मोहम्मद बिन तुगलक की 5 योजनाएं

  1. गयासुद्दीन तुगलक (तुगलक वंश का संस्थापक)
  2. मुहम्मद बिन तुगलक की योजनाएं
  3. मोहम्मद बिन तुगलक पागल है, यह किसका विचार है? » Muhammad Bin Tughlaq Pagal Hai Yah Kiska Vichar Hai
  4. Who Was Mohammad Bin Tughlaq, And What Is Tughlaqi Dictat
  5. मोहम्मद बिन तुगलक की 5 योजनाएं
  6. तुग़लक़ राजवंश


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गयासुद्दीन तुगलक (तुगलक वंश का संस्थापक)

• ग्यासुद्दीन तुगलक ने 1320 ई0 में नसिरुद्दीन खुसरव की हत्या करके तुगलक वंश की स्थापना की यह उस समय लाहौर के निकट दीपालपुर का गवर्नर था • गाजी मलिक का दूसरा नाम ग्यासुद्दीन तुगलक था गाजी का अर्थ होता है – “काफिरों का संहारक” (जो धर्म नहीं मानते उनकी हत्या करने वाला) • दिलली सल्तनत पर शासन करने वाला यह तीसरा वंश था • गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के निकट तुगलकाबाद नामक नगर की स्थापना की • गयासुद्दीन के पुत्र का नाम जौन खाँ (मुहम्म्द बिन तुगलक)था जिसे उलूग खाँ की उपाधि प्रद्न की गयी • फरिश्ता के अनुसार, गाजी मलिक के पिता कुतुलुग गाजी थे बाद में कुतुलुग शब्द अपभ्रंश होते-होते तुगलक हो गया और ये अपने नाम के आगे तुगलक लिखने लगे • ग्यासुद्दीन तुगलक दिन में दो बार सुबह-शाम दरबार लगाता था • ग्यासुद्दीन तुगलक पहला ऐसा सुल्तान था जिसने सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण कराया • ग्यासुद्दीन तुगलक ने डाक व्यवस्था को सुदृढ बनाया • ग्यासुद्दीन तुगलक ने असैनिक पदाधिकारियों को जागीर देने की प्रथा पुन: शुरु की • अमीर खुसरो के अनुसार, ग्यासुद्दीन तुगलक एक विद्वान शासक था • गयासुद्दीन के समय में दिल्ली सल्तनत के आय के स्त्रोत निम्न थे • जजिया – यह मुसलमानों से लिया जाने वाला वैयक्तिक कर था • जकात – मुसलमानों द्वारा अपने सम्पत्ति का कुछ हिस्सा दान करना जकात कहलाता है • खुम्स – यह गैर मुसलमानों से लिया जाने वाला कर था जो लोग मुसलमान नही थे वह ये कर अदा करते थे • खम्स – लूट में प्राप्त धन खुम्स कहा जाता था • उश्र – यह एक प्रकार का कृषि कर था • गयासुद्दीन तुगलक का प्रसिध्द चिश्ती संत निजामुद्दीन औलिया के साथ कटुतापूर्ण संबंध थे • एक बार जब गयासुद्दीन बंगाल विजय अभियान पर गया, तब वहाँ से लौटते वक्त तुगल...

मुहम्मद बिन तुगलक की योजनाएं

मुहम्मद बिन तुगलक की योजनाएं (Muhammad Bin Tughlaq Ki Yojnaye) आज इस लेखन के माध्यम से मैं मुहम्मद बिन तुगलक की योजनाएं | Muhammad Bin Tughlaq Ki Yojnaye के बारे में बात करूंगा। तुगलक वंश का संस्थापक गयासुद्दीन तुगलक (Tuglak Vansh Ka Sansthapak Gayasuddin Tuglak) की मृत्यु के बाद उसका पुत्र मुहम्मद-बिन-तुगलक दिल्ली की गद्दी पर बैठा। उनका पहले का नाम जूना खान था। मुहम्मद-बिन-तुगलक ने अपने शासनकाल में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने का प्रयास किया। उन सभी योजनाओं पर नीचे चर्चा की गई है। आइए जानते हैं मुहम्मद बिन तुगलक की योजनाएं | Muhammad Bin Tughlaq Ki Yojnaye Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • मुहम्मद बिन तुगलक की योजनाएं | Muhammad Bin Tughlaq Ki Yojnaye मुहम्मद-बिन-तुगलक द्वारा किए गए सभी साहसिक कार्य, उल्लेखनीय और ऐतिहासिक रूप से आलोचना की गई योजनाओं में शामिल हैं: • दोआब में कर वृद्धि • दीवान-ए-कोही की स्‍थापना • राजधानी परिवर्तन • सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन • खुरासान अभियान • कराजिल अभियान • रईसों के प्रति सुल्तान की नीति मोहम्मद बिन तुगलक ने दोआब में कर वृद्धि क्यों की सिंहासन पर बैठने के बाद, मुहम्मद-बिन-तुगलक ने कई साहसिक योजनाओं को शुरू किया और राजस्व और कृषि मामलों में रुचि रखने लगे। उसने साम्राज्य के राजस्व और व्यय खातों को रखने की उचित व्यवस्था की। प्रांतीय गवर्नरों को प्रांतीय आय और व्यय खातों को नियमित रूप से राजधानी में भेजने के लिए मजबूर किया और पूरे साम्राज्य में समान दर पर राजस्व एकत्र करने की व्यवस्था की। राजस्व बढ़ाने के लिए उसने गंगा और यमुना के बीच दोआब क्षेत्र में राजस्व की मात्रा में वृद्धि की। शायद उनका इरादा भू...

मोहम्मद बिन तुगलक पागल है, यह किसका विचार है? » Muhammad Bin Tughlaq Pagal Hai Yah Kiska Vichar Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। इतिहासकार कहते हैं कि मोहम्मद बिन तुगलक की योजनाएं तो बहुत दूर तो सी थी किंतु उस समय के हालातों के अनुसार वह उसके लिए सूटेबल नहीं थी इसलिए इतिहास हुसैन मोहम्मद बिन तुगलक को पागल शासक मानते हैं उसकी पहली योजना थी तो देवगिरी राजधानी बनाना दूसरा को राशन पर चढ़ाई करना तीसरा उसने जो आर्थिक सुधार के लिए नई मुद्रा का प्रचलन किया और यह सब योजना है जो थी वह बहुत दुर्दशा के साथ की थी और कुछ विचारों की थी लेकिन दुर्भाग्य का विषय उस समय यह रहा कि जिस समय राजधानी परिवर्तन करने के लिए उसने यह कह दिया कि जनता यहां से वहां तक जाए जनता आदि की रास्ते में ही मारी गई तू इस माह तक नहीं पहुंच पाई दूसरा मुद्दा कुछ सुधार के लिए उसमें से उसने सोचा था जो लोगों ने उसके फर्जी जाली नोट बना डाले इसलिए वह भी उसकी योजना सफल रही खुरासन पर चढ़ाई की तो उसमें पहाड़ा ने आड़े आ गया और वहां भी वही योजना उसकी 55 रही है उसको समय में उसका साथ नहीं दिया इस कारण से वह कैलाश पर्वत itihaaskar kehte hai ki muhammad bin tuglak ki yojanaye toh bahut dur toh si thi kintu us samay ke halaton ke anusaar wah uske liye suitable nahi thi isliye itihas hussain muhammad bin tuglak ko Pagal shasak maante hai uski pehli yojana thi toh devagiri rajdhani banana doosra ko raashan par chadhai karna teesra usne jo aarthik sudhaar ke liye nayi mudra ka prachalan kiya aur yeh sab yojana hai jo thi wah bahut durdasha ke saath ki thi aur kuch vicharon ki thi lekin durbhagya ka vishay us samay yeh raha ki jis samay rajdhani...

Who Was Mohammad Bin Tughlaq, And What Is Tughlaqi Dictat

नई दिल्ली: 14वीं सदी में दिल्ली के तख्त पर 26 वर्ष तक शासन करने वाले मोहम्मद बिन तुगलक का नाम न सिर्फ उसकी बादशाहत और लम्बे-चौड़े साम्राज्य के लिए जाना-पहचाना है, बल्कि रातोंरात बेहद सख्ती से लागू करवाए गए फैसलों के लिए भी उसे अक्सर याद किया जाता है, और आधुनिक युग के नेताओं की भी किसी फैसले को अचानक 'एकतरफा ढंग से' लागू करने पर 'तुगलकी फरमान' कहकर ही आलोचना की जाती है. दरअसल, 1320 ईस्वी से 1413 तक दिल्ली सल्तनत पर राज करते रहे तुगलक वंश के दूसरे शासक के रूप में मोहम्मद बिन तुगलक 1325 ईस्वी में तख्त पर बैठा, और 26 साल तक सत्तासीन रहा. उपलब्ध इतिहास के अनुसार, उसके शासनकाल में सल्तनत-ए-दिल्ली का भौगोलिक क्षेत्रफल सर्वाधिक रहा, जिसमें लगभग पूरा भारतीय उपमहाद्वीप शामिल था. इतिहासकारों के मुताबिक बेहद विद्वान शासकों में शुमार किया जाने वाला मोहम्मद बिन तुगलक वज़ीरों और रिश्तेदारों पर भी हमेशा संदेह करता था, और किसी भी शत्रु को कमतर समझना उसकी फितरत में शामिल नहीं था. दिल्ली की जगह दौलताबाद बनी राजधानी... उसने कई ऐसे निर्णय लिए, जो आज तक याद किए जाते हैं, और जिन्हें रातोंरात जबरन लागू करवाने की वजह से 'तुगलकी फरमान' का मुहावरा मशहूर हुआ. मोहम्मद बिन तुगलक ने अचानक अपनी राजधानी को दिल्ली से महाराष्ट्र के देवगिरी ले जाने का फैसला किया, जिसका नाम उसने दौलताबाद रखा. इस फैसले में सबसे खराब पहलू यह था कि उसने दिल्ली की आबादी को भी दौलताबाद स्थानांतरित होने के लिए मजबूर किया. बताया जाता है कि जो लोग स्थानांतरित हुए, उनमें से बहुतों की मौत रास्ते में ही हो गई. वैसे भी दौलताबाद खुश्क इलाका था, जहां बादशाह को पानी की ज़बरदस्त किल्लत का सामना करना पड़ा, और आखिरकार राजधानी को वापस दिल्ली स्...

मोहम्मद बिन तुगलक की 5 योजनाएं

हम बात कर रहे हैं यहाँ एक सवाल उठना स्वाभाविक है कि मोहम्मद बिन तुगलक ने भारतीय इतिहास में बुद्धिमान मूर्खों को अर्जन में कितने प्रशासनिक सुधार किए? आइये हम आपको बताते हैं… जहाँ मोहम्मद बिन तुगलक अपने क्षेत्र का विस्तार करना चाहता था, वहीं इस मामले के लिए, उसने विशाल सेना को भी बनाए रखा और विशाल सेना के रखरखाव के लिए, उन्होंने अपने विषयों को अधिक करों का भुगतान करने का आदेश दिया। उसने अत्यधिक कराधान का बोझ, किसानों ने अपने कब्जे को कुछ अन्य नौकरियों में स्थानांतरित कर दिया क्योंकि वे करों का भुगतान नहीं कर सकते थे जिसके परिणामस्वरूप भोजन की कमी और अराजकता फैली थी, इससे किसानों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा। जब उन्होंने टोकन मुद्रा शुरू की। उस समय 14 वीं शताब्दी के दौरान, दुनिया भर में चांदी की कमी थी। उन्होंने चाँदी के सिक्कों के मूल्य के बराबर तांबे का सिक्का पेश किया जो आर्थिक अराजकता का कारण बनता है। उन्होंने तब तांबे का सिक्का वापस ले लिया और लोगों को शाही खजाने से सोने और चांदी के सिक्कों के साथ तांबे के सिक्कों का आदान-प्रदान करने का आदेश जारी किया। आर्थिक अराजकता के में इसका बड़ा योगदान दिखाई दिया। इसके बाद दो सुधारों के विफल होने पर वो वित्तीय कठिनाइयों को दूर करने के लिए गंगा और यमुना जलोढ़ भूमि पर कर बढ़ाता है। करों के अधिक बोझ के कारण, लोगों ने अपने कृषि व्यवसाय को छोड़ दिया और डकैती और चोरी में शामिल थे। हालांकि, उन्होंने स्थिति से निपटने के लिए कठोर कदम उठाए जिससे धन की बड़ी हानि हुई। यह उल्लेखनीय है कि इस बीच उनके शासनकाल में कई अकालों का भी सामना करना पड़ा। जिस कारण लोग भूखे मरने लगे। जबतक मुहम्मद बिन तुगलक को समस्या का एहसास हुआ लेकिन तब तक बहुत देर हो चु...

तुग़लक़ राजवंश

अनुक्रम • 1 शासकों के नाम • 2 तुग़लक़ वंश का पतन • 3 इन्हें भी देखें • 4 सन्दर्भ • 5 बाहरी कड़ियाँ शासकों के नाम [ ] • • • इन तीनों योग्य शासकों के बाद कोई और शासक सही शासन न कर सके। इसके बाद तुग़लक़ वंश का पतन शुरू हो गया। इनके अलावा कुछ शासक और हुए जिनका नाम इस प्रकार है:- • • तुग़लक़ वंश का पतन [ ] तैमूर के आक्रमण से तथा उत्तराधिकारी के अभाव में यह वंश 1414 में समाप्त हो गया जिसके बाद इन्हें भी देखें [ ] सन्दर्भ [ ] • العربية • Azərbaycanca • تۆرکجه • বাংলা • Català • Čeština • Dansk • Deutsch • English • Español • فارسی • Suomi • Français • ગુજરાતી • Bahasa Indonesia • Italiano • 日本語 • ქართული • 한국어 • മലയാളം • मराठी • नेपाली • Nederlands • Norsk nynorsk • ਪੰਜਾਬੀ • Polski • پنجابی • Русский • Svenska • தமிழ் • Türkçe • Українська • اردو • Oʻzbekcha / ўзбекча • 吴语 • 中文