पानी पाठ का युद्ध

  1. NCERT Solutions For Class 8 Hindi Chapter 16
  2. Russia Ukraine War:क्या है ‘बांध युद्ध’ जिसने एक झटके में यूक्रेन में मचाई तबाही, कैसे हुई थी इसकी शुरुआत?
  3. पानी की समस्या विश्व युद्ध से भी बड़ी है..
  4. पानीपत का प्रथम युद्ध
  5. आदि शंकराचार्य की कथा
  6. NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 16 पानी की कहानी
  7. Why Panipat Was Chosen For Many Battles Favourite Battlefield UPSC Hindi


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NCERT Solutions For Class 8 Hindi Chapter 16

NCERT Solutions For Class 8 Hindi Chapter 16 –पानीकीकहानी NCERT Solutions For Class 8 Hindi Vasant Chapter 16 पानीकीकहानी–ऐसेछात्रजोकक्षा 8 हिंदीविषयकीपरीक्षाओंमेंअच्छेअंकप्राप्तकरनाचाहतेहैउनकेलिएयहांपरएनसीईआरटीकक्षा 8 हिंदीअध्याय 16 (पानीकीकहानी) केलिएसलूशनदियागयाहै.यहजो NCERT Solutions For Class 8 Hindi Chapter 16 Paani ki kahaniदियागयाहैवहआसनभाषामेंदियाहै . ताकिविद्यार्थीकोपढनेमेंकोईदिक्कतनआए . इसकीमददसेआपअपनीपरीक्षामेंअछेअंकप्राप्तकरसकतेहै.इसलिएआप Class 8th Hindi Chapter 16 पानीकीकहानीकेप्रश्नउत्तरोंकोध्यानसेपढिए ,यहआपकेलिएफायदेमंदहोंगे. Class 8 Subject Hindi Book वसंत Chapter Number 16 Chapter Name पानीकीकहानी अभ्यासकेप्रश्न पाठसे प्रश्न 3. हाइड्रोजनऔरऑक्सीजनकोपानीनेअपनापूर्वज/पुरखाक्योंकहाहै? उत्तर-हज़ारोंवर्षपूर्वहाइड्रोजनऔरऑक्सीजननामकयेदोगैसेंसूर्यमंडलमेंविद्यमानथीं।जबहमारेब्रह्मांडमेंपरिवर्तनहुएतोअनेकग्रहोंऔरउपग्रहोंकाउदयहुआ।भीषणआकर्षणशक्तिकेकारणसूर्यकाएकभागटूटकरएकअज्ञातआकर्षणशक्तिकीओरबढ़नेलगाथा।सूर्यसेअलगहुआयहभागइतनाभारीखिंचावसहननहींकरपायाऔरआगेकईटुकड़ोंमेंविभाजितहोगया।उनमेंसेहमारीपृथ्वीभीएकटुकड़ाहै।यहभीएकआगकागोलाथी, किंतुधीरे-धीरेयहठंडीहुई।अरबोंवर्षपूर्वपृथ्वीपरइनदोनोंगैसोंकीरासायनिकप्रक्रियाहुईजिससेपानीकाजन्महुआ।इसलिएपानीहाइड्रोजनऔरऑक्सीजनकोअपनापूर्वज/पुरखाकहताहै, जोउचितहै। . प्रश्न 4. “पानीकीकहानी”केआधारपरपानीकेजन्मऔरजीवन-यात्राकावर्णनअपनेशब्दोंमेंकीजिए। उत्तर-‘पानीकीकहानी’पाठमेंबतायागयाहैकिपानीकीउत्पत्तिहाइड्रोजनऔरऑक्सीजनगैसोंकीरासायनिकप्रक्रियाकेकारणहुईहै।आरंभमेंपानीकीबूंदसूर्यकेधरातलपरगैसोंकेरूपमेंथी।जबपृथ्वीसूर्यसेअलगहुईतबयहभीसूर्यकीभाँतिहीआगकागोलाथी, किंतु...

Russia Ukraine War:क्या है ‘बांध युद्ध’ जिसने एक झटके में यूक्रेन में मचाई तबाही, कैसे हुई थी इसकी शुरुआत?

Russia Ukraine War: क्या है ‘बांध युद्ध’ जिसने एक झटके में यूक्रेन में मचाई तबाही, कैसे हुई थी इसकी शुरुआत? रूस-यूक्रेन युद्ध को चलते 16 महीने से ज्यादा का समय हो चुका है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस युद्ध में अब तक 10 हजार से ज्यादा आम लोगों की मौत हो चुकी है। 20 हजार से ज्यादा लोग घायल हैं। करीब 70 हजार से ज्यादा जवान दोनों तरफ से मारे गए हैं। ये आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। इस बीच, छह जून को यूक्रेन के सबसे बड़े डैम यानी बांध में से एक नोवा कखोव्का पर हमला हुआ। बांध टूटने से 50 से ज्यादा गांव डूब गए हैं। इनमें रहने वाले 40 हजार से ज्यादा लोगों की जान खतरे में पड़ गई है। बांध के टूटने पर यूक्रेन और रूस एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। युद्ध में बांध तोड़कर दुश्मन को रोकने और युद्ध में जीत के लिए आगे बढ़ने का तरीका काफी पुराना है। ऐसे में आज हम डैम वॉर यानी बांध युद्ध की पूरी कहानी बताएंगे। कैसे इसकी शुरुआत हुई और इसका प्रयोग युद्ध में कैसे किया जाता है? पहले समझिए यूक्रेन में क्या हुआ? दक्षिणी यूक्रेन और क्रीमिया को पानी की आपूर्ति करने वाला कखोव्का बांध मंगलवार छह जून को तड़के टूट गया। सीमा से सटा यह बांध सीमा पर रूस के नियंत्रण वाले क्षेत्र में पड़ता है। बांध टूटने से आसपास के क्षेत्र में बाढ़ आ गई। इससे सबसे बड़ा खतरा पास के एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र को उत्पन्न हो गया है। कखोव्का बांध के क्षतिग्रस्त होने से नजदीक में बसे एक शहर और 50 से ज्यादा गांवों में बाढ़ आ गई। वहीं, बाढ़ के कारण इन इलाकों से 25,000 लोगों को निकाल कर सुरक्षित जगह ले जाया गया है। करीब 15 हजार लोग अभी भी फंसे हुए हैं। अब रूस और यूक्रेन दोनों ही घटना के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। बांध पर रूसी...

पानी की समस्या विश्व युद्ध से भी बड़ी है..

एक कहावत सबने सुनी होगी, जान है तो जहां है। लेकिन अब वक़्त और कहावत दोनों बदल गए हैं। एक और लाइन इसमें जुड़ गई है, पानी है तो जान है और उसके बाद जान है तो जहां है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब पानी की एहमियत समझने लगे हैं। एक वक़्त था जब पानी पिलाना पुण्य था एक वक़्त आज है जब पानी पिलाना भी व्यवसाय है। पहले हर घर के बाहर या हर चौराहे पर आपको मटके रखे दिखते थे, आने -जाने वाले उसमे से पानी पिया करते थे और एक वक़्त आज है जब हर चौराहे पर 2 रुपए में एक ग्लास पानी देने वाले मिल जाएंगे। पानी अब खत्म हो रहा है तो अभी शुरुवात हुई है बहुत थोड़ी, पानी बचाने की। एक वक़्त ऐसा आएगा जब पानी सबसे कीमती हो जाएगा तब उसके लिए जंग होंगी हो सकता है विश्व युद्ध भी हो जाए। जल और वायु ये दो ऐसी जरूरी चीजें है जिनके बिना पृथ्वी का होना असम्भव है अब इसमें से वायु तो प्रदूषित होने लगी है और जल की कमी होने लगी है। सरकार हो या संगठन हो या कोई इंसान हो अगर पानी बचाने की बातें करता है तो अजीब लगता होगा । क्या है ना अभी तो पानी बहुत मिल रहा है, कार धोने के लिए अपार मात्रा में पानी, नहाने के लिए पानी, हर आवश्यकता के अनुसार पानी मिल जाता है बस बटन दबाओ और समर्सिविल पानी बाहर फेंकना शुरू कर देता है। धड़ल्ले से पानी बहाना शुरू। लेकिन अकल पर ऐसा बट्टा लगा हुआ है कि अंधे हो गए हैं सब दिखता ही नहीं की पानी ज़मीन में पैदा नहीं होता। पहले से है और जो है, उसका अंत होगा जरूर, और जब अंत होगा तब पानी पानी के लिए सड़कों पर आएंगे विरोध होंगे सरकारों को घेरेंगे । पर उस वक़्त कोई खुद की गिरेबान में झांक कर नहीं देखेगा कि आखिर पानी गया किसकी वजह से है। पहले दुनिया की बात करते है फिर भारत पर आएंगे। चारो तरफ से धरती पानी से घिरी है...

पानीपत का प्रथम युद्ध

तिथि 21 अप्रैल 1526 स्थान परिणाम मुग़लों की निर्णायक विजय क्षेत्रीय बदलाव योद्धा सेनानायक सुल्तान शक्ति/क्षमता 12,000-25,000 मुग़ल एवं सम्बद्ध भारतीय सैनिक, 24 50,000-100,000 सैनिक, 300 मृत्यु एवं हानि कम 20,000 पानीपत का पहला युद्ध, उत्तरी भारत में लड़ा गया था,और इसने इस इलाके में सन् 1526 में, युद्ध को एक अनुमान के मुताबिक बाबर की सेना में 12,000-25,000 के करीब सैनिक और 20 मैदानी तोपें थीं। लोदी का सेनाबल 130000 के आसपास था, हालांकि इस संख्या में शिविर अनुयायियों की संख्या शामिल है, जबकि लड़ाकू सैनिकों की संख्या कुल 100000 से 110000 के आसपास थी, इसके साथ कम से कम 300 युद्ध हाथियों ने भी युद्ध में भाग लिया था। क्षेत्र के हिंदू राजा-राजपूतों इस युद्ध में तटस्थ रहे थे, लेकिन ग्वालियर के कुछ तोमर राजपूत इब्राहिम लोदी की ओर से लड़े थे। इस युद्ध में बाबर ने बाबर के द्वारा इस युद्ध में उस्मानी विधि ( तोप सज़ाने की विधि) का भी प्रयोग किया गया। ये इसने तुर्को से सीखी थी। पानीपत के इस युद्ध मे इब्राहिम लोधी युद्ध भूमि मे मारा गया।। इस तरह बाबर की विजय हुई। बाबर ने कबूल की जनता को चांदी के सिक्के दिए। इस उपरांत बाबर को कलंदर की उपाधि दी गई। इन्हें भी देखें [ ] • • सन्दर्भ [ ] • العربية • تۆرکجه • Беларуская • বাংলা • Català • Čeština • Deutsch • English • Español • فارسی • Suomi • Français • ગુજરાતી • Bahasa Indonesia • Italiano • 日本語 • ქართული • ಕನ್ನಡ • മലയാളം • मराठी • Bahasa Melayu • नेपाली • Nederlands • Norsk bokmål • ਪੰਜਾਬੀ • Polski • پنجابی • پښتو • Português • Русский • Simple English • Српски / srpski • Svenska • தமிழ் • తెలుగు • Українська • اردو • Oʻzbekcha / ўзбекча • T...

आदि शंकराचार्य की कथा

आदि शंकराचार्य का अद्भुत जीवन - कहानियाँ, उपदेश और स्तोत्र आदि शंकराचार्य, चमकदार आध्यात्मिक प्रकाश के अद्भुत स्रोत थे। उन्होंने सारी भारत भूमि को अपने ज्ञान से आलोकित(प्रकाशमान) किया। उनके उपदेश सदा ही बहुत प्रभावशाली रहे हैं और आज भी बहुत असरदार हैं। यहाँ, सदगुरु हमें आदि शंकराचार्य के दिव्य जीवन की, आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण, कुछ कहानियाँ सुना रहे हैं। सदगुरु: आदि शंकराचार्य बुद्धिमत्ता की दृष्टि से अत्यंत महान थे, भाषाओं में उनकी प्रतिभा विलक्षण थी। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात ये है कि वे एक आध्यात्मिक प्रकाश स्तंभ थे और भारत के गौरव भी। बहुत ही छोटी उम्र में बुद्धिमानी और ज्ञान का जो स्तर उनमें था, उसने उन्हें मानवता के लिये एक चमचमाता सितारा, प्रकाश स्रोत बना दिया था। वे जब बालक ही थे, तभी बहुत ही प्रतिभासंपन्न और असामान्य विद्वान थे। उनकी योग्यतायें अतिमानवीय थीं, किसी मनुष्य के लिये असंभव जैसीं। दो वर्ष की उम्र में वे धाराप्रवाह संस्कृत बोल और लिख सकते थे। चार साल का होते होते वे सभी वेदों का पाठ कर सकते थे और 12 की उम्र में उन्होंने संन्यास ले कर घर छोड़ दिया था। इतनी छोटी उम्र में भी उन्होंने शिष्य इकट्ठा कर लिये थे, जिनके साथ उन्होंने आध्यात्मिक विज्ञान को फिर से स्थापित करने के लिये देश भर में घूमना शुरू कर दिया था। 32 वर्ष के होते होते , आदि शंकराचार्य ने शरीर छोड़ दिया था पर 12 से 32 की उम्र के उन 20 सालों में उन्होंने भारत के चारों कोनों की कई यात्रायें कीं - उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम! केरल से बद्रीनाथ जा कर वे वापस आये, और सभी दिशाओं में हर जगह गये। इतनी छोटी उम्र में इतना चलने वाले , वे बहुत तेज चलते होंगे और इसी दौरान , हज़ारों पृष्ठों के साहित...

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 16 पानी की कहानी

These पानी की कहानी NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 16 Class 8 Hindi Chapter 16 पानी की कहानी Textbook Questions and Answers पाठ से प्रश्न 1. लेखक को ओस की बूंद कहाँ मिली? उत्तर: लेखक को ओस की बूंद बेर की झाड़ी पर मिली। वह उसके हाथ पर आ पड़ी; फिर कलाई से सरक कर हथेली पर आ गई। प्रश्न 2. ओस की बूंद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी? उत्तर: ओस की बूँद क्रोध और घृणा से काँप उठी क्योंकि पेड़ बहुत बेरहम होते हैं। वे जलकणों को पृथ्वी के भीतर खींच लेते हैं। कुछ को पेड़ एकदम खा जाते हैं और अधिकतर का सब कुछ छीनकर उन्हें बाहर निकाल देते हैं। प्रश्न 3. हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज (पुरखा) क्यों कहा? उत्तर: हाइड्रोजन और ऑक्सीज़न के मिलने से पानी बनता है; इसलिए पानी ने इनको अपना पूर्वज कहा है। प्रश्न 4. ‘पानी की कहानी’ के आधार पर पानी के जन्म और जीवन-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। उत्तर: हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक क्रिया से पानी बनता है। पानी की बूंद भाप के रूप में घूमती है। ठंडक मिलने से वह ठोस बर्फ का रूप धारण कर लेती है। वही बूंद गर्म जलधारा के रूप में मिलकर फिर पानी बन जाती है। वाष्प बनने पर फिर वही-बूंद बादल बनकर बरस पड़ती है। प्रश्न 5. कहानी के अंत और आरम्भ के हिस्से को पढ़कर देखिए और बताइए कि ओस की बूंद लेखक को आप बीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी? उत्तर: ओस की बूँद सूर्य की प्रतीक्षा कर रही थी। पाठ से आगे प्रश्न 1. जलचक्र के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए और पानी की कहानी से तुलना करके देखिए कि लेखक ने पानी की कहानी में कौन-कौन सी बातें विस्तार से बताई हैं। उत्तर: महासागरों का जल भाप बनकर वायुमण्डल में बादल का रूप धारण करता है।...

Why Panipat Was Chosen For Many Battles Favourite Battlefield UPSC Hindi

Why Panipat Is Known For Battles: पानीपत की धरती ने इतिहास के कई महत्वपूर्ण युद्ध देखे हैं. इन युद्धों के परिणाम ने ही कई साम्राज्यों को खत्म तो कई साम्राज्यों की स्थापना की है. पौराणिक कथा के अनुसार, यह पांडव बंधुओं द्वारा स्थापित पांच शहरों में से एक था. इसका ऐतिहासिक नाम पांडुप्रसथ है. पानीपत की पहली लड़ाई 21 अप्रैल 1526 को हुई थी. इसी लड़ाई में बाबर ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर ‘लोदी वंश’ को समाप्त कर दिया था. इसी के साथ मुगल साम्राज्य की भी शुरूआत हुई थी. मगर किन कारकों की वजह से पूरे उत्तर भारत में इसी क्षेत्र को मुख्य रूप से लड़ाई करने के लिए चुना जाता था? पहले जानते है कि इस धरती पर लड़े युद्धों ने भारतीय इतिहास को किस हद तक प्रभावित किया है. पानीपत की लड़ाईयों ने गड़ा भारत का भविष्य पानीपत भारतीय इतिहास में प्रमुख लड़ाइयों का गवाह है. पानीपत की दूसरी लड़ाई 5 नवंबर 1556 को अकबर और सम्राट हेम चंद्र विक्रमादित्य के बीच लड़ी गई. हेम चन्द्र ने अकबर की सेना को हरा कर आगरा और दिल्ली के बड़े राज्यों पर कब्जा कर लिया था. पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 में अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली और पुणे के सदाशिवराव भाऊ पेशवा के तहत मराठों के बीच लड़ा गया था. इस युद्ध में अहमद शाह अब्दाली ने मराठों को उनके इतिहास की सबसे बुरी हार दी थी. इस युद्ध ने ही भारत का आधुनिक इतिहास लिखा है. दरअसल, इस लड़ाई ने एक नई शक्ति को जन्म दिया जिसके बाद से भारत में अंग्रेजों की विजय के रास्ते खुल गए थे. दिल्ली और अन्य अहम क्षेत्रीय बिंदु से करीबी पानीपत भौगोलिक रूप से राजाओं को मजबूती प्रदान करता था. यह दिल्ली के पास स्थित था, जो भारत के कई ऐतिहासिक साम्राज्यों की राजधानी थी. इसलिए, पानीप...