सतयुग के पहले क्या था

  1. 1 युग कितने साल के बराबर होता है? – ElegantAnswer.com
  2. हिन्दू काल गणना
  3. सतयुग में कौन से भगवान थे? – ElegantAnswer.com
  4. सत्य युग
  5. सतयुग का अंत कैसे हुआ
  6. सतयुग
  7. हिन्दू काल गणना
  8. सत्य युग
  9. सतयुग
  10. सतयुग का अंत कैसे हुआ


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1 युग कितने साल के बराबर होता है? – ElegantAnswer.com

1 युग कितने साल के बराबर होता है? इसे सुनेंरोकेंयुगों की काल गणना इस प्रकार है कि कृत युग में चार हजार वर्ष, त्रेता युग में तीन हजार, द्वापर में दो हजार और कलियुग में एक हजार वर्ष। टोटल कितने युग होते हैं? इसे सुनेंरोकेंमहर्षि व्यास जी के अनुसार सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग ये चार युग हैं, जो देवताओ के बारह हज़ार दिव्य वर्षो के बराबर होते हैंI समस्त चतुर्युग एक से ही होते हैंI आरम्भ सत्ययुग से होता है अंत में कलयुग होता हैI किसी भी जन्म में अपनी आज़ादी से किये गये कर्मों के मुताबिक आत्मा अगला शरीर धारण करती है। सतयुग से पहले क्या था? इसे सुनेंरोकें’सतयुग’ (पहला), ‘द्वापर’ (दूसरा), ‘त्रेता’ (तीसरा), तो त्रेता युग, द्वापर युग से पहले क्यों आया? भगवत पुराण में, यह कहा गया है कि धर्म चार स्तंभों पर खड़ा है जैसे कि एक बैल अपने चार पैरों पर कैसे खड़ा होता है। यह चार स्तंभ हैं सत्यता, तपस्या, पवित्रता और दयालुता। सत्ययुग पहला युग था। कलयुग कितना बाकी है? इसे सुनेंरोकेंकलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था, जब पांच ग्रह; मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्‍पति और शनि, मेष राशि पर 0 डिग्री पर हो गए थे। इसका मतलब 3102+2020= 5122 वर्ष कलियुग के बित चुके हैं और 426882 वर्ष अभी बाकी है। वर्तमान में यह 28वें चतुर्युगी का कृतयुग बीत चुका है और यह कलियुग चल रहा है। चारों युगों की आयु कितनी है? इसे सुनेंरोकेंइस गणना के अनुसार सत्य आदि चार युग संध्या (युगारंभ के पहले का काल) और संध्यांश (युगांत के बाद का काल) के साथ 12000 वर्ष परिमित होते हैं। चार युगों का मान 4000 + 3000 + 2000 + 1000 = 10000 वर्ष है; संध्या का 400 + 300 + 200 + 100 = 1000 वर्ष; संध्यांश का भी 1000 वर्ष है। कलयुग का कौन सा ...

हिन्दू काल गणना

प्राचीन समय चक्र आश्चर्यजनक रूप से एक समान हैं। प्राचीन भारतीय मापन पद्धतियां, अभी भी प्रयोग में हैं (मुख्यतः मूल सनातन हिन्दू धर्म के धार्मिक उद्देश्यों में)। इसके साथ साथ ही हिन्दू वैदिक ग्रन्थों मॆं लम्बाई-क्षेत्र-भार मापन की भी इकाइयाँ परिमाण सहित उल्लेखित हैं।यह सभी हिन्दू समय चक्र (श्लोक 11) वह जो कि श्वास (प्राण) से आरम्भ होता है, यथार्थ कहलाता है; और वह जो त्रुटि से आरम्भ होता है, अवास्तविक कहलाता है। छः श्वास से एक विनाड़ी बनती है। साठ श्वासों से एक नाड़ी बनती है। (12) और साठ नाड़ियों से एक दिवस (दिन और रात्रि) बनते हैं। तीस दिवसों से एक मास (महीना) बनता है। एक नागरिक (सावन) मास सूर्योदयों की संख्याओं के बराबर होता है। (13) एक चंद्र मास, उतनी चंद्र तिथियों से बनता है। एक सौर मास सूर्य के राशि में प्रवेश से निश्चित होता है। बारह मास एक वर्ष बनाते हैं। एक वर्ष को देवताओं का एक दिवस कहते हैं। (14) देवताओं और दैत्यों के दिन और रात्रि पारस्परिक उलटे होते हैं। उनके छः गुणा साठ देवताओं के (दिव्य) वर्ष होते हैं। ऐसे ही दैत्यों के भी होते हैं। (15) बारह सहस्र (हज़ार) दिव्य वर्षों को एक (16) चतुर्युगी की उषा और संध्या काल होते हैं। अनुक्रम • 1 समय • 1.1 नाक्षत्रीय मापन • 1.1.1 छोटी वैदिक समय इकाइयाँ • 1.2 चाँद्र मापन • 1.3 ऊष्ण कटिबन्धीय मापन • 1.4 अन्य अस्तित्वों के सन्दर्भ में काल-गणना • 1.5 पाल्या • 2 वर्तमान तिथि • 3 इन्हें भी देखें • 4 सन्दर्भ • 5 बाहरी कड़ियां (17) एक चतुर्युगी का दशांश को क्रमशः चार, तीन, दो और एक से गुणा करने पर कॄतयुग और अन्य युगों की अवधि मिलती है। इन सभी का छठा भाग इनकी उषा और संध्या होता है। (18) इकहत्तर चतुर्युगी एक (19) एक (20) एक कल्प में, एक...

सतयुग में कौन से भगवान थे? – ElegantAnswer.com

सतयुग में कौन से भगवान थे? इसे सुनेंरोकेंसतयुग में भगवान विष्णु के जो अवतार हुए हैं उनमें मत्सय अवतार, कूर्म अवतार, वाराह अवतार और नृसिंह अवतार शामिल हैं। भगवान विष्णु ने जो ये अवतार लिये वे शंखासुर के वध और वेदों के उद्धार सहित, पृथ्वी का भार हरण, हिरण्यकश्यपु के वध और भक्त प्रहलाद को मुश्किलों से बचाने के लिए थे। सतयुग में मनुष्य का आयु कितना था? इसे सुनेंरोकेंआपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि सतयुग 17,28,000 वर्ष तक रहा, ये युग चार पैरों पर खड़ा था और इस युग में मनुष्य की लंबाई 32 फिट होती थी, इसके साथ ही इस युग में व्यक्ति की उम्र एक लाख वर्ष थी। इस युग में कोई पापी नहीं था यानि पाप का प्रतिशत 0 था वहीं पुण्य का ग्राफ 100 प्रतिशत था। द्वापर युग की आयु कितनी है? इसे सुनेंरोकेंतीसरे नंबर पर है द्वापरयुग. इसकी आयु करीब 8,64,000 वर्ष थी और इसमें मनुष्य लगभग 1000 वर्ष तक की आयु तक जीवित रहे हैं. इस युग में मनुष्य की लंबाई 11 फीट हुआ करती थी. कंस के संहार के लिए भगवान कृष्ण का अवतार द्वापर में ही हुआ था. कलयुग कितने वर्षों का होता है? इसे सुनेंरोकेंकलियुग में मनुष्य की लम्बाई – 5.5 फिट बताई गई है। इस युग की पूर्ण आयु अर्थात् कालावधि – 4,32,000 वर्ष होती है । इस युग में मनुष्य की आयु – 100 वर्ष होती है । त्रेता युग में मनुष्य की लंबाई कितनी थी? इसे सुनेंरोकें2. त्रेतायुग : त्रेतायुग में मनुष्य की लंबाई 21 फिट अर्थात लगभग 14 हाथ बतायी गई है। 3. द्वापर : द्वापरयुग में मनुष्य की लंबाई 11 फिट अर्थात लगभग 7 हाथ बतायी गई है। सतयुग के पहले क्या था? इसे सुनेंरोकें’सतयुग’ (पहला), ‘द्वापर’ (दूसरा), ‘त्रेता’ (तीसरा), तो त्रेता युग, द्वापर युग से पहले क्यों आया? कलयुग में कितने साल होते हैं?...

सत्य युग

चार प्रसिद्ध सतयुग या कृतयुग प्रथम माना गया है। पुराणादि में सत्ययुग के विषय में निम्नोक्त विवरण मिलता है - चैत्र शुक्ल इस युग में ज्ञान, ध्यान या तप का प्राधान्य था। प्रत्येक प्रजा पुरुषार्थसिद्धि कर कृतकृत्य होती थी, अत: यह "कृतयुग" कहलाता है। धर्म चतुष्पाद (सर्वत: पूर्ण) था। चारों युग 4 चरण (1,728,000 3 चरण (1,296,000 सौर वर्ष) 2 चरण (864,000 सौर वर्ष) 1 चरण (432,000 सौर वर्ष) सन्दर्भ [ ] • অসমীয়া • বাংলা • Deutsch • English • Español • فارسی • Suomi • Français • ગુજરાતી • Magyar • Bahasa Indonesia • Italiano • Jawa • ಕನ್ನಡ • 한국어 • ລາວ • Македонски • മലയാളം • मराठी • नेपाली • नेपाल भाषा • Nederlands • ਪੰਜਾਬੀ • पालि • Polski • Português • Русский • संस्कृतम् • தமிழ் • తెలుగు • ไทย • Tagalog • Українська

सतयुग का अंत कैसे हुआ

इन चारो युग को लेकर कुछ पुरानी मान्यताएं भी हैं. जिसके बारे में हम इस आर्टिकल में चर्चा करेगे. इसके अलावा सतयुग के अंत के बारे में भी आपको विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेगे. दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की सतयुग का अंत कैसे हुआ . इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े. तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं. सतयुग का अंत कैसे हुआ वैसे तो सतयुग के अंत के बारे में काफी सारे मतभेद हैं. लेकिन ऐसा माना जाता है की जब भगवान श्री राम ने राजा जनक के महल में भगवान रूद्र के धनुष को तोडा था. उस समय तुरंत बाद सतयुग का अंत हुआ था. और त्रेता युग का आरंभ हुआ था. घर में गाय का आना शुभ या अशुभ | गाय की पूंछ में किसका वास होता है ? सतयुग के राजा कौन थे सतयुग के राजा के बारे में मतभेद हैं. लेकिन ऐसा माना जाता है की भगवान श्री राम के वंशज राजा हरीशचन्द्र की कहानी सतयुग से ही जुडी हुई हैं. श्री राम के वंशज राजा हरीशचन्द्र का जन्म सतयुग में ही हुआ था. इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है की भगवान विष्णु का अवतार भी सतयुग में ही हुआ था. सतयुग में भगवान विष्णु ने वराह अवतार, कुर्म अवतार, मत्स्य अवतार और नृसिंह अवतार शामिल हैं. भगवान विष्णु ने यह सभी अवतार लेकर सतयुग का कल्याण किया था. जल्दी कर्ज उतारने के टोटके – 4 सबसे पावरफुल टोटके सतयुग के बाद त्रेता क्यों आया जब सतयुग चल रहा था तब मुख्य चार स्तंभ थे. सत्यता, पवित्रता, तपस्या और दयालुता. इसके बाद जब सतयुग में सत्यता का स्तंभ गायब हो गया. इसके बाद सिर्फ तीन स्तंभ ही रह गए. पवित्रता, तपस्या और दया...

सतयुग

सत्य युग चार प्रसिद्ध युगों में सत्ययुग या कृतयुग प्रथम माना गया है। यद्यपि प्राचीनतम वैदिक ग्रंथों में सत्यत्रेतादि युगविभाग का निर्देश स्पष्टतया उपलब्ध नहीं होता, तथापि स्मृतियों एवं विशेषत: पुराणों में चार युगों का सविस्तार प्रतिपादन मिलता है। पुराणादि में सत्ययुग के विषय में निम्नोक्त विवरण मिलता है - वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया रविवार को इस युग की उत्पत्ति हुई थी। इसका परिमाण...

हिन्दू काल गणना

प्राचीन समय चक्र आश्चर्यजनक रूप से एक समान हैं। प्राचीन भारतीय मापन पद्धतियां, अभी भी प्रयोग में हैं (मुख्यतः मूल सनातन हिन्दू धर्म के धार्मिक उद्देश्यों में)। इसके साथ साथ ही हिन्दू वैदिक ग्रन्थों मॆं लम्बाई-क्षेत्र-भार मापन की भी इकाइयाँ परिमाण सहित उल्लेखित हैं।यह सभी हिन्दू समय चक्र (श्लोक 11) वह जो कि श्वास (प्राण) से आरम्भ होता है, यथार्थ कहलाता है; और वह जो त्रुटि से आरम्भ होता है, अवास्तविक कहलाता है। छः श्वास से एक विनाड़ी बनती है। साठ श्वासों से एक नाड़ी बनती है। (12) और साठ नाड़ियों से एक दिवस (दिन और रात्रि) बनते हैं। तीस दिवसों से एक मास (महीना) बनता है। एक नागरिक (सावन) मास सूर्योदयों की संख्याओं के बराबर होता है। (13) एक चंद्र मास, उतनी चंद्र तिथियों से बनता है। एक सौर मास सूर्य के राशि में प्रवेश से निश्चित होता है। बारह मास एक वर्ष बनाते हैं। एक वर्ष को देवताओं का एक दिवस कहते हैं। (14) देवताओं और दैत्यों के दिन और रात्रि पारस्परिक उलटे होते हैं। उनके छः गुणा साठ देवताओं के (दिव्य) वर्ष होते हैं। ऐसे ही दैत्यों के भी होते हैं। (15) बारह सहस्र (हज़ार) दिव्य वर्षों को एक (16) चतुर्युगी की उषा और संध्या काल होते हैं। अनुक्रम • 1 समय • 1.1 नाक्षत्रीय मापन • 1.1.1 छोटी वैदिक समय इकाइयाँ • 1.2 चाँद्र मापन • 1.3 ऊष्ण कटिबन्धीय मापन • 1.4 अन्य अस्तित्वों के सन्दर्भ में काल-गणना • 1.5 पाल्या • 2 वर्तमान तिथि • 3 इन्हें भी देखें • 4 सन्दर्भ • 5 बाहरी कड़ियां (17) एक चतुर्युगी का दशांश को क्रमशः चार, तीन, दो और एक से गुणा करने पर कॄतयुग और अन्य युगों की अवधि मिलती है। इन सभी का छठा भाग इनकी उषा और संध्या होता है। (18) इकहत्तर चतुर्युगी एक (19) एक (20) एक कल्प में, एक...

सत्य युग

चार प्रसिद्ध सतयुग या कृतयुग प्रथम माना गया है। पुराणादि में सत्ययुग के विषय में निम्नोक्त विवरण मिलता है - चैत्र शुक्ल इस युग में ज्ञान, ध्यान या तप का प्राधान्य था। प्रत्येक प्रजा पुरुषार्थसिद्धि कर कृतकृत्य होती थी, अत: यह "कृतयुग" कहलाता है। धर्म चतुष्पाद (सर्वत: पूर्ण) था। चारों युग 4 चरण (1,728,000 3 चरण (1,296,000 सौर वर्ष) 2 चरण (864,000 सौर वर्ष) 1 चरण (432,000 सौर वर्ष) सन्दर्भ [ ] • অসমীয়া • বাংলা • Deutsch • English • Español • فارسی • Suomi • Français • ગુજરાતી • Magyar • Bahasa Indonesia • Italiano • Jawa • ಕನ್ನಡ • 한국어 • ລາວ • Македонски • മലയാളം • मराठी • नेपाली • नेपाल भाषा • Nederlands • ਪੰਜਾਬੀ • पालि • Polski • Português • Русский • संस्कृतम् • தமிழ் • తెలుగు • ไทย • Tagalog • Українська

सतयुग

सत्य युग चार प्रसिद्ध युगों में सत्ययुग या कृतयुग प्रथम माना गया है। यद्यपि प्राचीनतम वैदिक ग्रंथों में सत्यत्रेतादि युगविभाग का निर्देश स्पष्टतया उपलब्ध नहीं होता, तथापि स्मृतियों एवं विशेषत: पुराणों में चार युगों का सविस्तार प्रतिपादन मिलता है। पुराणादि में सत्ययुग के विषय में निम्नोक्त विवरण मिलता है - वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया रविवार को इस युग की उत्पत्ति हुई थी। इसका परिमाण...

सतयुग का अंत कैसे हुआ

इन चारो युग को लेकर कुछ पुरानी मान्यताएं भी हैं. जिसके बारे में हम इस आर्टिकल में चर्चा करेगे. इसके अलावा सतयुग के अंत के बारे में भी आपको विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेगे. दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की सतयुग का अंत कैसे हुआ . इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े. तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं. सतयुग का अंत कैसे हुआ वैसे तो सतयुग के अंत के बारे में काफी सारे मतभेद हैं. लेकिन ऐसा माना जाता है की जब भगवान श्री राम ने राजा जनक के महल में भगवान रूद्र के धनुष को तोडा था. उस समय तुरंत बाद सतयुग का अंत हुआ था. और त्रेता युग का आरंभ हुआ था. घर में गाय का आना शुभ या अशुभ | गाय की पूंछ में किसका वास होता है ? सतयुग के राजा कौन थे सतयुग के राजा के बारे में मतभेद हैं. लेकिन ऐसा माना जाता है की भगवान श्री राम के वंशज राजा हरीशचन्द्र की कहानी सतयुग से ही जुडी हुई हैं. श्री राम के वंशज राजा हरीशचन्द्र का जन्म सतयुग में ही हुआ था. इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है की भगवान विष्णु का अवतार भी सतयुग में ही हुआ था. सतयुग में भगवान विष्णु ने वराह अवतार, कुर्म अवतार, मत्स्य अवतार और नृसिंह अवतार शामिल हैं. भगवान विष्णु ने यह सभी अवतार लेकर सतयुग का कल्याण किया था. जल्दी कर्ज उतारने के टोटके – 4 सबसे पावरफुल टोटके सतयुग के बाद त्रेता क्यों आया जब सतयुग चल रहा था तब मुख्य चार स्तंभ थे. सत्यता, पवित्रता, तपस्या और दयालुता. इसके बाद जब सतयुग में सत्यता का स्तंभ गायब हो गया. इसके बाद सिर्फ तीन स्तंभ ही रह गए. पवित्रता, तपस्या और दया...