Nijvachak sarvnam kise kahate hain

  1. निजवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं? » Nijvachak Sarvnaam Kise Kehte Hain
  2. Nishchay Vachak Sarvanam
  3. Sarvnam Kise Kahate Hain ᐈ सर्वनाम किसे कहते हैं? परिभाषा
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निजवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं? » Nijvachak Sarvnaam Kise Kehte Hain

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Nishchay Vachak Sarvanam

Table of Contents • • • • • • • • • • Nishchay Vachak Sarvanam Nishchay Vachak Sarvanam निश्चयवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं | Nishchay Vachak Sarvanam Kise Kahate Hain जिन सर्वनाम शब्दों से किसी निश्चित व्यक्ति अथवा वस्तु की ओर निकटवर्ती अथवा दूरवर्ती संकेत का बोध होता है उन्हें निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। निश्चयवाचक सर्वनाम के अंतर्गत यह, वह, इस, उस, ये, वे इत्यादि सर्वनाम शब्द आते हैं। निश्चयवाचक सर्वनाम (Nishchay Vachak Sarvanam) में ‘यह’ सर्वनाम का प्रयोग किसी निकटवर्ती व्यक्ति अथवा वस्तु की ओर निश्चित संकेत करने के लिए किया जाता है तथा ‘वह’ सर्वनाम का प्रयोग किसी दूरवर्ती व्यक्ति अथवा वस्तु की ओर निश्चित संकेत करने के लिए किया जाता है। जैसे:- यह सर्वनाम का प्रयोग संज्ञा अथवा संज्ञा वाक्यांश के स्थान पर निश्चय का बोध करवाने के लिए भी किया जाता है। जैसे:- इस उम्र में शादी करना, यह आपको शोभा नहीं देता। इस वाक्य में संज्ञा वाक्यांश के स्थान पर यह का प्रयोग किया गया है। निश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण | Nishchay Vachak Sarvanam Ke Udaharan • वह पैन मेरा नहीं है। • यह घर मेरे दादाजी ने बनवाया था। • वे सब आज पहुंच जाएंगे। • उस मटके में पानी नहीं है। • यह घड़ी खराब है। • यह भी तो रवि का ही साथी है। • यह कोई आज की बात नहीं है। निश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण व्याख्या सहित • यह किसका फ़ोन है? उपरोक्त वाक्य में निकटवर्ती वस्तु की ओर संकेत करने के लिए ‘यह’ का प्रयोग किया गया है अतः यह वाक्य निश्चयवाचक सर्वनाम (Nishchay Vachak Sarvanam) का उदाहरण होगा। • वह किसका सामान है? उपरोक्त वाक्य में दूरवर्ती वस्तु की ओर संकेत करने के लिए ‘वह’ सर्वनाम का प्रयोग किया गया है। अतः यह वाक्य निश्चयवाचक ...

Sarvnam Kise Kahate Hain ᐈ सर्वनाम किसे कहते हैं? परिभाषा

हिंदी के शब्दों को समझने में संज्ञा के बाद सर्वनाम की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है, वैसे तो व्याकरण के सभी तत्वों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है लेकिन सर्वनाम, हमें वाक्य के अंदर वक्ता, श्रोता तथा अन्य लोगों के बीच संबंध को समझने का अवसर देता है। Hello Friends, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर, आज के इस लेख में हम सर्वनाम की परिभाषा (Sarvnam Kise Kahate Hain) तथा इसके प्रकार और इससे जुड़े उदाहरणों के बारें में विस्तार से बात करेंगे। Table of Contents • • • • • • • • • • • Sarvnam Kise Kahate Hain सर्वनाम किसे कहते हैं? – जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किए जाते है उन्हें सर्वनाम कहा जाता है, उदाहरण – मैं, हम, तुम, वह, वे आदि। “सर्वनाम’ उस विकारी शब्द को कहते है, जो पूर्वपरसंबंध से किसी भी सँग के बदले आता है”– पं कामता प्रसाद गुरु सर्वनाम का शाब्दिक अर्थ होता है सबका नाम, जिसका अर्थ है ऐसे शब्द जो किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा प्रयोग न होकर सबके लिए प्रयोग किए जाते है और इसमें किसी एक का नाम न होकर सभी का नाम शामिल होता है। उदाहरण के लिए हम का प्रयोग किसी एक ही ग्रुप के लिए ही नहीं बल्कि कोई भी व्यक्ति अपने समूह को हम कहकर प्रयोग कर सकता है, इस प्रकार ‘हम’ किसी एक समूह विशेष का नाम न होकर एक सर्वनाम है। संज्ञा की अपेक्षा सर्वनाम की विशेषता यह है कि संज्ञा से केवल उसी वस्तु का बोध होता है, जिसका वह संज्ञा (नाम) है जबकि सर्वनाम में पूर्वापरसंबंध के अनुसार किसी भी वस्तु का बोध होता है। जैसे – लड़का कहने से केवल लड़के का बोध होता है, मकान, दीवार इत्यादि का नहीं, लेकिन ‘वह’ कहने से पूर्वापरसंबंध के अनुसार ही किसी वस्तु का बोध होता है। हिंदी में कुल 11 सर्वनाम है, जो कुछ इस प्रकार है...

sarvanam kise kahate hain

संज्ञा की अपेक्षा सर्वनाम की विलक्षणता यह है कि संज्ञा से जहाँ उसी वस्तु का बोध होता है, जिसका वह (संज्ञा) नाम है, वहाँ सर्वनाम में पूर्वापरसम्बन्ध के अनुसार किसी भी वस्तु का बोध होता है। 'लड़का' कहने से केवल लड़के का बोध होता है, घर, सड़क आदि का बोध नहीं होता; किन्तु 'वह' कहने से पूर्वापरसम्बन्ध के अनुसार ही किसी वस्तु का बोध होता है। सर्वनाम के जिस रूप से हमे किसी बात या वस्तु का निश्चत रूप से बोध होता है, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते है। जिस सर्वनाम से वक्ता के पास या दूर की किसी वस्तु के निश्चय का बोध होता है, उसे 'निश्चयवाचक सर्वनाम' कहते हैं। जहाँ सर्वनाम निश्चयपूर्वक किसी वस्तु या व्यक्ति का बोध कराएँ, वहाँ निश्चयवाचक सर्वनाम होता है। • (क) निजवाचक 'आप' का प्रयोग किसी संज्ञा या सर्वनाम के अवधारण (निश्चय ) के लिए होता है। जैसे- मैं 'आप' वहीं से आया हूँ; मैं 'आप' वही कार्य कर रहा हूँ। • (ख) निजवाचक 'आप' का प्रयोग दूसरे व्यक्ति के लिए भी होता है। जैसे- उन्होंने मुझे रहने को कहा और 'आप' चलते बने; वह औरों को नहीं, 'अपने' को सुधार रहा है। • (ग) सर्वसाधारण के अर्थ में भी 'आप' का प्रयोग होता है। जैसे- 'आप' भला तो जग भला; 'अपने' से बड़ों का आदर करना उचित है। • (घ) अवधारणा के अर्थ में कभी-कभी 'आप' के साथ 'ही' जोड़ा जाता है। जैसे- मैं 'आप ही' चला आता था; मैं यह काम 'आप ही' कर लूँगा।