श्रीराम गेहूं का बीज

  1. जानें कैसे करें गेहूं की बंपर पैदावार
  2. काले गेहूं की खेती करने का तरीका, उपज, बीज दर, साधारण गेहूं और काले गेहूं में अंतर
  3. Gehu Ki Kheti
  4. श्रीराम श्रीराम सुपर 303 गेहूं (40 किग्रा) बीज


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जानें कैसे करें गेहूं की बंपर पैदावार

हमारे देश में वैसे तो सभी धर्म व सम्प्रदाय के लोग रहते हैं और सभी धर्मों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन खाये व बनाये जाते हैं। इन सभी धर्मों में जिस फसल का सबसे ज्यादा उपयोग और उपभोग किया जाता है, वह हैः- गेहूँ। जी हाँ हमारे देश में गेहूँ सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाला खाद्य है और भारत वि‍श्‍वभर में दूसरे सर्वाधिक गेहूँ का उत्पादक है । रबी की फसलों में गेहूँ की फसल काफी महत्वपूर्ण है। यह वि‍श्‍व की जनसंख्या के लिए लगभग 20 प्रतिशत आहार कैलोरी की पूर्ति करता है। गेहूँ खाद्यान्न फसलों के बीच विशिष्ट स्थान रखता है। कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन गेहूँ के दो मुख्य घटक हैं। गेहूँ में औसतन 14 प्रोटीन व 72 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट होता है। गेहूँ की एक ऐसी फसल है जिसकी हर चीज काम में आती है। गेहूँ के दाने, दानों को पीस कर प्राप्त हुआ आटे से रोटी, डबलरोटी, कुकीज, केक, दलिया, पास्ता, सिवईं, नूडल्स आदि बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। गेहूँ का किण्वन कर शराब और जैवईंधन बनाया जाता है। गेहूँ के भूसे को पशुओं के चारे या घरों के छप्पर निर्माण की सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत में गेहूँ बहुतायत में उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार सहित मध्यप्रदेश व अन्य राज्यों में उगाया जाता है। अधिक उपज के लिए गेहूँ इस तरह उगाएं - तापमानः- बीजाई के समय 18 डिग्री सेन्टीग्रेड, उगने के समय 12 डिग्री सेन्टीग्रेड व कटाई के समय तापमान उच्च 25 डिग्री सेन्टीग्रेड होना चाहिए। वर्षाः- 50-100 से.मी. बारिश । मिट्टीः- गेहूँ के लिए दोमट या बलुई दोमट, बलुई, भारी चिकनी मिट्टी में उगाया जा सकता है। आमतौर पर दोमट मिट्टी गेहूँ की सभी प्रकार की किस्मों के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। खेत तैयार कैसे करें ? पहले ...

काले गेहूं की खेती करने का तरीका, उपज, बीज दर, साधारण गेहूं और काले गेहूं में अंतर

काले गेहूं की बुवाई समय से एवं पर्याप्त नमी पर करना चाहिए. देर से बुवाई करने पर उपज में कमी होती है. जैसे-जैसे बुवाई में विलम्ब होता जाता है, गेहूं की पैदावार में गिरावट की दर बढ़ती चली जाती है. दिसंबर में बुवाई करने पर गेहूं की पैदावार 3 से 4 कु0/ हे0 एवं जनवरी में बुवाई करने पर 4 से 5 कु0/ हे0 प्रति सप्ताह की दर से घटती है. गेहूं की बुवाई सीडड्रिल से करने पर उर्वरक एवं बीज की बचत की जा सकती है. काले गेहूं की उत्पादन सामान्य गेहूं की तरह ही होता है. इसकी उपज 10-12 क्विंटल/ बीघा होता है. सामान्य गेहूं का भी औसतन उपज एक बीघा में 10-12 क्विंटल होता है. बीज दर एवं बीज शोधन (Seed Rate and Seed Treatment) पंक्तियों में बुवाई करने पर सामान्य दशा में 100 किग्रा० तथा मोटा दाना 125 किग्रा० प्रति है, तथा छिटकाव बुवाई की दशा में सामान्य दाना 125 किग्रा० मोटा-दाना 150 किग्रा० प्रति हे0 की दर से प्रयोग करना चाहिए. बुवाई से पहले जमाव प्रतिशत अवश्य देख ले. राजकीय अनुसंधान केन्द्रों पर यह सुविधा निःशुल्क उपलबध है. यदि बीज अंकुरण क्षमता कम हो तो उसी के अनुसार बीज दर बढ़ा ले तथा यदि बीज प्रमाणित न हो तो उसका शोधन अवश्य करें. बीजों का कार्बाक्सिन, एजेटौवैक्टर व पी.एस.वी. से उपचारित कर बुवाई करें. सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों में रेज्ड वेड विधि से बुवाई करने पर सामान्य दशा में 75 किग्रा० तथा मोटा दाना 100 किग्रा० प्रति हे0 की दर से प्रयोग करे. उर्वरक व सिंचाई(Fertilizers and Irrigation) खेत की तैयारी के समय जिंक व यूरिया खेत में डालें तथा डीएपी खाद को ड्रिल से दें. बोते समय 50 किलो डीएपी, 45 किलो यूरिया, 20 किलो म्यूरेट पोटाश तथा 10 किलो जिंक सल्फेट प्रति एकड़ दें. पहली सिंचाई के समय 60 किलो य...

Gehu Ki Kheti

भारत में गेहू की फसल मुख्य फसल के रूप में मानी जाती है। Gehu Ki Kheti (गेहूं की खेती) मुख़्य रूप से सबसे ज्यादा पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्तान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में की जाती है। गेहूं विश्व की प्रमुख खाद्यान्न है जिसकी खेती पुरे विश्व में की जाती है।यह रब्बी की फसल है, यह फसल ठंड की मौसम में की जाती है।जीतनी ज्यादा ठंड उतने अच्छी इसकी फसल आती है और उत्पादन क्षमता भी बढ़ती है। रब्बी की फसल यह अक्टूबर, नवम्बर, दिसम्बर और जनवरी महीने में की जाती है और यह वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाय तो घास कुल का पौधा है. हमारे यहाँ गेहूं का उपयोग मुख़्य रूप से रोटी बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। और उसके साथ साथ गेहूं से आटा, कुकीज़, दलिया, नूडल्स, पास्ता, केक, ब्रेड बनाया जाता है। गेहुंका किण्वन करके शराब बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। जैव ईंधन बनाने के लिए भी इसका उपयोग होता है, गेहूं से निकलने वाला भूसा वह पशुवों के खाद के लिए उपयोग किया जाता है। गेहूं पशु पक्षियों के खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. गेहूं का विश्व में सबसे अधिक क्षेत्रफल चीन के बाद भारत सबसे विशालतम उत्पादक देश है। गेहूं में कार्बोहायड्रेट और प्रोटीन यह दो मुख्य घटक होते है। गेहूं में 11-12 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा है। किसान भाइयों को इसकी खेती करने में बहोत ही दिक्कते आती है। उन दिक्कतों को आसान करने के लिए किन बातो पे ध्यान रखना है। यह खेती बड़ी के माध्यम से समझाने का प्रयास किया है। इसलिए आप यह लेख अंत तक पढ़े. Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • Gehu Ki Kheti | गेहूं की खेती वैज्ञानिक तरीकेसे कमाए प्रति एकड़ 35-40 क्विंटल का उत्पादन गेहूं की अधिकतम पैदावार के लिए हमें किन...

श्रीराम श्रीराम सुपर 303 गेहूं (40 किग्रा) बीज

मुख्य बिंदु: बुआई का समय रबी ! बुवाई की पद्धति ड्रिलिंग (सीड ड्रिल मशीन ) ! बुवाई की दूरी 20 सेमी. x 10 सेमी. अतिरिक्त विवरण आकर्षक, चमकदार और बोल्ड (मोटे) दाने और स्पाइक (बाली) के निकलने की अवधि 99 दिन ! विशेष टिपण्णी यहां दी गई जानकारी केवल संदर्भ के लिए है, फसल की पैदावार विशेष रूप से मिट्टी के प्रकार और जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करती है। संपूर्ण उत्पाद की जानकारी और उपयोग के लिए एवं निर्देशों के लिए हमेशा उत्पाद लेबल और साथ में लीफलेट देखें।