हैं तो, स्नान के पानी में ही थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। • इस दिन प्रात काल संकल्प लेकर पूरी विधि विधान से चंद्र देव की पूजा करनी चाहिए। चंद्रमा की पूजा ...

Kartik Purnima 2022: इस दिन है कार्तिक पूर्णिमा, नोट कर लें डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, स्नान

डीएनए हिंदी: Kartik Purnima Snan, Puja vidhi, Tithi, Significance-सनातन धर्म में सभी मास में कार्तिक माह को बेहद खास और पवित्र माना जाता है. विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही मत्स्यावतार धारण किया था जिसे श्रीहरि का पहला अवतार माना जाता है. इसलिए ही कार्तिक माह के पूर्णिमा तिथि को (Kartik Purnima 2022 Date) बेहद खास माना जाता है. कार्तिक माह में भगवान विष्णू और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए लोग पवित्र नदी में स्नान करते हैं. मान्यता है कि इस महीने में दीपदान और पूर्णिमा का व्रत करने से श्रीहरि का शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता है. चलिए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा कब है, इसका शुभ मुहूर्त और इस दिन स्नान-दान करने का क्या महत्व है... कार्तिक पूर्णिमा तिथि (Kartik Purnima 2022 Date) कार्तिक पूर्णिमा तिथि- 8 नवंबर 2022 दिन मंगलवार कार्तिक पूर्णिमा प्रारंभ तिथि- 7 नवंबर शाम 4.15 मिनट से कार्तिक पूर्णिमा समाप्त तिथि- 8 नवंबर शाम 4.31 मिनट तक कार्तिक पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Kartik Purnima Shubh Muhurat) इस बार कार्तिक पूर्णिमा की पूजा का शुभ मुहूर्त 8 नवंबर 2022 को शाम 4.57 मिनट से शुरू होकर 5.49 मिनट तक है. ऐसे में इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त लगभग 52 मिनट तक होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर सूर्योदय से पूर्व स्नान का विशेष महत्व है ऐसे में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शुभ रहेगा. ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04.57 - सुबह 05.49 (8 नबंबर 2022) यह भी पढ़ें- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए और स्नान के बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. कार्तिक पूर्णिम...

kartik purnima 2022 tomorrow know importance of donation date and muhurat

Kartik Purnima 2022 Date: कार्तिक पूर्णिमा इस बार 8 नवंबर 2022 को पड़ रही है। इस दिन स्नान व दान का बहुत महत्व है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन राशि के अनुसार दान करने के पुण्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा 2022 मुहूर्त कार्तिक मास के शुल्क पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूर्णिमा तिथि 7 नवंबर 2022 को शाम 4.18 बजे से शुरू होकर 8 नवंबर2022 को शाम 4. 34 बजे तक रहेगी। इस दिन रात में गंगा जल में दूध मिलकर चंद्र देव को अर्घ्य देना चाहिए। मान्यता के अनुसार इससे कुंडली में चंद्र दोष दूर होता है। साथ ही भगवान विष्णु और शिव की पूजा करनी चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा 2022 दान व गंगा स्नान का महत्व पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक माह में भगवान विष्णु मत्स्यावतार के रूप में जल में रहते हैं। मान्यता के अनुसार पवित्र नदी में स्नान करने और दान करने से अच्छे फल की प्राप्ति होती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना भी बहुत फलदायी होता है। यदि गंगा नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं,तो आप पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।

Kartik Purnima 2022: इस दिन है कार्तिक पूर्णिमा, नोट कर लें डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, स्नान

डीएनए हिंदी: Kartik Purnima Snan, Puja vidhi, Tithi, Significance-सनातन धर्म में सभी मास में कार्तिक माह को बेहद खास और पवित्र माना जाता है. विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही मत्स्यावतार धारण किया था जिसे श्रीहरि का पहला अवतार माना जाता है. इसलिए ही कार्तिक माह के पूर्णिमा तिथि को (Kartik Purnima 2022 Date) बेहद खास माना जाता है. कार्तिक माह में भगवान विष्णू और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए लोग पवित्र नदी में स्नान करते हैं. मान्यता है कि इस महीने में दीपदान और पूर्णिमा का व्रत करने से श्रीहरि का शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता है. चलिए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा कब है, इसका शुभ मुहूर्त और इस दिन स्नान-दान करने का क्या महत्व है... कार्तिक पूर्णिमा तिथि (Kartik Purnima 2022 Date) कार्तिक पूर्णिमा तिथि- 8 नवंबर 2022 दिन मंगलवार कार्तिक पूर्णिमा प्रारंभ तिथि- 7 नवंबर शाम 4.15 मिनट से कार्तिक पूर्णिमा समाप्त तिथि- 8 नवंबर शाम 4.31 मिनट तक कार्तिक पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Kartik Purnima Shubh Muhurat) इस बार कार्तिक पूर्णिमा की पूजा का शुभ मुहूर्त 8 नवंबर 2022 को शाम 4.57 मिनट से शुरू होकर 5.49 मिनट तक है. ऐसे में इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त लगभग 52 मिनट तक होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर सूर्योदय से पूर्व स्नान का विशेष महत्व है ऐसे में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शुभ रहेगा. ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04.57 - सुबह 05.49 (8 नबंबर 2022) यह भी पढ़ें- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए और स्नान के बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. कार्तिक पूर्णिम...

कब है कार्तिक पूर्णिमा व देव दीपावली

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आज की पोस्ट में हम बात करेंगे। कब है कार्तिक पूर्णिमा, जानें पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त (Kab hai Kartik Purnima 2022, Date, time, Importance, story facts in hindi) भारत में तिथि के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा 8 नवंबर को है लेकिन ग्रहण की वजह से विद्वान पंडितों ने इस बार कार्तिक पूर्णिमा 8 की बजाये 7 नवंबर को ही मनाये जाने का फैसला किया गया है। कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन स्नान व दीपदान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती हैं। भगवान शिव की नगरी काशी में कार्तिक पूर्णिमा देवताओं की दीवाली यानी देव दीपावली के नाम से जानते हैं। यह दिन बड़े ही धूमधान व भव्य तरीके से मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान संध्याकाल में होगा इसका शुभ मुहूर्त 4:15 में शुरू होगा यह समय दीपदान करने का सबसे अच्छा समय हैI चंद्रमा की पूजा की जाएगी और साथ में उसके दर्शन भी किए जाएंगे इसे हम लोग देव दीपावली के नाम से भी जानते हैंI कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 2022 में ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04:57 – 05:49 अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11:48 – 12:32 कार्तिक पूर्णिमा व देव दीपावली की मान्यताएं व कथा कार्तिक माह की पूर्णिमा को त्रिपुरारी कार्तिक पूर्णिमा भी कहते है ऐसी मान्यता है त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने बह्मा जी का घोर तप करके अमरता का वरदान प्राप्त कर लिया था। इसके पश्चात उसने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था। देवताओं में त्रहि-त्रहि मच गई थी। भगवान विष्णु ने वरदान के कारण उसका वध नहीं किया। फिर देवताओं के आग्रह पर भगवान शिव ने अर्द्धनारिश्वर रुप धारण करके राक्षस का वध किया। जिससे सभी देवता काफी खुश हुए और उन्हें पृथ्वी लोक पर आकर काशी में दीप जलाया था जिसके कारण काशी पूरी तर...

कार्तिक पूर्णिमा : जानें इस दिन का महत्व, पूजन विधि और दीपदान का महत्व

हिंदू धर्म में पूर्णिमा का बेहद महत्व बताया गया है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूरे आकार में होता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा के दिन दान, स्नान और सूर्यदेव को अर्घ्य देने का बेहद महत्व बताया गया है। पूर्णिमा का सीधा संबंध चंद्रमा से होता है और चंद्रमा और भगवान शिव का भी घनिष्ठ संबंध बताया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव ने चंद्रमा को अपनी जटाओं में धारण कर रखा है। ऐसे में इस दिन चंद्रमा की पूजा के साथ भगवान शिव की पूजा करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा के दिन दिखने वाले पूरे चंद्रमा से अंधेरा खत्म होता है। ऐसे में इस दिन सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है इस दिन हिंदू धर्म के कई भगवानों ने इस दिन मानव अवतार लिया था। एस्ट्रोसेज वार्ता से दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें फ़ोन पर बात कार्तिक पूर्णिमा व्रत मुहूर्त हिंदू वर्ष कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक मास में एक पूर्णिमा तिथि आती है। यानी कि एक वर्ष में कुल 12 पूर्णिमा तिथियां होती है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त नवम्बर 30, 2020, सोमवार नवंबर 29, 2020 को 12:49:43 से पूर्णिमा आरम्भ नवंबर 30, 2020 को 15:01:21 पर पूर्णिमा समाप्त जीवन में किसी भी समस्या का समाधान जानने लिए प्रश्न पूछें पूर्णिमा व्रत की विधि • पौराणिक धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन किसी भी तीर्थ स्थल, किसी पवित्र नदी, सरोवर, घाट, इत्यादि में स्नान करना बेहद शुभ बताया गया है। हालांकि अगर आप इस दिन इन जगह पर स्नान नहीं कर सकते हैं तो, स्नान के पानी में ही थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। • इस दिन प्रात काल संकल्प लेकर पूरी विधि विधान से चंद्र देव की पूजा करनी चाहिए। चंद्रमा की पूजा ...