महामृत्युंजय मंत्र संस्कृत में

  1. मंत्र: महामृत्युंजय मंत्र, संजीवनी मंत्र, त्रयंबकम मंत्र
  2. Mahamritunjay Mantra
  3. महामृत्युंजय मंत्र Mahamrityunjay Mantra
  4. Mahamrityunjaya Mantra Protects Us From Inferior Energies Mahamrityunjaya Fit For Growth
  5. Mahamrityunjay Mantra Ka Arth महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
  6. Sankalp mantra संकल्प मंत्र के संस्कृत प्रारूप और अनिवार्यता
  7. Mahamrityunjay Mantra Jaap
  8. 🔱 महामृत्युंजय मंत्र 🔱 – Dharmdhara


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मंत्र: महामृत्युंजय मंत्र, संजीवनी मंत्र, त्रयंबकम मंत्र

Read in English ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥ महामृत्युंजय मंत्र मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र जिसे त्रयंबकम मंत्र भी कहा जाता है, ऋग्वेद का एक श्लोक है। यह त्रयंबक त्रिनेत्रों वाला, रुद्र का विशेषण (जिसे बाद में शिव के साथ जोड़ा गया)को संबोधित है। यह श्लोक यजुर्वेद में भी आता है। गायत्री मंत्र के साथ यह समकालीन हिंदू धर्म का सबसे व्यापक रूप से जाना जाने वाला मंत्र है। शिव को मृत्युंजय के रूप में समर्पित महान मंत्र ऋग्वेद में पाया जाता है। इसे मृत्यु पर विजय पाने वाला महा मृत्युंजय मंत्र कहा जाता है। इस मंत्र के कई नाम और रूप हैं। * इसे शिव के उग्र पहलू की ओर संकेत करते हुए रुद्र मंत्र कहा जाता है; * शिव के तीन आँखों की ओर इशारा करते हुए त्रयंबकम मंत्र और इसे कभी कभी मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह कठोर तपस्या पूरी करने के बाद पुरातन ऋषि शुक्र को प्रदान की गई "जीवन बहाल" करने वाली विद्या का एक घटक है। * ऋषि-मुनियों ने महा मृत्युंजय मंत्र को वेद का ह्रदय कहा है। * चिंतन और ध्यान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनेक मंत्रों में गायत्री मंत्र के साथ इस मंत्र का सर्वोच्च स्थान है। मूल रूप: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥ महा मृत्युंजय मंत्र का अक्षरशः अर्थ - त्रयंबकम: त्रि-नेत्रों वाला (कर्मकारक) यजामहे: हम पूजते हैं,सम्मान करते हैं,हमारे श्रद्देय। सुगंधिम: मीठी महक वाला, सुगंधित (कर्मकारक) पुष्टि: एक सुपोषित स्थिति, फलने-फूलने वाली,समृद्ध जीवन की परिपूर्णता। वर्धनम: वह जो पोषण करता है,शक्ति देता है, (स्वास्थ्य,धन,सुख में) वृद्धिकारक;...

Mahamritunjay Mantra

mahamritunjay mantra श्रावण मास में महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम फलदायक है। महामृत्युंजय मंत्र के जप व उपासना के तरीके आवश्यकता के अनुरूप होते हैं। अधिकतर लोग इसे आपदा, बीमारी में रक्षा और मरणासन्न व्यक्ति की जान बचाने के लिए प्रयोग में लाता है। लेकिन सावन मास में हर तरह की उपासना के लिए इस मंत्र का जप किया जाता है। महामृत्युंजय जपविधि - (मूल संस्कृत में) कृतनित्यक्रियो जपकर्ता स्वासने पांगमुख उदहमुखो वा उपविश्य धृतरुद्राक्षभस्मत्रिपुण्ड्रः । आचम्य । प्राणानायाम्य। देशकालौ संकीर्त्य मम वा यज्ञमानस्य अमुक कामनासिद्धयर्थ श्रीमहामृत्युंजय मंत्रस्य अमुक संख्यापरिमितं जपमहंकरिष्ये वा कारयिष्ये। महामृत्युंजय मंत्र प्राण प्रतिष्ठा आह्वान ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ गुरवे नमः। ॐ गणपतये नमः। ॐ इष्टदेवतायै नमः। इति नत्वा यथोक्तविधिना भूतशुद्धिं प्राण प्रतिष्ठां च कुर्यात्‌। FILE महामृत्युंजय मंत्र विनियोगः ॐ तत्सदद्येत्यादि मम अमुक प्रयोगसिद्धयर्थ भूतशुद्धिं प्राण प्रतिष्ठां च करिष्ये। ॐ आधारशक्ति कमलासनायनमः। इत्यासनं सम्पूज्य। पृथ्वीति मंत्रस्य। मेरुपृष्ठ ऋषि;, सुतलं छंदः कूर्मो देवता, आसने विनियोगः। महामृत्युंजय मंत्र आसनः ॐ पृथ्वि त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता। त्वं च धारय माँ देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌। गन्धपुष्पादिना पृथ्वीं सम्पूज्य कमलासने भूतशुद्धिं कुर्यात्‌। अन्यत्र कामनाभेदेन। अन्यासनेऽपि कुर्यात्‌। FILE महामृत्युंजय मंत्र प्राण-प्रतिष्ठा विनियोगः अस्य श्रीप्राणप्रतिष्ठामंत्रस्य ब्रह्माविष्णुरुद्रा ऋषयः ऋग्यजुः सामानि छन्दांसि, परा प्राणशक्तिर्देवता, ॐ बीजम्‌, ह्रीं शक्तिः, क्रौं कीलकं प्राण-प्रतिष्ठापने विनियोगः। डं. कं खं गं घं नमो वाय्वग्निजलभूम्यात्मने हृदय...

महामृत्युंजय मंत्र Mahamrityunjay Mantra

महामृत्युंजय मंत्र - महामृत्युंजय मंत्र जिसे मृत संजीवनी मंत्र भी कहते हैं। संस्कृत में महामृत्युंजय उस व्यक्ति को कहते हैं, जो मृत्यु को जीतने वाला हो। महामृत्युंजय सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक है, जिसका जाप करने से भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते हैं। महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद, यजुर्वेद, शिवपुराण और अन्य ग्रंथो में मिलता है और इसके महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। सावन माह में इस मंत्र का जाप अत्यंत ही कल्याणकारी और लाभकारी माना जाता है। वैसे आप यदि अन्य माह में इस मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो सोमवार के दिन से इसका प्रारंभ कराना चाहिए। इस मंत्र के जाप में रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। प्रतिदिन एक माला का जाप जरूर करें यानि इस मंत्र का उच्चारण 108 बार करें। शिवपुराण के अनुसार इस मंत्र का 108 बार जाप करने से व्यक्ति को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है। अकाल मृत्यु, महारोग, धन-हानि, गृह क्लेश, समस्त पापों से मुक्ति आदि जैसे स्थितियों में भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। इसके चमत्कारिक लाभ देखने को मिलते हैं। इन सभी समस्याओं से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र या लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति स्वरुप को माता सिद्धिदात्री कहते हैं। नवरात्रि के नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री की पूजा आराधना की जाती है। इस ब्रहमांड की समस्त सिद्धियों को प्रदान करने वाली सिद्धिदात्री माता ही है। सिद्धिदात्री आठ सिद्धियां प्रदान करने वाली है। जो कोई भी मनुष्य पुरे श्रद्धा से सिद्धिदात्री माता की पूजा आराधना करता है। उसे सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो ...

Mahamrityunjaya Mantra Protects Us From Inferior Energies Mahamrityunjaya Fit For Growth

भगवान मृत्युंजय यानि शिव मनुष्य के सारे दुखों, परेशानियों और अहंकार का हरण कर लेते हैं. भगवान शिव के महामंत्र महामृत्युंजय का जाप करने से आयु वृद्धि, रोगमुक्ति और भय से मुक्ति मिलती है. जो लोग महामृत्युंजय मंत्र का जाप विपत्ति के समय करते हैं उन्हें यह एक दिव्य ऊर्जा के कवच के समान सुरक्षा प्रदान करता है. यह मंत्र भगवान शिव के लिए एक प्रार्थना है. महामृत्युंजय मंत्र का कंपन्न यानी वाईब्रेशन, हीन शक्तियों को खत्म करने वाला होता है. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंन्धिं पुष्टिवर्धनम्. उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ हीन शक्तियां दो प्रकार की होती है एक वो जो मनुष्य स्वयं अपने भीतर विपरीत विचारधाराओं द्वारा निर्मित करता है और दूसरी वह जो दूसरों द्वारा निर्मित की जाती है. महामृत्युंजय मंत्र अपने वाइब्रेशन से इन हीन शक्तियों के प्रभाव को खत्म कर देता है. विचार ऊर्जा का ही स्वरूप है. हीन विचार नकारात्मक ऊर्जा की उत्पत्ति करते हैं और उच्च विचार सकारात्मक ऊर्जा की उत्पत्ति करते है. हमारा मन एक प्रसारण केंद्र है इसमें उत्पन्न होने वाले विचारों के साथ ऊर्जा जुड़ी होती है. जब हम किसी व्यक्ति के विषय में विचार करते हैं तो उससे संबंधित ऊर्जा उस व्यक्ति की ओर प्रवाहित होने लगती है. इस प्रकार जब कोई व्यक्ति हीन विचार अपने मन में लाता है तो उससे संबंधित नकारात्मक ऊर्जा अमुक व्यक्ति की ओर प्रवाहित होने लगती है. महामृत्युंजय मंत्र का वाइब्रेशन इन दोनों प्रकार की हीन ऊर्जाओं से हमारी रक्षा करता है. इसको बचपन से ही करना चाहिए ताकि इस दिव्य मंत्र का कवच सदैव साथ रहें. ऐसी विचार धारा बिल्कुल गलत है कि यह मंत्र मृत्युतुल्य कष्ट में ही पढ़ा जाता है या फिर महामृत्युंज पढ़ने की सलाह देने का ...

Mahamrityunjay Mantra Ka Arth महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ

महामृत्युंजय मंत्र दुखों से छुटकारा पाकर मोक्ष रूपी अमृत को प्राप्त करने का मंत्र है। इस मंत्र में भगवान से प्रार्थना की गई है कि हे, प्रभु हम आपकी शरण मे आते है, आपकी भक्ति से हमें मृत्यु से छुटकारा मिलकर मोक्ष की प्राप्ति हो जाये। हे परमेश्वर आप तीनो लोको के स्वामी, भूत, वर्तमान व भविष्य के जानने वाले है और इस जगत में सुख रूपी अमृत की पुष्टि करने वाले है। इसलिए हे महादेव इस मृत्युलोक में मिलने वाले सभी प्रकार के हमारे दुखों को नष्ट कर दे और हमे मृत्यु के बंधनों से मुक्ति देकर मोक्ष का आनंद प्रदान करे। महामृत्युंजय मंत्र संस्कृत में त्र्य॑म्बकं यजामहे सु॒गन्धिं॑ पुष्टि॒वर्ध॑नम् । उ॒र्वा॒रु॒कमि॑व॒ बन्ध॑नान्मृ॒त्योर्मु॑क्षीय॒ माऽमृता॑त् ॥ ऋग्वेद 7.59.12॥ मंत्र का अर्थ हे मनुष्यो ! जिस (सुगन्धिम्) अच्छे प्रकार पुण्यरूपय यशयुक्त (पुष्टिवर्धनम्) पुष्टि बढ़ाने वाले (त्र्यम्बकम्) तीनों कालों में रक्षण करने वाले परमेश्वर शिव को हम लोग (यजामहे) उत्तम प्रकार प्राप्त होवें उसकी आप लोग भी उपासना करिये और जैसे मैं (बन्धनात्) बन्धन से (उर्वारुकमिव) ककड़ी के फल के सदृश (मृत्योः) मरण से (मुक्षीय) छूटूँ, वैसे आप लोग भी छूटे जैसे मैं मुक्ति से न छूटूँ, वैसे आप भी (अमृतात्) मोक्ष मुक्ति की प्राप्ति से विरक्त (मा, आ) मत होवे। महामृत्युंजय मंत्र हिन्दी अर्थ हे मनुष्यों जो त्रिकालदर्शी शिव तीनो काल में यश, दया, सुख आदि गुणों की सुगन्धि को बढ़ाने वाले है हम सभी को उस महादेव की उपासना करनी चाहिए। ताकि वह हमारे सभी दुखों को नष्ट कर दे। जिस प्रकार ककड़ी का फल पककर बेल से अलग हो जाता है, उसी प्रकार हे परमेश्वर शिव हम सभी आपकी भक्ति व दया से सभी प्रकार के दुःख, और मृत्यु के भय से छूट कर अमृत अथार्त ...

Sankalp mantra संकल्प मंत्र के संस्कृत प्रारूप और अनिवार्यता

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Mahamrityunjay Mantra Jaap

हिंदू धर्म में भगवान् शिव को सबसे शक्तिशाली देवता मन जाता है। भगवान् शिव की महामृत्युंजय जाप से साधना करना अधिक लाभकारी है। महामृत्युंजय मंत्र सभी बाकि संस्कृत मंत्रो के तुलना में अधिक प्रचलित है। यह मंत्र "रूद्र मंत्र " या "त्र्यंबकम मंत्र" के रूप में भी जाना जाता है। प्राचीन पवित्र ग्रंथ ऋग्वेदा ( आर वि ७.५९.१२) में इस मंत्र की पंक्तियो का जिक्र है, बाद में "यजुर्वेदा" ( टी इस १.८.६. आय। वि ५ ३. ६०) में भी यह मंत्र पाया गया है। कई बार यह मंत्र-संजीवनी मंत्र के रूप में भी जाना गया है, क्योकि यह एक ऋषि शुक् को दी गई जीवन-बहाली का एक तत्व। यह माना जाता है, भगवान् शिवा मृत्यु संबंधित तत्वों के रक्षक है, इसीलिए अप्राकृतिक मृत्यु से बचने के लिए रोज १०८ बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना उचित है। महत्वपूर्ण सूचना: प्रिय यजमान (अतिथि) कृपया ध्यान दें कि ये त्र्यंबकेश्वर पूजा • • • • • Comments (3) महामृत्युंजय मंत्र: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् महामृत्युंजय मंत्र ३२ शब्दों के प्रयोग से बना है तथा इस मंत्र के पहले ॐ लगा देने से कुल ३३ शब्द हो जाते हैं। इसीलिए महामृत्युंजय मंत्र को 'त्रयस्त्रिशाक्षरी' मन्त्र भी कहा जाता हैं। महा शब्द का अर्थ "सर्वोच्च" है और मृत्युं शब्द का अर्थ "मृत्यु" है जब की, जाया शब्द का अर्थ "विजय" होता है। महामृत्युंजय मतलब बुरी चीजों पर विजय हासिल करना। देवता शिव बुरी शकतोयो के संहारक है। महामृत्युंजय जाप मुख्यतः दीर्घकाल रहने वाली बीमारियो से छुटकारा पाने के लिएऔर लम्बी आयु पाने के लिएकिया जाता है। रोज १०८ बार महामृत्युंजय जाप करने से अधिक लाभ, बीमारियों पे , मानसिक तनाव पे उपचारात्मकता मिलती ह...

🔱 महामृत्युंजय मंत्र 🔱 – Dharmdhara

*महामृत्युंजय मंत्र में 33 अक्षर हैं जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 कोटि (प्रकार) के देवताओं के घोतक हैं।* *महामृत्युंजय* मन्त्र से शिव की आराधना करने पर समस्त देवी देवताओं की आराधना स्वमेव हो जाती है। उन तैंतीस कोटि देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और 12 आदित्य 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं। इन तैंतीस कोटि देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ महामृत्युंजय मंत्र से निहीत होती हैं, जिससे महा महामृत्युंजय का पाठ करने वाला प्राणी दीर्घायु तो प्राप्त करता ही है साथ ही वह निरोगी, ऐश्वर्य युक्त व धनवान भी होता है। महामृत्युंजय का पाठ करने वाला प्राणी हर दृष्टि से सुखी एवम समृध्दिशाली होता है। *भगवान शिव की अमृतमय कृपा उस पर निरन्तंर बरसती रहती है।* महामृत्युञ्जय मंत्र यजुर्वेद के रूद्र अध्याय में स्थित एक मंत्र है। इसमें शिव की स्तुति की गयी है। शिव को ‘मृत्यु को जीतने वाला’ माना जाता है। मंत्र इस प्रकार है – *ॐ त्र्यम्बकं यजामहे* *सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।* *उर्वारुकमिव बन्धनान्* *मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥* महामृत्युंजय मंत्र (संस्कृत: महामृत्युंजय मंत्र “मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र” जिसे त्रयंबकम मंत्र) भी कहा जाता है,ऋग्वेद का एक श्लोक है। यह त्रयंबक “त्रिनेत्रों वाला”, रुद्र का विशेषण शिव को संबोधित है। यह श्लोक यजुर्वेद में भी आता है। गायत्री मंत्र के साथ यह समकालीन हिंदू धर्म का सबसे व्यापक रूप से जाना जाने वाला मंत्र है। शिव को मृत्युंजय के रूप में समर्पित महान मंत्र ऋग्वेद में पाया जाता है। इसे मृत्यु पर विजय पाने वाला महामृत्युंजय मंत्र कहा जाता है। इस मंत्र के कई नाम और रूप हैं। इसे शिव के उग्र पहलू की ओर संकेत करते हुए रुद्र मंत्र भी कहा जाता है; शिव के तीन आँखों की ओर इशारा करते हुए...