अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण व्यवस्था

  1. प्रश्न : अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण नीति पर निबंध लिखिए। HISTORY इतिहास question answer collection
  2. अलाउद्दीन की शासन की नीति बाजार नियंत्रण व्यवस्था के बारे में बताएं? » Alauddin Ki Shasan Ki Niti Bazaar Niyantran Vyavastha Ke Bare Mein Batayen
  3. अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए । Describe the market control policy of Alauddin Khilji.
  4. जलालुद्दीन फिरोज खिलजी के बाद दिल्ली का सुल्तान कौन बना? – ElegantAnswer.com
  5. अलाउद्दीन खिलजी की पाँच बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए । Answer... इतिहास question answer collection


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प्रश्न : अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण नीति पर निबंध लिखिए। HISTORY इतिहास question answer collection

प्रश्न : 12 . अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण नीति पर निबंध लिखिए। / अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियन्त्रण नीति का संक्षेप में वर्णन कीजिए। / अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियन्त्रण नीति का वर्णन कीजिए । अलाउद्दीन खिलजी की पाँच बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए । उत्तर- साम्राज्य विस्तार हेतु अलाउद्दीन को विशाल सेना की आवश्यकता थी। कम वेतन पर विशाल सेना रखी जा सके इस हेतु उसने बाजार नियंत्रण नीति को लागू किया, जिससे सैनिक कम वेतन में जीवन निर्वाह कर सकें। अपनी नीति को सफल बनाने हेतु उसने निम्नलिखित कार्य किए (1) मूल्य नियंत्रण-अलाउद्दीन के आर्थिक सुधारों में बाजार मूल्य नियंत्रण का अपना अलग महत्व है। बाजार की हर चीज का भाव सुनिश्चित कर दिया गया। दुकानदार निश्चित कीमत पर चीजें बेचते थे। सुई तथा कंघी तक के भाव निश्चित थे। (2) बाजारों का सतत् निरीक्षण-मूल्य नियंत्रण के लिए ‘दीवान ए रियासत' नामक एक स्वतंत्र विभाग की स्थापना की गई। बाजार पर दो अधिकारियों का नियंत्रण रहता था। ‘दीवान-ए-रियासत’ और ‘शाहाना-एमण्डी' । ये अधिकारी सही तौल पर निगरानी रखते थे और यह देखते थे कि निश्चित कीमत पर चीजें बिक रही। हैं या नहीं। (3) वस्तुओं का मूल्य निर्धारण-सुल्तान ने बाजार व्यवस्था को सफल बनाने के लिए सभी आवश्यक वस्तुओं के मूल्य निर्धारित कर दिए थे। जैसे-गेहूँ 7 जीतल प्रति मन, जौ चार जीतल प्रति मन, धान पाँच जीतल प्रति मन, मांस 5 जीतल प्रति मन, घोड़ा, 65 से 120 टंक, गाय 3 से 4 टंक। निर्धारित मूल्य से अधिक पर कोई वस्तु नहीं बेची जा सकती थी। (4) वस्तुओं की पूर्ति व वितरण व्यवस्था-वस्तुओं के लिए बाजार निश्चित थे। गल्ला मण्डी में मिलता था। कपड़ा बाजार को सराय-ए-अदल कहते थे। घोड़े, गुलाम अन्य पशुओं के लिए...

अलाउद्दीन की शासन की नीति बाजार नियंत्रण व्यवस्था के बारे में बताएं? » Alauddin Ki Shasan Ki Niti Bazaar Niyantran Vyavastha Ke Bare Mein Batayen

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। अलाउद्दीन की शासन नीति एवं बाजार नियंत्रण व्यवस्था के बारे में जानना चाहते हैं आप तो देखिए अलाउद्दीन खिलजी एक बहुत महत्वाकांक्षी शासक हुआ करता था उसने अपने चाचा जलालुद्दीन फिरोज खिलजी को जान से मार डाला और दिल्ली सल्तनत पर कब्जा कर लिया इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने सिकंदर की उपाधि धारण की और अपने साम्राज्य का विस्तार करना शुरू कर दिया उसने जालौर पर आक्रमण किया उसने गुजरात पर आक्रमण किया उसने चित्तौड़ पर आक्रमण किया जालौर बाड़मेर सिवाना दुर्ग के सभी पर आक्रमण किया और उनको जीत लिया उन पर कब्जा कर लिया अलाउद्दीन बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली और साम्राज्यवादी शासक से दुआ स्टाफ ने साम्राज्य की सीमा बहुत बढ़ा दी और एक शक्तिशाली शासक हुआ और अलाउद्दीन खिलजी की बाजार में डाली भी बहुत सख्त हुआ करते थे उसने कई सारे प्रतिबंध खेते व्यापारी भट्ट जैसे कि कुछ भी कम तोड़ने पर उनके हाथ काट दिए जाते थे वह टी-शर्ट प्रणाली अपना रखी थी और उसकी टैक्स जो व्यवस्था थी उसमें एक बटा दो हुआ करती थी यानी कि किसानों से एक बटा दो उनकी उपज का एक बटा दो एनी 50 पर सेंट ले लिया जाता था और अपने सैनी उसने कई सारे सैनिक सुधार भी करवाए थे अलाउद्दीन खिलजी ने alauddin ki shasan niti evam bazaar niyantran vyavastha ke bare mein janana chahte hain aap toh dekhiye alauddin khilji ek bahut mahatwakanshi shasak hua karta tha usne apne chacha jalaaluddin firoz khilji ko jaan se maar dala aur delhi sultanate par kabza kar liya iske baad alauddin khilji ne sikandar ki upadhi dharan ki aur apne samrajya ka vista...

अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए । Describe the market control policy of Alauddin Khilji.

साम्राज्य विस्तार हेतु अलाउद्दीन को विशाल सेना की आवश्यकता थी। कम वेतन पर विशाल सेना रखी जा सके इस हेतु उसने बाजार नियंत्रण नीति को लागू किया, जिससे सैनिक कम वेतन में जीवन निर्वाह कर सकें। अपनी नीति को सफल बनाने हेतु उसने निम्नलिखित कार्य किए मूल्य नियंत्रण :- अलाउद्दीन के आर्थिक सुधारों में बाजार मूल्य नियंत्रण का अपना अलग महत्व है। बाजार की हर चीज का भाव सुनिश्चित कर दिया गया। दुकानदार निश्चित कीमत पर चीजें बेचते थे। सुई तथा कंघी तक के भाव निश्चित थे। बाजारों का सतत् निरीक्षण :- मूल्य नियंत्रण के लिए ‘दीवान ए रियासत' नामक एक स्वतंत्र विभाग की स्थापना की गई। बाजार पर दो अधिकारियों का नियंत्रण रहता था। ‘दीवान-ए-रियासत’ और ‘शाहाना-एमण्डी' । ये अधिकारी सही तौल पर निगरानी रखते थे और यह देखते थे कि निश्चित कीमत पर चीजें बिक रही। हैं या नहीं। वस्तुओं का मूल्य निर्धारण :- सुल्तान ने बाजार व्यवस्था को सफल बनाने के लिए सभी आवश्यक वस्तुओं के मूल्य निर्धारित कर दिए थे। जैसे-गेहूँ 7 जीतल प्रति मन, जौ चार जीतल प्रति मन, धान पाँच जीतल प्रति मन, मांस 5 जीतल प्रति मन, घोड़ा, 65 से 120 टंक, गाय 3 से 4 टंक। निर्धारित मूल्य से अधिक पर कोई वस्तु नहीं बेची जा सकती थी। वस्तुओं की पूर्ति व वितरण व्यवस्था :- वस्तुओं के लिए बाजार निश्चित थे। गल्ला मण्डी में मिलता था। कपड़ा बाजार को सराय-ए-अदल कहते थे। घोड़े, गुलाम अन्य पशुओं के लिए बाजार अलग था। उपभोक्ताओं को राशन कार्ड दिया जाता था। राजधानी के दो अलग-अलग मुहल्लों में सरकारी दुकानें थीं। उपभोक्ता की संख्या देखकर दुकानों को चीजें दी जाती थीं। कठोर दण्ड व्यवस्था :– बाजार नियंत्रण के लिए कठोर दण्ड की व्यवस्था थी। शहाना-ए-मण्डी को आदेश था कि कम तौलने...

जलालुद्दीन फिरोज खिलजी के बाद दिल्ली का सुल्तान कौन बना? – ElegantAnswer.com

जलालुद्दीन फिरोज खिलजी के बाद दिल्ली का सुल्तान कौन बना? इसे सुनेंरोकेंजलालुद्दीन ख़िलजी की हत्या के षड़यंत्र में अलाउद्दीन ख़िलजी ने अपने भाई अलमास वेग की सहायता ली, जिसे बाद में ‘उलूग ख़ाँ’ की उपाधि से विभूषित किया गया। इस प्रकार अलाउद्दीन ख़िलजी ने उदार चाचा की हत्या कर दिल्ली के तख्त पर 22 अक्टूबर 1296 को बलबन के लाल महल में अपना राज्याभिषेक करवाया। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण नीति क्यों पेश की उन्होंने इसे कैसे लागू किया? इसे सुनेंरोकेंबिचौलियों पर कड़ी निगरानी रखी गई। दासों, घोड़ों और मवेशियों की श्रेणी निर्धारित की गई और इसी के अनुसार इसका मूल्य निर्धारित किया गया। इस प्रकार अलाउद्दीन खिलजी अपने जीवनकाल में मूल्य नियंत्रण व्यवस्था कर अपना लक्ष्य पाने में सफल रहा। अपनी बाजार नियंत्रण व्यवस्था के आधार पर उसने वस्तुओं के मूल्य निश्चित कर दिये। अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति का क्या नाम था? इसे सुनेंरोकेंइसके बाद वो लगातार तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए. अलाउद्दीन ख़िलजी के सैन्य कमांडर के रूप में मलिक काफ़ूर ने मंगोलियाई आक्रमणकारियों को हराया और इसके बाद दक्षिण भारत में अपने सुल्तान की जीत का परचम फहराया. किलोखरी महल कहाँ है? इसे सुनेंरोकें[[]] दिल्ली के रिंग मार्ग पर पड़ने वाला एक चौराहा है। किलोखरी किसकी राजधानी थी? इसे सुनेंरोकें1. 13 जून 1290 ई. में किसने खिलजी वंश की स्थापना की थी? खिलजी ने गुलाम वंश के शासक को समाप्त करके खिलजी वंश की स्थापना थी और किलोखरी (दिल्ली) को अपनी राजधानी बनाया था । अलाउद्दीन खिलजी द्वारा बाजार नियंत्रण के लिए किए गए प्रयास के पीछे क्या उद्देश्य था? इसे सुनेंरोकेंउसके समय में सैनिकों की भर्ती सेना मंत्री (आरिज-ए-मुमालिक) द्वारा की जाती थ...

अलाउद्दीन खिलजी की पाँच बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए । Answer... इतिहास question answer collection

Que : 271. अलाउद्दीन खिलजी की पाँच बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए । Answer: साम्राज्य विस्तार हेतु अलाउद्दीन को विशाल सेना की आवश्यकता थी। कम वेतन पर विशाल सेना रखी जा सके इस हेतु उसने बाजार नियंत्रण नीति को लागू किया, जिससे सैनिक कम वेतन में जीवन निर्वाह कर सकें। अपनी नीति को सफल बनाने हेतु उसने निम्नलिखित कार्य किए (1) मूल्य नियंत्रण-अलाउद्दीन के आर्थिक सुधारों में बाजार मूल्य नियंत्रण का अपना अलग महत्व है। बाजार की हर चीज का भाव सुनिश्चित कर दिया गया। दुकानदार निश्चित कीमत पर चीजें बेचते थे। सुई तथा कंघी तक के भाव निश्चित थे। (2) बाजारों का सतत् निरीक्षण-मूल्य नियंत्रण के लिए ‘दीवान ए रियासत' नामक एक स्वतंत्र विभाग की स्थापना की गई। बाजार पर दो अधिकारियों का नियंत्रण रहता था। ‘दीवान-ए-रियासत’ और ‘शाहाना-एमण्डी' । ये अधिकारी सही तौल पर निगरानी रखते थे और यह देखते थे कि निश्चित कीमत पर चीजें बिक रही। हैं या नहीं। (3) वस्तुओं का मूल्य निर्धारण-सुल्तान ने बाजार व्यवस्था को सफल बनाने के लिए सभी आवश्यक वस्तुओं के मूल्य निर्धारित कर दिए थे। जैसे-गेहूँ 7 जीतल प्रति मन, जौ चार जीतल प्रति मन, धान पाँच जीतल प्रति मन, मांस 5 जीतल प्रति मन, घोड़ा, 65 से 120 टंक, गाय 3 से 4 टंक। निर्धारित मूल्य से अधिक पर कोई वस्तु नहीं बेची जा सकती थी। (4) वस्तुओं की पूर्ति व वितरण व्यवस्था-वस्तुओं के लिए बाजार निश्चित थे। गल्ला मण्डी में मिलता था। कपड़ा बाजार को सराय-ए-अदल कहते थे। घोड़े, गुलाम अन्य पशुओं के लिए बाजार अलग था। उपभोक्ताओं को राशन कार्ड दिया जाता था। राजधानी के दो अलग-अलग मुहल्लों में सरकारी दुकानें थीं। उपभोक्ता की संख्या देखकर दुकानों को चीजें दी जाती थीं। (5) कठोर दण्ड व्यवस्था...