प्रयोगशाला में साबुन का निर्माण करें एवं निरीक्षण के लिए प्रस्तुत करें।

  1. Soaps and Detergents: Manufacturing and Chemical Structure
  2. रसायन विज्ञान
  3. प्रयोगशाला
  4. भौतिकी शिक्षण में भौतिकी प्रयोगशाला की भूमिका का वर्णन कीजिये। Answer... B
  5. साबुन बनाने का व्यवसाय कैसे शुरू करें?
  6. [हिन्दी] Measuring Tools MCQ [Free Hindi PDF]
  7. साबुन बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें? How to Start Soap Making Business.


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Soaps and Detergents: Manufacturing and Chemical Structure

साबुन व डिटर्जेंट रासायनिक यौगिक या यौगिकों का मिश्रण हैं जिनका प्रयोग शोधन/धुलाई के लिए किया जाता है | साबुन सोडियम या पौटेशियम लवण तथा वसीय अम्लों का मिश्रण होता है जो पानी में शोधन क्रिया (Cleansing Action) करता है जबकि डिटर्जेंट भी यही काम करता है लेकिन धुलाई /शोधन के लिए वह साबुन की तुलना में बेहतर होता है क्योंकि पानी की कठोरता का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है | साबुन व डिटर्जेंट रासायनिक यौगिक या यौगिकों का मिश्रण हैं जिनका प्रयोग वस्तुओं की शोधन/धुलाई के लिए किया जाता है |इनका विस्तार से विवरण नीचे दिया गया है : साबुन साबुन सोडियम या पौटेशियम लवण तथा वसीय अम्लों का मिश्रण होता है जो पानी में शोधन क्रिया (Cleansing Action) करता है| सोडियम स्टेराइट(Sodium stearate),सोडियम ओलिएट (sodium oliate) और सोडियम पल्मिटेट (sodium palmitate) साबुन के ही कुछ उदाहरण हैं जिनका निर्माण क्रमशः स्टियरिक अम्ल (stearic acid), ओलिक अम्ल (oleic acid) व पामिटिक अम्ल (palmitic acid) से होता है | साबुन में वसा (Fat) और तेल (Oils) पाए जाते हैं | सोडियम साबुन कठोर होता है इसलिए इसका प्रयोग कपड़े धोने के लिए किया जाता है एवं पोटैशियम साबुन मुलायम होता है इसलिए इसका उपयोग नहाने एवं दाढ़ी बनाने में होता है। इनके अलावा कार्बोलिक साबुन का उपयोग त्वचा से सम्बंधित रोगों के इलाज व कीटाणुनाशक के रूप में किया जाता है। साबुन मैल को कैसे साफ़ करता है ? अधिकांश मैल तेल किस्म का होता है इसीलिए जब मैले वस्त्र को साबुन के पानी में डाला जाता है तो तेल और पानी के बीच का पृष्ठ तनाव बहुत कम हो जाता है और वस्त्र से अलग होकर मैल छोटी- छोटी गोलियों के रूप में तैरने लगता है| ऐसा यांत्रिक विधि से हो सकता है अथवा साबुन ...

रसायन विज्ञान

अनुक्रम • 1 इतिहास • 1.1 भारत में रासायनिकी • 1.2 यूरोप में रसायन • 2 रासायनिकी के शाखाएँ • 2.1 अन्तर्वैषयिक • 3 रसायन विज्ञान और हमारा जीवन • 3.1 रोगोपचार में रसायन विज्ञान • 3.1.1 औषधियों का वर्गीकरण • 3.2 घरेलू तथा खाद्य पदार्थो में रसायन • 3.3 कांच के निर्माण में रसायन • 3.3.1 प्लास्टिक के साथ कांच • 3.4 साबुन और अपमार्जक • 3.5 स्टेशनरी • 3.6 फोटोग्राफी • 3.7 कीटाणुनाशक दवाइयां • 3.8 सौन्दर्य प्रसाधनों में छिपे रसायन • 3.9 कृषि रसायन • 3.10 उद्योगों में प्रयुक्त रसायन • 3.11 नाभिकीय रसायन विज्ञान • 3.12 हरित रसायन • 3.13 विभिन्न रहस्यों में छुपे रसायन • 3.14 मेंहदी के रंग में रसायन • 3.15 धब्बे छुड़ाने वाले रसायन • 3.16 घातक रसायन • 4 सन्दर्भ • 5 इन्हें भी देखें • 6 बाहरी कड़ियाँ इतिहास [ ] मुख्य लेख: रसायन का अध्ययन केवल इसके ज्ञान हेतु नहीं किया गया अपितु यह दो रोचक वस्तुओं की खोज के कारण उभरा, ये निम्नलिखत थीं: • • यूरोप में रसायन [ ] • यूरोप में रसायन विज्ञान का प्रारम्भ 12वीं शताब्दी में थियोफिलस से हुआ। • 15वीं-16वीं शताब्दी में पैरासेलस (1493-1541 ई.) ने औषधि रसायन के क्षेत्र में कार्य किया। • 16वीं-17वीं शताब्दी में फ्रांसिस बैकन (1561-1636 ई.) ने आधुनिक रसायन विज्ञान की आधारशिला रखी। रासायनिकी के शाखाएँ [ ] रासायनिकी को सामान्यतः कई प्रमुख उप-विषयों में विभाजित किया जाता है। रासायनिकी के कई मुख्य पार-वैषयिक और अधिक विशिष्ट क्षेत्र भी हैं। • • • • • • • • • सैद्धान्तिक रासायनिकी मौलिक सैद्धान्तिक तर्क (सामान्यतः अन्य उपविभागों में अन्तर्वैषयिक [ ] अन्तर्वैषयिक क्षेत्रों में एग्रोकेमिस्ट्री, एस्ट्रोकेमिस्ट्री (और कॉस्मोकेमिस्ट्री), वायुमंडलीय रसायन विज्ञान, केमि...

प्रयोगशाला

प्रयोगशाला वैज्ञानिक प्रयोगशाला कार्य का प्रशिक्षण, उपकरणों एवं उपस्करों को सम्भालने एवं संचालित करने की नैपुण्य प्राप्त करने और प्रयोग करने में सहायक होता है। इस प्रकार से प्रायोगिक कार्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण के उत्थान और सहयोगी आचार व्यवहार अपनाने में सहायता करता है। प्रयोगशाला में कार्य करना विलक्षण और सृजनात्मक विचारों को क्रियान्वित करके साकार करने का आधार प्रदान करता है। प्रयोगशाला कार्य के मूलभूत सिद्धान्तों में दक्ष होने हेतु प्रयोगकर्ता को उपस्करों को संचालित करना अवश्य शिखना चाहिए और सुरक्षा उपायों तथा अच्छे प्रयोगशाला आचरण से अवगत होना चाहिए। प्रयोगशाला में कार्य करने हेतु प्रवेश करने से पहले प्रयोगकर्ता निज को व्यवस्थित करें और प्रयोगशाला कार्य से पूर्व की प्रस्तुति और प्रायोगिक क्रियाविधि से पूर्णतः अवगत हो लें जिससे उसका कार्य अव्यवस्थित न हो। यदि समूह में प्रयोग करने की आवश्यकता न हो तो अकेले ही प्रयोग करें। कार्य करते समय अपनी विचारशीलता और सहजबुद्धि का प्रयोग करना चाहिए। यह व्यवहार, [ ] विभिन्न आयतनों की परखनलियाँ उपलब्ध हैं परन्तु वर्तमान स्तर पर रसायन का प्रयोगात्मक कार्य करने हेतु सामान्यतः 125 mm (दैर्घ्य) × 15 mm (व्यास), 150 mm (दैर्घ्य) × 15 mm (व्यास) तथा 150 mm (दैर्घ्य) × 25 mm (व्यास) की परखनलियाँ प्रयोग की जाती हैं। मुख पर किनारा बनी हुई और बिना किनारे वाली परखनलियाँ भी उपलब्ध हैं। कम व्यास की परखनलियाँ ऐसी अभिक्रियाएँ करने हेतु प्रयोग की जाती हैं जिनमें गरम करने की आवश्यकता नहीं होती या बहुत कम समय गरम करना होता है। [ ] अधिकांशतः प्रयोगशाला में गोल फ्लास्क तथा [ ] 5 ml से 2000 ml तक की क्षमता के बीकर उपलब्ध हैं तथा इन्हें विलयन बनाने, [ ] इन्हे...

भौतिकी शिक्षण में भौतिकी प्रयोगशाला की भूमिका का वर्णन कीजिये। Answer... B

Que : 61. भौतिकी शिक्षण में भौतिकी प्रयोगशाला की भूमिका का वर्णन कीजिये। Answer:विज्ञान-शिक्षण के उद्देश्यों में लगातार होने वाले परिवर्तनों के साथ ही विज्ञान शिक्षक का कार्य भी बढ़ता गया तथा आज वह बहुआयामी हो गया है। दूसरे विषयों के शिक्षकों के अनुरूप ही विज्ञान पाठ्यक्रम को कई सम्भावित स्तरों पर छात्रों तक पहुंचाने तथा उनके व्यवहार में तदनुकूल परिवर्तन लाने के साथ-साथ उसका उत्तरदायित्व यह भी है कि वह प्रयोगशाला को अपनी आवश्यकताओं, सीमाओं तथा विषय के आधुनिकतम शिक्षण की मिली-जुली शर्तों के अनुरूप ढाल सके। इसके लिये शिक्षक को प्रयोगशाला हेतु उपयुक्त स्थान, निर्माण योजना, फनीचर आदि का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए। विज्ञान शिक्षक के उत्तरदायित्वों का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह भी है कि विज्ञान प्रयोगशाला के उपकरणों का रख-रखाव एवं उनकी साज-सज्जा का कार्य भी ठीक तरह से हो। इसके लिये शिक्षक को यह जानकारी होनी चाहिए कि विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के लिये उपकरण, रासायनिक पदार्थ तथा अन्य सामग्री कहाँ- -कहाँ एवं किस तरह से उपलब्ध हो सकती है। साथ ही, इस तरह की सामग्री का उत्पादन, निर्माण, संरक्षण तथा व्यवस्था किस तरह की जाये ताकि उसका उपयोग प्रभावी तथा सफल तरीके से किया जा सके। विज्ञान-शिक्षक के उत्तरदायित्वों में से एक मुख्य दायित्व छात्रों के सीधे सम्पर्क में आने वाले प्रयोगशाला में कार्य करने का पक्ष है जिसके अन्तर्गत उसे कार्य का विभाजन, छात्रों का निर्देशन, छात्रों के कार्य करते समय होने वाली सम्भावित दुर्घटनाओं के उपचार हेतु भी पर्याप्त जानकारी रखनी आवश्यक होती है। विज्ञान शिक्षण दूसरे विषयों के शिक्षण से पर्याप्त भिन्न है। इसके समुचित शिक्षण हेतु पर्याप्त मात्रा में उपकरण, साज-सामान तथा...

साबुन बनाने का व्यवसाय कैसे शुरू करें?

भारत में, सौंदर्य और व्यक्तिगत देखभाल उद्योग तेजी से विस्तार कर रहा है और अन्य व्यवसायों की तुलना में कम पूंजी की आवश्यकता है।जैसे-जैसे लोग अपनी त्वचा और स्वास्थ्य के बारे में अधिक चिंतित हो जाते हैं, भारत में साबुन कंपनियां भारी मुनाफा कमाती हैं।FY 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय साबुन बाजार ₹290 करोड़ का है और 2026 तक इसके बढ़कर ₹440 करोड़ होने की उम्मीद है।साथ ही कोरोना के प्रकोप के कारण लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा चिंतित हैं, जिसका फायदा साबुन बनाने वाली इंडस्ट्री को मिलता है। हालांकि, साबुन के कारोबार में प्रवेश करना मुश्किल है, क्योंकि बड़ी कंपनियां पहले ही बाजार पर कब्जा कर चुकी हैं।फिर भी, कोई भी बाजार पर कब्जा कर सकता है और सही रणनीति और प्रयास के साथ एक बड़ा लाभ कमा सकता है। एक सफल व्यवसाय बनाना एक आसान काम नहीं है, क्योंकि उद्यमी बनने के लिए कई कदम उठाने चाहिए,इसलिए आइए विस्तार से साबुन विनिर्माण व्यवसाय बनाने के लिए एक-एक करके सभी महत्वपूर्ण चरणों के बारे में बात करते हैं। क्या आप जानते हैं? भारत में, 14 अच्छी तरह से स्थापित और लोकप्रिय भारतीय साबुन बनाने वाले ब्रांड हैं और मेडिमिक्स, सिंथोल और मैसूर सैंडल बच्चों के लिए भी जाने जाते हैं। अपने व्यवसाय की योजना बनाएं साबुन कंपनियों, किसी भी अन्य व्यवसाय की तरह, समय से पहले योजना बनानी चाहिए।एक उद्यमी के रूप में सफलता प्राप्त करने के लिए एक अच्छी तरह से सोचा-समझा योजना आवश्यक है।आपको कुछ महत्वपूर्ण जानकारी का पता लगाना चाहिए, जैसे कि साबुन बनाने का व्यवसाय शुरू करने की लागत?आपका इच्छित बाजार क्या है? भारतीय साबुन उद्योग में लाभ मार्जिन क्या है?आप एक ग्राहक से अधिकतम कितनी राशि चार्ज कर सकते हैं?आप अपने व्य...

[हिन्दी] Measuring Tools MCQ [Free Hindi PDF]

संकल्पना: • गुनिया (ट्राय स्क्वायर) एक परिशुद्धता उपकरण है जो कि सतह की वर्गाकारिता को सुनिश्चित करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है • इसमें स्टॉक और ब्लेड होती है • इसका आकार, इसकी ब्लेड की लम्बाई पर निर्भर होता है • इसके निम्नलिखित तीन मुख्य कार्य हैं: • सतह की समतलता को सुनिश्चित करना • यह सुनिश्चित करना कि दो सतह एक - दूसरे के लम्बवत हैं या नहीं i.e. 90° • गुनिया को ब्लेड की लंबाई यानि 100 mm, 150 mm, और 200 mm के अनुसार निर्दिष्ट किया गया है। • जिस सतह पर कार्य करना है उसमें लम्बवत रेखाएँ खींचना स्पष्टीकरण: पिन गेज • छोटे छिद्रों के व्यास को ज्ञात करने के लिए बेलनाकार पिन गेजों के सेट उपलब्ध होते हैं। • विशिष्ट सेट में 0.05 mm के स्टेप्स में पिन्स की श्रेणी 0.45 mm से 1.5 mm in steps of .होती है। • बड़े छिद्रों के लिए,टैपर पिन गेज का उपयोग किया जाता है। • 5 mm से 15 mm छिद्र के मापन के लिए इसका उपयोग किया जाता है। स्पष्टीकरण: डायल परीक्षण संकेतक : • डायल परीक्षण संकेतक एक सटीक प्रकार का उपकरण है जिसका उपयोग घटकों के आकार में भिन्नता की तुलना करने और निर्धारित करने के लिए किया जाता है। • ये उपकरण माइक्रोमीटर और वर्नियर कैलीपर्स जैसे आकारों के सीधे पाठ्यांक नहीं दे सकते हैं। • एक डायल परीक्षण संकेतक ग्रेडेड डायल पर एक पॉइंटर के माध्यम से आकार में छोटे बदलावों को आवर्धित करता है। • विचलन का यह सीधा पठन परीक्षण किए जा रहे भागों की स्थितियों की एक सटीक तस्वीर देता है। • डायल परीक्षण संकेतक का सिद्धांत प्लंजर की छोटी सी गति को एक वृत्ताकार पैमाने पर सूचक की घूर्णी गति में परिवर्तित करके आवर्धित करता है। • प्लंजर की रैखिक गति को सूचक की घूर्णी गति में परिवर्तित करने के लिए, एक...

साबुन बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें? How to Start Soap Making Business.

Soap Making Businessका सीधा एवं स्पष्ट अभिप्राय साबुन बनाने के काम से है जी हाँ दोस्तो भारत आज से नहीं बल्कि शताब्दीयों से ही प्राकृतिक उत्पादों एवं प्राकृतिक सामग्रियों का इस्तेमाल एवं प्रचार प्रसार करता रहा है। वर्तमान में भारत हर तरह की सामग्री चाहे वह हस्तनिर्मित हो या फिर मशीनों से निर्मित के लिए एक बहुत बड़े बाजार के रूप में सामने आया है। जहाँ तक सवाल Soap Making का या साबुन बनाने का है इसे उद्यमी हाथों एम मशीन दोनों की मदद से बना सकता है। यद्यपि भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में एक दौर वह भी चला जब खाद्य पदार्थों सहित लोग उपभोक्तावाद एवं मशीनों से निर्मित वस्तुओं को अधिक महत्व देते थे। लेकिन ज्यों ज्यों लोगों की अपनी स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढती गई और अधिक टिकाऊ जीवन की लालसा बढती गई उन्हें समझ में आने लगा की उन्हें सिर्फ उन्हीं का इस्तेमाल करना चाहिए जिनमें प्राकृतिक एवं स्वभाविक अवयवों की मात्रा अधिक हों। यही कारण है की आज जैविक सामग्री की मांग सबसे अधिक है। इसलिए आर्गेनिक सामग्री से निर्मित साबुनों की मांग भी आज बहुत अधिक है और उद्यमी इस तरह का यह व्यापार शुरू करके अच्छे लाभ प्राप्ति की कोशिश कर सकता है। एक साबुन किसी भी प्रकार का हाथ धोने वाला, चेहरा धोने वाला, नहाने वाला या फिर कपड़े धोने वाला कुछ भी हो सकता है। और इन साबुनों का इस्तेमाल व्यवसायिक एवं आवासीय दोनों के उपयोग के लिए भी किया जा सकता है। यही कारण है की वर्तमान में तरह तरह के साबुन हमें बाजार में देखने को मिल जाते हैं। इस बिजनेस में संभावना को देखते हुए अनेक बड़ी बड़ी कॉस्मेटिक सामग्री का उत्पादन करने वाली कंपनी भी साबुन बनाने के व्यापार में पहले से उतर चुकी हैं। तो आइये जानते हैं की कैसे कोई...