शिव चालीसा लिरिक्स

  1. "शिवोहम" लिरिक्स पढ़ें
  2. Shiv Chalisa Lyrics in Hindi PDF Download श्री शिव चालीसा
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"शिवोहम" लिरिक्स पढ़ें

“शिवोहम” 2023 की प्रसिद्ध फ़िल्म आदिपुरुष का गाना है। इसे सुरों से सजाया है अजय गोगावले ने व संगीतबद्ध किया है अजय-अतुल ने। मनोज मुन्ताशिर की क़लम ने जन्म दिया है इन ख़ूबसूरत शब्दों को। फ़िल्म में प्रभास, कृति सैनन, सैफ अली खान और अमिताभ बच्चन ने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ अदा की हैं। पढ़ें शिवोहम के बोल हिंदी में (Shivoham lyrics in Hindi)– ये तू कि मैं हूँ ये मैं हूँ कि तू कहाँ कोई अंतर शिवोहम् शिवोहम् आदिपुरुष से जुड़े तथ्य फिल्म आदिपुरुष वर्ष 2023 गायक / गायिका अजय गोगावले संगीतकार अजय-अतुल गीतकार मनोज मुन्ताशिर अभिनेता / अभिनेत्री प्रभास, कृति सैनन, सैफ अली खान, अमिताभ बच्चन विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम शिवोहम गीत को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस गाने को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें Shivoham रोमन में- Shivoham Lyrics in Hindi jaṭā jūṭa vairādhyaṃbara śivoham sadā śiva nirākāra śaṃkara śivoham ye tū ki maiṃ hū~ ye maiṃ hū~ ki tū kahā~ koī aṃtara śivoham śivoham diśā-diśā meṃ gūṃjatā pracaṃḍa śaṃka nāda hai tumhī ho bīja prāṇa kā tumhī se sarvanāśa hai śambho mahā śambho kahā~ koī tere jaisā bhaktoṃ meṃ tere kahā~ koī mere jaisā

Shiv Chalisa Lyrics in Hindi PDF Download श्री शिव चालीसा

भगवान भोलेनाथ जी को उनकी सौम्य प्रकृति के साथ-साथ उनके रौद्र रूप के लिए जाना जाता है, अपने भोले स्वरूप के कारण ही वे भोलेनाथ कहे जाते है, भगवान भोलेनाथ.. शिव चालीसा का पाठ करने से अपने किसी भी भक्त से आसानी से मान जाते है और अपने प्रिय भक्तों को उनका मनचाहा वरदान देते है। स्वागत है आपका इस लेख में आज हम भगवान भोलेनाथ के प्रिय शिव चालीसा (Shiv Chalisa Lyrics in Hindi ) के बारे में शिव चालीसा क्या है? शिव चालीसा का क्या महत्व है? तथा इसको लेकर भगवान भोलेनाथ की पूजन विधि के बारे में भी बात करेंगे। Table of Contents • • • • • • • शिव चालीसा क्या है? – शिव चालीसा को “शिव पुराण” नाम के ग्रंथ से लिया गया है और “शिव पुराण” के रचयिता “महर्षि वेद व्यास” हैं, यह पवित्र ग्रंथ देववाणी संस्कृत भाषा में लिखा गया है जिसमें 24 हजार श्लोक हैं। शिव चालीसा, भगवान शिव की आराधना (स्तुति) करने के लिए एक सम्पूर्ण पाठ है, इसमें चालीस पंक्तियाँ होने के कारण इसे “चालीसा” के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह पाठ भगवान “शिव” के नाम पर है तो इसका नाम “शिव चालीसा” रखा गया है। इस तरह शिव चालीसा का पाठ करके भक्त आसानी से अपने आराध्य भोलेनाथ को प्रसन्न कर लेते है और शिव जी के आशीर्वाद को प्राप्त करते है। श्री शिव चालीसा (Shiv Chalisa Lyrics in Hindi) – ॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान । कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥ ॥ चौपाई ॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 4 मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल स...

श्री शिव चालीसा लिरिक्स

• • • • • शिव चालीसा लिरिक्स इन हिंदी ॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥ ॥ चौपाई ॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के ॥ 2 अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 4 मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥ 6 नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 8 देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥ 10 तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 12 त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥ 14 दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 16 प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला ॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥ 18 पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥ सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 20 एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई ॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥ 22 जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी ॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 24 त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो ॥ 26 मात-...

Shiv Chalisa Lyrics in Hindi शिव चालीसा लिरिक्स

माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति स्वरुप को माता सिद्धिदात्री कहते हैं। नवरात्रि के नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री की पूजा आराधना की जाती है। इस ब्रहमांड की समस्त सिद्धियों को प्रदान करने वाली सिद्धिदात्री माता ही है। सिद्धिदात्री आठ सिद्धियां प्रदान करने वाली है। जो कोई भी मनुष्य पुरे श्रद्धा से सिद्धिदात्री माता की पूजा आराधना करता है। उसे सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। मार्कंडेय पुराण में आठ सिद्धियां बताई गई है जो निम्नानुसार है: अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, और वशित्व। माँ सिद्धिदात्री ने आठ सिद्धियां हनुमान जी को वरदान स्वरुप प्रदान की थी। पुराणों के अनुसार भगवान भोलेनाथ ने भी सिद्धिदात्री की कृपा से ही समस्त सिद्धियों को प्राप्त किया था। इसी कारण वे जगत में अर्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। केतु ग्रह पर माता सिद्धिदात्री का सम्पूर्ण प्रभाव है। इस कारण जिन लोगों को केतु गृह के कारण से जीवन में किसी भी तरीके की परेशानी आ रही हो या कोई कष्ट हो या कोई परेशानी हो तो उन्हें सिद्धिदात्री माता की सम्पूर्ण ह्रदय से पूजा आराधना करनी चाहिए। सिद्धिदात्री माता के सभ Meera Bai Bhajan Lyrics - काहें तेरी अखियों में पानी Kahe Teri Akhiyo Me Pani Lyrics स्थाई :- काहे तेरी अखियों में पानी, काहें तेरी अखियों में पानी | कृष्ण दीवानी मीरा, श्याम दीवानी, कृष्ण दीवानी मीरा, श्याम दीवानी | दीवानी दीवानी दीवानी, ओ मीरा प्रेम दीवानी, ओ मीरा कृष्ण दीवानी || अंतरा :- हँस के तू पिले विष का प्याला, हँस के तू पिले विष का प्याला | तोहे क्या डर तोरे संग गोपाला, तोहे क्या डर तोरे संग गोपाला || तेरे तन की ना होगी हानि, कृष्ण दीवानी मीरा, श्याम दीवानी, कृष्ण दीवानी मीरा, श्या...

Shiv Chalisa PDF Download

इस लेख मे हमने शिव चालीसा पीडीफ आपके साथ शेयर किया है. साथ ही में शिव चालीसा लिरिक्स और चोपाई भी दी हे. PDF Name शिव चालीसा PDF Size 2 MB Total Page 4 Language Hindi Download Link Give Below Total Downloads 290 शिव चालीसा – Shiv Chalisa Lyrics Hindi ।।दोहा।। श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥ मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥ दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥ कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥ जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै...

Shri Shiv Chalisa Lyrics श्री शिव चालीसा लिरिक्स

दोहा श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान । कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥ Mere Bhole Nath Lyrics Bhajan अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन छार लगाये ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देख नाग मुनि मोहे ॥ मैना मातु की ह्वै दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥ तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥ दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ वेद नाम महिमा तव गाई । अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला । जरे सुरासुर भये विहाला ॥ कीन्ह दया तहँ करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥ पूजन रामचंद्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥ सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भये प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥ जय जय जय अनंत अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै ॥ त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । यहि अवसर मोहि आन उबारो ॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥ मातु पिता भ्राता सब कोई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु अब संकट...

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नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ किया उपद्रव तारक भारी।देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ तुरत षडानन आप पठायउ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ आप जलंधर असुर संहारा।सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ भारी।पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ वेद माहि महिमा तुम गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।जरत सुरासुर भए विहाला॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई।नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥ जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥ त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥ मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥ धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥ अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ शंकर हो संकट के नाशन।मंगल कारण विघ्न विनाशन॥ योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।शारद नारद शीश नवावैं॥ नमो नमो जय नमः शिवाय।सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥ जो यह पाठ करे मन लाई।ता पर होत है शम्भु सहाई॥ ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।पाठ करे सो पावन हारी॥ पुत्र होन कर इच्छा जोई।निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥ पण्डित त्रयोदशी को लावे।...