करवा चौथ की कहानी वीडियो में

  1. करवा चौथ
  2. karwa chauth vrat katha kahani in hindi chand nikalane ka time
  3. करवा चौथ की कहानी I Karva Chauth ki Kahani in Hindi
  4. Karwa Chauth Katha: करवा चौथ की कथा। - Grihani Madhupari
  5. करवा चौथ व्रत कथा: साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी
  6. तिल चौथ की कहानी। Til Chauth Ki Kahani(katha). – HIND IP
  7. Karva Chauth celebration in Ranchi


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करवा चौथ

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर (अक्टूबर 2018) स्रोत खोजें: · · · · करवा चौथ करवा चौथ आधिकारिक नाम करवा चौथ अन्य नाम करक चतुर्थी ( अनुयायी प्रकार हिन्दू उद्देश्य सौभाग्य तिथि समान पर्व करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी के जैसे दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव अधिकतर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं। यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक निरंतर प्रति वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है। जो सुहागिन स्त्रियाँ आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं। इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्र...

karwa chauth vrat katha kahani in hindi chand nikalane ka time

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को चंद्रोदय ब्यापिनी में करवाचौथव्रत किया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत में महिलाएं पूरे दिन निर्जला रहती हैं और चांद निकलने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं।महिलाओं को चांद का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस व्रत में व्रत कथा का बहुत अधिक महत्व होता है। चांद के दर्शन से पहले करवा चौथ व्रत कथा का पाठ अवश्य करें। आगे पढ़ें करवा चौथ व्रत की कथा- करवा चौथ व्रत कथा एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। सेठानी के सहित उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात्रि को साहकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा। इस पर बहन ने बताया कि उसका आज उसका व्रत है और वह खाना चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है। सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। जो ऐसा प्रतीत होता है जैसे चतुर्थी का चांद हो। उसे देख कर करवा उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ जाती है। जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तभी उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बेहद दुखी हो जाती है। उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। इस पर करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करत...

करवा चौथ की कहानी I Karva Chauth ki Kahani in Hindi

Table of Contents • • • • • • करवा चौथ क्या है? आज हर सुहागिन स्त्री करवा चौथ की कहानी जानना चाहती है। प्रतिवर्ष कार्तिक मास के चतुर्थी के दिन करवा चौथ का व्रत मनाया जाता है। भारतीय महिलाओं द्वारा अपने पति के अखंड सौभाग्य और लंबी उम्र के लिए यह त्यौहार की यह व्रत किया जाता है। द्वापर युग से लेकर कलियुग तक इस व्रत की महिमा लगातार बनी हुई है। आज सुहागन महिलाएं इस व्रत को पूर्ण निष्ठा और मन पूर्ण मनोयोग से करती हैं। आपने देखा होगा दिवाली से पहले त्यौहार के त्योहार के समय भारत में काफी चहल-पहल होती हैं। क्योंकि उस वक्त बहुत सारे त्योहार मनाए जाते हैं। उनमें से एक प्रमुख पर्व व्रत करवा चौथ है। इस दिन महिलाएं उपवास करती हैं और शाम होने पर चांद को देखकर जल ग्रहण करते हैं करती हैं। क्या आपने कभी सोचा है की करवा चौथ का नाम करवा चौथ क्यों पड़ा ? आखिर वह करवा माता कौन थी और त्यौहार को कब से मनाया जाता है आइए इसके बारे में जानते हैं। करवा चौथ की कहानी क्या है ? प्राचीन कथा के अनुसार करवा नामक एक पतिव्रता स्त्री थी। उनके पति वयोवृद्ध थे। एक दिन वह नदी में स्नान करने के लिए गए उसी समय एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया। करवा के पति चिल्लाने लगे। पति के चिल्लाने की आवाज सुनकर करवा दौड़ती हुई आई और बिना एक पल व्यतीत किए हुए पानी में छलांग लगा दी। वह एक पतिव्रता नारी थी उसमें काफी बल था। अपने सूती साड़ी के धागे से उसने मगरमच्छ को बांध दिया। और अपने तपोबल के माध्यम से उसे लेकर यमराज के पास पहुंची। यमराज ने करवा से पूछा देवी यहां आने का कारण क्या है? आप क्या चाहती हैं और यह मगरमच्छ कौन है कृपया बताएं। यमराज की ओर करवा ने हाथ जोड़कर कहा प्रभु इस दुष्ट मगरमच्छ ने मेरे पति को मारने की कोशिश की है...

Karwa Chauth Katha: करवा चौथ की कथा। - Grihani Madhupari

सात भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते हैं । यहां तक की जब तक बहन को खाना नहीं खिला देते तब तक खुद भी नहीं खाते थे। बहन की शादी हुई, और वह अपने घर चली गई सातो भाई भी अपनी गृहस्थी में खुश थे, बहन जब मायके आई तो उसकी भाभियों ने उसका खूब स्वागत सत्कार किया। करवा चौथ का व्रत आया सातों भाभियों के साथ बहन भी करवा चौथ का व्रत की। जब भाई अपने अपने व्यापार और व्यवसाय से निबट कर घर आए तो दिखा की बहन का चेहरा सूखा हुआ है, और बहन मुरझाई सी लग रही है जब वे खाना खाने गए तो बहन को भी भोजन ग्रहण करने के लिए कहा, लेकिन बहन ने साफ इंकार करते हुए कहां की मेरा करवा चौथ का व्रत है, मैं तब तक अन्न जल ग्रहण नहीं करूंगी जब तक की चांद को ना देख लु। भाइयों को बहन को देखकर अच्छा नहीं लगा उन्होंने आपस में एक योजना बनाई। दूर पीपल के पेड़ पर छोटा भाई एक मशाल जलाकर खड़ा हो गया दूर से मशाल ऐसे दिख रहा था जैसे की पूर्णिमा का चांद दिख गया हो, बड़ा भाई आया और बोला कि देखो बहन चांद उदित हो गया है, अब तुम अपना व्रत तोड़ सकती हो। बहन ने जैसे ही एक निवाला डाला उसे छींक आ गई, दूसरा निवाला डाला तो उसके खाने में बाल आ गए, और जैसे ही तीसरा निवाला डाला उसके पति की मृत्यु की खबर आ गई। बहन फफक फफक रोपड़ी और अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करने दी वह साल भर अपने पति के पार्थिव शरीर की देखभाल करने लगी और अपने पति के शरीर से सुई नुमा दूब निकालकर इकट्ठा करने लगी। जैसे ही करवा चौथ का व्रत आया सभी भाभियाँ करवा चौथ का व्रत की, और अपनी ननद का आशीर्वाद लेने उसके पास जैसे ही गई उसकी ननंद भाभियों के पैर पकड़ कर कहने लगी,”यम सुई ले लो,पिय सुई दे दो,” सभी भाभियाँ अपने पैर छुड़ाकर जैसे तैसे भाग खड़ी हुई, जैसे ही छठी भाभी आई करवा ने फिर...

करवा चौथ व्रत कथा: साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी

साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी | करवा चौथ की पौराणिक व्रत कथा श्री गणेशाय नमः ! एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी। साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ। साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम उन्हें अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्घ्य देकर भोजन कर लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं। साहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए। गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया। साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। उसने उपस्थित सभी...

तिल चौथ की कहानी। Til Chauth Ki Kahani(katha). – HIND IP

तिल चौथ व्रत कथा एक बार माता गोरां जी ने श्री गणेश जी से पूछा , हे ! पुत्र माघ बदी चौथ ( तिलकुट चौथ ) के व्रत का विधि विधान क्या है ? इस चौथ का नाम तिल चौथ क्यों हुआ । तब रिद्धि – सिद्धि के दाता श्री गणपति बाबा बोले , कि हे ! जगत माता इस दिन पूजा में श्री गणेश जी व चौथ माता के तिल कुट्टे का भोग लगाया जाता है । इसलिये इस माघ महिने में भालचन्द्र गणेश जी का पूजन किया जाता है । पूजा की विधि में हर पूजा के सामान के साथ तिल कुट्टा रखा जाता है । चौथ माता का व्रत करने वाली बहने दिन भर निराहार रहती है और तिल चौथ की कहानी सुनकर व्रत पूर्ण करती हैं। चौथ के दिन तिल चौथ की कथा (til chauth ki katha) सुनने के साथ विनायक जी की कहानी सुनी जाती है। तिल चौथ कथा वीडियो तिल चौथ की कहानी।til chauth ki kahani(katha). तिल चौथ की कहानी तिल चौथ की कहानी –किसी शहर में एक सेठ – सेठानी रहते थे । उनके कोई भी संतान नहीं थी । इससे दोनों जने दुःखी रहते थे । एक बार सेठानी ने पड़ोसियों की स्त्रियों को तिल चौथ व्रत करते हुये देखा तो पूछा आप किस व्रत को कर रही हैं । इसके करने से क्या लाभ होता है । औरतें बोली कि यह चौथ माता का व्रत है । इसको करने से धन – वैभव , पुत्र , सुहाग आदि सब कुछ प्राप्त होता है । घर में सुख – शांति का वास होता है । तब सेठानी बोली कि यदि मेरे पुत्र हो जाए तो मैं चौथ माता का व्रत करके सवा किलो तिल कुट्टा चढ़ाऊंगी । कुछ दिन बाद में वह गर्भवती हो गयी , तब भी भोग नहीं लगाया और चौथ माता से बोली कि हे चौथ माता यदि मेरे पुत्र हो जाए तो मैं ढ़ाई किलो का तिल कुट्टा चढ़ाऊंगी । गौरी पुत्र गणेश जी व चौथ माता की कृपा से उसको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई । पर उसने तिल कुट्टे का भोग नहीं लगाया । फिर जब व...

Karva Chauth celebration in Ranchi

आज राजधानी रांची में करवा चौथ मनाया जा रहा है, इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए व्रत रखती हैं और करवा चौथ के संबंध में चंद्रमा और अपने पति का चेहरा देखकर व्रत तोड़ती हैं. चौथ. राजधानी रांची में भी उत्साह अपने चरम पर है, सभी विवाहित महिलाएं दुल्हनों की तरह तैयार हैं, आंखों में थाली लिए हुए हैं, पूजा कर रही हैं और कानून की कहानी सुन रही हैं, चंद्रमा को देख रही हैं और इस कहानी के साथ वे अपने पति की कामना करती हैं लंबा जीवन. करवा चौथ की पूजा के दौरान हमारे संवाददाता आशीष कुमार तिवारी ने इसका जायजा लिया.