सरस्वती मंत्र

  1. सरस्वती मंत्र
  2. Neel Saraswati Stotram
  3. Devi Saraswati: इस समय बोली गई बात होती है हमेशा सच, मांगी गई हर इच्छा पूरी करती हैं मां सरस्वती
  4. सरस्वती मंत्र, Saraswati Mantra, maa saraswati mantra, saraswati puja mantra
  5. मंत्र: नीलसरस्वती स्तोत्रम्


Download: सरस्वती मंत्र
Size: 55.37 MB

सरस्वती मंत्र

सरस्वती मंत्र, बुद्धि और अंतर्दृष्टि की देवी सरस्वती मां के प्रति अपनी श्रद्धा और निष्ठा भाव दर्शाने का तरीका है। देवी सरस्वती को भगवान ब्रह्मा की रचना माना जाता है और वह उनकी समग्र बुद्धि का मूर्त रूप हैं। देवी को महाभारत, पद्माक्ष, वरप्रदा, दिव्यांग और कई अन्य उपाधियाँ दी गई हैं। ऐसा माना जाता है कि वह अपनी बुद्धि से भगवान ब्रह्मा के अव्यवस्थित क्षेत्र को व्यवस्थित करती हैं। देवी सरस्वती ज्ञान के क्षेत्र की अधिष्ठाता हैं। संगीतकार, शिक्षाविद, वैज्ञानिक और कलाकार सभी उनका सम्मान करते हैं। अपनी कौशल और रचनात्मक प्रतिभा को बेहतर बनाने के लिए उनकी उपासना करते हैं। विद्या, संगीत, शिल्प, बुद्धि, कला और शुभता की देवी सरस्वती को वेदों और शिक्षण, गायन, कौशल, ज्ञान, अनुशासन और अनुग्रह की माता के रूप में भी सम्मानित किया जाता है। वह संचार, उस विधि या दिव्य शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है जिसका उपयोग ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण करने के लिए किया था। परिणाम स्वरूप उन्हें वाच देवी के नाम से भी जाना जाता है। ऋग्वेद में पहली बार सरस्वती का उल्लेख देवी के रूप में हुआ था। वह तभी से देवी के रूप में प्रसिद्ध हैं। हिंदू रीति-रिवाजों में मार्गदर्शन के लिए कलाकारों से लेकर वैज्ञानिकों तक सभी ने उनसे वैदिक काल से लेकर वर्तमान समय तक प्रार्थना की है। सरस्वती मंत्र: वे कैसे मदद करते हैं? (saraswati mantra : how do they help in hindi) मानवता की देवी मां सरस्वती के लिए सरस्वती मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। वह ऐसी देवी हैं, जिनके आशीर्वाद से आपको अपने सामाजिक कौशल में सुधार करने और किसी भी तरह से अपने ज्ञान का विस्तार करने में मदद मिल सकती है। सरस्वती मंत्र का जप करने से आप अपने मन को ज्योतिमान ...

Neel Saraswati Stotram

Neel Saraswati Stotram – नील सरस्वती स्तोत्रम् जो व्यक्ति अष्टमी, नवमी तथा चतुर्दशी तिथि को नील सरस्वती स्तोत्र अर्थ सहित (neel saraswati stotram) का पाठ करता है वह आने वाले छ: महीनों में सिद्धि प्राप्त कर लेता है. नील सरस्वती स्तोत्रम् का पाठ करने से मोक्ष की कामना करने वाला मोक्ष पा लेता है, धन चाहने वाला धन पाता है और विद्या चाहने वाला विद्या तथा तर्क-व्याकरण आदि का ज्ञान प्राप्त कर लेता है. neel saraswati stotram pdf जो मनुष्य भक्ति परायण होकर लगातार इस स्तोत्र का पाठ करता है उसके शत्रु का नाश हो जाता है और उसमें महान बुद्धि का उदय हो जाता है. जो व्यक्ति विपत्ति में, संग्राम में, मूर्खत्व की दशा में, दान के समय तथा भय की स्थिति में इस स्तोत्र को पढ़ता है उसका कल्याण हो जाता है, इसमें संदेह नहीं है. neel saraswati stotram lyrics जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि। द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।3।। सौम्यक्रोधधरे रूपे चण्डरूपे नमोSस्तु ते। सृष्टिरूपे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम्।।4।। जडानां जडतां हन्ति भक्तानां भक्तवत्सला। मूढ़तां हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।5।। वं ह्रूं ह्रूं कामये देवि बलिहोमप्रिये नम:। उग्रतारे नमो नित्यं त्राहि मां शरणागतम्।।6।। बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे। मूढत्वं च हरेद्देवि त्राहि मां शरणागतम्।।7।। इन्द्रादिविलसदद्वन्द्ववन्दिते करुणामयि। तारे ताराधिनाथास्ये त्राहि मां शरणागतम्।।8।। अष्टभ्यां च चतुर्दश्यां नवम्यां य: पठेन्नर:। षण्मासै: सिद्धिमाप्नोति नात्र कार्या विचारणा।।9।। मोक्षार्थी लभते मोक्षं धनार्थी लभते धनम्। विद्यार्थी लभते विद्यां विद्यां तर्कव्याकरणादिकम।।10।। इदं स्तोत्रं पठेद्यस्तु सततं श्रद्धयाSन्वित:। त...

Devi Saraswati: इस समय बोली गई बात होती है हमेशा सच, मांगी गई हर इच्छा पूरी करती हैं मां सरस्वती

Devi Saraswati: इस समय बोली गई बात होती है हमेशा सच, मांगी गई हर इच्छा पूरी करती हैं मां सरस्वती | astro tips know when does maa saraswati sit on tounge during the day and fulfill your every wish | Hindi News, Devi Saraswati: इस समय बोली गई बात होती है हमेशा सच, मांगी गई हर इच्छा पूरी करती हैं मां सरस्वती Maa Saraswati Mantra: अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि मुख से अच्छी बातों का उच्चारण करना चाहिए. क्योंकि दिनभर में एक समय ऐसा होता है, जब मुंह पर मां सरस्वती का वास होता है. ऐसे में व्यक्ति उस समय जो भी चीजें बोल रहा होता है, वे सच हो जाता है. ऐसें में व्यक्ति को हमेशा शुभ-शुभ बोलने की ही सलाह दी जाती है. ऐसी मान्यता है कि 24 घंटे में एक बार मां सरस्वती जुबान पर जरूर आती हैं और उस समय व्यक्ति के मुंह से बोली हर बात शुभ हो जाती है. कई बार किसी को काली जुबान कहकर भी बुलाते हैं. ऐसा इसिलए होता है क्योंकि अधिकतर उनके द्वारा की गई बुरी बातें सच होने लगती हैं. वहीं, दूसरी ओर किसी के द्वार की गई अच्छी बातें भी सच हो जाती हैं. अक्सर ये भी देखा गया है कि जो व्यक्ति अक्सर नकारात्मक बातें करता है, उसके साथ नकारात्मक चीजें होने लगती हैं. जानें जुबान पर कब बैठती हैं मां सरस्वती हिंदू शास्त्रों में सुबह 3 बजे के बाद के समय को ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि सुबह 3 बजे से लेकर 3 बजकर 15 मिनट तक का समय सर्वोत्तम होता है. अगर इस समय आप रोज कोई कामना करते हैं, तो वे इच्छा जल्द पूरी होती है. वहीं, सुबह 3 बजकर 20 मिनट से लेकर 3 बजकर 40 मिनट के बीच भी सरस्वती जीभ पर विराजमान होती है. ऐसा माना जाता है कि इस समय बोला गया हर वाक्य मां सरस्वती की जुबान से बोला जाका है. इसलिए व्यक्...

सरस्वती मंत्र, Saraswati Mantra, maa saraswati mantra, saraswati puja mantra

परीक्षा भय निवारण हेतु (Saraswati Mantra for Exams in Hindi)परीक्षा में डर ना लगें इसलिए इन मंत्रों का जाप करना लाभदायक माना जाता हैॐ ऐं ह्रीं श्रीं वीणा पुस्तक धारिणीम् मम् भय निवारय निवारय अभयम् देहि देहि स्वाहा।Om Ahem Hreem Shreem Veena Pustak Dharinim Mam Bhay Nivaranya Nivaranya abhyam dehi dehi swaha.

मंत्र: नीलसरस्वती स्तोत्रम्

जो व्यक्ति अष्टमी, नवमी तथा चतुर्दशी तिथि को इस स्तोत्र का पाठ करता है वह अपनी मोक्ष, धन, विद्या तथा तर्क ज्ञान जैसी कामनाओं को प्राप्त कर लेता है। जब व्यक्ति विपत्ति, संग्राम, मूर्खत्व की दशा, दान के समय तथा भय की स्थिति में इस स्तोत्र को पढ़ता है उसका कल्याण अवश्य होता है। घोर-रूपे महा-रावे सर्व शत्रु भयङ्करि । भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥१॥ ॐ सुर-सुरार्चिते देवि सिद्ध-गन्धर्व-सेविते । जाड्य-पाप-हरे देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥२॥ जटा-जूट-समा-युक्ते लोल-जिह्वान्त-कारिणि । द्रुत-बुद्धि-करे देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥३॥ सौम्य-क्रोध-धरे रूपे चण्ड-रूपे नमोऽस्तु ते । सृष्टि-रूपे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम् ॥४॥ जडानां जडतां हन्ति भक्तानां भक्त वत्सला । मूढतां हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥५॥ वं ह्रूं ह्रूं कामये देवि बलि-होम-प्रिये नमः । उग्र तारे नमो नित्यं त्राहि मां शरणागतम्॥६॥ बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे । मूढत्वं च हरेद्-देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥७॥ इन्द्रादि-विलसद्-द्वन्द्व- वन्दिते करुणा मयि । तारे तारा-धिना-थास्ये त्राहि मां शरणागतम् ॥८॥ अष्टम्यां च चतुर्दश्यां नवम्यां यः पठेन्-नरः । षण्मासैः सिद्धि-माप्नोति नात्र कार्या विचारणा ॥९॥ मोक्षार्थी लभते मोक्षं धनार्थी लभते धनम् । विद्यार्थी लभते विद्यां तर्क-व्याकरणा-दिकम् ॥१०॥ इदं स्तोत्रं पठेद् यस्तु सततं श्रद्धया-ऽन्वितः । तस्य शत्रुः क्षयं याति महा-प्रज्ञा प्रजायते ॥११॥ पीडायां वापि संग्रामे जाड्ये दाने तथा भये । य इदं पठति स्तोत्रं शुभं तस्य न संशयः ॥१२॥ इति प्रणम्य स्तुत्वा च योनि-मुद्रां प्रदर्शयेत् ॥१३॥ ॥ इति नीलसरस्वतीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥ मूल रूप घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयंकरि । भक्ते...