Swastik ka design

  1. KA Design Presents..The Swastika T
  2. swastik benefits
  3. स्वास्तिक से दूर करें 'वास्तु दोष', जानिए इसका महत्व
  4. स्वस्तिक कब क्यों कहाँ बनाते हैं व इसका लाभ और महत्त्व क्या है


Download: Swastik ka design
Size: 71.18 MB

KA Design Presents..The Swastika T

• Share on Gettr • Facebook Share on Facebook • Twitter Share on Twitter • Linkedin Share on LinkedIn • Telegram Share on Telegram • WhatsApp Share on WhatsApp • Email Share via Email In what I can only guess seemed like a good idea at the time (that time perhaps being when the people involved were under the influence of hallucinogens), a group called KA Design is The US-based clothing design website Teespring is selling tee shirts and sweatshirts branded with swastikas, aiming to make them a “symbol of love and peace.” The designs, created by KA Designs and sold on the site, all display large swastikas in the front. One shows the Nazi-associated symbol in rainbow colors with the word “Peace,” another one with the word “Zen,” one reading “Love” and a third design, in black, shows a spiral of swastikas. They range in price from $20 to $35. “Here at KA we explore boundaries. We push them forward,” the company wrote as a description for the products. “Let’s make the Swastika a symbol of Love and Peace. Together, we can succeed.” Before being used by Hitler’s Nazi regime, swastikas were recognized as Buddhist and Hindu signs carrying positive associations like harmony and good fortune. KA Designs is attempting to relate the now-negative sign to its more amicable origins. The company even made a promotional video claiming that the Nazis “took the swastika, rotated it 45 degrees, and turned it into a symbol of hatred, fear, war, racism, power.” “They stigmatized the swastika, th...

play

A design company that claims to be based “somewhere in Europe” has attracted heavy criticism after launching a line of tee-shirts, sweaters, and hoodies emblazoned with the swastika. KA design says it wants to reclaim the symbol infamously used by the Nazis and return it to its original meaning of peace and love. The clothing line set a white swastika against a colourful backdrop resembling the rainbow flag popularised at gay pride events. KA design launched the line last month, selling items on Teespring website. According to Dazed magazine, which interviewed those behind the controversial line, there are no fashion designers on the team. KA design’s presence went largely unnoticed until social media users discovered its online marketing. In a launch video, KA design says the Nazis “took the swastika, rotated it by 45 degrees, and turned it into hatred, and turned it into fear, and turned it into war, and turned it into racism”. Swastika origins The swastika and its variants were central to a number of ancient cultures, most notably to Indo-Aryan peoples who invaded and settled in the Indian sub-continent in the early Bronze Age, around 4,000 to 5,000 years ago. The symbol carries religious importance for a number of Indian religions, including Hinduism, and the word itself derives from the Sanskrit language, which was spoken in ancient India and continues to hold liturgical importance for Hindus. The Nazis later appropriated the symbol as part of their race-based mytholo...

swastik benefits

ऋग्वेद में स्वस्तिक के देवता सवृन्त का उल्लेख है। स्वस्तिक का आविष्कार आर्यों ने किया और पूरे विश्‍व में यह फैल गया। भारतीय संस्कृति में इसे बहुत ही शुभ कल्याणकारी और मंगलकारी माना गया है। स्वस्तिक शब्द को 'सु' और 'अस्ति' दोनों से मिलकर बना है। 'सु' का अर्थ है शुभ और 'अस्तिका' अर्थ है होना यानी जिससे 'शुभ हो', 'कल्याण हो' वही स्वस्तिक है। आओ जानते हैं इसके 11चमत्कारिक प्रयोग। पंच धातु का स्वस्तिक बनवा के प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद चौखट पर लगवाने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। चांदी में नवरत्न लगवाकर पूर्व दिशा में लगाने पर वास्तु दोष दूर होकर लक्ष्मी प्रप्ति होती है। वास्तुदोष दूर करने के लिए 9 अंगुल लंबा और चौड़ा स्वस्तिक सिंदूर से बनाने से नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मकता में बदल जाती है। 2. घर आंगन में बनाएं स्वस्तिक : घर या आंगन के बीचोबीच मांडने के रूप में स्वस्तिक बनाया जाता है। इसे बनाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जाती है। स्वस्तिक के चिह्न को भाग्यवर्धक वस्तुओं में गिना जाता है। पितृ पक्ष में बालिकाएं संजा बनाते समय गोबर से स्वस्तिक बनाती है। इससे घर में शुभता, शां‍ति और समृद्धि आती है और पितरों की कृपा भी प्राप्त होती है। 3. मांगलिक कार्यों में लाल पीले रंग का स्वस्तिक : अधिकतर लोग स्वस्तिक को हल्दी से बनाते हैं। ईशान या उत्तर दिशा की दीवार पर पीले रंग का स्वस्तिक बनाने से घर में सुख और शांति बनी रहती है। यदि कोई मांगलिक कार्य करने जा रहे हैं तो लाल रंग का स्वस्तिक बनाएं। इसके लिए केसर, सिंदूर, रोली और कुंकुम का इस्मेमाल करें। धार्मिक कार्यों में रोली, हल्दी या सिंदूर से बना स्वस्तिक आत्मसंतुष्‍टी देता है। त्योहारों पर द्वार के बाहर रंगोली के साथ कुमकुम, सिंदूर या ...

स्वास्तिक से दूर करें 'वास्तु दोष', जानिए इसका महत्व

इसीलिए किसी भी मांगलिक या शुभ कार्य के अवसर पर स्वास्तिक बनाने की परंपरा सदियों से हिंदू धर्म में चली आ रही है। कहा जाता है कि स्वास्तिक बनाने के दौरान उसकी चार भुजाएं समानांतर रहती हैं और इन चारों भुजाओं का बड़ा धार्मिक महत्व है। वस्तुतः इन्हें चार दिशाओं का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि यह चार वेदों के अलावा, चार पुरुषार्थ जिनमें धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष शामिल है, का प्रतीक हैं। सिर्फ हिंदू धर्म ही क्यों स्वास्तिक का उपयोग आपको बौद्ध, जैन धर्म और हड़प्पा सभ्यता तक में भी देखने को मिलेगा। बौद्ध धर्म में स्वास्तिक को "बेहद शुभ हो" और "अच्छे कर्म" का प्रतीक माना जाता है। स्वस्तिक का चिन्ह भगवान बुद्ध के हृदय, हथेली और पैरों में देखने को मिल जायेगा। इसके अलावा जैन धर्म की बात करें, तो जैन धर्म में यह सातवां जिन का प्रतीक है, जिसे तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ के नाम से भी जानते हैं। श्वेताम्बर जैनी स्वास्तिक को अष्ट मंगल का मुख्य प्रतीक मानते हैं। इसी प्रकार कहा जाता है कि हड़प्पा सभ्यता की खुदाई की गई तो वहां से भी स्वास्तिक का चिन्ह निकला था। स्वास्तिक से दूर करें 'वास्तु दोष' जी हां, अगर आपको लगता है कि आपके घर में वास्तु दोष आ गया है, तो वास्तुशास्त्री इसके लिए वास्तुशास्त्री घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ अष्टधातु या तांबे का स्वस्तिक लगाने की बात कहते हैं। आप अपने घर से नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करना चाहते हैं तो आपको 9 इंच लंबा और चौड़ा सिंदूर से दरवाजे पर व्यापार वृद्धि के लिए स्वस्तिक का प्रयोग अगर आपको लगातार अपने व्यापार में घाटा हो रहा है और लग रहा है कि तमाम प्रयासों के बावजूद आपका व्यापार आगे नहीं बढ़ रहा है तो आपको स्वस्तिक के माध्यम से वास्तु दोष निवारण करने की विधि...

स्वस्तिक कब क्यों कहाँ बनाते हैं व इसका लाभ और महत्त्व क्या है

स्वस्तिक Swastika एक महत्वपूर्ण मांगलिक प्रतीक चिन्ह है। किसी भी शुभ कार्य में सबसे पहले स्वस्तिक बनाया जाता है। क्या आप जानते है स्वस्तिक क्या है , क्यों बनाते हैं और इससे क्या लाभ मिलता है ? आइये जानें ये महत्वपूर्ण बातें – स्वस्तिक क्या है What is Swastik स्वस्तिक एक सांकेतिक चिन्ह है जिसमें लम्बी और आड़ी रेखा समकोण पर मिला कर एक विशेष तरीके से और आगे बढ़ाई जाती हैं। इसके चारों कोनो में बिंदु लगाए जाते हैं। इस चिन्ह को परमात्मा स्वरुप तथा अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है। विश्व भर में इससे मिलते जुलते चिन्ह हजारों वर्ष पहले से उपयोग में लाये जाते रहे हैं। स्वस्तिक क्यों बनाया जाता है swastika kyo banate he स्वस्तिक दो शब्दों से बना है – सु + अस्ति . इसका अर्थ है – शुभ हो अर्थात मंगलमय , कल्याणमय और सुशोभित अस्तित्व हो। यह शाश्वत जीवन और अक्षय मंगल को प्रगट करता है। स्वस्तिक सभी के लिए शुभ , मंगल तथा कल्याण भावना को दर्शाता है। इसे सुख समृद्धि तथा परमात्मा का प्रतीक माना जाता है। अतः शुभ कार्य में सबसे पहले स्वस्तिक बनाया जाता है। इसके अलावा यह चारों दिशाओं के अभिपति – पूर्व के इंद्र , पश्चिम के वरुण , उत्तर के कुबेर तथा दक्षिण दिशा के यमराज के अभय एवं आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए बनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में स्वस्तिक को प्रतिष्ठा , सफलता और उन्नति का प्रतीक माना गया है। इसका प्रयोग धनवृद्धि , गृहशान्ति, वास्तुदोष निवारण, भौतिक कामनाओं की पूर्ति, तनाव, अनिद्रा , क्लेश , निर्धनता से मुक्ति आदि के लिए भी किया जाता है । आर्य समाज के अनुसार स्वस्तिक का चिन्ह ब्राह्मी लिपि में लिखा गया ॐ है। जैन धर्म में इसी सातवे तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ तथा अष्टमंगल के प्रतीक के रूप में ...