नर नारायण पर्वत

  1. Badrinath Mandir Yatra Complete Tour Guide In Hindi
  2. Badrinath Temple History In Hindi, बद्रीनाथ मंदिर, 2023
  3. Kedarnath Temple
  4. Kedarnath Temple Information In Marathi : जाणून घ्या, काय आहे केदारनाथचा इतिहास,केदारनाथ धामची 10 रहस्ये 400 वर्षांपासून बर्फात गाडली आहेत
  5. उत्तराखंड में घूमने की जगह
  6. उत्तराखंड के मुख्य पर्वत श्रेणियाँ एवं प्रमुख पर्वत शिखर
  7. बद्रीविशाल के दर्शन मतलब बैकुंठ के दर्शन
  8. Before you continue to YouTube


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Badrinath Mandir Yatra Complete Tour Guide In Hindi

बद्रीनाथ नर-नारायण पर्वत की गोद में स्थित है, जिसकी पृष्ठभूमि में विशाल नीलकंठ शिखर (6,597 मीटर) है। विशाल बद्री के रूप में भी जाना जाता है, पांच बद्री में सबसे बड़ा, यह भगवान विष्णु को उपयुक्त श्रद्धांजलि के रूप में सम्मानित है। Badrinath Mandir ऐसा माना जाता है कि हिंदू धर्म की खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनर्जीवित करने और देश को एक बंधन में बांधने के लिए, आदि गुरु श्री शंकराचार्य ने भारत के चारों कोनों में चार तीर्थस्थलों का निर्माण किया। इनमें उत्तर में बद्रीकाश्रम (बद्रीनाथ मंदिर), दक्षिण में कभी जंगली जामुनों से गलीचे से इस श्रद्धेय स्थान को 'बद्री वन' नाम दिया गया, जिसका अर्थ है 'जामुन का जंगल'। 8 वीं शताब्दी के दार्शनिक-संत आदि शंकराचार्य द्वारा निर्मित, मंदिर को हिमस्खलन से नुकसान के कारण कई बार पुनर्निर्मित किया गया है और 19 वीं शताब्दी में सिंधिया और होल्कर के शाही घरों द्वारा बहाल किया गया है। मुख्य प्रवेश द्वार रंगीन और भव्य है जिसे सिंहद्वार के नाम से जाना जाता है। History Of Shree Badrinath TempleIn Hindi आदि शंकराचार्य ने बरसों पहले बद्रीनाथ मंदिर बनाया था। सबसे पहले उन्होंने अलकनंदा नदी में प्रसिद्ध मूर्ति, बद्रीनारायण मूर्ति (नारायण की मूर्ति) की खोज की। फिर उन्होंने मंदिर को तप्त कुंड के पानी में रख दिया। लेकिन, समय के साथ एक नए मंदिर के निर्माण की आवश्यकता थी। भगवान शिव यहां ध्यान करते थे और लक्ष्मी मां उन्हें एक पेड़ के रूप में ढक लिया करती थीं। इसी से इस स्थान का नाम बद्रीनाथ पड़ा। गढ़वाल के राजा ने वर्तमान मंदिर का निर्माण कराया था। Badrinath Darshan TimingsIn Hindi दर्शन का समय आप एक विशेष समय के भीतर ही मंदिर में जा सकते हैं। सुबह: 4:30 - 13:00 और शाम को...

Badrinath Temple History In Hindi, बद्रीनाथ मंदिर, 2023

बद्रीनाथ मंदिर ( Badrinath Temple History In Hindi) नमस्कार दोस्तो स्वागत है आप सभी का मेरे एक और लेख में जिसमें मैं आज आपको बद्रीनाथ मंदिर ( Badrinath Temple History In Hindi) के बारे में बताऊंगा। यह मंदिर उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में चमोली जिले में बसा है। यह मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे पर नर और नारायण नामक पर्वतों के मध्य में स्थित है। यह भगवान विष्णु को समर्पित एक प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक स्थल है। इसे धरती का बैकुंठ धाम भी कहा जाता है। यह मंदिर उत्तराखण्ड में स्थित चार धामों में से प्रमुख धाम है। बद्रीनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व बद्रीनाथ मंदिर के बारे में धार्मिक ग्रंथ भागवत पुराण में कहा गया है , कि एक बार देवर्षि नारद भगवान विष्णु जी के दर्शन के लिए क्षीर सागर में गए थे। तो उन्होने माता लक्ष्मी जी को भगवान विष्णु जी पैर दबाते हुये देखा। यह सब देख कर आश्चर्य चकित देवर्षि नारद ने भगवान विष्णु से लक्ष्मी जी द्वारा पैर दबाने का कारण पूछा, तो अपने से हुये अपराध का पश्‍चाताप करने के लिए भगवान विष्णु तपस्या करने के लिए हिमालय की ओर चल दिये। जब भगवान विष्णु अपनी तपस्या में लीन थे, उसी समय वहाँ बहुत अधिक मात्रा में बर्फ गिरने लगी, और भगवान विष्णु पूरी तरह से बर्फ में डूब चुके थे। भगवान विष्णु जी की यह दशा देख माता लक्ष्मी जी का ह्रदय बहुत व्याकुल हो उठा। उन्होने स्वंय भगवान विष्णु जी के पास खड़े होकर एक बद्री (बेर) के व्रक्ष का रूप ले लिया और समस्त बर्फ को अपने ऊपर ले लिया। माता लक्ष्मी जी भगवान विष्णु को धूप, वर्षा और बर्फ से बचाने के लिए कठोर तपस्या में लीन हो गयी। कई वर्षों की तपस्या पूरी करने के बाद जब भगवान विष्णु जी ने आखें खोली तो देखा माता लक्ष्मी जी भी पूरी तरह...

Kedarnath Temple

भारतीय राज्य उत्तराखंड में गिरिराज हिमालय की केदार नामक चोटी पर स्थित देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सर्वोच्च केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मंदिर। इस संपूर्ण क्षेत्र को केदारनाथ धाम के नाम से जाना जाता है। यह स्थान छोटा चार धाम में से एक है। केदारनाथ धाम और मंदिर के संबंध में कई कथाएं जुड़ी हुई हैं। आओ जानते हैं इस संबंध में 10 रहस्यमयी जानकारी। 1. शिवलिंग उत्पत्ति का रहस्य : पुराण कथा अनुसार हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए और उनके प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया। यह स्थल केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रृंग पर अवस्थित है। केदार घाटी में दो पहाड़ हैं- नर और नारायण पर्वत। विष्णु के 24 अवतारों में से एक नर और नारायण ऋषि की यह तपोभूमि है। दूसरी ओर बद्रीनाथ धाम है जहां भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। कहते हैं कि सतयुग में बद्रीनाथ धाम की स्थापना नारायण ने की थी। इसी आशय को शिवपुराण के कोटि रुद्र संहिता में भी व्यक्त किया गया है। 2. पांडव कथा : कहा जाता है जब पांडवों को स्वर्गप्रयाण के समय शिवजी ने भैंसे के स्वरूप में दर्शन दिए थे जो बाद में धरती में समा गए लेकिन पूर्णतः समाने से पूर्व भीम ने उनकी पुंछ पकड़ ली थी। जिस स्थान पर भीम ने इस कार्य को किया था उसे वर्तमान में केदारनाथ धाम के नाम से जाना जाता है। एवं जिस स्थान पर उनका मुख धरती से बाहर आया उसे पशुपतिनाथ (नेपाल) कहा जाता है। पुराणों में पंचकेदार की कथा नाम से इस कथा का विस्तार से उल्लेख मिलता है। 3. केदारनाथ और पशुपति नाथ मिलकर पूर्ण शिवलिंग बनता है : केदारनाथ मंदिर उत्...

Kedarnath Temple Information In Marathi : जाणून घ्या, काय आहे केदारनाथचा इतिहास,केदारनाथ धामची 10 रहस्ये 400 वर्षांपासून बर्फात गाडली आहेत

केदारेश्वर ज्योतिर्लिंगाचे मंदिर, देशातील १२ ज्योतिर्लिंगांपैकी एक सर्वोच्च ज्योतिर्लिंग, भारताच्या उत्तराखंड राज्यातील गिरिराज हिमालयात केदारच्या शिखरावर आहे. हा संपूर्ण परिसर केदारनाथ धाम म्हणून ओळखला जातो. हे ठिकाण छोटा चार धाम पैकी एक आहे. केदारनाथ धाम आणि मंदिराशी अनेक कथा निगडित आहेत. या संदर्भात 10 रहस्यमय माहिती जाणून घेऊया. Kedarnath Temple Information In Marathi हे पण वाचा छत्रपती शिवाजी महाराज टर्मिनस मुंबई आणि त्यातील प्रमुख पर्यटन स्थळ 1.शिवलिंग उत्पत्तीचे रहस्य पौराणिक कथेनुसार भगवान विष्णूचे अवतार महातपस्वी नर आणि नारायण ऋषी हिमालयातील केदार श्रृंगारावर तपश्चर्या करत असत. त्यांच्या उपासनेने प्रसन्न होऊन भगवान शंकर प्रकट झाले आणि त्यांच्या विनंतीनुसार त्यांना ज्योतिर्लिंगाच्या रूपात सदैव निवास करण्याचे वरदान दिले. हिमालयातील केदार नावाच्या शिंगावर केदारनाथ पर्वतराज हे स्थान आहे. केदार खोऱ्यात नार आणि नारायण पर्वत असे दोन पर्वत आहेत. विष्णूच्या २४ अवतारांपैकी एक, ही नर आणि नारायण ऋषींची तपोभूमी आहे. दुसऱ्या बाजूला बद्रीनाथ धाम आहे जिथे भगवान विष्णू विसावतात. बद्रीनाथ धामची स्थापना नारायणाने सतयुगात केल्याचे सांगितले जाते. शिवपुराणातील कोटी रुद्र संहितेतही हाच हेतू व्यक्त केला आहे. Kedarnath Temple Information In Marathi 2. पांडव कथा असे म्हटले जाते की पांडव स्वर्गात जात असताना, भगवान शिव म्हशीच्या रूपात प्रकट झाले, जे नंतर पृथ्वीमध्ये विलीन झाले, परंतु भीमाने त्याची शेपटी पूर्णपणे विरघळण्यापूर्वीच पकडली. भीमाने ज्या ठिकाणी हे काम केले ते ठिकाण सध्या केदारनाथ धाम म्हणून ओळखले जाते. आणि ज्या ठिकाणी त्याचा चेहरा पृथ्वीवरून बाहेर आला त्याला पशुपतिनाथ (नेपाळ) म्हणत...

उत्तराखंड में घूमने की जगह

Uttrakhand Me Ghumne ki Jagah :- उत्तराखंड भारत का सबसे खूबसूरत राज्य हैं देहरादून इसकी राजधानी हैं। उत्तराखंड देवभूमि के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। इसमें कुछ 13 जिले और दो मंडल (गढ़वाल और कुमाओ) है उत्तराखंड का क्षेत्रफल 53,483 वर्ग किमी है. यहाँ पर आपको हिमालय की खूबसूरती, ताल, झरने, पहाड़ी और भी बहुत कुछ देखने को मिल जाता है यहाँ बहुत लोकप्रिय तीर्थ स्थल भी है हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र और पावन मानी जाने वाली नदियाँ गंगा और यमुना भी यही से निकलती है. उत्तराखंड में घूमने की जगह – ऋषिकेश संतों की नगरी प्रसिद्ध ऋषिकेश बहुत ही प्यारा टूरिस्ट प्लेस है यह गंगा के साथ-साथ कई प्राचीन और भव्य मंदिरों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं यहां लोकप्रिय कैफे, योग आश्रम भी है अगर आपको वाटर राफ्टिंग, फ्लाइंग फॉक्स, माउंटेन बाइकिंग, बंजी जंपिंग करनी है तो ऋषिकेश चले जाओ. यहाँ आपको सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटक दिखाई देंगे। नैनीताल झीलों की नगरी के नाम से मशहूर नैनीताल एक बहुत ही खूबसूरत जगह है यह पहाड़ियों के बीच में बसा है इसको नैनी झील के नाम से भी जाना जाता है। यह सर्दियों में बर्फ से ढक जाता है यहाँ का शांत माहौल पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता हैं। मसूरी मसूरी उत्तराखंड का ऐसा पर्यटन स्थल है जहां दुनिया भर से पर्यटक आते है यह अपनी खूबियों और विशेषताओं से सबका मोह आकर्षित करता हैं। इसको पहाड़ो की रानी भी कहा जाता है यहाँ पर पर्यटकों को शांत और सुखद जलवायु का अनुभव होता है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 7000 फीट है। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क यह हिमालय की तलहटी के बीच में स्थित एक आकर्षक नेशनल पार्क है। यह भारत के सबसे पुराने राष्ट्रीय उद्यानो में से एक है, इसकी स्थापना सन 1936 में हैली नेशनल ...

उत्तराखंड के मुख्य पर्वत श्रेणियाँ एवं प्रमुख पर्वत शिखर

उत्तराखंड के प्राकृतिक प्रदेशों में महाहिमालय (हिमाद्रि) क्षेत्र में ही उल्लेखनीय पर्वत शिखर हैं। जिन्हें छः श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है- • बन्दरपुंछ (6320 मी.), • गंगोत्री (6672 मी.), केदारनाथ (6968 मी.), चौखम्बा (7138 मी.), • कामेट (7756 मी.), • नन्दादेवी (7817 मी.) दूनागिरि (7066 मी.), त्रिशूल (7120 मी.), नन्दाकोट (6861 मी.), • पंचाचूली (6904 मी.) तथा • कुटी शागटांग (6480 मी.)। यह शिखर समूह भागीरथी, अलकनन्दा, पच्छिमी धौली, पूर्वी धौली तथा गोरी गंगा से निर्मित अनुप्रस्थ घाटियों द्वारा एक दूसरे से पृथक भूदृश्य बनाते हैं। महाहिमालय के उत्तर में ट्राँस-हिमालय की जैक्सर श्रेणी के साथ-साथ कई गिरिद्वार हैं। उत्तराखण्ड-हिमालय में पर्वत श्रृंखलाओं का विस्तार उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व दिशा में है, जिन्हें महाहिमालय क्षेत्र से निकलने वाली, दक्षिण दिशा में प्रवाहमान नदियों ने गहरी विस्तीर्ण घाटियों में विभक्त कर दिया है। प्रदेश के उत्तरी-पश्चिमी अंचल में श्रीकठ (6728 मी.), बन्दरपुंछ (6320 मी.) तथा यमुनोत्री (6400 मी.) शिखरों वाली पर्वत श्रेणियाँ हैं। यमुनोत्री के ठीक पूर्व में गंगोत्री शिखर क्षेत्र की पर्वत श्रेणियाँ हैं, जिनका दक्षिणमुखी विस्तार भागीरथी, भिलंगना और बालगंगा के जलागम क्षेत्रों का निर्माण करता है। महाहिमालय के पूर्वी भाग में केदारनाथ (6968 मी.), बद्रीनाथ (7140 मी.) तथा सुमेरू, मेरू, भृगुपंथ, सतोपंथ आदि अनेक शिखरों से युक्त पर्वत श्रेणियाँ हैं। पूर्वी धौली तथा सरस्वती नदी के मध्य, कामेट (7756 मी.) तथा गौरी पर्वत (6250 मी.) का विस्तार है। बद्रीनाथ घाटी (6 कि.मी. x 1.5 कि.मी.), नर पर्वत (5831 मी.) तथा नारायण पर्वत (5965 मी.) श्रृंखलाओं से आवृत होकर ‘U’ आका...

बद्रीविशाल के दर्शन मतलब बैकुंठ के दर्शन

बद्रीविशाल के दर्शन मतलब बैकुंठ के दर्शन बद्रीनाथ नर-नारायण पर्वत के मध्य स्थित बद्रीनाथ को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। मान्यता है कि गंगाजी तीव्र वेग को संतुलित करने के लिए बारह पवित्र धाराओं में बंट गईं। इन्हीं में एक है अलकनंदा, जिसके तट पर बद्रिकाश्रम स्थित है। चमोली जनपद में स्थित इस मंदिर का बद्रीनाथ नर-नारायण पर्वत के मध्य स्थित बद्रीनाथ को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। मान्यता है कि गंगाजी तीव्र वेग को संतुलित करने के लिए बारह पवित्र धाराओं में बंट गईं। इन्हीं में एक है अलकनंदा, जिसके तट पर बद्रिकाश्रम स्थित है। चमोली जनपद में स्थित इस मंदिर का निर्माण आठवीं सदी में आद्य गुरु शंकराचार्य ने करवाया। यह मंदिर तीन भागों में विभाजित है, गर्भगृह, दर्शनमण्डप और सभामण्डप। मंदिर परिसर में 15 मूर्तियां है, इनमें सब से प्रमुख है भगवान विष्णु की एक मीटर ऊंची काले पत्थर की प्रतिमा जिसमें भगवान विष्णु ध्यान मग्न मुद्रा में सुशोभित है। मुख्य मंदिर में भगवान बद्रीनारायण की काले पाषाण की शीर्ष भाग मूर्ति है। जिसके दाहिने ओर कुबेर लक्ष्मी और नारायण की मूर्तियां है। आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा यहां एक मठ की भी स्थापना की गई थी। अप्रैल-मई से अक्टूबर-नवम्बर तक मंदिर दर्शनों के लिए खुला रहता है। यहां पर 130 डिग्री सैल्सियस पर खौलता एक तप्त कुंड और सूर्य कुण्ड है जहां पूजा से पूर्व स्नान आवश्यक समझा जाता है। श्री विशाल बद्री श्री विशाल बद्री (श्री बद्रीनाथ में) विशाल बद्री के नाम से प्रसिद्घ मुख्य बद्रीनाथ मन्दिर, पंच बद्रियों में से एक है। इसकी देव स्तुति का पुराणों में विशेष वर्णन किया जाता है। ब्रह्मा, धर्मराज तथा त्रिमूर्ति के दोनों पुत्रों नर तथा नारायण ने बद्री नामक वन मे...

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