कनकधारा


कनकधारा स्तोत्र की रचयिता श्री शंकराचार्य थे | उन्होंने हिंदू धर्म को व्यवस्थित करने का भरपूर प्रयास किया। उन्होंने हिंदुओं की सभी जातियों को इकट्ठा.



कनकधारा स्तोत्र का उद्भव कैसे हुआ। एक दिन आदि गुरु शंकराचार्य अपने दोपहर के भोजन के लिए घर घर भिक्षा मांगने गए। एक घर में भिक्षा मांगते समय एक बहुत गरीब.



कनकधारा स्तोत्र यानी स्वर्ण अर्थात धन की वर्षा करने वाला मंत्र और स्तोत्र जिसकी रचना भगवान शिव के अंशावतार आदिगुरु शंकराचार्य ने.



कनकधारा स्तोत्र इस स्तोत्र का पाठ करते-करते शंकराचार्य जी के अश्रु किसी झरने की तरह बहने लगे। जैसे ही स्तोत्र का खत्म हुआ तुरंत वहां.



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कनकधारा स्तोत्र गीता प्रेस गोरखपुर PDF. Size: 2.65 | Pages: 1 | Source (s)/Credits: drive.google.com | Language: Hindi. कनकधारा स्तोत्र गीता प्रेस गोरखपुर PDF download using the link given below. Added on 02 Nov, 2022 by.