रेन वेदर

  1. दो महीने में पूर्णिया में शुरू हो जाएगा जोनल इंस्ट्रूमेंट सेंटर, 1 साल के अंदर काम करना शुरू कर देगा वेदर डॉप्लर रडार
  2. पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से बदला दिल्ली का मौसम, आईएमडी का कहना है कि मार्च में दिल्ली में मौसम ठंडा रहने की संभावना है
  3. Correct and accurate weather information will be available from automatic rain gauge and weather station
  4. वेद


Download: रेन वेदर
Size: 16.18 MB

दो महीने में पूर्णिया में शुरू हो जाएगा जोनल इंस्ट्रूमेंट सेंटर, 1 साल के अंदर काम करना शुरू कर देगा वेदर डॉप्लर रडार

पूर्णिया मौसम केंद्र इस इलाके के सबसे पुराने सेंटर में से हैं। हिमालय की तराई क्षेत्र और बंगाल की खाड़ी के नजदीक रहने से मौसम विज्ञान का यह केंद्र महत्वपूर्ण है। केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही पूर्णिया मौसम केंद्र को ए ग्रेड सेंटर के रूप में विकसित करने को तत्पर है। आने वाले समय में पूर्णिया मौसम केंद्र नए स्वरूप में दिखेगा। उक्त बातें पटना मौसम केंद्र के एडिशनल डायरेक्टर आनंद शंकर ने मंगलवार को पूर्णिया केंद्र के निरीक्षण के दौरान कही। उन्होंने कहा कि पूर्णिया मौसम केंद्र में में जमीन की समस्या अब दूर हो गई है। आने वाले 2 से 3 महीने के अंदर यहां पोर्टाकेबिन कार्यालय बन कर तैयार हो जाएगा। इसके साथ ही जोनल इंस्ट्रूमेंट मेंटनेंस सेंटर भी काम करना शुरू कर देगा। साथ ही साथ यहां मौसम पर नजर रखने के लिए ऑटोमेटिक रेन गेज के साथ-साथ डॉप्लर वेदर रडार भी लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि एक साल के अंदर वेदर रडार भी काम करना शुरू कर देगा। इससे मौसम की सटीक जानकारी मिलेगी। उनके साथ पूर्णिया मौसम केंद्र प्रभारी एसके सुमन, वैज्ञानिक सहायक राकेश कुमार समेत अन्य कर्मी भी मौजूद थे। मौसम केंद्र के एडिशनल डायरेक्टर वैज्ञानिक शंकर ने बताया कि अभी मौसम केंद्र में ऑटोमेटिक रेन गेज सिस्टम भी लगाया जा रहा है जो जल्द फंक्शन हो जाएगा। इससे बारिश के साथ-साथ तापमान और आद्रता की भी सटीक जानकारी मिलेगी।

पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से बदला दिल्ली का मौसम, आईएमडी का कहना है कि मार्च में दिल्ली में मौसम ठंडा रहने की संभावना है

बारिश और तेज हवाओं से राजधानी दिल्ली में मौसम का मिजाज बदल गया है। अभी कुछ दिन और मौसम सर्द रहेगा। लगातार पश्चिमी विक्षोभ के कारण दिल्ली में तापमान 26 मार्च तक 26-30 डिग्री सेल्सियस (डिग्री सेल्सियस) के बीच रहने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को कहा कि मार्च के दूसरे पखवाड़े में सामान्य तापमान से अधिक ठंड दर्ज की जा सकती है। दिल्ली में सोमवार शाम तेज हवाओं के साथ भारी बारिश और गरज के साथ छींटे दर्ज किए गए। लगातार तीसरे दिन मौसम की गंभीर गतिविधियों के कारण, क्षेत्र में अधिकतम तापमान 27.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से तीन डिग्री कम है। दिल्ली में 3 साल बाद 24 घंटे में सबसे ज्यादा बारिश, जानिए आज का हाल आईएमडी के वैज्ञानिक कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि महीने की पहली छमाही में साफ आसमान देखा गया और बारिश नहीं हुई, जबकि दूसरी छमाही में दो पश्चिमी विक्षोभ पहले ही दर्ज किए जा चुके हैं, 23 से 25 मार्च के बीच एक और पश्चिमी विक्षोभ की उम्मीद है। श्रीवास्तव ने कहा, “हालांकि इस मौजूदा पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव मंगलवार तक जारी रहेगा – आसमान में बादल छाए रहेंगे और बूंदाबांदी से तापमान नियंत्रित रहेगा – हमें गुरुवार से अगले पश्चिमी विक्षोभ का असर दिखना शुरू हो जाएगा, जिसमें हल्की बारिश होगी।” शुक्रवार को।” संभावना भी है। शुक्रवार को हल्की बारिश के लिए येलो अलर्ट पहले से ही लागू है और महीने के अंत तक दिल्ली में लू चलने की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि आईएमडी के सात दिनों के पूर्वानुमान से पता चलता है कि दिल्ली का अधिकतम तापमान मंगलवार को 26 डिग्री सेल्सियस के आसपास रह सकता है और गुरुवार तक धीरे-धीरे 30 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।हा, शुक्र...

Correct and accurate weather information will be available from automatic rain gauge and weather station

अब एआरजी (ऑटोमेटिक रेन गेज) व एडब्ल्यूएस (ऑटोमेटिक रेन वेदर स्टेशन) के माध्यम से कम समय में मौसम की सही व सटीक जानकारी मिल सकेगी। जिले के पुराने सभी 218 पंचायतों में एआरजी लगाये गये हैं वहीं सभी प्रखंड मुख्यालयों में एडब्ल्यूएस अधिष्ठापित हैं। ये दोनो ऑटोमेटिक सिस्टम सैटेलाइट के जरिये मौसम विज्ञान केन्द्र पटना से जुड़े रहेंगे और 15-15 मिनट पर मौसम संबंधी आंकड़े अपडेट होते रहेंगे। योजना एवं विकास विभाग की ओर से पंचायतों में स्वचालित वर्षामापी यंत्र (ऑटोमेटिक रेन गेज यानी एआरजी) लगाये गये हैं। इस साल के मानसून से वर्षापात की जानकारी मिलनी शुरू हो जाएगी। वहीं प्रखंड मुख्यालयों में लगाये गये स्वचालित मौसम स्टेशन (आटोमेटिक वेदर स्टेशन यानी एडब्लूएस) के जरिये तापमान, आर्द्रता, आंधी का भी पता चल सकेगा। खासकर वर्षामापी यंत्र लग जाने से सुखाड़ वाले पंचायतों की सटीक जानकारी मिल सकेगी तथा उस हिसाब से किसानों को मुआवजा दिया जा सकेगा। किसानों को होगा काफी लाभ: मौसम वैज्ञानिक प्रभात कुमार व अवर सांख्यिकी पदाधिकारी शैलेश कुमार ने बताया कि इन दोनो ऑटोमेटिक सिस्टम से रियल टाइम डाटा जैसे तापमान, वर्षापात, तेज हवा व आर्द्रता आदि आंकड़े प्राप्त किये जा सकेंगे। पंचायतों में लग रहे स्वचालित वर्षामापी यंत्र से मौसम की सटीक जानकारी प्राप्त होने से किसानों को इससे काफी लाभ मिलेगा। बेमौसम बारिश हो या मानसून की बारिश पंचायतवार इसकी रिपोर्ट प्राप्त हो सकेंगे। क्योंकि अक्सर देखा गया है कि एक ही प्रखंड के अलग-अलग पंचायतों में वर्षापात अलग-अलग होती है। पंचायत स्तर पर एआरजी नहीं नहीं लगने से यही परेशानी होती थी। लेकिन अब हरके पंचायत का अलग-अलग मौसम विभाग को उपलब्ध होंगे। अवर सांख्यिकी पदाधिकारी शैलेश कुमार क...

वेद

चार वेद जानकारी धर्म भाषा वेद, 'वेद' आज 'चतुर्वेद' के रूप में ज्ञात इन ग्रंथों का विवरण इस प्रकार हैं:- • • • • वेदों को अपौरुषेय (जिसे किसी पुरुष के द्वारा न किया जा सकता हो, (अर्थात् ईश्वर कृत) माना जाता है। यह ज्ञान विराटपुरुष से वा श्रुति भी कहते हैं जिसका अर्थ है 'सुना हुआ ज्ञान'। क्योंकि इन्हें सुनकर के लिखा गया था। अन्य आर्य ग्रंथों को स्मृति कहते हैं, अर्थात वेदज्ञ मनुष्यों की वेदानुगत बुद्धि या स्मृति पर आधारित ग्रन्थ। वेद मंत्रों की व्याख्या करने के लिए अनेक ग्रंथों जैसे वेदों को समझना प्राचीन काल से ही पहले भारतीय और बाद में संपूर्ण विश्व भर में एक वार्ता का विषय रहा है। इसको पढ़ाने के लिए छः अंगों - माधवीय वेदार्थदीपिका बहुत मान्य हैं। यूरोप के विद्वानों का वेदों के बारे में मत अनुक्रम • 1 कालक्रम • 1.1 प्राचीन विश्वविद्यालय • 2 वेद-भाष्यकार • 2.1 वेदों का प्रकाशन • 2.2 विदेशी प्रयास • 2.3 वेदों का काल • 3 वेदों का महत्व • 3.1 विवेचना • 4 वैदिक विवाद • 5 वैदिक वांगमय का वर्गीकरण • 5.1 वेदत्रयी • 5.2 चतुर्वेद • 5.3 अन्य नाम • 5.4 साहित्यिक दृष्टि से • 5.5 वर्गीकरण का इतिहास • 5.6 शाखा • 6 वेदों के विषय • 6.1 ऋग्वेद • 6.2 यजुर्वेद • 6.3 सामवेद • 6.4 अथर्ववेद • 6.5 उपवेद, उपांग • 7 वेद के अंग • 8 वैदिक स्वर प्रक्रिया • 9 वैदिक छंद • 10 वेद की शाखाएँ • 11 अन्य मतों की दृष्टि में वेद • 12 इन्हें भी देखें • 13 सन्दर्भ • 14 बाहरी कडियाँ कालक्रम [ ] मुख्य लेख वेद सबसे प्राचीन पवित्र ग्रंथों में से हैं। संहिता की तारीख लगभग 1700-1100 ईसा पूर्व, और "वेदांग" ग्रंथों के साथ-साथ संहिताओं की प्रतिदेयता कुछ विद्वान वैदिक काल की अवधि 1500-600 ईसा पूर्व मानते हैं तो कुछ इससे भी...