कोपेन का जलवायु वर्गीकरण ncert

  1. कोपेन का जलवायु वर्गीकरण
  2. Class 11 Geography Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन Notes In Hindi
  3. विश्व के जलवायु क्षेत्र: भाग
  4. NCERT Solutions for Class 11 Geography Indian Physical Environment Chapter 4 (Hindi Medium)
  5. राजस्थान की जलवायु
  6. [Solved] कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार 'Amw' जलवा�
  7. विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (CH
  8. Bharat Ki Jalvayu


Download: कोपेन का जलवायु वर्गीकरण ncert
Size: 76.13 MB

कोपेन का जलवायु वर्गीकरण

प्रारंभ में कोपेन ने प्रथम तीन कारकों को ही महत्व दिया, लेकिन बाद में यूरेशिया के मध्यवर्ती पर्वतों के प्रभाव को ध्यान में रखकर उच्चावच (Relief) के प्रभाव को भी जलवायु कारकों में सम्मिलित कर लिया। कोपेन के वर्गीकरण योजना में सांकेतिक शब्दावली (Nominal terminology) का प्रयोग किया गया तथा इसी के साथ उन्होंने पदानुक्रमिक योजना (Hierarchical scheme) भी प्रस्तुत की, लेकिन भारत की जलवायु विशेषताओं के अध्ययन के क्रम में इन योजनाओं को महत्व नहीं दिया गया। कोपन महोदय ने स्वयं लिखा है कि बड़े प्रदेशों के लिए स्थानीय विशेषताओं के आधार पर पदानुक्रम निर्धारित किए जा सकते हैं। कोपेनमहोदय ने भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न प्रदेशों से जलवायु संबंधी आंकड़ों को एकत्रित कर भारत को निम्नलिखित 9 जलवायु प्रदेशों में बांटा है। • लघु कालीन शुष्क जल ऋतु की मानसूनी जलवायु (Amw) • उष्ण सवाना प्रकार की जलवायु (Aw) • पूर्णतः शुष्क ग्रीष्म ऋतु की मानसूनी जलवायु (As) • अर्ध मरुस्थलीय स्टेपी प्रकार की जलवायु (Bshw) • गरम मरुस्थलीय जलवायु (Bwhw) • शुष्क शीत ऋतु की मानसूनी जलवायु (Cwg) • आर्द्र जाड़े की ऋतु तथा लघुकालीन ग्रीष्म ऋतु की जलवायु (Dfc) • ठंडी जलवायु (ET) (ट्रूण्ड्रा प्रदेश • हिमाच्छादित जलवायु (EF) (ध्रुवीय क्षेत्र) लघु कालीन शुष्क जल ऋतु की मानसूनी इस प्रकार की जलवायु की विशेषताएं विषुवतीय जलवायु से मिलती है। अधिक तापमान, अधिक वर्षा, अधिक सापेक्षिक आर्द्रता और चौड़ी पत्ती के सघन वनों का पाया जाना, इस जलवायु की विशेषताएं हैं। इस जलवायु में मौसम का अभाव होता है एवं सालों भर लगभग एक ही प्रकार की जलवायु पाई जाती है। वार्षिक वर्षा 350 सेंमी से अधिक होती है, जो दक्षिण-पश्चिम मानसून से होती है। सर्वाधि...

Class 11 Geography Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन Notes In Hindi

11 Class Geography Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन Notes In Hindi Climate of the World Board CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board Textbook NCERT Class Class 11 Subject Geography Chapter Chapter 12 Chapter Name विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन Climate of the World Category Class 11 Geography Notes in Hindi Medium Hindi Class 11 Geography Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन Notes In Hindi जिसमे हम जलवायु, जलवायु का वर्गीकरण, ग्रीन हाउस प्रभावआदि के बारे में पड़ेंगे । Class 11 Geography Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन Climate of the World Notes In Hindi 📚 अध्याय = 12 📚 💠 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन 💠 ❇️ जलवायु :- 🔹 हमारा जीवन और हमारी आर्थिक क्रियाएं ( जैसे- कृषि , व्यापार , उद्योग आदि ) सभी जलवायु से प्रभावित और कभी – कभी नियंत्रित भी होती है । ❇️जलवायु का वर्गीकरण :- 🔹जलवायु का सबसे पहला वर्गीकरण यूनानियों ने किया था । 🔹जलवायु वर्गीकरण के तीन आधार हैं :- • आनुभविक ( empirical ) • जननिक Genetic • व्यवहारिक Applied या क्रियात्मक । 🔹 जलवायु लम्बे समय ( कम से कम 30 वर्ष ) की दैनिक मौसमी दशाओं का माध्य अथवा औसत है । ❇️भूमध्य सागरीय जलवायु :- 🔹 भूमध्य सागरीय जलवायु ( Cs ) 30 ° से 40 ° अक्षांशों के मध्य उपोष्ण कटिबंध तक महाद्वीपों के पश्चिमी तट के साथ – साथ पाई जाती है । ❇️ कोपेन का जलवायु वर्गीकरण :- 🔹 कोपेन का जलवायु वर्गीकरण ( 1918 ) जननिक और आनुभविक है । कोपेन ने जलवायु का वर्गीकरण तापमान तथा वर्षण के आधार पर किया । थार्नवेट ने वर्षण प्रभाविता , तापीय दक्षता और संभाव्य त...

विश्व के जलवायु क्षेत्र: भाग

टैग्स: • • • परिचय: • किसी स्थान पर 30 साल या उससे अधिक समय तक मौसम की औसत स्थिति जलवायु कहलाती है। पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार की जलवायु है। • उदाहरण के लिये गर्म क्षेत्र आमतौर पर भूमध्य रेखा के सबसे करीब होते हैं। • वहाँ पर अधिक गर्म जलवायु होती है क्योंकि सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा के ऊपर सीधी पड़ती हैं। • उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव ठंडे हैं क्योंकि वहाँ सूर्य का प्रकाश और ऊष्मा सबसे कम पहुँचती है। • मौसम और जलवायु के बीच का अंतर यह है कि मौसम में वातावरण में अल्पकालिक (मिनट से महीने तक) परिवर्तन होते हैं, जबकि जलवायु दीर्घकालिक परिवर्तन को कहते हैं। • अधिकांश स्थानों पर मौसम मिनट-दर-मिनट, घंटे-दर-घंटे, दिन-प्रतिदिन और मौसम-दर-मौसम बदल सकता है, जबकि जलवायु एक लंबे समयांतराल पर बदलता है। • जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक हैं- अक्षांश, ऊँचाई, आस-पास का पानी, समुद्री धाराएँ, स्थलाकृति, वनस्पति और पवनें। वैश्विक जलवायु वर्गीकरण: • कोपेन वर्गीकरण: • जलवायु का सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला वर्गीकरण व्लादिमीर कोपेन द्वारा विकसित अनुभवजन्य जलवायु वर्गीकरण योजना है। • कोपेन ने वनस्पति और जलवायु के वितरण के बीच घनिष्ठ संबंध की पहचान की। • यह औसत वार्षिक और औसत मासिक तापमान तथा वर्षा के आँकड़ों पर आधारित एक अनुभवजन्य वर्गीकरण है। • कोपेन ने पाँच प्रमुख जलवायु समूहों को मान्यता दी, उनमें से चार तापमान पर और एक वर्षा पर आधारित हैं। • उन्होंने जलवायु समूहों और प्रकारों को नामित करने के लिये बड़े अक्षरों और छोटे अक्षरों के उपयोग की शुरुआत की। • बड़े अक्षर: A, C, D और E नम जलवायु और B शुष्क जलवायु को चित्रित करते हैं। • शुष्क मौसम छोटे अक्षरों द्वारा इंगित किये जाते हैं: f, m,...

NCERT Solutions for Class 11 Geography Indian Physical Environment Chapter 4 (Hindi Medium)

• NCERT Solutions Menu Toggle • NCERT Solutions for Class 12 • NCERT Solutions for Class 11 • NCERT Solutions for Class 10 • NCERT Solutions for Class 9 • NCERT Solutions for Class 8 • NCERT Solutions for Class 7 • NCERT Solutions for Class 6 • NCERT Books • TS Grewal Solutions • MCQ Questions Menu Toggle • NCERT MCQ प्र० 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न (i) जाड़े के आरंभ में तमिलनाडु के तटीय प्रदेशों में वर्षा किस कारण होती है? (क) दक्षिण-पश्चिमी मानसून (ख) उत्तर-पूर्वी मानसून (ग) शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (घ) स्थानीय वायु परिसंचरण उत्तर- (ख) उत्तर-पूर्वी मानसून (ii) भारत के कितने भू-भाग पर 75 सेंटीमीटर से कम औसत वार्षिक वर्षा होती है? (क) आधा (ख) दो-तिहाई (ग) एक-तिहाई (घ) तीन-चौथाई उत्तर- (घ) तीन-चौथाई (iii) दक्षिण भारत के संदर्भ में कौन-सा तथ्य ठीक नहीं है? (क) यहाँ दैनिक तापांतर कम होती है। (ख) यहाँ वार्षिक तापांतर कम होता है। (ग) यहाँ तापमान सारा वर्ष ऊँचा रहता है। (घ) यहाँ जलवायु विषम पाई जाती है। उत्तर- (घ) यहाँ जलवायु विषम पाई जाती है। (iv) जब सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा पर सीधा चमकता है, तब निम्नलिखित में से क्या होता है? (क) उत्तरी-पश्चिमी भारत में तापमान कम होने के कारण उच्च वायुदाब विकसित हो जाता है। (ख) उत्तरी-पश्चिमी भारत में तापमान बढ़ने के कारण निम्न वायुदाब विकसित हो जाता है। (ग) उत्तरी-पश्चिमी भारत में तापमान और वायुदाब में कोई परिवर्तन नहीं आता। (घ) उत्तरी-पश्चिमी भारत में झुलासा देने वाली तेज लू चलती है। उत्तर- (क) उत्तर-पश्चिमी भारत में तापमान कम होने के कारण उच्च वायुदाब विकसित हो जाता है। (v) कोपेन के वर्गीकरण के अनुसार भारत में ‘As’ प्रकार की जलवायु कह...

राजस्थान की जलवायु

राजस्थान की जलवायु: जलवायु का समान्य अभिप्राय किसी क्षेत्र में मौसम की औसत दशाओं से है। समान्यत: मौसम की औसत दशाओं का ज्ञान किसी क्षेत्र के तापमान, आद्रता, वर्षा, वायुदाव आदि का दीर्घकाल तक अध्ययन करने से होता है। किसी भी क्षेत्र विशेष की जलवायु को प्रभावित करने वाले घटक – अक्षांश स्थिति, समुद्र तट से दूरी तथा ऊँचाई, वायुवेग, पहाड़, आंधी, तूफान आदि। राजस्थान की जलवायु का वर्गीकरण 3 प्रकार से किया गया है :- • • • शुष्क जलवायु प्रदेश • इस प्रदेश में शुष्क उष्ण मरुस्थलीय जलवायु दशाएँ पाई जाती हैं। • इसके अंतर्गत जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर का पश्चिमी भाग, गंगानगर का दक्षिणी भाग और जोधपुर की फलौदी तहसील का पश्चिमी भाग आता है। • यहां तापमान ग्रीष्म ॠतु में 34 डिग्री से० से अधिक तथा शीत ॠतु में 12-16 डिग्री से० के मध्य रहता है। • वर्षा का औसत 10-20 सेमी. है। • इस क्षेत्र में वनस्पति का आभाव पाया जाता है। कुछ भागों में जल प्राप्ति से विशेष प्रकार की घास ऊग जाती है। अर्द्ध-शुष्क जलवायु प्रदेश • इस प्रदेश के अंतर्गत गंगानगर, बीकानेर, बाड़मेर जिलों के पश्चिमी भागों के अतिरिक्त सभी भाग चुरु, सीकर, झुंझुनू, नागौर, पाली व जालौर के पश्चिमी भाग सम्मिलित हैं। • इस प्रदेश का औसत तापमान ग्रीष्म ॠतु में 32-36 डिग्री से० तथा शीत ॠतु में 10-16 डिग्री से० तक पाया जाता है। • वर्षा का औसत 20-40 सेमी. तक रहता है। • राजस्थान की ज्यादातर खारे पानी की झीलें इसी क्षेत्र में स्थित है। • इस क्षेत्र में बबूल के वृक्ष तथा कंटीली झाड़ियां पाई जाती हैं। उप-आर्द्र जलवायु प्रदेश • इस प्रदेश के अंतर्गत अलवर, जयपुर, अजमेर जिले, झुंझुनू, सीकर, पाली व जालौर जिलों के पूर्वी भाग तथा टौंक, भीलवाड़ा व सिरोही के उत्तरी-पश्चि...

[Solved] कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार 'Amw' जलवा�

सही उत्‍तर है: गोवा। कोपेन ने 1900 में अपनी पहली योजना और 1918 में एक संशोधित संस्करण प्रकाशित किया। उन्होंने 1940 में अपनी मृत्यु तक अपनी वर्गीकरण प्रणाली को संशोधित करना जारी रखा। अन्य जलवायु वैज्ञानिकों ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपने अनुभव के आधार पर कोपेन की प्रक्रिया के कुछ हिस्सों को संशोधित किया है। Key Points • Amw (छोटे शुष्क सर्दियों के मौसम के साथ मानसून प्रकार): यह जलवायु पश्चिमी तटीय क्षेत्र, मुंबई के दक्षिण में पाई जाती है। (मालाबार और कोंकण तट का कुछ हिस्सा) इस क्षेत्र में दक्षिण-पश्चिम मानसून से गर्मियों में 300 सेंटीमीटरसे अधिक वार्षिक वर्षा होती है। • कोपेन जलवायु वर्गीकरण जर्मन वनस्पतिशास्त्री-जलवायु विज्ञानी व्लादिमीर कोपेन द्वारा विकसित एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला, वनस्पति-आधारित, अनुभवजन्य जलवायु वर्गीकरण प्रणाली है। • उनका उद्देश्य ऐसे सूत्र तैयार करना था जो जलवायु सीमाओं को इस तरह से परिभाषित करें कि वे वनस्पति क्षेत्रों (बायोम) के अनुरूप हों, जिन्हें उनके जीवनकाल में पहली बार मैप किया जा रहा था। Additional Information • कोपेन का वर्गीकरण पांच प्रमुख प्रकारों में स्थलीय जलवायु के उपखंड पर आधारित है, जो बड़े अक्षरों A, B, C, D, और E द्वारा दर्शाया गया है। B को छोड़कर इनमें से प्रत्येक जलवायु प्रकार तापमान मानदंड द्वारा परिभाषित किया गया है। • कोपेन का जलवायु वर्गीकरण सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला जलवायु वर्गीकरण है। व्लादिमीर पीटर कोपेन ने 1884 में इस जलवायु वर्गीकरण प्रणाली का निर्माण किया। उन्होंने देखा कि पौधों का प्रसार और जलवायु का अटूट संबंध था। • वर्गीकरण वार्षिक और मासिक तापमान और वर्षा औसत पर आधारित हैं। उन्ह...

विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (CH

पाठ – 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन In this post we have given the detailed notes of class 11 geography chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन(World Climate and Climate Change) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 11 exams. इस पोस्ट में क्लास 11 के भूगोल के पाठ 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (World Climate and Climate Change) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं भूगोल विषय पढ़ रहे है। Board CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board Textbook NCERT Class Class 11 Subject Geography Chapter no. Chapter 12 Chapter Name विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (World Climate and Climate Change) Category Class 11 Geography Notes in Hindi Medium Hindi Class 11 Geography Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन in Hindi 4. More Important Links Chapter – 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन जलवायु हमारा जीवन और हमारी आर्थिक क्रियाएं (जैसे- कृषि, व्यापार, उद्योग आदि) सभी जलवायु से प्रभावित और कभी – कभी नियंत्रित भी होती है। जलवायु का वर्गीकरण 1. जलवायु का सबसे पहला वर्गीकरण यूनानियों ने किया था। 2. जलवायु वर्गीकरण के तीन आधार हैं:- • आनुभविक (empirical) • जननिक Genetic • व्यवहारिक Applied या क्रियात्मक। 3. जलवायु लम्बे समय (कम से कम 30 वर्ष) की दैनिक मौसमी दशाओं का माध्य अथवा औसत है। भूमध्य सागरीय जलवायु भूमध्य सागरीय जलवायु (Cs) 30° से 40° अक्षांशों के मध्य उपोष्ण कटिबंध तक महाद्वीपों के पश्चिमी तट के साथ ...

Bharat Ki Jalvayu

किसी स्थान की वायुमण्डलीय दशा (तापमान, वायुदाब, आर्द्रता, वायुवेग व पवन) के कुछ समय (मिनट, कुछ घण्टे या चार-पाँच दिन) के सम्मिलित रूप को 'मौसम' (एक दिन में कई बार मौसम बदलता है), कुछ माह के सम्मिलित रूप को 'ऋतु' तथा लम्बे समय (30 वर्षों से अधिक) के सम्मिलित रूप को 'जलवायु' कहते हैं अर्थात् किसी स्थान पर 30 वर्षों से अधिक समय तक रहने वाला एक सा मौसम वहाँ की जलवायु' कहलाती है। Bhart ki Jalvayu, Map, PDF, Trick, Notes, types - भारत के जलवायु प्रदेश भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक इस प्रकार है- 1. अक्षांश भूमध्य रेखा से दूरी बढ़ने अर्थात् बढ़ते हुए अक्षांश के साथ तापमान में कमी आती है क्योंकि सूर्य की किरणों के तिरछी होने से सौर्यातप की मात्रा प्रभावित होती है। कर्क रेखा भारत के मध्य भाग से गुजरती है। इस प्रकार भारत का उत्तरी भाग शीतोष्ण कटिबंध में तथा कर्क रेखा के दक्षिण में स्थित भाग उष्ण कटिबंध में पड़ता है, तो वहीं उष्ण कटिबंध में भूमध्य रेखा के अधिक निकट होने के कारण वर्ष भर ऊँचे तापमान और कम दैनिक व वार्षिक तापांतर पाए जाते हैं तथा शीतोष्ण कटिबंध में भूमध्य रेखा से दूर होने के कारण उच्च दैनिक व वार्षिक तापांतर के साथ विषम जलवायु पाई जाती है। अंत: हम कह सकते हैं कि भारत की जलवायु में उष्ण कटिबंधीय व उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु दोनों की विशेषताएँ उपस्थित हैं। 2. मानसूनी पवनें मानसूनी पवनें भी भारतीय भू-भाग की जलवायु के निर्धारक तत्व हैं, तो वहीं ये मानसूनी पवनें ग्रीष्मकाल में दक्षिण-पश्चिम तथा शीतकाल में उत्तर-पूर्व दिशा में बहती हैं तथा ये मानसूनी पवनें देश में वर्षा की मात्रा, आर्दता एवं तापमान को प्रभावित करती हैं। 3. समुद्र तल से ऊँचाई ऊँचाई के साथ तापमान घटता है...