शहीद वीर नारायण सिंह

  1. जनक्रांति वीर नारायण सिंह को जैसा मैंने जाना : शंकर गुहा नियोगी
  2. IND vs NZ: रायपुर में पहली बार खेला जाएगा इंटरनेशनल मुकाबला, जानें पिच का मिजाज और इतिहास
  3. सोनाखान के जमींदार
  4. शहीद वीर नारायण सिंह इंटरनेशनल स्टेडियम, रायपुर पिच रिपोर्ट 2023
  5. राज्यपाल अनुसुइया उइके ने शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा का किया अनावरण; योगदान को किया याद
  6. अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले शहीद वीर नारायण सिंह की कहानी, story of chhattisgarh martyr veer narayan singh
  7. Raipur 1857 Independence Revolutionary Veer Narayan Singh Shaheed Diwas 10 December ANN
  8. शहीद वीर नारायण सिंह
  9. शहीद वीर नारायण सिंह इंटरनेशनल स्टेडियम, रायपुर पिच रिपोर्ट 2023
  10. IND vs NZ: रायपुर में पहली बार खेला जाएगा इंटरनेशनल मुकाबला, जानें पिच का मिजाज और इतिहास


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जनक्रांति वीर नारायण सिंह को जैसा मैंने जाना : शंकर गुहा नियोगी

वीर नारायण सिंह की शहादत दिवस (10 दिसंबर, 1857) पर विशेष [आज हम याद कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के अमर शहीद वीर नारायण सिंह को, जिन्हें आज के ही दिन ब्रिटिश हुक्मरानों ने सन् 1857 को तोप से बांधकर उड़ा दिया था। उनके बारे में पहली बार विस्तृत जानकारी सन् 1979 में शहीद शंकर गुहा नियोगी द्वारा उजागर की गई। उन्होंने इस संबंध में ‘आज की पीढ़ी और वीर नारायण सिंह की वसीयत’ शीर्षक यात्रा संस्मरण लिखा, जिसे छत्तीसगढ़ माईन्स श्रमिक संघ द्वारा प्रकाशित स्मारिका ‘छत्तीसगढ़ के किसान युद्ध का पहला क्रांतिकारी शहीद वीर नारायण सिंह’ में शामिल किया गया। उनकी इस यात्रा में सहदेव साहू भी शामिल रहे। प्रस्तुत लेख शंकर गुहा नियोगी की यात्रा संस्मरण के अंशों पर आधारित है। इसे हू-ब-हू रखा गया है। चूंकि अंश अलग-अलग पृष्ठों से लिए गए हैं, इसलिए पठनीयता बरकरार रखने के लिए आंशिक तौर पर संपादन किया गया है। मूल पाठ से संपादन को पृथक रखने के लिए बड़े कोष्ठक में रखा गया है। वीर नारायण सिंह पर आधारित इस लेख को प्रकाशित करने का हमारा एक मकसद यह है कि आज की युवा पीढ़ी उस संघर्ष को जाने और समझे, जो आज से 161 वर्ष पहले छत्तीसगढ़ के इलाकों में चल रहा था। उनका संघर्ष ब्रिटिश हुक्मरानों की साम्राज्यवादी नीतियों, स्थानीय सामंतों व साहूकारों के शोषण के खिलाफ था। दूसरा मकसद, आज के मौजूदा हुक्मरानों का ध्यान वीर नारायण सिंह की उपेक्षित विरासत की ओर आकृष्ट कराना भी है। यह उनकी जिम्मेदारी है कि वह छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी से जुड़े विरासतों को संरक्षित करें, बजाय इसके कि वह प्रतीकात्मक रूप से इमारतों आदि का नामकरण कर खानापूर्ति करें। तीसरा मकसद, अपने पाठकों को सोनाखान में आज की तारीख में चल रहे खनन माफियाओं के खेल...

IND vs NZ: रायपुर में पहली बार खेला जाएगा इंटरनेशनल मुकाबला, जानें पिच का मिजाज और इतिहास

रायपुर के स्टेडियम में पहली बार खेला जाएगा इंटरनेशनल मैच जानें पिच का मिजाज और इतिहास यहां आईपीएल के खेले गए हैं कुल 6 मुकाबले नई दिल्ली. भारत और न्यूजीलैंड (India vs New Zealand) के बीच जारी तीन मैचों की वनडे सीरीज का दूसरा मुकाबला 21 जनवरी को रायपुर के शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम (Shaheed Veer Narayan Singh International Cricket Stadium) में खेला जाएगा. इस रोमांचक मुकाबले में जब भारतीय टीम मैदान में उतरेगी तो उसकी केवल एक ही मंशा होगी, वह है जीत हासिल कर सीरीज पर अपना कब्जा जमाना. वहीं मेहमान टीम इस मुकाबले को जीतकर सीरीज में बने रहने का प्रयास करेगी. ऐसे में दूसरा वनडे मुकाबला दोनों टीमों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो गया है. मैच से पूर्व बात करें शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के इतिहास के बारे में तो वह कुछ इस प्रकार है- शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का इतिहास: शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम साल 2008 में बनकर तैयार हुआ. लेकिन यहां अबतक कोई अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला नहीं खेला गया है. इस बीच आईपीएल के कुल छह मैच खेले गए हैं. यही नहीं यहां रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज के कई ऐतिहासिक मुकाबले भी आयोजित हुए हैं. यह भी पढ़ें- बल्लेबाजों के लिए मददगार नहीं है रायपुर की पिच: शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम भारत की अन्य पिचों की तरह बल्लेबाजों के लिए ज्यादा मददगार नहीं रही है. लेकिन गेंदबाजों की यहां बल्ले बल्ले रही है. मैच जैसे जैसे आगे बढ़ता जाता है पिच और धीमी होती जाती है. इस बीच स्पिनर्स को खूब मदद मिलती है. तेज गेंदबाज भी अपनी स्लोअर और अन्य वैराइटी के गेंदबाजों से विपक्षी ब...

सोनाखान के जमींदार

सोनाखान का विद्रोह (Sonakhan ka vidroh) छत्तीसगढ़ – सोनाखान जमींदारी सन् 1819-20 में सोनाखान के जमींदार रामराय ने अंग्रेजों के खिलाफ स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत की थी। सन् 1818 में अंग्रेजी संरक्षणकाल के दौरान, छत्तीसगढ़ के जमींदारों की संख्या 27 थी, जो राजनैतिक, प्रशासनिक और पारिवारिक कारणों से सदैव घटती – बढ़ती रही। सन् 1826 में सम्बलपुर और सरगुजा की जमींदारियाँ छत्तीसगढ़ से अलग कर दी गई। ब्रिटिश काल में छत्तीसगढ़ के जमींदारों के साथ राजनैतिक, प्रशासनिक संबंध स्थापित करने के लिए कुछ विशेष नीति का अनुसरण किया गया जो निम्न है– 1. जमींदार को नियंत्रित व अपने प्रति ईमानदार बनाये रखा जाये। 2. केन्द्रीय शक्ति और जमींदारों के मध्य उचित सद्भावनापूर्ण सामंजस्य स्थापित रखना। 3. राजस्व व भूमि नीति से संबंधित मसलों में जमींदारों की ज्यादती पर निषेध लगाए रखना। अंग्रेजों के इस विशेष नीति के कारण उनका विद्रोह लम्बे समय तक नहीं चल सका। परंतु रामराय ने उसी दौरान ईस्ट इंडिया कम्पनी की साम्राज्यवादी आकांक्षा को पहचान लिया था। रामराय छत्तीसगढ़ इतिहास के सन्धि-युग की जानकर माने गए। छत्तीसगढ़ के सोनाखान नामक जमींदारी थी इस जमींदारी के अंतर्गत लगभग 300 गांव आते थे। इस क्षेत्र में पहले कलचुरियों का शासन था। नागपुर के भोंसले ने छत्तीसगढ़ के कलचुरियों पदच्यूत (ख़ारिज) किया था। उस समय फतेनारायन सिंह सोनाखान के जमीदार थे, उन्होंने भोंसले की सत्ता को अस्वीकार कर दिया था। उसी तरह जब सन् 1818 में भोंसले शासन और ईस्ट इंडिया कम्पनी के बीच संधि के अनुसार छत्तीसगढ़ी की शासन व्यवस्था ईस्ट इंडिया कम्पनी को सौंप दी गई थी। तब फतेनारायन सिंह के पुत्र रामराय अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। सोनाखान की जमीं...

शहीद वीर नारायण सिंह इंटरनेशनल स्टेडियम, रायपुर पिच रिपोर्ट 2023

हालांकि इस मैदान पर आईपीएल व घरेलू सीरीज खेली गई है. और ये पिच बल्लेबाजों को काफी मदद करती है. गेंदबाज़ सही लाइन लेंथ रखकर बल्लेबाज़ों को परेशान कर सकते है. हालाकिं जैसे जैसे मैच आगे बढ़ेगा तो पिच स्पिन गेंदबाजों को मदद करना शुरू कर देगी. पिच के अनुसार भारत-न्यूज़ीलैंड का दूसरा वनडे हाई स्कोरिंग मैच हो सकता है.

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा का किया अनावरण; योगदान को किया याद

बालोद जिले में वीर सपूत शहीद वीर नारायण सिंह की शहादत दिवस पर विराट वीर मेले का आयोजन किया जा रहा है। जिले के अंतिम छोर पर NH- 930 किनारे इस मेले का आयोजन किया जा रहा है। राजाराव पठार पहुंचकर शनिवार को राज्यपाल अनुसुइया उईके ने विशाल शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया, साथ ही देवगुड़ी और देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना भी की गई। धुर्वा नृत्य के माध्यम से यहां राज्यपाल का स्वागत किया गया। विराट वीर मेले में शामिल होने के लिए बालोद, धमतरी, कांकेर और बस्तर अंचल के आदिवासी समाज के लोग और आम जनता पहुंची हुई है। राज्यपाल ने विराट वीर मेले के संदर्भ में कहा कि आज के ही दिन प्रदेश और आदिवासी समाज के गौरव शहीद क्रान्ति वीर नारायण सिंह जी शहीद हुए थे। ये हमारे समाज और प्रदेश के लिए गौरव की बात है। उन्होंने समाज और देश के हित में काम किए हैं। वीर नारायण सिंह ने देश के लिए शहीद होकर पूरे समाज को प्रेरणा दी। इसका अनुसरण आज की युवा पीढ़ी को करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरे मन में हमेशा समाज के लिए कुछ करने की बात चलती है। अनुसुइया उइके मेले में हुईं शामिल। राज्यपाल अनुसुइया उइके अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC वर्ग को दिए गये 27% आरक्षण की वजह से आरक्षण विधेयकों पर हस्ताक्षर करने से हिचक रही हैं। राज्यपाल ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि मैंने केवल आदिवासी वर्ग का आरक्षण बढ़ाने के लिए सरकार को विशेष सत्र बुलाने का सुझाव दिया था। उन्होंने सबका बढ़ा दिया। अब जब कोर्ट ने 58% आरक्षण को अवैधानिक कह दिया है, तो 76% आरक्षण का बचाव सरकार कैसे करेगी। विराट वीर मेले में भीड़। बालोद के राजाराव पठार पहुंची राज्यपाल अनुसुइया उइके ने गेस्ट हाउस में मीडिया से बात की। आरक्षण विधेयक को लेकर पूछे गए सव...

अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले शहीद वीर नारायण सिंह की कहानी, story of chhattisgarh martyr veer narayan singh

रायपुर: गरीबों के मसीहा और छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद वीरनारायण सिंह की आज पुण्यतिथि है. आज ही के दिन 10 दिसंबर 1857 के दिन अंग्रेजों ने रायपुर के जयस्तंभ चौक पर वीरनारायण सिंह को फांसी दे दी थी. तब से लेकर आज तक 10 दिसंबर को पूरे छत्तीसगढ़ में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है. शहीद वीर नारायण सिंह की कहानी वीरनारायण सिंह का जन्म सन् 1795 को छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के कसडोल विकासखण्ड के एक छोटे से गांव सोनाखान में हुआ था. उस वक्त वीरनारायण सिंह के पिता गांव के जमींदार हुआ करते थे. बताया जाता है कि सोनाखान में वीरनारायण सिंह के पूर्वजों की 300 गांवों की जमींदारी थी. शहीद वीरनारायण सिंह का अपनी प्रजा के प्रति अटूट लगाव और प्रेम था. सन्1856 को सोनाखान में भीषण अकाल पड़ा और सोनाखान की जनता दाने-दाने के लिए मोहताज हो गयी. लोग भूख से मरने लगे. भूख से मर रही जनता का दुख वीरनारायण सिंह से देखा नहीं गया और वीरनारायण सिंह ने कसडोल के साहूकारों का अनाज गोदाम लूटकर अपनी भूखी जनता में बंटवा दिया. साहूकारों ने इसकी शिकायत अंग्रेजों से की. वीर नारायण सिंह के खिलाफ हुई अंग्रेज साहूकारों की शिकायत के बाद अंग्रेजों ने शहीद वीरनारायण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और वीर नारायण को पकड़ने की कवायद शुरू कर दी. अंग्रेजों ने वीरनारायण सिंह को पकड़ने के लिए सोनाखान में चढ़ाई कर दिया. वीरनारायण सिंह काफी बहादुर थे और अंग्रेजों से अकेले लोहा लेते थे. अंग्रेजों से मुकाबला करने के लिए वीरनारायण सिंह ने कुरुपाठ नामक पहाड़ी को चुना. घने जंगलों के बीच पहाड़ों में वीरनारायण सिंह गुफाओं में आकर रहने लगे. अंग्रेजों पर जीत हासिल करने के लिए वह दंतेश्वरी देवी की पूजा अर्चना करते थे...

Raipur 1857 Independence Revolutionary Veer Narayan Singh Shaheed Diwas 10 December ANN

Raipur News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की जमीन में सबसे बड़े क्रांतिकारी शहीद वीर नारायण सिंह की शनिवार पुण्य तिथि है. 10 दिसंबर 1857 में अंग्रेजों ने रायपुर के बीच चौराहे पर नारायणसिंह को फांसी पर लटका दिया था. इस लिए इस दिन को पूरे प्रदेश में वीर नारायण सिंह के बगावत की कहानी लोग याद करते है. चलिए आज उनकी पूरी कहानी जानते हैं कि जब छत्तीसगढ़ में सूखा पड़ा था तो कैसे अंग्रेजों के नाक के नीचे से इन्होंने अनाज भंडार लूट कर ग्रामीणों में बांट दिया था. दरअसल, वर्तमान छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले के सोनाखान इलाके के एक बड़े जमींदार थे वीर नारायण सिंह. नारायण सिंह बिंझवार की कहानी काफी दिलचस्प है. जिस समय ये क्रांति हुई, उसी समय अंग्रेजी सेना छत्तीसगढ़ में अपना कब्जा जमाना चाहते थे. तब नारायण सिंह ने अंग्रेजो की टेंशन बढ़ा दी थी. अंग्रेजों को नारायण सिंह को पकड़ने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा. कई दिनों तक नारायण सिंह और अंग्रेज फौज के बीच गोलीबारी चलती रही, लेकिन अंग्रेज नारायण सिंह को पकड़ नहीं पाए. ग्रामीणों की भूख मिटाने के लिए अनाज भंडार लूटा इतिहासकार बताते है कि 1856 में लगातार 3 साल तक लोगों को अकाल का सामना करना पड़ा. इससे इंसान तो इंसान जानवर तक को दाने-दाने के लिए तरस पड़ गया था. तब नारायण सिंह ने अनाज भंडार से अनाज लूटकर ग्रामीणों में बंटवाया था. सोनाखान इलाके में एक माखन नाम का व्यापारी था. जिसके पास अनाज का बड़ा भंडार था. इस अकाल के समय माखन ने किसानों को उधार में अनाज की मांग को ठुकरा दिया. तब ग्रामीणों ने नारायण सिंह से गुहार लगाई, तब जमींदार नारायण सिंह के नेतृत्व में ग्रामीणों ने व्यापारी माखन के अनाज भण्डार के ताले तोड़ दिए और अनाज ग्रामीणों में बांट दिय...

शहीद वीर नारायण सिंह

“शहीद वीरनारायण सिंह” शत-शत प्रणाम महानदी की घाटी और छत्तीसगढ़ की माटी के महान सपूत वीर नारायण सिंह को 10 दिसम्बर 1857 को रायपुर के चौराहे वर्तमान में जयस्तम्भ चौक पर बांध कर फाँसी दी गई बाद में उनके शव को तोप से उड़ा दिया गया.. “आदिवासियों के शेर कहे जाने वाले अमर शहीद वीरनारायण सिंह को राज्य के प्रथम स्वतन्त्रता सेनानी का दर्जा प्राप्त है…..देश की आजादी के लिए अपनी जाने देने वाले शहीद वीर नारायण सिंह जमींदार परिवार में जन्मे थे, चाहते तो अंग्रेजों के राज में भी आराम की जिंदगी जी सकते थे लेकिन उन्होंने आजादी को चुना और अंग्रेजों से बगावत कर दी। उनकी शहादत स्थल पर जय स्तंभ नाम का स्मारक बनवाया गया जो सालों से शहर की विभिन्न गतिविधियों का केंद्र बना हुआ है। कौन थे शहीद वीर नारायण सिंह? वीर नारायण सिंह का जन्म सन् 1795 में सोनाखान के जमींदार रामसाय के घ्रर हुआ। उनके पिता ने 1818-19 के दौरान अंग्रेजों तथा भोंसले के विरुद्ध तलवार उठाई लेकिन कैप्टन मैक्सन ने विद्रोह को दबा दिया । इसके बाद भी बिंझवार आदिवासियों के सामर्थ्य और संगठित शक्ति के कारण जमींदार रामसाय का उनके क्षेत्र में दबदबा बना रहा और अंग्रेजों ने उनसे संधि कर ली। अंग्रेजों की नीतियों के खिलाफ उठाई आवाज वीर नारायण सिंह पिता की निडरता और देशभक्ति देखते हुए बड़े हुए। पिता की मृत्यु के बाद 1830 में वे जमींदार बने। स्वभाव से परोपकारी, न्यायप्रिय तथा कर्मठ वीर नारायण जल्द ही लोगों के प्रिय जननायक बन गए। 1854 में अंग्रेजों ने नए ढंग से टकोली लागू की जिसके विरोध में आवाज उठाने के कारण रायपुर के तात्कालीन डिप्टी कमिश्नर इलियट उनके घोर विरोधी हो गए । व्यापारी का अनाज गरीबों में बंटवा दिया 1856 में छत्तीसगढ़ में सूखा पड़ गया, अ...

शहीद वीर नारायण सिंह इंटरनेशनल स्टेडियम, रायपुर पिच रिपोर्ट 2023

हालांकि इस मैदान पर आईपीएल व घरेलू सीरीज खेली गई है. और ये पिच बल्लेबाजों को काफी मदद करती है. गेंदबाज़ सही लाइन लेंथ रखकर बल्लेबाज़ों को परेशान कर सकते है. हालाकिं जैसे जैसे मैच आगे बढ़ेगा तो पिच स्पिन गेंदबाजों को मदद करना शुरू कर देगी. पिच के अनुसार भारत-न्यूज़ीलैंड का दूसरा वनडे हाई स्कोरिंग मैच हो सकता है.

IND vs NZ: रायपुर में पहली बार खेला जाएगा इंटरनेशनल मुकाबला, जानें पिच का मिजाज और इतिहास

रायपुर के स्टेडियम में पहली बार खेला जाएगा इंटरनेशनल मैच जानें पिच का मिजाज और इतिहास यहां आईपीएल के खेले गए हैं कुल 6 मुकाबले नई दिल्ली. भारत और न्यूजीलैंड (India vs New Zealand) के बीच जारी तीन मैचों की वनडे सीरीज का दूसरा मुकाबला 21 जनवरी को रायपुर के शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम (Shaheed Veer Narayan Singh International Cricket Stadium) में खेला जाएगा. इस रोमांचक मुकाबले में जब भारतीय टीम मैदान में उतरेगी तो उसकी केवल एक ही मंशा होगी, वह है जीत हासिल कर सीरीज पर अपना कब्जा जमाना. वहीं मेहमान टीम इस मुकाबले को जीतकर सीरीज में बने रहने का प्रयास करेगी. ऐसे में दूसरा वनडे मुकाबला दोनों टीमों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो गया है. मैच से पूर्व बात करें शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के इतिहास के बारे में तो वह कुछ इस प्रकार है- शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का इतिहास: शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम साल 2008 में बनकर तैयार हुआ. लेकिन यहां अबतक कोई अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला नहीं खेला गया है. इस बीच आईपीएल के कुल छह मैच खेले गए हैं. यही नहीं यहां रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज के कई ऐतिहासिक मुकाबले भी आयोजित हुए हैं. यह भी पढ़ें- बल्लेबाजों के लिए मददगार नहीं है रायपुर की पिच: शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम भारत की अन्य पिचों की तरह बल्लेबाजों के लिए ज्यादा मददगार नहीं रही है. लेकिन गेंदबाजों की यहां बल्ले बल्ले रही है. मैच जैसे जैसे आगे बढ़ता जाता है पिच और धीमी होती जाती है. इस बीच स्पिनर्स को खूब मदद मिलती है. तेज गेंदबाज भी अपनी स्लोअर और अन्य वैराइटी के गेंदबाजों से विपक्षी ब...