मोहर्रम कितना तारीख को है

  1. मुहर्रम 2023, 2024 और 2025
  2. मोहर्रम कितने तारीख को है 2022
  3. Muharram 2022 Know About Its Significance And History
  4. मुहर्रम क्यों मनाया जाता है
  5. मुहर्रम 2019 : ताजियों की परंपरा कैसे हुई शुरू, जानिए इसका इतिहास। Muharram tajia
  6. क्या है मोहर्रम की दस तारीख का महत्व
  7. What Is Moharram, Know Everything About This Great Martyrdom ..


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मुहर्रम 2023, 2024 और 2025

साल तारीख दिन छुट्टियां राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश 2023 28 जुलाई शुक्रवार मुहर्रम KL & OR 29 जुलाई शनिवार मुहर्रम सभी राज्य सिवाय AR, AS, CH, DN, DD, GA, HR, KL, MN, ML, NL, OR, PY, PB, SK & UK 2024 17 जुलाई बुधवार मुहर्रम सभी राज्य सिवाय AR, AS, CH, DN, DD, GA, HR, KL, MN, ML, NL, PY, PB, SK, UK & WB 2025 6 जुलाई रविवार मुहर्रम सभी राज्य सिवाय AR, AS, GA, HR, KL, MN, ML, NL, PY, PB, SK & UK 2026 26 जून शुक्रवार मुहर्रम सभी राज्य सिवाय AR, AS, GA, HR, KL, MN, ML, NL, PY, PB, SK & UK कृपया पिछले वर्षों की तारीखों के लिए पृष्ठ के अंत तक स्क्रॉल करें। इसे इस्लामी नव वर्ष या महीने के पहले 10 दिन के रूप में भी जाना जाता है, जो दुनिया भर के मुस्लिमों के लिए ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। सुन्नी और शिया दोनों मुहर्रम मनाते हैं, हालाँकि दोनों के तरीकों में भिन्नता होती है। मुहर्रम के महीने को दूसरे सबसे पवित्र महीने के रूप में माना जाता है, केवल रमज़ान ही इसके ऊपर है। हालाँकि, सात भारतीयों में से केवल एक मुस्लिम है, फिर भी इनकी जनसंख्या 170 मिलियन से अधिक है, जो मुहर्रम जैसे इस्लामी त्योहार को काफी व्यापक बनाता है। भारत की ज्यादातर मुस्लिम जनसंख्या सुन्नी है, लेकिन लगभग एक चौथाई भारतीय मुस्लिम शिया है, और कुछ दोनों समूहों में आते हैं और खुद को सूफी मानते हैं। हालाँकि, मुहर्रम के दौरान अन्य महत्वपूर्ण दिन होते हैं, लेकिन मुहर्रम का सबसे महत्वपूर्ण दिन 10वां दिन होता है, जिसे “अशुरा” के रूप में जाना जाता है, इसे भारत और दुनिया के अन्य स्थानों पर रहने वाले मुस्लिमों द्वारा मनाया जाता है। मुस्लिम मान्यता के अनुसार, अशुरा के दिन मुहम्मद के पोते इमाम हुसैन, 680 ईसवी में करबला के य...

मोहर्रम कितने तारीख को है 2022

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Muharram 2022 Know About Its Significance And History

Muharram 2022 Significance and History: इस्लामिक न्यू ईयर की शुरुआत 29-30 (Islamic New Year 2022) जुलाई से हो चुकी है. इसके साथ ही इस्लामिक कैलेंडर के नए महीने मुहर्रम (Muharram 2022) की शुरुआत हो जाती है. हर साल इस्लामिक कैलेंडर की शुरुआत की डेट बदलती रहती है. इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calender) को हिजरी कैलेंडर भी कहा जाता है और यह ग्रेगोरियन कैलेंडर से करीब 11 दिन छोटा होता है. इसमें 365 दिन के बजाय केवल 354 दिन ही होता है. क्या है मुहर्रम महीने का महत्व? हिजरी कैलेंडर का सबसे पहला महीना मुहर्रम के नाम से जाना जाता है. यह रमजान (Ramzan) के महीने के बाद दूसरा सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार इस्लामिक साल की शुरुआत 622AD में हुई. इस महीने को शोक का महीना भी कहा जाता है क्योंकि इस महीने में इमाम हुसैन जो की पैगंबर मोहम्मद के पोते थे उनकी शहादत हुई थी. ऐसे में इस शहादत को याद करते हुए ज्यादातर मुस्लिम मुहर्रम के दिन जुलूस और ताजिया निकालते हैं. इस दिन मातम मनाते हुए लोग खुद को पीटते हैं और अंगारों तक पर चलते हैं. इस साल कब मनाया जाएगा मुहर्रम का त्योहार पिछले साल मुहर्रम का त्योहार भारत में 20 अगस्त 2021 को मनाया गया था. इस साल यह त्योहार 8 या 9 अगस्त को मनाया जाएगा. मुहर्रम के दसवें दिन को आशूरा कहते हैं. आशूरा के दिन ही भारत में मोहर्रम (Muharram 2022) का त्योहार मनाया जाता है. इसी महीने इस्लामिक नया साल होता है. आशूरा का क्या है महत्व? आशूरा (Ashura) को इस्लामिक इतिहास में सबसे शोक भरे दिनों में से एक माना जाता है. ये एक प्रकार से मातम का पर्व होता है. इस दिन इमाम हुसैन की शहादत की याद में भारत समेत पूरी दुनिया में शिया मुसलमान काले कपड़े पहनक...

मुहर्रम क्यों मनाया जाता है

जहा एक तरफ हिन्दू धर्म में दिवाली व होली, जैन धर्म में संवत्सरी और बौद्ध धर्म में वेसाक का महत्व हैं उसी तरह से मुस्लिम धर्म में भो कुछ त्यौहार जैसे की ईद और मुहर्रम का महत्व हैं. आप सभी ने मुहर्रम न नाम जरूर सुना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं की मुहर्रम क्या हैं और मुहर्रम क्यों मनाया जाता हैं? आज के इस लेख में हम इसी बारे में बात करेंगे। मुहर्रम एक मुस्लिम त्यौहार हैं. मुस्लिम सम्प्रदाय के लिए मुहर्रम एक बेहद ही पवित्र त्यौहार हैं. कहा जाता हैं की हिंदुओ के लिए जितनी पवित्र होली होती हैं मुसलमानों के लिए उतना ही पवित्र मुहर्रम होता हैं. जिस तरह से अंग्रेजी कलेंडर में जनवरी, फरवरी आदि महीने होते हैं उसी तरह से हिंदी माह में वैशाख आदि महीने होते हैं। लगभग हर धर्म की विभिन्न मान्यताओं के अनुसार उनका एक अलग समय या फिर कहें तो कैलेंडर होता है जिसमें अलग अलग महीने होते हैं. मुहर्रम से इस्लामिक कलैण्डर का नया साल शुरू होता हैं. तो चलिए आज के इस article मुहर्रम क्यूँ मनाया जाता है में हम इस मुहर्रम के बारे में जानते हैं। क्या मुहर्रम ख़ुशी का महीना है? मुहर्रम क्या है – What is Muharram in Hindi मुहर्रम इस्लामी वर्ष यानी हिजरी सन्‌ (मुस्लिम कलेंडर) का पहला महीना माना जाता हैं. मुहर्रम का महीना मुस्लिमो के लिए काफी पवित और 4 पवित्र महीनों में से एक माना जाता हैं. अन्य तीन पवित्र महीने जुल्कावदाह, जुलहिज्जा और रजब हैं. मान्यताओं के अनुसार खुद पैगम्बर मुहम्मद ने इन 4 महीनों को पवित्र बताया था। जिस तरह से हिन्दू कलैण्डर के अनुसार ही हनरे त्यौहार आते हैं और दीवाली हर साल अलग अलग अलग अलग डेट को आती हैं उसी तरह मुस्लिम त्यौहार भी मुस्लिम महीनों के अनुसार मनाई जाती हैं. कहा जाता हैं की इ...

मुहर्रम 2019 : ताजियों की परंपरा कैसे हुई शुरू, जानिए इसका इतिहास। Muharram tajia

भारत में ताजिए के इतिहास और बादशाह तैमूर लंग का गहरा रिश्ता है। तैमूर बरला वंश का तुर्की योद्धा था और विश्व विजय उसका सपना था। सन्‌ 1336 को समरकंद के नजदीक केश गांव ट्रांस ऑक्सानिया (अब उज्बेकिस्तान) में जन्मे तैमूर को चंगेज खां के पुत्र चुगताई ने प्रशिक्षण दिया। सिर्फ 13 वर्ष की उम्र में ही वह चुगताई तुर्कों का सरदार बन गया। फारस, अफगानिस्तान, मेसोपोटामिया और रूस के कुछ भागों को जीतते हुए तैमूर भारत (1398) पहुंचा। उसके साथ 98000 सैनिक भी भारत आए। दिल्ली में मेहमूद तुगलक से युद्ध कर अपना ठिकाना बनाया और यहीं उसने स्वयं को सम्राट घोषित किया। तैमूर लंग तुर्की शब्द है, जिसका अर्थ तैमूर लंगड़ा होता है। वह दाएं हाथ और दाए पांव से पंगु था। 68 वर्षीय तैमूर अपनी शुरू की गई ताजियों की परंपरा को ज्यादा देख नहीं पाया और गंभीर बीमारी में मुब्तिला होने के कारण 1404 में समरकंद लौट गया। बीमारी के बावजूद उसने चीन अभियान की तैयारियां शुरू कीं, लेकिन 19 फरवरी 1405 को ओटरार चिमकेंट के पास (अब शिमकेंट, कजाकिस्तान) में तैमूर का इंतकाल (निधन) हो गया। लेकिन तैमूर के जाने के बाद भी भारत में यह परंपरा जारी रही।

क्या है मोहर्रम की दस तारीख का महत्व

इसी दिन अय्यूब अलैहिस्सलाम को लंबी बीमारी से स्वास्थ्य लाभ मिला था। दस मोहर्रम को ही यूनुस अलैहिस्सलाम मछली के पेट से बाहर निकले थे। आशूरे के दिन यानी 10 मुहर्रम को एक ऐसी घटना हुई थी, जिसका विश्व इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। इराक स्थित कर्बला में हुई यह घटना दरअसल सत्य के लिए जान न्योछावर कर देने की जिंदा मिसाल है। इस घटना में हजरत मुहम्मद के नवासे (नाती) हजरत हुसैन को शहीद कर दिया गया था। हजरत हुसैन इराक के शहर करबला में यजीद की फौज से लड़ते हुए शहीद हुए थे।

What Is Moharram, Know Everything About This Great Martyrdom ..

नई दिल्ली: आखिर मोहर्रम है क्या? आइए बताते हैं- इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार साल का पहला महीना मोहर्रम होता है और मोहर्रम महीने की 10 तारीख को आशूरा कहा जाता है. इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम का महीना गम का महीना माना जाता है. इस महिने में खुदा के भेजे हुए आखिरी नबी हजरत मोहम्मद (स.अ.) के नवासे शहीद हुए थे. आज से तकरीबन 1400 साल पहले सीरिया का एक शासक बना. उस बादशाह का नाम था यज़ीद (ला.). यज़ीद हर बुरे काम को जायज़ बताता था और हर बेगुनाह पर ज़ुल्म करता रहता था. यज़ीद चाहता था कि वो अपने अनुसार कानून बनाए. यजीद इस्लाम को अपने ढंग से चलाना चाहता था. हर इंसान उसकी बात को माने और उसी के कानून को माने. यज़ीद के ज़ुल्म की वजह से वहां के हज़ारों लोगों ने पैगम्बर मोहम्मद (स.) के नवासे इमाम हुसैन अ.स. को मदीने में खत लिखे कि वो यहां आएं और हमें नेक रास्ते की हिदायत दें. इमाम हुसैन अ.स. कौन थे और लोगों ने क्यों इमाम हुसैन अ.स. को खत लिखा... अल्लाह (स.व.) ने अपने 1 लाख 24 हज़ार नबी (अ.स.) ज़मीन पर भेजे .. जिनमें आखिरी नबी (स.अ.) हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स.अ.) थे. जो सभी नबियों से ज़्यादा अफज़ल हैं. हज़रत मोहम्मद (स.अ) के दामाद व चाचा ज़ात भाई हज़रत अली (अ.स.) और उनकी बेटी जनाबे फातेमा ज़ेहरा (स.अ.) थीं जिनके 2 बेटे थे. पहले थे इमाम हसन अ.स. जिन्हे जहर देकर मार दिया गया था और दूसरे थे इमाम हुसैन अ.स. इमाम हुसैन अ.स. अपने नाना हज़रत मोहम्मद स.अ.व.स. के नेक रास्ते पर चलते थे.. इमाम हुसैन अ.स. बेसहारा को सहारा देना.. किसी पर ज़ुल्म ना करना, सच का साथ देना.. हक़ को हक़दार तक पहुंचाना, इंसानियत को बचाना समेत हमेशा हलाल काम की तरफ ही रहते थे. इमाम हुसैन अस की शान में जितना लिखें उतना कम है....