Ramayan kisne likha hai

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  2. किसने लिखी रामायण
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ramayan kisne likha tha

दोस्तों आज मैं आपको भारत के सबसे पसंदीदा काव्य रामायण के बारे में बताने वाला हु की रामायण के लेखक कौन है और इससे सम्बंधित दूसरी जानकारी भी आपके साथ शेयर करने वाला हूँ जिससे हो सकता है की आप अनजान हो । इस आर्टिकल में मैं आपको रामायण से जुडी कुछ रोचक तथ्य , जिसने लिखा उनका जीवनी और रामायण लिखने के वजह क्या थे आदि के बारे में बताऊंगा इसलिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़े और शेयर भी जरूर करे । जब बाल्मीकि जी ने रामायण को लिखना चाहा तब वो इसे काव्य के रूप में लिखा था और इसके बाद इसको तुलसीदास ने भी रामचरितमानस को हिंदी में नहीं लिखा इसके अलावा इसे बौद्ध और नेपाल में भी लिखे गए लेकिन वो हिंदी नहीं थे । भारत के आज़ादी से पहले अंग्रेज को इस काव्य को समझने में ज्यादा रूचि दिखाई थी इसलिए इसे पहले अंग्रेजी में अनुवाद किया गया और उसके बाद हिंदी में लिखा गया था । ramayan unkown facts in hindi (ramayan kisne likha tha-ramayan ke rachyita) • क्या आपको मालूम है की राम 14 कलाओं में पारंगत थे और इन्हे एक पूर्ण अवतार के रूप नहीं माना जाता हैं । चूँकि रावण को एक वरदान हासिल था की उसे कोई देवता नहीं मार सकते है केवन इंसान ही इसे मरने में सखशाम था इसलिए उसके अत्यचार से परेशान होकर रावण का वह करने के लिए भगवान् विष्णु को राम के रूप में आना पड़ा था • युद्ध के दौरान भगवान् राम के लिए देवता इंद्र ने अपने रथ भेजा था और उसी रथ में सवार होकर राम जी ने रावण का वध किया • ऐसा मान जाता है की जब राम लंका को पार करने के लिए समुन्द्र पर पल का निर्माण करवा रहेथे तब उस निर्माण में एक गिलहरी ने भी काफी मदद किया था इससे भगवान् राम बहुत प्रसन्न हुएथे और अपनी इस खुसी का इजहार करने के लिए उन्होंने उस गिलहरी के ऊपर अपनी अंगुलि...

किसने लिखी रामायण

हालांकि रामायण के बारे में एक मत और प्रचलित है और वो यह है कि सबसे पहले रामायण हनुमानजी ने लिखी थी, फिर महर्षि वाल्मीकि संस्कृत महाकाव्य 'रामायण' की रचना की। रामायण के बाद से ही श्रीराम कथा को कई भाषाओं में रामायण या फिर इसके समकक्ष नामों से लिखा गया। हनुमानजी ने इसे एक शिला पर लिखा था। यह रामकथा वाल्मीकि की रामायण से भी पहले लिखी गई थी और 'हनुमन्नाटक' के नाम से प्रसिद्ध है। इस तरह भगवान श्रीराम आज भी दुनिया की कई रामायणों में जीवित हैं। जो सदियों तक रहेंगे। इस तरह समय समय पर कई रामायण लिखीं गईं। इन सभी रामायणों में श्रीराम कथा में कुछ न कुछ फेरबदल किया गया। इन तमाम पवित्र रामायण ग्रंथों में श्रीराम के बारे में ऐसे प्रसंग मिलते हैं जो मूल वाल्मीकि रामायण में नहीं है। इसलिए महर्षि वाल्मीकि रामायण को ही मूल रामायण माना जाता है। वाल्मीकि रामायण और अन्य रामायण में जो अंतर देखने को मिलता है वह यह है कि वाल्मीकि रामायण को तथ्यों और घटनाओं के आधार पर लिखा गया था, जबकि अन्य रामायण को जनश्रुति के आधार पर लिखा गया। उदाहरण के लिए बुद्ध ने अपने पूर्व जन्मों का वृत्तांत कहते हुए अपने शिष्यों को रामकथा सुनाई थी। बुद्ध के बाद गोस्वामी तुलसीदास रामकथा को श्रीरामचरितमानस के नाम से अवधी में लिखा। ठीक इसी तरह से जनश्रुतियों के आधार पर हर देश ने अपनी रामायण लिखी गई। रामायण अब तक अन्नामी, बाली, बांग्ला, कम्बोडियाई, चीनी, गुजराती, जावाई, कन्नड़, कश्मीरी, खोटानी, लाओसी, मलेशियाई, मराठी, ओड़िया, प्राकृत, संस्कृत, संथाली, सिंहली, तमिल, तेलुगु, थाई, तिब्बती, कावी आदि भाषाओं में लिखी जा चुकी है।

रामायण

vivaran 'ramayan' lagabhag chaubis hazar rachanakar rachanakal bhasha mukhy patr sat kand sanbandhit lekh any janakari ramayan ke sat kandoan mean kathit sargoan ki ganana karane par sampoorn ramayan mean 645 sarg milate haian. sarganusar shlokoan ki sankhya 23,440 ati hai, jo 24,000 se 560 ramayan ( Ramayana) • REDIRECT rachanakal kuchh bharatiy dvara yah mana jata hai ki yah mahakavy 600 ee.poo. se pahale likha gaya. usake pichhe yukti yah hai ki hindoo kalaganana ke anusar rachanakal ramayan ka samay • • • • ek kaliyug 4,32,000 varsh ka, dvapar 8,64,000 varsh ka, treta yug 12,96,000 varsh ka tatha satayug 17,28,000 varsh ka hota hai. is ganana ke anusar ramayan ka samay nyoonatam 8,70,000 varsh (vartaman kaliyug ke 5,250 varsh + bite dvapar yug ke 8,64,000 varsh) siddh hota hai. bahut se vidvanh isaka tatpary ee.poo. 8,000 se lagate haian jo adharahin hai. any vidvanh ise isase bhi purana manate haian. valmiki dvara shlokabaddh [[chitr:Valmiki-Ramayan.jpg|thumb|left|180px| ramacharitamanas • REDIRECT kand [[chitr:Rama-breaking-bow-Ravi-Varma.jpg|thumb|200px|dhanush bhang karate • • • • • • • sarg tatha shlok is prakar sat kandoan mean panne ki pragati avastha tika tippani aur sandarbh bahari k diyaan (sanskrit).. abhigaman tithi: 9 julaee, 2010. sanbandhit lekh · · · avadhoot upanishad · · brahmavidya upanishad · · · ekakshar upanishad · garbh upanishad · · · kar upanishad · · · · · panchabrahm · pranagnihotr upanishad · · sarasvatirahasy upanishad · sarvasar upanishad ...